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राजस्थान के राजनीतिक एवं सामाजिक संगठन (Political and Social Organization of Rajasthan)

राजस्थान के राजनीतिक एवं सामाजिक संगठन (Political and Social Organization of Rajasthan)-

  • 1. आर्य समाज (Arya Samaj)
  • 2. देश हितैषिणी सभा (Desh Hitaishini Sabha)
  • 3. राजपूत हितकारिणी सभा (Rajput Hitkarini Sabha)
  • 4. वीर भारत सभा (Veer Bharat Sabha)
  • 5. हिन्दी साहित्य समिति (Hindi Sahitya Samiti)
  • 6. प्रताप सभा (Pratap Sabha)
  • 7. राजपूताना मध्य भारत सभा (Rajputana Madhya Bharat Sabha)
  • 8. राजस्थान सेवा संघ (Rajasthan Seva Sangh)
  • 9. राजपूताना हरिजन संघ (Rajputana Harijan Sangh)
  • 10. खांडलाई आश्रम (Khandlai Ashram)
  • 11. महिला मंडल (Mahila Mandal)
  • 12. वागड़ सेवा मंदिर (Vagad Seva Mandir)
  • 13. वागड़ सेवा संघ (Vagad Seva Sangh)
  • 14. वनवासी सेवा संघ (Vanvasi Seva Sangh)
  • 15. मारवाड़ लोक परिषद (Marwar Lok Parishad)
  • 16. सर्व सेवा संघ (Sarva Seva Sangh)
  • 17. मित्र मंडल (Mitra Mandal)


1. आर्य समाज (Arya Samaj)-

  • स्थापना- 1875 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती ने बॉम्बे में आर्य समाज की स्थापना की थी।
  • 1865 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती ने राजा मदनपाल के बुलाने पर करौली की यात्रा की थी।
  • 1865 ई. की करौली यात्रा स्वामी दयानंद सरस्वती की पहली राजस्थान यात्रा थी।
  • 1865 ई. में करौली के राजा मदनपाल थे।
  • 1881 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती ने भरतपुर की यात्रा की थी।
  • 1881 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती ने अजमेर में आर्य समाज तथा जयपुर में वैदिक धर्म सभा की स्थापना की थी।
  • कविराजा श्यामल दास जी के बुलाने पर स्वामी दयानंद सरस्वती ने मेवाड़ की यात्रा की थी।
  • कविराजा श्यामल दास जी मेवाड़ में कवि थे।
  • स्वामी दयानंद सरस्वती के मेवाड़ यात्रा के दौरान मेवाड़ का राजा महाराणा सज्जन सिंह था।
  • महाराणा सज्जन सिंह ने स्वामी दयानंद सरस्वती को गुलाब बाग के नौलखा महल में रखा था।
  • गुलाब बाग नामक स्थान राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है।
  • नौलखा महल राजस्थान के उदयपुर जिले के गुलाब बाग में स्थित है।
  • गुलाब बाग के नौलखा महल में ही स्वामी दयानंद सरस्वती ने "सत्यार्थ प्रकाश" (Satyartha Prakash) का द्वितीय संस्करण लिखा था।
  • सत्यार्थ प्रकाश स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा लिखी गई पुस्तक है।


परोपकारिणी सभा (Paropkarini Sabha)-

  • 1883 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती ने उदयपुर में "परोपकारिणी सभा" (Paropkarini Sabha) की स्थापना की थी।
  • दयानंद सरस्वती ने महाराणा सज्जन सिंह को परोपकारिणी सभा का सभापति बनाया गया था।
  • कालांतर में परोपकारिणी सभा को अजमेर भेज दिया गया या स्थानांतरित कर दिया गया।


वैदिक यंत्रालय-

  • दयानंद सरस्वती ने अजमेर में "वैदिक यंत्रालय" (Vaidik Yantralay) नामक प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की थी।

  • दयानंद सरस्वती की पुस्तक "सत्यार्थ प्रकाश" का द्वितीय संस्करण अजमेर में वैदिक यंत्रालय नामक प्रिंटिंग प्रेस से प्रकाशित किया गया था।


दयानंद सरस्वती-

  • मारवाड़ के प्रधानमंत्री सर प्रताप के बुलाने पर स्वामी दयानंद सरस्वती जोधपुर चले गये थे।
  • स्वामी दयानंद सरस्वती के जोधपुर आगम के समय मारवाड़ का राजा जसवंत सिंह-2 था।
  • राजा जसवंत सिंह प्रधानमंत्री सर प्रताप का बड़ा भाई था।
  • जोधपुर महाराजा जसवन्त सिंह-2 तथा उनके मंत्री राव राजा तेज सिंह स्वामी दयानंद सरस्वती के प्रभावित थे।
  • महाराजा जसवंत सिंह-2 की प्रेमिका नन्हीं जान (Nanhi Jan) ने स्वामी दयानंद सरस्वती को जहर दे दिया था।
  • 30 अक्टूबर 1883 ई. को दिपावली के दिन अजमेर में स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु हो गयी थी।


