Ads Area

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

राष्ट्रीय आंदोलन (National Movement) या भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)-

  • 28 दिसम्बर 1885 ई. को "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस" (Indian National Congress) की स्थापना हुई।
  • 28 दिसम्बर, 1885 से "भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन" (Indian National Movement) का आरम्भ माना जाता है।


कांग्रेस की स्थापना के पहले के दल (Parties before the establishment of the Congress)-

  • (A) बंगाल में दल (Parties in Bengal)
  • (B) मद्रास में दल (Parties in Madras)
  • (C) बॉम्बे में दल (Parties in Bombay)
  • (D) लंदन में में दल (Parties in London)


        (A) बंगाल में दल (Parties in Bengal)-

        • 1. बंगाल जमींदार सभा (Bengal Zamindar Sabha)
        • 2. बंगाल ब्रिटिश एसोसिएशन (Bengal British Association)
        • 3. ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन (British India Association)
        • 4. इंडिया लीग (India League)
        • 5. इंडियन एसोसिएशन (Indian Association)
        • 6. नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference)


                  1. बंगाल जमींदार सभा (Bengal Zamindar Sabha)-

                  • स्थापना- बंगाल जमींदार सभा की स्थापना 1838 ई. में हुई थी।
                  • संस्थापक-
                  • (I) द्वारिका नाथ टैगोर (Dwarika Nath Tagore)
                  • (II) राधाकांत देव (Radha Kant Dev)
                  • बंगाल जमींदार सभा भारत का पहला राजनीतिक संगठन है।


                  2. बंगाल ब्रिटिश एसोसिएशन (Bengal British Association)-

                  • स्थापना- बंगाल ब्रिटिश एसोसिएशन की स्थापना 1843 ई. में हुई थी।
                  • संस्थापक- बंगाल ब्रिटिश एसोसिएशन के संस्थापक द्वारिका नाथ टैगोर (Dwarika Nath Tagore) थे।


                  3. ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन (British India Association)-

                  • स्थापना- ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन की स्थापना 1851 ई. में हुई थी।
                  • संस्थापक-
                  • (I) देवेन्द्र नाथ टैगोर (Devendra Nath Tagore)
                  • (II) राधाकांत देव (Radha Kant Dev)


                  4. इंडिया लीग (India League)-

                  • स्थापना- इंडिया लीग की स्थापना 1875 ई. में हुई थी।

                  • संस्थापक- इंडिया लीग के संस्थापक शिशिर कुमार घोष (Sisir Kumar Ghosh) थे।


                  5. इंडियन एसोसिएशन (Indian Association)-

                  • स्थापना- इंडियन एसोसिएशन की स्थापना 1876 ई. में हुई थी।
                  • संस्थापक- इंडियन एसोसिएशन के संस्थापक सुनेन्द्र नाथ बनर्जी (Surendra Nath Banerjee) थे।
                  • लॉर्ड लिटन (Lord Lytton) ने ICS की अधिकतम आयु 19 वर्ष कर दी थी तब सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने आंदोलन चलाया था।


                  6. नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference)-

                  • स्थापना- नेशनल कॉन्फ्रेंस की स्थापना 1883 ई. में हुई थी।
                  • संस्थापक-
                  • (I) सुरेन्द्र नाथ बनर्जी (Surendra Nath Banerjee)
                  • (II) आनन्द मोहन बोस (Anand Mohan Bose)


                  (B) मद्रास में दल (Parties in Madras)-

                  • 1. मद्रास नेटिव एसोसिएशन (Madras Native Association)
                  • 2. मद्रास महाजन सभा (Madras Mahajan Sabha)


                  1. मद्रास नेटिव एसोसिएशन (Madras Native Association)-

                  • स्थापना- मद्रास नेटिव एसोसिएशन की स्थापना 1852 ई. में हुई थी।

                  • मद्रास नेटिव एसोसिएशन ने 1857 ई. की क्रांति की आलोचना की इसलिए लोगों में अलोकप्रिय हो गया था।


                  2. मद्रास महाजन सभा (Madras Mahajan Sabha)-

                  • स्थापना- मद्रास महाजन सभा की स्थापना 1884 ई. में हुई थी।
                  • संस्थापक-
                  • (I) वी. राघवाचारी (V. Raghavachari)
                  • (II) सुब्रह्मण्यम अय्यर (Subramanyam Ayer)
                  • (III) आनन्द चारलू (Anand Charlu)


