आबू का इतिहास-
- परमारो का उत्पत्ति स्थल आबू को माना जाता है।
- आबू में परमार वंश का शासन था।
आबू के परमार वंश के प्रमुख राजा-
- आबू के परमार वंश के राजाओं का क्रम-
- 1. धूमराज (Dhumraj)
- 2. उत्पल राज (Utpal Raj)
- 3. धरणी वराह (Dharani Varah)
- 4. धन्धुक (Dhandhuk)
- 5. धारावर्ष (Dharavarsh)
- 6. सोम सिंह (Som Singh)
- 7. प्रताप सिंह (Pratap Singh)
- 8. विक्रम सिंह (Vikram Singh)
1. धूमराज (Dhumraj)-
- धूमराज आबू का राजा था।
- धूमराज को आबू के परमारो का संस्थापक माना जाता है।
2. उत्पल राज (Utpal Raj)-
- उत्पल राज आबू का राजा था।
- उत्पल राज से आबू के परमारो की वंशावली का प्रारम्भ हुआ था।
3. धरणी वराह (Dharani Varah)-
- धरणी वराह ने अपने राज्य को नौ भागों में बाट दिया था अतः धरणी वराह का राज्य नवकोटि मारवाड़ कहलाया।
- गुजरात के चालुक्य राजा मूलराज प्रथम ने आबू पर आक्रमण किया इस समय धरणी वराह को धवल राठौड़ ने शरण दी थी।
- आबू पर मूलराज प्रथम के आक्रमण तथा धवल राठौड़ के द्वारा धरणी वराह को शरण देने की बात का उल्लेख हस्तिकुंडी अभिलेख में किया गया है।
हस्तिकुंडी अभिलेख-
- हस्तिकुंडी अभिलेख 997 ई. का है।
- हस्तिकुंडी अभिलेख राजस्थान के पाली जिले से प्राप्त हुआ था।
- हस्तिकुंडी अभिलेख धवल राठौड़ का है।
4. धन्धुक (Dhandhuk)-
- धन्धुक आबू का राजा है।
- राजा धन्धुक के समय गुजरात के चालुक्य राजा भीम प्रथम ने आबू पर आक्रमण किया था।
- इस आक्रमण में गुजरात के राजा भीम सिंह के द्वारा आबू पर अधिकार कर लिया जाता है।
- आबू पर अधिकार करने के बाद भीम प्रथम ने विमलशाह को आबू का प्रशासक बना दिया था।
- भीम प्रथम के आक्रमण के समय मालवा के भोज परमार ने धन्धुक को चित्तौड़ में शरण दी थी।
- विमलशाह ने धन्धुक तथा भीम प्रथम के बीच समझौता करवा दिया था।
- धन्धुक की पुत्री लाहिनी देवी (लाहिणी देवी) ने बसन्तगढ़ में सूर्य मंदिर तथा सरस्वती बावड़ी का जीर्णोद्धार करवाया था।
- पुनर्निर्माण को ही जीर्णोद्धार कहा जाता है।
- सरस्वती बावड़ी को लाहिनी बावड़ी (लाहिणी बावड़ी) भी कहा जाता क्योंकि सरस्वती बावड़ी का पुनर्निर्माण लाहिनी देवी के द्वारा करवाया गया था।
- बसन्तगढ़ क्षेत्र राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है।
देलवाड़ा का ऋषभदेव (आदिनाथ) मंदिर-
- विमलशाह ने देलवाड़ा में भगवान ऋषभदेव मंदिर का निर्माण करवाया था।
- देलवाड़ा क्षेत्र राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है।
- देलवाड़ा के ऋषभदेव मंदिर को आदिनाथ जैन मंदिर भी कहा जाता है।
- देलवाड़ा के ऋषभदेव मंदिर को विमलवसहि मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि देलवाड़ा का ऋषभदेव मंदिर विमलशाह के द्वारा बनवाया गया था।
- कर्नल जेम्स टाॅड के अनुसार देलवाड़ा का ऋषभदेव मंदिर ताजमहल के बाद भारत की दुसरी सबसे सुन्दर इमारत है।
5. धारावर्ष (Dharavarsh)-