राजस्थान में आर्य समाज के कार्यकर्ता-

  • मेवाड़- विष्णु पंड्या
  • अलवर- वासुदेव खंडेलवाल
  • भरतपुर- जुगल किशोर चतुर्वेदी, मास्टर आदित्येन्द्र
  • अजमेर- चांदकरण शारदा, हरविलास शारदा
  • जयपुर- कल्याण सिंह, श्यामलाल
  • कल्याण सिंह तथा श्यामलाल ने हिन्दी राज भाषा आंदोलन भी चलाया था।


आर्य समाज का राजस्थान में प्रभाव या राजस्थान में आर्य समाज का प्रभाव-

  • 1. आर्य समाज के कारण राजस्थान में सामाजिक कुरीतियों में कमी आयी थी। जैसे-
  • (I) 1885 ई. में सर प्रताप ने जोधपुर में "बाल विवाह प्रतिरोधक अधिनियम" पारित किया था।
  • 2. स्वामी दयानंद सरस्वती के प्रभाव के कारण राजस्थान के राजा जनता के प्रति उदार हो गये थे।
  • 3. आर्य समाज ने शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की जिससे राजस्थान में शिक्षा को बढ़ावा मिला।
  • 4. आर्य समाज ने महिलाओं से संबंधित कुरीतियां दूर की जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला तथा महिलाओं ने भी राष्ट्रीय आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। जैसे-
  • (I) सुखदा देवी (चांदकरण शारदा की पत्नि)
  • 5. आर्य समाज के कारण राजस्थान में राजनीतिक चेतना का संचार हुआ।
  • 6. आर्य समाज ने पुस्तकों तथा समाचार पत्रों का प्रकाशन किया था जिससे अभिव्यक्ति की आजादी को बढ़ावा मिला था। जैसे-
  • (I) चांदकरण शारद की पुस्तकें-
  • (A) दलितोद्धार (Dalitoddhar)- सामाजिक सुधार
  • (B) विधवा विवाह (Vidhawa Vivah)- सामाजिक सुधार
  • (II) आर्य समाज के समाचार पत्र-
  • (A) जगहितकारक (Jaghitkarak)
  • (B) जगलाभ चिन्तक (Jaglabh Chintak)
  • (C) परोपकारक (Paropkarak)
  • (D) देश हितैषी (Desh Hitaishi)
  • 7. आर्य समाज ने स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया जिससे राजस्थान के घरेलू उद्योग धंधों को बल मिला।


2. देश हितैषिणी सभा (Desh Hitaishini Sabha)-

  • स्थापना- देश हितैषिणी सभा की स्थापना 2 जुलाई 1877 ई. को की गई थी।
  • संस्थापक- देश हितैषिणी सभा के संस्थापक महाराणा सज्जन सिंह थे।
  • महाराणा सज्जन सिंह मेवाड़ रियासत के राजा थे।
  • देश हितैषिणी सभा राजस्थान की किसी भी रियासत में समाज सुधार का पहला संगठन था। अर्थात् देश हितैषिणी सभा से पहले राजस्थान की किसी भी रियासत में समाज सुधार का कोई संगठन नहीं था।
  • कालांतर में राजस्थान की अन्य रियासतों में भी देश हितैषिणी सभा की स्थापना की गई थी।


3. राजपूत हितकारिणी सभा (Rajput Hitkarini Sabha)-

  • स्थापना- राजपूत हितकारिणी सभा की स्थापना 1989 ई. को की गई थी।
  • संस्थापक- राजपूत हितकारिणी सभा के संस्थापक वॉल्टर (Walter) थे।

  • वॉल्टर राजस्थान का A.G.G. था। 
  • कानूनी बाध्यता नहीं होने के कारण समाज सुधार के प्रयास सफल नहीं हो पाये थे अतः 1936 ई. में इस संगठन को बंद कर दिया गया था।
  • वॉल्टर राजपूतों में समाज सुधार करना चाहता था अतः वॉल्टर ने अजमेर में दो अधिवेशन आयोजित किये।


