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राजस्थान के प्रमुख मुस्लिम संत एवं सम्प्रदाय

राजस्थान के प्रमुख मुस्लिम संत एवं सम्प्रदाय (Major Muslim Saints and Sects of Rajasthan)-

  • 1. लालदास जी (Laldas Ji)
  • 2. नरहड़ पीर (Narhar Peer)
  • 3. सैय्यद फखरुद्दीन (Saiyyad Fakhruddin)
  • 4. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti)
  • 5. शेख हमीद्दुदीन नागौरी (Shekh Hamiduddin Nagauri)
  • 6. शेख फरीदुद्दीन (Shekh Fariduddin)
  • 7. ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी (Khwaja Makhdum Husain Nagauri)
  • 8. शेख बुरहान चिश्ती (Shekh Burhan Chishti)
  • 9. शेख कबीर चिश्ती (Shekh Kabeer Chishti)
  • 10. शेख इस्हाक मगरिबी (Shekh Ishak Maghribi)
  • 11. शेख अहमद (Shekh Ahamad)
  • 12. शाह गुलाम इमाम (Shah Ghulam Imam) या शेख मानू (Shekh Manu)
  • 13. गुलाम मोइनुद्दीन (Gulam Moinuddin) या चाँदशाह (Chandshah)
  • 14. काजी हमीदुद्दीन नागौरी (Qazi Hamiduddin Nagauri)
  • 15. रसूल शाह (Rasul Shah)


1. लालदास जी (Laldas Ji)-

  • जन्म स्थान- धोलीदूब, अलवर जिला, राजस्थान
  • लालदास जी का जन्म एक मेव परिवार में हुआ था।
  • लालदास जी एक लकड़हारे थे।
  • पिता- चांदमल
  • माता- समदा
  • गुरु- गद्दन चिश्ती
  • पुत्र- कुतुब खाँ
  • समाधि- शेरपुर, अलवर जिला, राजस्थान
  • मुख्य केंद्र- नंगला जहाज, भरतपुर जिला, राजस्थान
  • लालदास जी के उर्स (मेले)-
  • (I) आश्विन शुक्ल एकादशी
  • (II) माघ पूर्णिमा
  • लालदास जी दादूदयाल जी के समकालीन थे।
  • मेवात क्षेत्र में लालदास जी का प्रभाव अधिक था।
  • लालदास जी ने मेवाती भाषा में अपने उपदेश दिया था।
  • लालदास जी के पुत्र कुतुब खाँ का मुख्य केंद्र बांधोली था।
  • बांधोली राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है।


2. नरहड़ पीर (Narhar Peer)-

  • मुख्य केंद्र- नरहड़, झुंझुनूं जिला, राजस्थान
  • उर्स (मेला)- नरहड़ पीर का मेला कृष्ण जन्माष्टमी के दिन नरहड़ (झुंझुनूं) में लगता है।
  • अन्य नाम- हजरत शक्कर बाबा
  • नरहड़ पीर को बागड़ का धणी कहा जाता है।
  • सलीम चिश्ती नरहड़ पीर के शिष्य थे।


3. सैय्यद फखरुद्दीन (Saiyyad Fakhruddin)-

  • मुख्य केंद्र- गलियाकोट, डूंगपुर जिला, राजस्थान
  • गलियाकोट दाउदी बोहरा सम्प्रदाय का मुख्य केंद्र है।
  • उर्स (मेला)- सैय्यद फखरुद्दीन का मेला मोहर्रम माह की 27 तारीख को लगता है।


4. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti)-

  • जन्म स्थान- संजर (ईरान)
  • गुरु- ख्वाजा उस्मान हारुनी
  • मोहम्मद गोरी के आक्रमणों के दौरान ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भारत आ गये थे।
  • पृथ्वीराज चौहान के शासन काल में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने अजमेर का अपना मुख्य केंद्र बनाया था।
  • मोहम्मद गोरी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को "सुल्तान-उल-हिन्द" की उपाधि दी थी।
  • दिल्ली के सुलतान इल्तुतमिश ने अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का निर्माण शुरू करवाया था।
  • मालवा के सुलतान गयासुद्दीन खिलजी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का निर्माण पूरा करवाया था।
  • मोहम्मद बिन तुगलक पहला सुलतान था जिसने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा की थी।
  • अकबर ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की 14 बार यात्रा की थी।
  • अकबर ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को 18 गाँव दान में दिये थे।
  • मेवाड़ महाराणा जगत सिंह-II ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को 4 गाँव दान में दिये थे।
  • जोधपुर महाराजा अजीत सिंह ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को भूमि अनुदान दिया था।
  • छत्रपति शाहू पहला मराठा राजा था जिसने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए उपहार भेजे थे।
  • औरंगजेब की बहन जहाँआरा ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा की थी।
  • जहाँआरा ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जीवनी "मुनीस-उल-अखाह" लिखी थी।
  • उर्स (मेला)- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का मेला रजब माह की 1 से 6 तारीख तक में अजमेर में लगता है।
  • भीलवाड़ा का गोरी परिवार झंडा चढ़ाकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स की शुरुआत करता है।
  • अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में रजब माह की 6 तारीख को कुल की रस्म निभाई जाती है।
  • अजमेर मे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में रजब माह की 9 तारीख को बड़े कुल की रस्म निभाई जाती है।


बीबी हाफिज जमाल (Bibi Hafiza Jamal)-

  • बीबी हाफिज जमाल ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुत्री थी।
  • बीबी हाफिज जमाल की मजार (दरगाह) राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है।
  • ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशजों ने अन्य स्थानों पर चिश्ती सम्प्रदाय का प्रचार प्रसार किया था। जैसे-
  • (I) फखरुद्दीन सरवाड (अजमेर) आ गये थे
  • (II) हिसामुद्दीन सोख्ता सांभर (जयपुर) आ गये थे।


5. शेख हमीद्दुदीन नागौरी (Shekh Hamiduddin Nagauri)-

  • जन्म स्थान- दिल्ली
  • गुरु- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती
  • पत्नी- बीबी खदीना
  • ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने शेख हमीद्दुदीन नागौरी को "सुल्तान-उत्-तारिकिन" की उपाधि दी थी।
  • शेख हमीद्दुदीन नागौरी सुवाल गाँव में खेती करते थे।
  • सुवाल गाँव राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है।
  • शेख हमीद्दुदीन नागौरी पूर्णतः शाकाहारी थे।
  • शेख हमीद्दुदीन नागौरी के निवास स्थान को फूल महल कहा जाता था।
  • शेख हमीद्दुदीन नागौरी की पत्नी बीबी खदीना भी एक आध्यात्मिक महिला थी।
  • इल्तुतमिश ने शेख हमीद्दुदीन नागौरी के सम्मान में नागौर में बुलंन दरवाजा बनवाया था।
  • बुलंद दरवाजे को अतारकीन का दरवाजा कहा जाता है।


6. शेख फरीदुद्दीन (Shekh Fariduddin)-

  • शेख फरीदुद्दीन शेख हमीद्दुदीन नागौरी के पौते थे।
  • शेख फरीदुद्दीन मुहम्मद बिन तुगलक के समकालीन थे।
  • शेख फरीदुद्दीन ने शेख हमीद्दुदीन नागौरी का मलफूजात तैयार करवाया था।
  • शेख फरीदुद्दीन के द्वारा शेख हमीद्दुदीन नागौरी का तैयार करवाया गया मलफूजात "सुरुर-उस्-सुदुर" था।
  • मलफूजात- सूफी संतों को उपदेश जिन पुस्तकों में लिखे जाते हैं उन्हें मलफूजात कहा जाता है।


7. ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी (Khwaja Makhdum Husain Nagauri)-

  • ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी चिश्ती सम्प्रदाय के एक संत थे।
  • ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी ने कुरान के 30 ग्रंथ तैयार करवाये थे जिन्हें नूरुनब्बी कहा जाता है।
  • ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी ने नागौर में रसूल बाडी नामक बगीचे का निर्माण करवाया था।
  • ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी ने नागौर में मुस्तफा सागर नामक तालाब का निर्माण करवाया था।
  • मांडू के तुलतान ने ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी को धन भेजा था। अतः ख्वाजा मखदुम हुसैन नागौरी ने अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गुम्बद तथा नागौर में शेख हमीद्दुदीन नागौरी की दरगाह की चारदीवारी का निर्माण करवाया था।
  • मांडू मध्य प्रदेश के मालवा में स्थित है।
  • मालवा की राजधानी मांडू थी।


