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आधुनिक राजस्थान का इतिहास

* सत्ती प्रथा-
-राजस्थान मे सर्वप्रथम सत्ती प्रथा पर रोक लगाने का प्रयास आमेर/जयपुर के राजा सवाई जयसिंह द्वारा किया गया था
-ब्रिटिश प्रभाव से राजस्थान मे सर्वप्रथम सत्ती प्रथा को बुंदी नरेश राव विष्णुसिंह ने 1822 ई. मे गैर कानुनी/अवैध घोषित कर दिया
-सत्ती प्रथा का भारत मे सर्वप्रथम अभिलेखिए प्रमाण ऐरण अभिलेख से मिलता है जो 510 ई. का है
-यह ऐरण अभिलेख गुप्त राजा भानुगुप्त का है जिसमे उल्लेख है कि भानुगुप्त के सैनापती गोपराज युद्ध मे मारे जाने के बाद उनकी पत्नी
उनके साथ सत्ती हुई थी
-सत्ती प्रथा को भारत मे राजाराम मोहन राय के प्रयासो से भारत के तत्कालिन गवर्नर जनरल/भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लाँर्ड विलियम बैंटिग द्वारा 1829 ई. मे सत्ती प्रथा एक्ट जारी कर सत्ती प्रथा को भारत से सत्ती प्रथा एक्ट कि धारा 17(4) के तहत बंद कर दिया गया
-मेवाड़ मे सत्ती प्रथा को रोकने का प्रयास स्वरूप द्वारा किया गया परन्तु शम्भूसिंह के काल मे मेवाड़ मे सत्ती प्रथा पुर्णत: बंद हो गई
-विश्व मे सत्ती के मेले के नाम  से राणी सत्ती झुन्झुनू का मेला प्रसिद्ध है हाल हि मे इस मेले को बंद कर रखा है

* कन्या वध-
-राजस्थान पर ब्रिटिश प्रभाव स्थापित होने के बाद हाड़ौती के पोलिटिकल एजेंट विल किंसन के प्रयासो से कन्या वध को गैर कानुनी घोषित किया गया
-कन्या वध को विल किंसन के प्रभाव से ही सर्वप्रथम 1833 ई मे कोटा के राजा रामसिंह द्वारा इसे गैर कानुनी घोषित किया गया
-कन्या वध त्याग प्रथा का ही उपेक्षीत रूप है

* त्याग प्रथा-
-त्याग प्रथा को सर्वप्रथम सन् 1841 मे गैर कानुनी घोषित करने वाला जोधपुर (मारवाड़) का महाराजा मानसिंह था
-मेवाड़ मे त्याग प्रथा को राणा फतेहसिंह द्वारा सन् 1889 मे अवैध घोषित काया गया 
-मेवाड़ मे त्याग प्रथा को समाप्त करने हेतु वाल्टरकृत हितकारणी सभा का गठन किया गया जिसका अध्यक्ष तत्कालिन राजस्थान के ए.जी.जी. वाल्टरकृत को बनाया गया

* डाकन प्रथा-
-खेरवाड़ा (उदयपुर) मे राणा स्वरूपसिंह, मेवाड़ भीलकोर के अधिकारी J.C बुक्र के प्रयासो से सन् 1853 मे डाकन प्रथा को सर्वप्रथम गैर कानुनी घोषित किया गया
-मेवाड़ भीलकोर कि स्थापना सन् 1841 मे मेवाड़ के राणा सरदार सिंह के समय ब्रिटिश सरकार द्वारा कि गई थी

* वर्दा फिरोसी-
-इसका अर्थ मानव व्यापार प्रथा से है
-इस प्रथा को सर्वप्रथम कोटा मे राजा रामसिंह ने सन् 1831 मे गैर कानुनी घोषित किया गया 

* समाधि प्रथा का अन्त-
-समाधि प्रथा का सर्वप्रथम अन्त जयपुर के पोलिटिकल ऐजेंट लाॅर्ड लडुओ के प्रयासो से सन् 1844 मे जयपुर के द्वारा इसे गैर कानुनी घोषित कर दिया गया
-इस समय मेवाड़ के राजा स्वरूप सिंह थे
-समाधि प्रथा सन् 1861 मे एक अधिनियम के तहत पुर्णत: समाप्त कर दि गई