    वॉल्टर के द्वारा किये गये अधिवेशन के निर्णय-

    • बहुविवाह का समाप्त किया जाना चाहिए।
    • विवाह की न्यूनतम आयु तय की जानी चाहिए। जैसे-
    • (I) लड़की की विवाह की आयु 14 वर्ष होनी चाहिए।
    • (II) लड़के की विवाह की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
    • विवाह में होने वाले खर्च को सीमित किया जाना चाहिए।
    • त्याग प्रथा को समाप्त किया जाना चाहिए।


    4. वीर भारत सभा (Veer Bharat Sabha)-

    • स्थापना- वीर भारत सभा की स्थापना 1910 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- वीर भारत सभा के संस्थापक केसरी सिंह बारहठ थे।
    • वीर भारत सभा "अभिनव भारत" संगठन की एक शाखा थी।


    5. हिन्दी साहित्य समिति (Hindi Sahitya Samiti)-

    • स्थापना- हिन्दी साहित्य समिति की स्थापना 1912 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- हिन्दी साहित्य समिति के संस्थापक जगन्नाथ दास अधिकारी (Jagannath Das Adhikari) थे।
    • हिन्दी साहित्य समिति भरतपुर का संगठन था। 


    हिन्दी सम्मेलन-

    • 1927 ई. में भरतपुर में हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
    • अध्यक्ष- 1927 ई. के भरतपुर के हिन्दी सम्मेलन के अध्यक्ष गौरीशंकर हीराचन्द ओझा को बनाया गया।
    • हिन्दी सम्मेलन में रविंद्र नाथ टैगोर तथा जमनालाल बजाज भाग लिया था।


    6. प्रताप सभा (Pratap Sabha)-

    • स्थापना- प्रताप सभा की स्थापना 1915 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- प्रताप सभा के संस्थापक बलवन्त सिंह मेहता थे।
    • प्रताप सभा मेवाड़ रियासत का संगठन था।
    • प्रताप सभा ने प्रताप जयंती मनाना तथा हल्दी घाटी मेला लगाना प्रारम्भ किया था।


    7. राजपूताना मध्य भारत सभा (Rajputana Madhya Bharat Sabha)-

    • स्थापना- राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना 1918 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना निम्नलिखित के द्वारा की गई थी।
      • (I) जमनालाल बजाज
      • (II) विजय सिंह पथिक
      • (III) गणेशशंकर विद्यार्थी
      • (IV) चांदकरण शारदा
      • (V) नरसिंह देव सरस्वती
    • राजपूताना मध्य भारत सभा कांग्रेस का एक संगठन था।
    • राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना मारवाड़ी पुस्तकालय, चांदनी चौक (दिल्ली) में की गई थी।

    • मुख्यालय- राजपूताना मध्य भारत सभा की मुख्यालय अजमेर में था।


    राजपूताना मध्य भारत सभा के उद्देश्य-

    • रियासत में राजनीतिक चेतना का संचार करना।
    • रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना।

    • रियासतों में कांग्रेस के सदस्य बनाना।


    राजपूताना मध्य भारत सभा के अधिवेशन-

    • 1. राजपूताना मध्य भारत सभा का अधिवेशन 1918 ई. में दिल्ली में आयोजित किया गया था जिसकी अध्यक्षता गिरधर शर्मा ने की थी।
    • 2. राजपूताना मध्य भारत सभा का अधिवेशन 1919 ई. में अमृतसर में आयोजित किया गया था।
    • 3. राजपूताना मध्य भारत सभा का अधिवेशन 1920 ई. में अजमेर में आयोजिक किया गया था जिसकी अध्यक्षता जमना लाल बजाज ने की थी।
    • 4. राजपूताना मध्य भारत सभा का अधिवेशन दिसम्बर 1920 ई. में नागपुर में आयोजित किया गया था जिसकी अध्यक्षता गणेश नारायण सोमाणी ने की थी। (
    • 1920 ई. के नागपुर अधिवेशन में N.C. केलकर को अध्यक्ष चुना गया था लेकिन वह अधिवेशन में पहुँच नहीं पाये थे।
    • 1920 ई. के नागपुर अधिवेशन में किसानों ने एक प्रदर्शनी का आयोजन किया था।
    • 1920 ई. के नागपुर अधिवेशन में राजपूताना मध्य भारत सभा को कांग्रेस का सहयोगी संगठन घोषित कर दिया गया था।