8. शेख बुरहान चिश्ती (Shekh Burhan Chishti)-

  • मुख्य केंद्र- तालाघोला, जयपुर जिला, राजस्थान
  • जयपुर के राजा तालाघोला में शेख बुरहान चिश्ती की दरगाह से कर (Tax) नहीं लेते थे।
  • रोह (अफगानिस्तान) के अफगानों में शेख बुरहान चिश्ती का प्रभाव अधिक था।


9. शेख कबीर चिश्ती (Shekh Kabeer Chishti)-

  • शेख कबीर चिश्ती प्रारम्भ में नागौर रहते थे लेकिन बाद में अहमदाबाद चले गये थे।


10. शेख इस्हाक मगरिबी (Shekh Ishak Maghribi)-

  • मुख्य केंद्र- खाटू, नागौर जिला, राजस्थान


11. शेख अहमद (Shekh Ahamad)-

  • गुरु- शेख इस्हाक मगरिबी
  • शेख अहमद, शेख इस्हाक मगरिबी के शिष्य थे।
  • शेख अहमद ने हज यात्रा की थी।
  • 1398 ई. में शेख अहमद ने दिल्ली में तैमूर से मुलाकात की थी।
  • कालांतर में सुलतान मुजफ्फरशाह के बुलाने पर शेख अहमद गुजरात चले गये थे।
  • शेख अहमद ने सरखेज को अपना मुख्य केंद्र बनाया।
  • सरखेज गुजरात में स्थित है।
  • शेख अहमद की खानकाह सरखेज में स्थित है।
  • शेख अहमद की मदरसा सरखेज में स्थित है।
  • शेख अहमद की मजार सरखेज में स्थित है।
  • खानकाह- सूफी संत जहाँ रहते है उस स्थान को खानकाह कहा जाता है।
  • मदरसा- सूफी संत जहाँ पढ़ाते है उस स्थान को मदरसा कहा जाता है।
  • मजार- सूफी संत जहाँ दफनाया जाता उस स्थान को मजार कहा जाता है।
  • शेख अहमद की उपाधि-
  • (I) कुतुब-उल-अकताब
  • (II) गंजबख्श


12. शाह गुलाम इमाम (Shah Ghulam Imam) या शेख मानू (Shekh Manu)-

  • शाह गुलाम इमाम को ही शेख मानू कहा जाता है।
  • शाह गुलाम इमाम, शेख हमीद्दुदीन नागौरी के वंशज थे।
  • मुख्य केंद्र (मजार/दरगाह)- सिंघाना, झुंझुनूं जिला, राजस्थान


13. गुलाम मोइनुद्दीन (Gulam Moinuddin) या चाँदशाह (Chandshah)-

  • गुलाम मोइनुद्दीन को ही चाँदशाह कहा जाता है।

  • मुख्य केंद्र (मजार/ दरगाह)- सिंघाना, झुंझुनूं जिला, राजस्थान


14. काजी हमीदुद्दीन नागौरी (Qazi Hamiduddin Nagauri)-

  • अबुल फजल के अनुसार काजी हमीदुद्दीन नागौरी 3 वर्षों तक नागौर (राजस्थान) में काजी रहे थे।
  • गुरु- शेख शिहाबुद्दीन
  • काजी हमीदुद्दीन नागौरी
  • काजी हमीदुद्दीन नागौरी ने नागौर को सुहरावर्दी सम्प्रदाय का मुख्य केंद्र बनाया था।
  • मजार- दिल्ली


15. रसूल शाह (Rasul Shah)-

  • मुख्य केंद्र- बहादुरपुर, अलवर जिला, राजस्थान
  • गुरु- नियामत उल्ला खाँ
  • रसूल शाह ने रसूलशाही सम्प्रदाय चलाया था।
  • रसूलशाही सम्प्रदाय के लोग शराब पीते हैं।


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