> 1857 कि क्रांति के समय ब्रिटिन का प्रधानमंत्री पाँर्म स्टर्न था
> 1857 कि क्रांति के समय कम्पनी का अध्यक्ष रोग मेगल्स था
> 1857 कि क्रांति के समय राजस्थान का ए.जी.जी. पैट्रिक लाँरेन्स था
> राजस्थान मे मराठाओ का सर्वप्रथम प्रवेश बंदी मे हुआ था जिस कारण राजस्थान के राजपुत राजाओ ने मराठाओ से बचने के लिए अंग्रेजो कि सहायक संधि को स्वीकार कर लिया
> राजस्थान मे सहायक संधि तत्कालिन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिग्स के द्वारा कि गई थी
> राजस्थान मे करौली प्रथम जिला था जिन्होने 15 नवम्बर 1817 को कम्पनी कि सहायक संधि को स्वीकार किया
> कोटा ने 26 दिसम्बर 1817 को सहायक संधि स्वीकार की जो कि यह संधि स्वीकार करने वाला दुसरा जिला था
* विशेष- 1823 ई. मे सिरोही द्वारा भी अंग्रेजो कि सहायक संधि स्वीकार कर ली गई
* विशेष- सहायक संधि स्वीकार करने वाली सिरोही अंतिम रियासत थी
* 1857 कि क्रांति के समय राजस्थान मे 6 ब्रिटिश छावनीया थी जो निम्नलिखित है
-(1) नसिराबाद छावनी - अजमेर ( यहा 15 वी बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री स्थित थी )
-(2) ब्यावर छावनी - अजमेर ( यहा मेरवाड़ा बटालियन स्थित थी )
-(3) देवली छावनी - टोंक ( यहा कोटा का पोलिटिकल एजेंट था )
-(4) खेरवाड़ा छावनी - उदयपुर ( यहा मेवाड़ भीलकोर स्थित थी )
-(5) निमच छावनी - कोटा ( वर्तमान मे निमच मध्यप्रदेश मे स्थित है )
-(6)एरियनपुरा छावनी - पाली ( यहा जौधपुर लिजेंट स्थित थी )
-(3) देवली छावनी - टोंक ( यहा कोटा का पोलिटिकल एजेंट था )
-(4) खेरवाड़ा छावनी - उदयपुर ( यहा मेवाड़ भीलकोर स्थित थी )
-(5) निमच छावनी - कोटा ( वर्तमान मे निमच मध्यप्रदेश मे स्थित है )
-(6)एरियनपुरा छावनी - पाली ( यहा जौधपुर लिजेंट स्थित थी )
-इस क्रांति मे खेरवाड़ा और ब्यावर ने भाग नही लिया
-1832 ई. मे ए.जी.जी. के मुख्यालय कि स्थापना हुई जिसकी स्थापना भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिग द्वारा कि गई थी
-1832 ई. मे ए.जी.जी. के मुख्यालय कि स्थापना हुई जिसकी स्थापना भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिग द्वारा कि गई थी
* विशेष- ए.जी.जी. का मुख्यालय 1845 ई. मे माउण्ट अाबू स्थानान्तरीत कर दिया गया
-ए.जी.जी. कार्यालय का वास्तविक उद्देश्य राजस्थान मे अंग्रेजी नियंत्र कि वास्तविक्ता स्थापित करना
-1857 कि क्रांति का तात्कालिक कारण ऐन्फील्ड राइफल का प्रयोग था
-यह राइफल गाय व सुवर कि चरबी युक्त कारतुस से सम्पन थी जिसे भारत मे लार्ड कैंनिग ने लागू किया था
-बैरखपुर छावनी मे स्थित 34 वी नेटिव इन्फेन्ट्री के सैनिक मगल पाण्डे व उसके सहयोगी इश्वर पाण्डे द्वारा विरोद्ध किया गया
-10 मई 1857 को मेरठ छावनी मे यह विद्रोह सर्वप्रथम प्रारम्भ हुआ
