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वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency)

आपातकाल (Emergency)-

  • आपातकाल का उल्लेख संविधान के भाग 18 व अनुच्छेद 352 से 360 तक किया गया है। जैसे-
  • अनुच्छेद 352 में राष्ट्रीय आपातकाल का उल्लेख किया गया है। (संविधान में राष्ट्रीय आपातकाल के स्थान पर "आपात की उद्घोषणा" शब्द काम में लिया गया है)
  • अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति शासन का उल्लेख किया गया है। (संविधान में राष्ट्रपति शासन के स्थान पर "संवैधानिक तंत्र की विफलता" शब्द काम में लिया गया है।)

  • अनुच्छेद 360 में वित्तीय आपातकाल का उल्लेख किया गया है। (संविधान में भी यही शब्द का में लिया गया है)


 वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency)-

  • संविधान में वित्तीय आपातकाल का उल्लेख भाग-18 व अनुच्छेद 360 में किया गया है।
  • संविधान में वित्तीय आपातकाल के लिए वित्तीय आपातकाल शब्द ही काम में लिया गया है।
  • वित्तीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।
  • देश में जब आर्थिक संकट की स्थिति हो तब वित्तीय आपातकाल की घोषणा की जाती है।
  • संविधान में आर्थिक संकट को परिभाषित नहीं किया गया है।
  • वित्तीय आपातकाल की घोषणा के बाद संसद से अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
  • वित्तीय आपातकाल के घोषणा के बाद संसद से 2 माह के भीतर साधारण बहुमत से अनुमोदन पारित होना चाहिए अन्यथा वित्तीय आपातकाल समाप्त हो जायेगा।
  • संसद के एक बार अनुमोदन पारित होने के बाद वित्तीय आपातकाल अनिश्चित काल तक चलाया जा सकता है।


वित्तीय आपातकाल समाप्त-

  • वित्तीय आपातकाल 2 प्रकार से समाप्त किया जा सकता है। जैसे-
  • 1. यदि संसद वित्तीय आपातकाल के अनुमोदन को पारित नहीं करे तो समाप्त हो जाएगा।
  • 2. राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल को कभी भी वापस ले सकता है।


राष्ट्रपति शासन के प्रभाव-

    • 1. मूल अधिकारों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव
    • 2. केंद्र व राज्यों के कार्यकारी संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव (कार्यपालिका पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव)
    • 3. केंद्र व राज्यों के विधायी संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव (विधायिका पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव)
    • 4. केंद्र व राज्यों के वित्तीय संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव


    1. मूल अधिकारों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव-

    • मूल अधिकारों पर वित्तीय आपातकाल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।


    2. केंद्र व राज्यों के कार्यकारी संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव (कार्यपालिका पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव)-

    • केंद्र व राज्यों के कार्यकारी संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।


    3. केंद्र व राज्यों के विधायी संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव (विधायिका पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव)-

    • केंद्र व राज्यों के विधायी संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।


    4. केंद्र व राज्यों के वित्तीय संबंधों पर वित्तीय आपातकाल का प्रभाव-

    • वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले कर (Tax) के (41+1%) रुपये में केंद्र सरकार कटौती कर सकती है या पूरी तरह निलम्बित भी कर सकती है।
    • वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले अनुदान (Grant) के रुपये में केंद्र सरकार कटौती कर सकती है या पूरी तरह निलम्बित भी कर सकती है।
    • उपर्युक्त दोनों बातें वित्तीय आपातकाल से समाप्त होने के बाद जो भी वित्तीय वर्ष चल रहा होगा उसके अंत तक लागू होगी। अर्थात् वित्तीय आपातकाल के समाप्त होने के बाद जो वित्तीय वर्ष चल रहा होगा उसके अंत तक केंद्र सरकार राज्य को दिये जाने वाले रुपये को रोक सकती है।
    • वित्त वर्ष- 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
    • केंद्र सरकार राज्य सरकार को किसी भी प्रकार के वित्तीय निर्देश दे सकती है।
    • वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के धन विधेयक को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रखा जा सकता है।
    • वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार केंद्र व राज्यों के कर्मचारियों के वेतन को कम कर सकती है।
    • सामान्य स्थिति में भी राज्य सरकार व केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन को कम कर सकती है।
    • वित्तीय आपातकाल के दौरान संचित निधि पर भारीत वेतन को कम किया जा सकता है।
    • सामान्य स्थिति में संचित निधि पर भारित वेतन कम नहीं किया जा सकता है।


    भारत में अब तक वित्तीय आपातकाल-

    • भारत में अब तक एक भी बार वित्तीय आपातकाल नहीं लगाया गया है।

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