औरतों के पहनावे (राजस्थानी वेशभूषा) |
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👉आदिवासी महिलाओं (विवाहित महिला) की ओढ़नी- 1. तारा भांत की ओढ़नी 2. केरी भांत की ओढ़नी 3. लहर भांत की ओढ़नी 4. ज्वार भांत की ओढ़नी 👉कटकी/ पावली भांत की ओढ़नी- ➯आदिवासी अविवाहित महिला (कुंवारी कन्या) के द्वारा ओढ़े जाने वाली ओढ़नी को कटकी/ पावली भांत की ओढ़नी कहते है। 👉जाम साई- ➯आदिवासी महिलाओं की साड़ी को जाम साई कहते है। 👉नादंणा- ➯आदिवासी महिलाओं के घाघरे को नादणा कहते है। ➯नादणा घाघरा राजस्थान में भिलवाड़ा का प्रसिद्ध है। 👉रेनसाई- ➯आदिवासी महिलाओं के घाघरे की छिट को रेनसाई कहते है। 👉सिंदरी- ➯भील स्त्रियों के लाल रंग की साड़ी को सिंदरी कहते है। 👉पिरिया- ➯भील स्त्रियों के द्वारा पहने जाने वाले पीले रंग के लहंगे को पिरिया कहते है। 👉तिलका- ➯तिलका मुस्लिम महिलाओं का पहनावा है। 👉कछाबू- ➯भील स्त्रियों के द्वारा घुटने तक पहने जाने वाले लहंगे को कछाबू कहते है। 👉कवर जोड़- ➯मामा के द्वारा वधु के लिये लाई गई ओढ़नी को कवर जोड़ कहते है। 👉बाला चुनड़ी- ➯मामा के द्वारा वधु की माँ के लिये लाई गई चुनड़ी/ ओढ़नी को बाला चुनड़ी कहते है। 👉पोमचा- ➯पोमचे का रंग पीला होता है। ➯पोमचा राजस्थान में जयपुर जिले का प्रसिद्ध माना जाता है। ➯जच्चा स्त्रियों के द्वारा ओढ़े जाने वाली ओढ़नी को पोमचा कहते है। 👉चीड़/चीढ़ का पोमचा- ➯विधवा महिलाओं के द्वारा ओढ़े जाने वाली काले रंग की ओढ़नी को चीड़ का पोमचा कहते है। |
पुरुषों के पहनावे (राजस्थानी वेशभूषा) |
👉अंगरखी/ बुगतरी- ➯पुरुषों के शरीर के उपरी भाग में पहने जाने वाले वस्त्र को अंगरखी/ बुगतरी कहते है। 👉ठेपाड़ा/ढेपाड़ा- ➯भील पुरुषों के द्वारा पहनी जाने वाली तंग धोती को ढ़ेपाक कहते है। 👉पोत्या- ➯भील पुरुषों के साफे को पोत्या कहते है। 👉खोयतू/खयोतू- ➯भील पुरुषों के द्वारा बांधे जाने वाली लंगोटी को खोयतू/ खयोतू कहते है। |
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य |
👉आतम सुख- ➯तेज सर्दी से बचने के लिये ओढ़े जाने वाले वस्त्र को अात्मसुख कहते है। 👉खपट्टा- ➯शहरीया जनजाती के साफे को खपट्टा कहते है। 👉गोटे के प्रकार- 1. लप्पा 2. लप्पी 3. किरण 4. बांकड़ी 5. नोदाणी 6. सतदानी 7. बिजिया 👉गोटा उद्योग- ➯राजस्थान में गोटा उद्योग खण्डेला (सीकर) का प्रसिद्ध है। 👉लुगड़ा- ➯राजस्थान में लुगड़ा पाटोदा (सीकर) का प्रसिद्ध है। 👉बंधेज- ➯राजस्थान में बंधेज का सर्वाधिक कार्य सुजानगढ़ (चूरू) में किया जाता है। ➯राजस्थान में बंधेज की सबसे बड़ी मंडी जोधपुर में स्थित है। 👉पगड़ी- ➯पगड़ी को प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। ➯पगड़ी को पागा तथा पेचा भी कहते है। ➯राजस्थान में पगड़ी उदयपुर जिले की प्रसिद्ध मानी जाती है। ➯विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी बागौर संग्रहालय (उदयपुर) में रखी हुई है। 👉चपटी- ➯उदयपुर की पगड़ी को चपटी कहते है। 👉खूंटेदार- ➯जयपुर की पगड़ी को खूंटेदार कहते है। 👉छज्जादार- ➯मारवाड़ा की पगड़ी को छज्जादार कहते है। 👉छाबदार- ➯मेवाड़ में पगड़ी बांधने वाले को छाबदार कहते है। 👉केसरिया पगड़ी- ➯केसरिया पगड़ी केवल राजा के द्वारा ही पहनी जाती थी। 👉कसूमल रंग की पगड़ी- ➯कसूमल रंग की पगड़ी युद्ध के समय पहनी जाती थी। 👉लाल रंग की लहरीदार पगड़ी- ➯लाल रंग की लहरीदार पगड़ी राजघराने के लोगो के द्वारा पहनी जाती थी। 👉पगड़ी के प्रकार- 1. उदयशाही 2. जसवंतशाही 3. भिमशाही 4. डुगरशाही 5. राजशाही 6. मंदिल 👉साफा- ➯राजस्थान में साफा जोधपुर जिले का प्रसिद्ध है। 👉जोधपुरी कोट पेन्ट- ➯जोधपुरी कोट पेन्ट को राष्ट्रीय पौशाक का दर्जा दिया गया है। 👉पंच रंग पाग- ➯पंच रंग पाग का शुभ अवसरों पर पहना जाता है। |
राजस्थान की वेशभूषा
August 08, 2018
2
Good
ReplyDeletethanks
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