* 1857 कि क्रांति के समय राजस्थान मे विभिन प्रान्तो के सैनापती-
-(1) मेवाड़ - मेजर शार्वस
-(2) मारवाड़ - मैक मौसन
-(3) जयपुर - मेजर ईडन
-(4) कोटा - मेजर बर्टन
-1857 कि क्रांति का तात्कालिक कारण ऐन्फील्ड राइफल का प्रयोग था
-यह राइफल गाय व सुवर कि चरबी युक्त कारतुस से सम्पन थी जिसे भारत मे लार्ड कैंनिग ने लागू किया था
-बैरखपुर छावनी मे स्थित 34 वी नेटिव इन्फेन्ट्री के सैनिक मगल पाण्डे व उसके सहयोगी इश्वर पाण्डे द्वारा विरोद्ध किया गया
-10 मई 1857 को मेरठ छावनी मे यह विद्रोह सर्वप्रथम प्रारम्भ हुआ
* 1857 कि क्रांति के समय राजस्थान मे विभिन प्रान्तो के सैनापती-
-(1) मेवाड़ - मेजर शार्वस
-(2) मारवाड़ - मैक मौसन
-(3) जयपुर - मेजर ईडन
-(4) कोटा - मेजर बर्टन
* नसिराबाद छावनी-
-नसिराबाद छावनी अजमेर मे स्थित है
-अजमेर मे भारी मात्रा मे गोलाबारूद, सरकारी खजाना तथा लेखा जोखा के कार्यालय थे
-राजस्थान मे ब्रिटिश सता का केन्द्र भी अजमेर ही स्थित था
-यहा के ए.जी.जी. कि सुरक्षा हेतु 15 वी बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री कि स्थापना कि गई थी
-नसिराबाद मे 15 वी रेजिमेंट/15 वी बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री के सिपाही बकतावर सिंह के नेतृत्व मे यह विद्रोह हुआ
-यहा अंग्रेज अधिकारी बुड और न्यूनबर्ग कि हत्या कर दि गई
-अजमेर मे भारी मात्रा मे गोलाबारूद, सरकारी खजाना तथा लेखा जोखा के कार्यालय थे
-राजस्थान मे ब्रिटिश सता का केन्द्र भी अजमेर ही स्थित था
-यहा के ए.जी.जी. कि सुरक्षा हेतु 15 वी बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री कि स्थापना कि गई थी
-नसिराबाद मे 15 वी रेजिमेंट/15 वी बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री के सिपाही बकतावर सिंह के नेतृत्व मे यह विद्रोह हुआ
-यहा अंग्रेज अधिकारी बुड और न्यूनबर्ग कि हत्या कर दि गई
* विशेष- राजस्थान मे क्रांति का प्रारम्भ नसिराबाद छावनी से 28 मई 1857 को हुआ
* आउवा ( पाली ) मे विद्रोह/एरिनपुरा विद्रोह-
-आउवा पाली मे स्थित है जो मारवाड़ मे क्रांति का प्रमुख केन्द्र था परन्तु यहा कोई सैनिक छावनी नही थी
-1857 कि क्रांति मे अंग्रेजो को सम्पुर्ण राजस्थान मे सर्वाधिक विद्रोह कुशाल सिंह चम्पावत से करना पड़ा
-1857 कि क्रांति मे अंग्रेजो को सम्पुर्ण राजस्थान मे सर्वाधिक विद्रोह कुशाल सिंह चम्पावत से करना पड़ा
* बिथौड़ा का युद्ध- ( 8 सितम्बर 1857 )-
-यह युद्ध हीथकोट (अंग्रेज) व कुशाल सिंह चम्पावत के मध्य हुआ था जिसमे हीथकोट हार गया
-इस युद्ध मे हीथकोट के साथ जौधपुर के राजा तख्त सिंह थे
-इस युद्ध मे जौधपुर का किलेदार अोनाड़ सिंह मारा गया व अंग्रेज सैनापति हीथकोट भी मारा गया
-इस युद्ध मे हीथकोट के साथ जौधपुर के राजा तख्त सिंह थे
