महाभारत (Mahabharat)-
- महाभारत की रचना गुप्त काल में की गई थी।
- महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास के द्वारा की गई थी।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार महाभारत भगवान श्री गणेश के द्वारा लिखी गई थी।
- प्रारम्भ में महाभारत में 8000 श्लोक थे।
- महाभारत के 8000 श्लोकों को जयसंहिता कहा जाता है।
- कालांतर में महारभारत में 24000 श्लोक थे।
- महाभारत के 24000 श्लोकों को भारतसंहिता कहा जाता है।
- वर्तमान में महाभारत में 1 लाख श्लोक है।
- महाभारत के 1 लाख श्लोकों को महाभारत या शतसहस्त्रसंहिता कहा जाता है। अर्थात् महाभारत में 1 लाख श्लोक होने के बाद महाभारत को महाभारत कहा जाने लगा था।
- महाभारत में षडयंत्र, बुराई पर अच्छाई की जीत तथा पांडव कौरव युद्ध की जानकारी मिलती है।
- महाभारत के अध्याय को पर्व भी कहा जाता है।
- महाभारत में 18 पर्व या अध्याय है। जैसे-
- 1. आदि पर्व
- 2. सभा पर्व
- 3. वन पर्व
- 4. विराट पर्व
- 5. उद्योग पर्व
- 6. भीष्म पर्व
- 7. द्रोण पर्व
- 8. अश्वमेधिक पर्व
- 9. महाप्रस्थानिक पर्व
- 10. सौप्तिक पर्व
- 11. स्त्री पर्व
- 12. शांति पर्व
- 13. अनुशासन पर्व
- 14. मौसल पर्व
- 15. कर्ण पर्व
- 16. शल्य पर्व
- 17. स्वर्गारोहण पर्व
- 18. आश्रम्वासिक पर्व
भीष्म पर्व-
- महाभारत का छठा पर्व भीष्म पर्व है।
- श्रीमद्भगवद्गीता (भगवत गीत) महाभारत के छठे पर्व भीष्म पर्व का ही भाग या अंग है।
श्रीमद्भगवद्गीता (गीता या भगवत गीता)-
- हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ गीता या भगवत गीता या श्रीमद्भगवद्गीता है।
- श्रीमद्भगवद्गीता की रचना महर्षि वेदव्यास के द्वारा की गई थी।
- श्रीमद्भगवद्गीता या गीता में 18 अध्याय है तथा लगभग 700 श्लोक है।
- भगवत गीता में अवतारवाद का उल्लेख मिलता है।
- भगवत गीता या गीता में वेदों का निचोड़ है।
- श्रीमद्भगवद्गीता लगभग 5070 वर्ष पूर्व लिखी गई थी।
- श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय है जैसे-
- 1. अर्जुनविषादयोग- 46 श्लोक
- 2. सांख्ययोग- 72 श्लोक
- 3. कर्मयोग- 43 श्लोक
- 4. ज्ञानकर्मसंन्यासयोग- 42 श्लोक
- 5. कर्मसंन्यासयोग- 29 श्लोक
- 6. आत्मसंयमयोग- 47 श्लोक
- 7. ज्ञानविज्ञानयोग- 39 श्लोक
- 8. अक्षरब्रह्मयोग- 29 श्लोक
- 9. राजविद्याराजगुह्ययोग- 34 श्लोक
- 10. विभूतियोग- 42 श्लोक
- 11. विश्वरूपदर्शनयोग- 55 श्लोक
- 12. भक्तियोग- 20 श्लोक
- 13. क्षेत्रक्षत्रज्ञविभागयोग- 35 श्लोक
- 14. गुणत्रयविभागयोग- 27 श्लोक
- 15. पुरुषोत्तमयोग- 20 श्लोक
- 16. दैवासुरसंपद्विभागयोग- 24 श्लोक
- 17. श्रद्धात्रयविभागयोग- 28 श्लोक
- 18. मोक्षसंन्यासयोग- 78 श्लोक
1. अर्जुनविषादयोग-
- भगवत गीता का पहला अध्याय अर्जुनविषादयोग है।