* दास प्रथा का अन्त-
-दास प्रथा को सर्वप्रथम सन् 1833 मे भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लाॅर्ड विलियम बैटिंग द्वारा गैर कानुनी घोषित किया गया 
-सन् 1843 मे एलनब्ररो ने इस प्रथा को समाप्त किया
-सर्वप्रथम बूंदी के राजा विष्णुसिंह तथा कोटा के राजा किशोरसिंह द्वितिय द्वारा सन् 1832 मे इसे गैर कानुनी घोषित कर रोक लगाई

* अनमेल व बाल विवाह-
-भारत मे प्रथम बाल विवाह का प्रमाण वर्धन साम्राज्य/हर्षवर्धन के समय का है
-हर्षवर्धन कि बहन राज्यश्री का विवाह कन्नोज के मौखरी वंश के राजा गृहवर्मा के साथ किया गया
-भारत मे बाल विवाह मुस्लिम आगमन/मुस्लिम सत्ता स्थापित होने के बाद ज्यादा बढ़े
-दयानन्द सरस्वती ने इस विवाह के विरूद्ध सर्वप्रथम आवाज उठाई और कहा यह प्रथा समाज के अन्त का प्रतिक है
-राजस्थान मे वाल्टरकृत (ए.जी.जी) राजपुत हितकारणी सभा के निर्णय अनुसार जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह द्वितिय के समय उनके प्रधानमत्री प्रताप सिंह ने सन् 1885 मे बाल विवाह प्रतिबंधक कानुन बनाया

-10 दिसम्बर 1903 को अलवर रियासत ने बाल विवाह और अनमेल विवाह को निषेध घोषित किया
-20 वी सदी मे हरविलास सारदा (अजमेर) ने सन् 1929 मे बाल विवाह अवरोधक अधिनियम पारित किया जो सारदा एक्ट के नाम से प्रसिद्ध है
-यह सारदा एक्ट अधिनियम 1 अप्रेल 1930 से समस्त देश मे लागू हो गया
-वर्तमान मे विवाह कि आयु 21 वर्ष लड़के कि व 18 वर्ष लड़की की है

* विधवा विवाह को वैद्यता-
-विधवा विवाह को वैद्यता/प्रोत्साहित करने वाला प्रथम राजा सवाई जयसिंह था।
-सन् 1856 में विधवा पुनर्विवाह कानून बनाया गया था।
-भरतपुर ने पहल करके सन् 1926 में विधवा पुनर्विवाह कानून बनवाया।

* आन प्रथा-
-यह स्वामी भक्ति की शपथ थी।
-पूर्व में यह अवयस्क राजा का प्रशासन चलाने के लिए एक पोलिटिक्ल एजेंट होता था।
-23 दिसम्बर, 1863 को ब्रिटिश सरकार द्वारा इस आन प्रथा को समाप्त कर दिया गया।

* चकबंदी प्रथा-
-जयपुर में सन् 1863 में चकबंदी हेतु प्रयास किया गया परन्तु सन् 1868 में चकबंदी प्रथा को लागू कर दिया गया जिसका उद्देश्य राज्य के प्रत्येक खालसा गाँव की पीवल (सिंचाई युक्त) व बारानी (वर्षा पर निर्भर) भूमि की पैमाईस करना था।

* पर्दा प्रथा-
-पर्दा प्रथा का उदय गुप्त काल में हुआ था।
-भारतीय समाज में पर्दा प्रथा का उल्लेख कालीदास के नाटक रघुवनशम में मिलता है।

* दहेज प्रथा-
-भारतीय समाज में दहेज प्रथा का उल्लेख 6 वी शताब्दी का है।
-कौशल नरेश की पुत्री के विवाह पर कन्या खर्च हेतु मगध के राजा बिम्बिसार को काशी गाँव दहेज में मिला था।
-सन् 1961 में भारत सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम लागू किया
-सन् 2006 में भारत सरकार ने दहेज निवारक कानून बनाकर इस प्रथा को रोकने का प्रयास किया था।

* सागड़ी प्रथा/बन्धवा मजदुरी-
-राजस्थान सागड़ी प्रथा उलमुन्न अधिनियम सन् 1961 में पारित हुआ।
-राजस्थान सागड़ी प्रथा उलमुन्न संसोधन अध्यादेश सन् 1975 में लागू हुआ।

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