                  (C) बॉम्बे में दल (Parties in Bombay)-

                  • 1. बॉम्बे एसोसिएशन (Bombay Association)


                  1. बॉम्बे एसोसिएशन (Bombay Association)-

                  • स्थापना- बॉम्बे एसोसिएशन की स्थापना 1852 ई. में हुई थी।
                  • संस्थापक-
                  • (I) बदरुद्दीन तैय्यब जी (Badruddin Tayyab Ji)
                  • (II) फिरोजशाह मेहता (Firozshah Mehta)
                  • 1885 ई. में बॉम्बे एसोसिएशन का नाम बदलकर बॉम्बे प्रेजीडेन्सी एसोसिएशन (Bombay Presidency Association) कर दिया था।


                  (D) लंदन में में दल (Parties in London)-

                  • 1. ईस्ट इंडिया एसोसिएशन (East India Association)


                  1. ईस्ट इंडिया एसोसिएशन (East India Association)-

                  • स्थापना- ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना 1866 ई. में हुई थी।

                  • संस्थापक- ईस्ट इंडिया एसोसिएश के संस्थापक दादा भाई नौरोजी (Dada Bhai Naoroji) थे।


                  👉भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


                  राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के कारण (Reasons for the Rise of National Movement)-

                  • 1. अंग्रेज (British)-
                  • (I) सकारात्मक (Positive)-
                  • (A) राजनीतिक एकरुपता (Political Uniformity)
                  • (B) प्रशासनिक एकरुपता (Administrative Uniformity)
                  • (C) प्रशासन की निर्वयक्तिता (Bureaucratic Impersonality)
                  • (D) शिक्षा (Education)
                  • (E) यातायात व संचार के साधन (Means of Transportation and Communication)
                  • (F) समाचार पत्र व पुस्तकें (Newspaper and Books)
                  • (II) नकारात्मक (Negative)-
                  • (A) साम्राज्यवादी नीति (Imperialist Policy)
                  • (B) नस्लीय भेदभाव (Racial Discrimination)
                  • (C) ईसाई मिशनरियों का धर्म प्रचार (Religious Propagation by Christian)
                  • (D) आर्थिक शोषण (Economic Exploitation)
                  • (E) लॉर्ड लिटन (Lord Lytton)-
                  • (अ) वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act)
                  • (ब) शस्त्र अधिनियम (Arms Act)
                  • (स) ICS की आयु (Age of ICS)
                  • (F) इल्बर्ट बिल विवाद (Ilbert Bill Controversy)
                  • 2. 1857 ई. की क्रांति (Revolution of 1857 AD)
                  • 3. धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलन (Religion and Social Reform Movement)
                  • 4. कांग्रेस की स्थापना (Establishment of Congress)
                  • 5. वैश्विक राष्ट्रवाद 1870 ई. (Global Nationalism 1870 AD)-
                  • (I) इटली (Italy)
                  • (II) जर्मनी (Germany)


                  राष्ट्रीय आंदोलन के चरण (Phase of National Movement)-

                  • 1. राष्ट्रीय आंदोलन का प्रथम चरण (First Phase of National Movement)
                  • 2. राष्ट्रीय आंदोलन का दूसरा चरण (Second Phase of National Movement)

                  • 3. राष्ट्रीय आंदोलन का तीसरा चरण (Third Phase of National Movement)


                  1. राष्ट्रीय आंदोलन का प्रथम चरण (First Phase of National Movement)-

                  • समय- 1885-1905 ई.
                  • राष्ट्रीय आंदोलन के प्रथम चरण में नरम दल का प्रभाव था।
                  • मुख्य नेता (Major Leaders)- प्रथम चरण में राष्ट्रीय आंदोलन के मुख्य नेता-
                  • (I) सुरेन्द्र नाथ बनर्जी (Surendra Nath Banerjee)
                  • (II) दादा भाई नौरोजी (Dada Bhai Naoroji)
                  • (III) फिरोज शाह मेहता (Firoz Shah Mehta)
                  • (IV) गोपाल कृष्ण गोखले (Gopal Krishna Gokhale)


