नैनो यूरिया लिक्विड (Nano Urea Liquid)-
- नैनो यूरिया लिक्विड नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है।
- नैनो यूरिया लिक्विड परंपरागत यूरिया के विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोडन (Nitrogen) प्रदान करने वाला एक तरल पोषक तत्व (Liquid Fertilizer) है।
- नैनो यूरिया लिक्विड की बोतल को पानी में मिक्स करके फसल की पत्तियों पर छिड़कना होता है।
- नैनो यूरिया लिक्विड की 500 ml की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम प्रति लीटर नाइट्रोजन होता है। अर्थात् सामान्य यूरिया के 50 kg के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व नैनो यूरिया लिक्विड की मात्र 500 ml की बोतल प्रदान करेगी।
- 500 ml नैनो यूरिया लिक्विड = 50 kg यूरिया बैग
नैनो यूरिया लिक्विड के लाभ (Benefits of Nano Urea Liquid)-
- 1. आर्थिक रूप से वहनीय (Financially Affordable)-
- नैनो यूरिया लिक्विड की 500 ml की एक बोतल की कीमत बिना सब्सिडी के मात्र 240 रुपये है जबकि सब्सिडी वाले यूरिया के 50 kg की एक बैग के लिए 300 रुपये का भुगतान करना होता है।
- 2. किसानों की आय में वृद्धि (Increase in the income of farmers)-
- नैनो यूरिया लिक्विड से उत्पादकता (Productivity) मे लगभग 8% वृद्धि होगी इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- 3. नैनो यूरिया लिक्विड से परिवहन एवं वेयरहाउसिंग (Warehousing) की लागत में भी काफी कमी आएगी।
- 4. नैनो यूरिया लिक्विड पर्यावरण मित्र होगा क्योंकि परंपरागत यूरिया की पौधों को नाइट्रोजन (Nitrogen) प्रदान करने की क्षमता 40 से 45% तक होती है जबकि नैनो यूरिया लिक्विड की पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने की क्षमता 85 से 90% तक होती है। अर्थात् कम उपयोग में ज्यादा फायदा होगा।
- 5. फसलों को पोषक तत्वों की लक्षित आपूर्ति (Targeted Supply of Nutrients to crops)-
- लिक्विड नैनो यूरिया में उर्वरक को सीधे पत्तियों पर छिड़का जाता है और पौधे द्वारा पत्तियों के एपिडर्मिस (Epidermis) पर पाए जाने वाले रंध्रों (Stoma) द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
- 6. सरकार का आयात बिल घटेगा।
- 7. सरकार को उर्वरकों पर सब्सिडी कम देनी पड़ेगी।
- 8. भविष्य में हम उर्वरकों के आयातक के स्थान पर निर्यातक बन सकेंगे।
भारत में विश्व का पहला लिक्विड नैनो यूरिया प्लांट (The world's first Liquid Nano Urea Plant in India)-
- विश्व का पहला लिक्विड नैनो यूरिया प्लांट कलोल (गांधीनगर, गुजरात) में स्थापित किया गया है।
- कलोक (गांधीनगर, गुजरात) स्थित लिक्विड नैनो यूरिया प्लांट की स्थापना 28 मई 2022 को की गई थी।
- कलोल स्थित नैनो यूरिया प्लांट का विकास "नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर" (Nano Biotechnology Research Centre) कलोल, (गुजरात) ने किया है तथा इसका उत्पादन IFFCO द्वारा किया जाएगा।
- IFFCO = इंडियन फार्मर्स फ्रटिलाइजेशन कोर्पोरेशन दिल्ली
- कलोल स्थित लिक्विड नैनो यूरिया प्लांट की कुल लागत 175 करोड़ रुपये है।
- कलोल स्थित लिक्विड नैनो यूरिया प्लांट की उत्पादन क्षमता लगभग 500 ml की 1.5 लाख बोतल प्रतिदिन है।
- कलोल स्थित नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (NBRC) के कृषि वैज्ञानिक डॉ. रमेश रालिया ने लिक्विड नैनो यूरिया का विकास किया है।
- डॉ. रमेश रालिया जोधपुर के रहने वाले है।
- NBRC Full Form = Nano Biotechnology Research Center
- NBRC का पूरा नाम = नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर
भारत में लिक्विड नैनो यूरिया प्लांट (Liquid Nano Urea Plant in India)-
- भारत में वर्तमान में कुल 8 लिक्विड नैनो यूरिया प्लांट स्थति है। जैसे-
- 1. कलोल (Kalol)- गुजरात
- 2. कांडला (Kandla)- गुजरात
- 3. फूलपुर, प्रयागराज (Phulpur, Prayagraj)- उत्तर प्रदेश
- 4. आँवला, बरेली (Aonia, Bareily)- उत्तर प्रदेश
- 5. गुवाहाटी (Guwahati)- असम
- 6. पाराद्वीप (Paradeep)- ओडिशा
- 7. देवगढ़ (Deogarh)- झारखंड
- 8. नागानायकनहल्ली, बैंगलोर (Nag Nayakan Halli, Bengaluru)- कर्नाटक