    8. राजस्थान सेवा संघ (Rajasthan Seva Sangh)-

    • स्थापना- राजस्थान सेवा संघ की स्थापना 1919 ई. में की गई थी।
    • स्थापना स्थल- राजस्थान सेवा संघ की स्थापना वर्धा (महाराष्ट्र) में की गई थी।
    • संस्थापक- राजस्थान सेव संघ की स्थापना निम्नलिखित के द्वारा की गई थी।
      • (I) विजय सिंह पथिक
      • (II) राम नारायण चौधरी
      • (III) हरिभाई किंकर
      • (IV) केसरी सिंह बारहठ
      • (V) अर्जुन लाल सेठी
    • मुख्यालय- 1920 ई. में अजमेर में राजस्थान सेवा संघ का मुख्यालय बनाया गया था।
    • राजस्थान सेवा संघ ने राजस्थान में किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया था।
    • नेताओं के आपसी मतभेदों के कारण 1927-28 ई. में राजस्थान सेवा संघ समाप्त हो गया था।


    राजस्थान सेवा संघ के उद्देश्य-

    • रियासतों में जनता की समस्या का समाधान करना।

    • राजा व प्रजा के बीच अच्छे संबंधों की स्थापना करना।


    9. राजपूताना हरिजन संघ (Rajputana Harijan Sangh)-

    • स्थापना- राजपूताना हरिजन संघ की स्थापना 1934 ई. में की गई थी।
    • अध्यक्ष-  राजपूताना हरिजन संघ के अध्यक्ष हरविलास शारदा को बनाया गया था।
    • हरविलास शारदा समाज सुधारक के साथ-साथ एक अच्छे इतिहासकार भी थे।


    10. खांडलाई आश्रम (Khandlai Ashram)-

    • स्थान- खांडलाई, डूंगरपुर जिला, राजस्थान
    • स्थापना- खांडलाई आश्रम की स्थापना 1934 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- खांडलाई आश्रम के संस्थापक माणिक्य लाल वर्मा थे।
    • आदिवासी क्षेत्रों में खांडलाई आश्रम नामक संगठन ने शिक्षा के लिए कार्य किया था।


    11. महिला मंडल (Mahila Mandal)-

    • स्थापना- महिला मंडल की स्थापना 1935 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- महिला मंडल के संस्थापक दयाशंकर श्रोत्रिय (Dayashankar Shrotriya) थे।
    • महिला मंडल उदयपुर का संगठन था।


    12. वागड़ सेवा मंदिर (Vagad Seva Mandir)-

    • स्थापना- वागड़ सेवा मंदिर की स्थापना 1935 ई. में की गई थी।

    • संस्थापक- वागड़ सेवा मंदिर की स्थापना निम्नलिखित के द्वारा की गई थी।
    • (I) भोगीलाल पांड्या
    • (II) गौरीशंकर उपाध्याय


    13. वागड़ सेवा संघ (Vagad Seva Sangh)-

    • स्थापना- वागड़ सेवा संघ की स्थापना 1938 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- वागड़ सेवा संघ के संस्थापक भोगीलाल पांड्या थे।
    • वागड सेवा संघ ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था।


    14. वनवासी सेवा संघ (Vanvasi Seva Sangh)-

    • स्थापना- वनवासी सेवा संघ की स्थापना 1940 ई. में की गई थी।
    • संस्थापक- वनवासी सेवा संघ की स्थापना निम्नलिखित के द्वारा की गई थी।
      • (I) भोगीलाल पांड्या
      • (II) भूरेलाल बया
      • (III) मानसिंह
    • आदिवासी क्षेत्रों में वनवासी सेवा संघ ने विद्यालय, पुस्तकालय तथा छात्रावासों की स्थापना की थी।


    15. मारवाड़ लोक परिषद (Marwar Lok Parishad)-

    • स्थापना- मारवाड़ लोक परिषद की स्थापना 1938 ई. में की गई थी।
    • अध्यक्ष- मारवाड़ लोक परिषद का अध्यक्ष रणछोड़ दास गट्टानी को बनाया गया था।
    • मारवाड़ लोक परिषद ने मारवाड़ में किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया।
    • कालान्तर में किसानों ने मारवाड़ लोक परिषद से अलग होकर "मारवाड़ किसान सभा" का गठन किया।
    • मारवाड़ किसान सभा के संस्थापक बलदेव राम मिर्धा थे।
    • मारवाड़ किसान सभा का प्रथम अध्यक्ष मंगल सिंह कच्छावा को बनाया गया था।


    16. सर्व सेवा संघ (Sarva Seva Sangh)-

    • सर्व सेवा संघ जयपुर में सिद्धराज ढड्ढा ने बनाया था।


    17. मित्र मंडल (Mitra Mandal)-

    • संस्थापक- मित्र मंडल के संस्थापक साधु सिताराम दास थे।

    • मित्र मंडल बिजौलिया का संगठन था।

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