                  नरमपंथियों की विचारधारा (Ideology of Moderates)-

                  • (I) अंग्रेजों की न्यायप्रियता (Fairness) में विश्वास करते थे।
                  • (II) ब्रिटिश शासन को भारत के लिए दैवीय वरदान (Divine Blessing) मानते थे। क्योंकि अंग्रेज भारत में आधुनिक शिक्षा तथा आधुनिक मूल्य ले कर आये है तथा अंग्रजों के जाने से भारत में राजनीतिक अस्थिरता आ सकती है।
                  • (III) भारतीय जनता में राजनीतिक चेतना (Political Consciousness) का विकास नहीं हुआ है इसलिए उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन (National Movement) में शामिल नहीं करना चाहिए।
                  • (IV) भारतीयों का शैक्षिक विकास (Educational Development) किया जाना चाहिये।
                  • (V) राष्ट्रीय आंदोलनों में सभी जाति धर्म के लोगों को शामिल करना चाहिए।
                  • (VI) प्रार्थना पत्र (Petitions), ज्ञापन (Memorandums) व सम्मेलन (Conferences) के माध्यम से राष्ट्रीय आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहिये।


                  राष्ट्रीय आंदोलन में नरमपंथियों का योगदान (Contribution of Moderates in National Movement)-

                  • (I) नरमपंथियों ने राष्ट्रीय आंदोलन को प्रारम्भ किया एवं उसे संगठित किया।
                  • (II) नरमपंथी राष्ट्रीय आंदोलन को अंग्रेजों के दमन से बचाने में सफल रहे।
                  • (III) नरमपंथियों ने धन निष्कासन के सिद्धांत (Theory of Drain of Wealth) को लोकप्रिय किया। जिससे अंग्रेजों का आर्थिक शोषणकारी चेहरा सामने आया।
                  • धन निष्कासन के सिद्धांत अर्थात् भारतीय पैसा ब्रिटेन में जा रहा था।
                  • (IV) नरमपंथियों ने राष्ट्रीय आंदोलन को धर्मनिरपेक्ष स्वरुप प्रदान किया।
                  • (V) नरमपंथियों के कारण अंग्रेजों को भारत में कई सुधार करने पड़े थे। जैसे-
                  • (A) 1886 ई. में लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) की स्थापना।
                  • लंदन में लोक सेवा आयोग की स्थापना के लिए एचीसन समिति (Aitscison Committee) बनाई गई थी।
                  • (B) 1892 ई. में भारत परिषद अधिनियम (Indian Council Act, 1892)
                  • (C) 1896 ई. में व्यय सुधार आयोग (Expenditure Reform Commission) की स्थापना।
                  • व्यय सुधार आयोग को वेल्बी आयोग (Welby Commission) भी कहते थे।
                  • (VI) नरमपंथियों के कारण राष्ट्रीय आंदोलन के प्रथम चरण को 'आर्थिक राष्ट्रवाद का चरण' (Phase of Economic Nationalism) कहा जा सकता है।


                  नरमपंथियों की कमियां (Drawbacks of Moderates)-

                  • (I) नरमपंथी अंग्रेजी शासन के वास्तविक स्वरुप (Real Nature) को उजागर (Reveal) नहीं कर पाये थे।
                  • (II) नरमपंथी राष्ट्रीय आंदोलन को जनआंदोलन (Mass Movement) नहीं बना पाये थे।
                  • (III) नरमपंथियों की अधिकतर मांगें उच्च वर्ग (Upper Class) से संबंधित होती थी।
                  • (IV) नरमपंथियों का राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान अंशकालीन (Short Term) था।
                  • (V) नरमपंथियों की अनुनय-विनय की नीति (Pleading Policy) या राजनीतिक भिक्षावृति नीति (Political Mendicancy Policy) से युवा वर्ग को निराशा होती थी।


                  2. राष्ट्रीय आंदोलन का दूसरा चरण (Second Phase of National Movement)-

                  • समय- 1905-1919 ई.
                  • मुख्य नेता (Major Leader)- द्वितीय चरण में राष्ट्रीय आंदोलन में मुख्य नेता
                  • (I) लाला लाजपतराय (Lala Lajpat Rai)
                  • (II) बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak)
                  • (III) विपिन चन्द्र पाल (Vipin Chandra Pal)
                  • (IV) अरविन्द घोष (Aurobindo Ghosh)
                  • राष्ट्रीय आंदोलन के दूसरे चरण में गरमपंथियों (Extremists) का प्रभाव अधिक था।


