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मौलिक अधिकार/ मूल अधिकार

> मौलिक अधिकार या मूल अधिकार-
-वे अधिकार जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक, अाध्यात्मिक तथा नैतिक विकास के लिए प्रदान किये जाते है मौलिक अधिकार या मूल अधिकार कहलाते है।

> बाल गंगाधर तिलक-
-भारत में सर्वप्रथम मौलिक अधिकारों की मांग बाल गंगाधर तिलक ने उठाई थी।

> इंडियन होमरूल लीग-
-इसी अांदोलन के दौरान सन् 1915 में बाल गंगाधर तिलक ने मौलिक अधिकारोंं की मांग श्रीमती ऐनिबेसेंट के साथ उठाई थी।

> मौलिक अधिकारों की जननी-
मौलिक अधिकारों की जननी ब्रिटेन को कहते है। क्योकी विश्व में सर्वप्रथम मूल अधिकारों के लिए अधिकार पत्र (Magna Carta/ मैग्नाकार्टा) सन् 1215 में ब्रिटेन के सम्राट जाॅन ने अपने किसानों/ नागरिकों को प्रदान किये थे।

> अमेरिका-
-मौलिक अधिकारों को संविधान में जोड़ने वाला विश्व का पहला देश अमेरिका है।

> मौलिक अधिकार-
-भारतीय संविधान में मूल अधिकार अमेरिका के संविधान से ही लिए गये है।
-भारतीय संविधान के भाग-3 तथा अनुच्छेद 12 से 35 में मौलिक अधिकारों का वर्णन है।

> भाग-3/ मौलिक अधिकारों के उपनाम-
1. संविधान का मेग्नाकार्टा
2. भारत का अधिकार पत्र
3. भारतीय लोकतंत्र का अाधार स्तम्भ

> मौलिक अधिकारों का संरक्षणकर्ता उच्चतम न्यायालय/ सर्वोच्य न्यायालय को कहते है।

> राष्ट्रपति-
-मौलिक अधिकारों का निलम्बन करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास होता है। लेकिन अनुच्छेद 20 तथा अनुच्छेद 21 के अनुसार मौलिक अधिकारों को राष्ट्रपति भी आपातकाल के दौरान निलम्बन नहीं कर सकता है।
-भारतीय मूल संविधान में कुल 7 मौलिक अधिकार थे परन्तु वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार है।

> सम्पति का अधिकार-
-सन् 1978 के 44 वे संविधान संशोधन के द्वारा सम्पति के अधिकार को मूल अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार में जोड़ दिया है। इसिलिए वर्तमान में कुल 6 मौलिक अधिकार है।

> 6 मौलिक अधिकारों के नाम-

1. समानता का अधिकार-
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक में समानता के अधिकारों का वर्णन है।

> अनुच्छेद 17-
-इस अनुच्छेद में अस्पृश्यता या छुआ छुत का अंत किया गया है।

2. स्वतंत्रता का अधिकार-
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक में स्वतंत्रता के अधिकारों का वर्णन है।

> अनुच्छेद 20-
-यह अनुच्छेद अपराधो को दोष सिद्ध करने के विषय में सरक्षण प्रदान करता है। जैसे- किसी भी अपराधी को एक अपराध के लिए दो बार सजा नहीं सुनाई जा सकती है।

> अनुच्छेद 21-
-इस अनुच्छेद में व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा जीवन की सुरक्षा से संबंधित प्रावधान है।

> स्वतंत्रता के अधिकार में व्यक्ति को निम्नलिखित स्वतंत्रताएं प्रदान की गई है। जैसे-
1. कहीं भी निवास करने की स्वतंत्रता
2. कहीं भी भ्रमण करने की स्वतंत्रता
3. भाषण या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
4. कहीं भी व्यापार करने की स्वतंत्रता
5. संगठन बनाने की स्वतंत्रता
6. सूचना पाने की स्वतंत्रता
7. झंडा फहराने की स्वतंत्रता
8. समेलन करने की स्वतंत्रता

> सूचना का अधिकार-
-यह अधिनियम या कानून 12 अक्टूबर, 2005 को जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में लागू कर दिया गया था।

> स्वीडन-
-विश्व में सर्वप्रथम सूचना का अधिकार सन् 1766 में स्वीडन में लागू हुआ था।

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार-
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 व अनुच्छेद 24 में शोषण के विरुद्ध अधिकारों का वर्णन है।

> अनुच्छेद 24-
- इस अनुच्छेद के अनुसार भारत में 14 वर्ष से कम अायु वाले बच्चों को घरों, कारखानों, होटलों अादि जगहों पर काम करवाना बाल अपराध माना जायेगा।

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार-
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 तक में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का वर्णन है।

> अनुच्छेद 25-
- इस अनुच्छेद के अनुसार किसी भी धर्म को मानने तथा उसके प्रचार करने की स्वतंत्रता दी गई है।

> अनुच्छेद 28-
-इस अनुच्छेद के अनुसार राज्यों द्वारा शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती है।

5. संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार-
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 व अनुच्छेद 30 में संस्कृति एवं शिक्षा के अधिकारों का वर्णन है।

> अनुच्छेद 30-
-इस अनुच्छेद में अल्पसंख्यको की शिक्षण संस्थानों की स्थापना पर बल दिया गया है। अर्थात् इस अनुच्छेद में अल्पसंख्यकों को (मुस्लिम, इसाई, शिक्ख, बौध, जैन) शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने की स्वतंत्रता दी गई है।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार-
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 में संवैधानिक उपचारों के अधिकारों का वर्णन है।

> अनुच्छेद 32-
-डाॅ. भीमराव अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान की आत्मा कहा था जबकी पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा था।

> उच्चतम न्यायालय/ सर्वोच्च न्यायलय-
-मौलिक अधिकारों का संरक्षणकर्ता/ प्रहरी/ सुरक्षा कवच सर्वोच्च न्यायालय को कहते है।

> रिट/ याचिका-
-अनुच्छेद 32 के अनुसार सर्वोच्च न्यायलय तथा अनुच्छेद 226 के अनुसार उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की लिए कुल 5 प्रकार की रिट या याचिका जारी करता है। जैसे-
1. बन्दी प्रच्यक्षीकरण
2. परमादेश
3. उत्प्रेषण
4. प्रतिषेध
5. अधिकार पृच्छा

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