-इस युद्ध मे जौधपुर का किलेदार अोनाड़ सिंह मारा गया व अंग्रेज सैनापति हीथकोट भी मारा गया
* चेलवास/गौरे काले/आउवा का युद्ध- ( 18 सितम्बर 1857 )-
-यह युद्ध अंग्रेज सैनापति मैक मौसन व कुशाल सिंह चम्पावत के मध्य हुआ था जिसमे मैक मौसन हार गया
-इस युद्ध मे मैक मौसन का सिर काटकर आउवा किले के दरवाजे पर लटका दिया
-8 अगस्त 1860 को ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत ने निमच मे अंग्रेजो के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
-आउवा के विद्रोह कि जाँच हेतु टेलर आयोग का गठन किया गया
-कर्नल हाॅमस आउवा दुर्ग को जितकर वहा से सुगाली माता कि मुर्ति, 6 पितल कि तौप व 7 लौहे कि तौप सहित अजमेर पँहुचा
-वर्तमान मे सुगाली माता की मुर्ति पाली संग्रालय मे स्थित है
-इस युद्ध मे मैक मौसन का सिर काटकर आउवा किले के दरवाजे पर लटका दिया
-8 अगस्त 1860 को ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत ने निमच मे अंग्रेजो के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
-आउवा के विद्रोह कि जाँच हेतु टेलर आयोग का गठन किया गया
-कर्नल हाॅमस आउवा दुर्ग को जितकर वहा से सुगाली माता कि मुर्ति, 6 पितल कि तौप व 7 लौहे कि तौप सहित अजमेर पँहुचा
-वर्तमान मे सुगाली माता की मुर्ति पाली संग्रालय मे स्थित है
* विशेष- आउवा के ठाकुरो कि कुल देवी सुगाली माता है
* एरिनपुरा मे विद्रोह-
-एरिनपुरा छावनी का गठन 1835 ई. मे किया गया था
-यहा 1836 ई. मे जौधपुर लिजियन नामक सैनिक टुकड़ी का गठन किया गया
-एरिनपुरा छावनी वर्तमान मे पाली जिले मे स्थित है
-यहा 21 अगस्त 1857 को विद्रोह हुआ जिसमे ए.जी.जी. पैट्रिक लाँरेन्स के पुत्र अलेक्जेण्डर कि हत्या कप दि गई
-23 अगस्त 1857 को जौधपुर लिजियन के सुबेदार (सैनिक) मोती खाँ, सितल प्रसाद, तिलक राम तथा शिवनाथ के नेतृत्व मे चलो दिल्ली मारो फिरगी का नारा दिया गया
-यहा 1836 ई. मे जौधपुर लिजियन नामक सैनिक टुकड़ी का गठन किया गया
-एरिनपुरा छावनी वर्तमान मे पाली जिले मे स्थित है
-यहा 21 अगस्त 1857 को विद्रोह हुआ जिसमे ए.जी.जी. पैट्रिक लाँरेन्स के पुत्र अलेक्जेण्डर कि हत्या कप दि गई
-23 अगस्त 1857 को जौधपुर लिजियन के सुबेदार (सैनिक) मोती खाँ, सितल प्रसाद, तिलक राम तथा शिवनाथ के नेतृत्व मे चलो दिल्ली मारो फिरगी का नारा दिया गया
* कोटा मे विद्रोह-
-निमच मे 3 जुन 1857 को क्रांतिकारियो ने कोटा मे विद्रोह किया
-इस समय कोटा का राजा रामसिंह द्वितीय था
-कोटा मे क्रांति का नेतृत्व लाला जयदयाल व रिसालदार मेहरण खाँ द्वारा किया गया
-इन्होने नारायण पलटन व भवानी पलटन के माध्यम से 15 अक्टुबर 1857 को विद्रोह प्रारम्भ किया
-नारायण और भवानी नामक दो व्यक्तियो ने अंग्रेज सैनापती बर्टन का सिर काटकर पुरे कोटा मे घुमाया