                  गरमपंथियों के उदय के कारण (Reasons for the Rise of Extremists)-

                  • (I) भारतीय नरमपंथियों से असंतुष्ट थे।
                  • (II) भारत में अकाल (Famine) व प्लेग (Plague) की स्थिति थी तथा ब्रिटिश सरकार ध्यान नहीं दे रही थी।
                  • (III) लॉर्ड कर्जन की नीतियों के खिलाफ भारतीयों में गुस्सा था।
                  • (IV) इस समय पूरे विश्व में उग्र राष्ट्रवाद (Strong Nationalism) की लहर थी तथा विश्व की कई घटनाओं ने भारतीयों को भी प्रभावित किया था। जैसे-
                  • (A) 1895 ई. में जापान की चीन पर जीत।
                  • (B) 1896 ई. में इथियोपिया की इटली पर जीत।
                  • (C) 1905 ई. में जापान की रूप पर जीत।
                  • (D) बोअर विद्रोह (Boer Revolt)-डच किसान
                  • (V) धर्म सुधार आंदोलन में प्राचीन भारत का गौरवगान (Glorified) किया गया इससे भारतीयों का आत्मविश्वास (Confidence) बढ़ा।


                  गरमपंथियों की विचारधार (Ideology of Extremists)-

                  • (I) ब्रिटिश शासन साम्राज्यवादी (Imperialist) तथा औपनिवेशिक (Colonial) प्रकृति का था।
                  • (II) भारतीय जनता में राजनीतिक चेतना नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल करना चाहिए क्योंकि उत्तरदायित्व (Responsibility) देने से क्षमताएं विकसित होती है।
                  • (III) राष्ट्रीय आंदोलन में धार्मिक प्रतीकों (Religious Symbols) का प्रयोग किया जाना चाहिए।
                  • (IV) स्वदेशी वस्तुओं (Indigenous Goods) का प्रयोग तथा विदेशी वस्तुओं (Foreign Goods) का बहिष्कार करना चाहिए।
                  • (V) हड़ताल (Strikes), जूलूस (Processions) आदि का सहारा लेना चाहिए।


                    राष्ट्रीय आंदोलन में गरमपंथियों का योगदान (Contribution of Extremists in National Movement)-

                    • (I) गरमपंथियों ने अंग्रेजों के वास्तविक स्वरूप को उजागर किया था।
                    • (II) गरमपंथियों ने राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन बनाया।
                    • (III) विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से स्वदेशी उद्योग-धंधों को फायदा हुआ।
                    • (IV) गरमपंथियों ने स्वदेशी शिक्षा संस्थाओं की स्थापना की गई जिससे समाज में शिक्षा का प्रचार हुआ।
                    • (V) गरमपंथियों ने व्यक्तिगत त्याग एवं बलिदान के उदाहरण पेश किये थे। जैसे- बाल गंगाधर तिलक पहले राजनेता थे जो पहली बार जेल गये थे।


                    गरमपंथियों की कमियां (Drawbacks of Extremists)-

                    • (I) गरमपंथियों के अतिवादी रवैये (Extremist Attitude) के कारण कांग्रेस में विभाजन हो गया था तथा ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन का दमन कर दिया था।
                    • (II) गरमपंथियों के धार्मिक प्रतीकों (Religious Symbols) के प्रयोग के कारण आंदोलन के धर्म निरपेक्ष (Secular) स्वरुप को नुकसान पहुँचा।
                    • (III) गरमपंथियों ने अंग्रेजों की आलोचना (Criticism) के बजाय नरमपंथियों की आलोचना पर अधिक ध्यान दिया।
                    • (IV) गरमपंथी आपस में संगठित नहीं थे।


                    3. राष्ट्रीय आंदोलन का तीसरा चरण (Third Phase of National Movement)-
                    • समय- 1919-1947 ई.

                    • राष्ट्रीय आंदोलन के तीसरे चरण को गांधी युग (Gandhian Era) भी कहा जाता है।


                    महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-

                    Post a Comment

                    0 Comments

                    Top Post Ad

                    Below Post Ad