- धारावर्ष एक तीर से तीन भैंसों को बींध देता था।
- धारावर्ष के द्वारा एक तीर से तीन भैंसों को बींध देने की जानकारी पाटनारायण अभिलेख तथा अचलगढ़ किले से मिलती है।
- पाटनारायण अभिलेख 1287 ई. का है।
- पाटनारायण अभिलेख सिरोही से प्राप्त हुआ है।
- अचलगढ़ के किले में धारावर्ष की मूर्ति लगी हुई है जिसमें धारावर्ष के द्वारा एक तीर से तीन भैंसों को बींधते हुए दिखाया गया है।
- अचलगढ़ का किला सिरोही में स्थित है।
प्रह्लादन देव (Prahladan Dev)-
- प्रह्लादन देव धारावर्ष का छोटा भाई था।
- प्रह्लादन देव ने गुजरात में प्रह्लादन पुर नामक नगर की स्थापना की थी।
- प्रह्लादन देव ने पार्थपराक्रमव्यायोग नामक नाटक लिखा था।
- पृथ्वीराज चौहान के आक्रमण के समय प्रह्लादन देव ने आबू की रक्षा की थी।
कायन्द्रा का युद्ध (1178 ई.)-
- कायन्द्रा का युद्ध 1178 ई. का है।
- कायन्द्रा क्षेत्र राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है।
- कायन्द्रा का युद्ध गजनी के शासक मोहम्मद गौरी तथा गुजरात के राजा मूलराज द्वितीय चालुक्य के मध्य हुआ था।
- गुजरात के राजा मूलराज द्वितीय की आयु कम होने के कारण गुजरात के राजा मूलराज की माँ नायिका देवी गुजरात का शासन चलाती थी।
- गुजरात के राजा मूलराज द्वितीय की संरक्षिका उसकी माँ नायिका देवी ही थी।
- कायन्द्रा के युद्ध में नायिका देवी (मूलराज द्वितीय) का साथ देने के लिए नाडौल से केल्हण, जालोर से कीर्तिपाल तथा आबू से धारावर्ष आये थे।
- कायन्द्रा के युद्ध में नायिका देवी ने मोहम्मद गौरी को हरा दिया था।
6. सोम सिंह (Som Singh)-
- वस्तुपाल तथा तेजपाल ने देलवाड़ा (सिरोही) में नेमिनाथ जैन मंदिर का निर्माण करवाया था।
- देलवाड़ा के नेमिनाथ मंदिर को लूणवसहि मंदिर भी कहा जाता है।
- देलवाड़ा के नेमिनाथ मंदिर को देवरानी जेठानी का मंदिर भी कहा जाता है।
- वस्तुपाल तथा तेजपाल दोनों आबू के राजा सोम सिंह के सेनापति थे।
7. प्रताप सिंह (Pratap Singh)-
- प्रताप सिंह ने मेवाड़ के जैत्रसिंह से चन्द्रावती को छीन लिया था।
- प्रताप सिंह के मंत्री देल्हण ने पाटनारायण मंदिर का पुनर्निर्माण (जीर्णोद्धार) करवाया था।
8. विक्रम सिंह (Vikram Singh)-
- विक्रम सिंह के शासन काल में आबू के परमार राजा रावल तथा महारावल की उपाधियां धारण करने लगे थे।
- कालांतर में जालौर के सोनगरा चौहानों ने आबू के परमार राज्य के पश्चिमी भाग पर अधिकार कर लिया था।
- लूम्बा देवड़ा ने परमारों से आबू तथा चन्द्रावती छीनकर सिरोही में चौहान राज्य की स्थापना की थी।
परमार राजवंश की बहुत सुन्दर इतिहास की जानकारी,, , आभार, नेतसिह सोढा राजपूत मुंबई
ReplyDeleteनेतसिंह सोढा जी GK Class.com पर आपका स्वागत है।, आपका सुझाव हमें बहुत अच्छा लगा, अपना सुझाव हमें देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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