- भगवत गीता के पहले अध्याय अर्जुनविषादयोग में 46 श्लोक है।
2. सांख्ययोग-
- भगवत गीता का दूसरा अध्याय सांख्ययोग है।
- भगवत गीता के दूसरे अध्याय सांख्ययोग में 72 श्लोक है।
3. कर्मयोग-
- भगवत गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग है।
- भगवत गीता के तीसरे अध्याय कर्मयोग में 43 श्लोक है।
4. ज्ञानकर्मसंन्यासयोग-
- भगवत गीता का चौथा अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग है।
- भगवत गीता के चौथे अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग में 42 श्लोक है।
5. कर्मसंन्यासयोग-
- भगवत गीता का पांचवा अध्याय कर्मसंन्यासयोग है।
- भगवत गीता के पांचवें अध्याय कर्मसंन्यासयोग में 29 श्लोक है।
6. आत्मसंयमयोग-
- भगवत गीता का छठा अध्याय आत्मसंयमयोग है।
- भगवत गीता के छठे अध्याय आत्मसंयमयोग में 47 श्लोक है।
7. ज्ञानविज्ञानयोग-
- भगवत गीता का सातवां अध्याय ज्ञानविज्ञानयोग है।
- भगवत गीता के सातवें अध्याय ज्ञानविज्ञानयोग में 39 श्लोक है।
8. अक्षरब्रह्मयोग-
- भगवत गीता का आठवां अध्याय अक्षरब्रह्मयोग है।
- भगवत गीता के आठवें अध्याय अक्षरब्रह्मयोग में 29 श्लोक है।
9. राजविद्याराजगुह्ययोग-
- भगवत गीता का नौवा अध्याय राजविद्याराजगुह्ययोग है।
- भगवत गीता के नौवें अध्याय राजविद्याराजगुह्ययोग में 34 श्लोक है।
10. विभूतियोग-
- भगवत गीता का दशवां अध्याय विभूतियोग है।
- भगवत गीता के दशवें अध्याय विभूतियोग में 42 श्लोक है।
11. विश्वरूपदर्शनयोग-
- भगवत गीता का ग्यारहवां अध्याय विश्वरूपदर्शनयोग है।
- भगवत गीता के ग्यारहवें अध्याय विश्वरूपदर्शनयोग में 55 श्लोक है।
12. भक्तियोग-
- भगवत गीता का बारहवां अध्याय भक्तियोग है।
- भगवत गीता के बारहवें अध्याय भक्तियोग में 20 श्लोक है।
13. क्षेत्रक्षत्रज्ञविभागयोग-
- भगवत गीता का तेरहवां अध्याय क्षेत्रक्षत्रविभागयोग है।
- भगवत गीता के तेरहवें अध्याय क्षेत्रक्षत्रविभागयोग में 35 श्लोक है।
14. गुणत्रयविभागयोग-
- भगवत गीता का चौदहवां अध्याय गुणत्रयविभागयोग है।
- भगवत गीता के चौदहवें अध्याय गुणत्रयविभागयोग में 27 श्लोक है।
15. पुरुषोत्तमयोग-
- भगवत गीता का पंद्रहवां अध्याय पुरुषोत्तमयोग है।
- भगवत गीता के पंद्रहवें अध्याय पुरुषोत्तमयोग में 20 श्लोक है।
16. दैवासुरसंपद्विभागयोग-
- भगवत गीता का सोलहवां अध्याय दैवसुरसंपद्विभागयोग है।
- भगवत गीता के सोलहवें अध्याय दैवसुरसंपद्विभागयोग में 24 श्लोक है।
17. श्रद्धात्रयविभागयोग-
- भगवत गीता का सतरहवां अध्याय श्रद्धात्रयविभागयोग है।
- भगवत गीता के सतरहवें अध्याय श्रद्धात्रयविभागयोग में 28 श्लोक है।
18. मोक्षसंन्यासयोग-
- भगवत गीता का अठारहवां अध्याय मोक्षसंन्यासयोग है।
- भगवत गीता का अंतिम अध्याय मोक्षसंन्यासयोग है।
- भगवत गीता के अठारहवें अध्याय मोक्षसंन्यासयोग में 78 श्लोक है।