-राजस्थान मे कोटा मे सबसे ज्यादा विद्रोह हुआ
-राजस्थान मे कोटा एकमात्र स्थान है जहा सुनियोजीत व सुनियंत्रीत ठंग से क्रांति हुई
-कोटा के रामसिंह द्वितिय को क्रांतिकारियो द्वारा कैद करने पर करौली के मदनपाल द्वारा रिहा करवाया गया
-कोटा विद्रोह को 1858 मे राबर्ट द्वारा दबाया गया था
-कोटा के शासक द्वारा क्रांति मे अंग्रेजो का साथ देने व लापरवाही बरतने के कारण अंग्रेजो ने कोटा रियासत कि 17 तोपो कि सलामी से घटाकर 13 कर दि जबकी करौली कि सलामी 13 से बढ़ाकर 17 कर दि
-5जुन 1857 को निमच छावनी के सैनिको ने देवली ( टोंक ) मे विद्रोह किया
-इस समय कोटा का राजा रामसिंह द्वितीय था
-कोटा मे क्रांति का नेतृत्व लाला जयदयाल व रिसालदार मेहरण खाँ द्वारा किया गया
-इन्होने नारायण पलटन व भवानी पलटन के माध्यम से 15 अक्टुबर 1857 को विद्रोह प्रारम्भ किया
-नारायण और भवानी नामक दो व्यक्तियो ने अंग्रेज सैनापती बर्टन का सिर काटकर पुरे कोटा मे घुमाया
-राजस्थान मे कोटा मे सबसे ज्यादा विद्रोह हुआ
-राजस्थान मे कोटा एकमात्र स्थान है जहा सुनियोजीत व सुनियंत्रीत ठंग से क्रांति हुई
-कोटा के रामसिंह द्वितिय को क्रांतिकारियो द्वारा कैद करने पर करौली के मदनपाल द्वारा रिहा करवाया गया
-कोटा विद्रोह को 1858 मे राबर्ट द्वारा दबाया गया था
-कोटा के शासक द्वारा क्रांति मे अंग्रेजो का साथ देने व लापरवाही बरतने के कारण अंग्रेजो ने कोटा रियासत कि 17 तोपो कि सलामी से घटाकर 13 कर दि जबकी करौली कि सलामी 13 से बढ़ाकर 17 कर दि
-5जुन 1857 को निमच छावनी के सैनिको ने देवली ( टोंक ) मे विद्रोह किया
* भरतपुर मे विद्रोह-
-1857 की क्रांति के समय भरतपुर का राजा जसवंत सिंह था जो नाबालिक था व भरतपुर का प्रशासन अंग्रेज माँरिसन के अधिन था
-भरतपुर मे गुर्जर व मेव जाति द्वारा 31 मई 1857 को विद्रोह किया गया
-भरतपुर मे गुर्जर व मेव जाति द्वारा 31 मई 1857 को विद्रोह किया गया
* धौलपुर मे विद्रोह-
-धौलपुर का शासक भगवंत सिंह था जिसने अंग्रेजो का साथ दिया
-यहा विद्रोह 27 अक्टुबर 1857 को गुर्जर देवा के नेतृत्व मे हुआ
-धौलपुर राज्य कि एकमात्र रियासत थी जहा विद्रोह बाहर के ( ग्वालियर व इंदोर के ) क्रांतिकारियो द्वारा किया गया जबकी इस विद्रोह को दबाया भी बाहर ( पटियाला ) के सैनिको द्वारा गया
-यहा विद्रोह 27 अक्टुबर 1857 को गुर्जर देवा के नेतृत्व मे हुआ
-धौलपुर राज्य कि एकमात्र रियासत थी जहा विद्रोह बाहर के ( ग्वालियर व इंदोर के ) क्रांतिकारियो द्वारा किया गया जबकी इस विद्रोह को दबाया भी बाहर ( पटियाला ) के सैनिको द्वारा गया
* टोंक मे विद्रोह-
-टोंक एकमात्र मुस्लिम रियासत थी व टोंक का नवाब वजीरूद्दोला खाँ था जिन्होने क्रांति मे अंग्रेजो का साथ दिया था
* 1857 कि क्रांति के अन्य तथ्य-
-बीकानेर का सरदार सिंह एकमात्र राजा था जिसने 1857 कि क्रांति मे अपनी रियासत से बाहर लेजाकर सैना के सहयोग से पंजाब, सिरसा ( हरियाणा ) मे अंग्रेजो का साथ दिया
-राजस्थान मे जयपुर क्रांति का केन्द्र नही था
-जयपुर के राजा रामसिंह द्वितिय ने अंग्रेजो का क्रांति मे साथ दिया जिस कारण अंग्रेजो द्वारा उन्हे सितार-ए-हिन्द कि उपाधी प्रदान कि गई व कोटपुतली का परगना स्थाई रूप से प्रदान किया गया और कोटपुतली राजा कि उपाधी प्रदान कि गई
-राजपुताने का एकमात्र राजा बुंदी का राजा रामसिंह हाड़ा था जिसने क्रांति मे अंग्रेजो का साथ नही दिया
-1857 कि क्रांति का प्रथम भामाशाह अमरचंद बाठिया को कहा जाता है व इसे हि राजस्थान का मंगल पाण्डे कहा जाता है
-राजस्थान मे सर्वप्रथम फांसी अमरचंद बाठिया को दि गई थी इनको फांसी ग्वालियर मे दि गई थी व इनका समार्क भी ग्वालियर मे ही है
-राजस्थान रूल इन द स्ट्रगल आॅफ 1857 इस पुस्तक के रचियता नाथूलाल खड़गावत थे
-राजस्थान मे जयपुर क्रांति का केन्द्र नही था
-जयपुर के राजा रामसिंह द्वितिय ने अंग्रेजो का क्रांति मे साथ दिया जिस कारण अंग्रेजो द्वारा उन्हे सितार-ए-हिन्द कि उपाधी प्रदान कि गई व कोटपुतली का परगना स्थाई रूप से प्रदान किया गया और कोटपुतली राजा कि उपाधी प्रदान कि गई
-राजपुताने का एकमात्र राजा बुंदी का राजा रामसिंह हाड़ा था जिसने क्रांति मे अंग्रेजो का साथ नही दिया
-1857 कि क्रांति का प्रथम भामाशाह अमरचंद बाठिया को कहा जाता है व इसे हि राजस्थान का मंगल पाण्डे कहा जाता है
-राजस्थान मे सर्वप्रथम फांसी अमरचंद बाठिया को दि गई थी इनको फांसी ग्वालियर मे दि गई थी व इनका समार्क भी ग्वालियर मे ही है
-राजस्थान रूल इन द स्ट्रगल आॅफ 1857 इस पुस्तक के रचियता नाथूलाल खड़गावत थे
Oosam collection for rajasthan police bhai ji
ReplyDeleteBhai please Level high krna
ok & thanks
DeletePlz continue sir
ReplyDeleteok, Thanks
DeleteRPF Sub Inspector Admit Card 2018 RRB Railway RPF SI Admit card 2018 2018 RPF RPSF SI Written Exam PET PST Physical Admit Card 2018 Railway Protection Force RPF RRB Expected Exam Date 2018 RPF Written PET PST Physical News Update Admit card Call Letter Hall ticket 2018 Download Official Update News Official Website Link Download RPF SI Admit card 2018 RPF Physical PET PST Written exam Date Admit card Download Railway Protection Force RPF RRB Expected Exam Date 2018 RPF Written PET PST Physical News Update Admit card Call Letter Hall ticket 2018 RPF SI Admit Card
ReplyDeletethanks Abhi Rathore
DeleteVery nice sir
ReplyDeleteThanks Dinesh Mehar
DeleteBest collection sir
ReplyDeleteThanks
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