* चौहानो की उत्पती-
1. अग्निकुण्ड का सिद्धांत
2. विदेशी सिद्धांत
3. सूर्यवंशी सिद्धांत-
-पृथ्वीराज विजय (जयानक), हम्मीर महाकाव्य (नयन चन्द्रसुरी), हम्मीर रासो (जोधराज) आदि मे चौहानो को सूर्यवंशी कहा है।
-गोरीशंकर हिराचंद ओझा ने इन्हे सूर्यवंशी माना है।
-गोरीशंकर हिराचंद ओझा सिरोही जिले के रोहिड़ा गाँव के निवासी थे।
-हासि के अभिलेख व अचलेश्वर मंदिर के अभिलेख मे इन्हे चन्द्रवंशी माना है।
4. ब्राह्मण मत का सिद्धांत-
-डॉ. दशरथ शर्मा ने अपनी पुस्तक अर्ली चौहान डायनेस्टी मे तथा बिजौलिया अभिलेख के अनुसार चौहानो को वत्सगौत्रीय ब्राह्मण माना है।
-डॉ. दशरथ शर्मा ने इन्हे वत्सगौत्रीय संतान माना है।
* बिजौलिया अभिलेख-
-बिजौलिया अभिलेख भिलवाड़ा मे श्याम पार्श्वनाथ नाथ मंदिर कि चट्टान के पास स्थित है।
-बिजौलिया अभिलेख 1170 ई. का है। जिसे गुणभद्र/श्रावक लालोक द्वारा
संस्कृत भाषा मे लिखा गया था।
-बिजौलिया अभिलेख के अनुसार चौहानो का संस्थापक वासुदेव चौहान था।
* चौहानो का निवास स्थान-
-डॉ. गोपिनाथ शर्मा ने इन्हे जांगल देश (बिकानेर, उत्तरी मारवाड़, जयपुर) का माना है। परन्तु सर्वमान्य मत सांभर, पुष्कर, सिकर को माना है।
* अजमेर के चौहान-
-अजमेर के चौहानो का संस्थापक वासुदेव चौहान था
-वासुदेव चौहान ने सांभर झील का निर्माण करवाया।
-गोपिनाथ शर्मा के अनुसार 551 ई. मे इस वंश कि निव डाली गयी थी।
1. गुवक-प्रथम-
-इन्होने हर्षनाथ के मंदिर का निर्माण सिकर मे करवाया था।
-चौहानो कि प्रारम्भिक राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी।
2. गुवक-द्वितिय-
-इनकी पत्नी रूद्राणी/आत्म प्रभा योगिक क्रियाओ मे निपुण थी व प्रतिदिन पुष्कर मे महादेव मंदिर के सामने 1000 दीपक जलाती थी।
3. वाक्पतिराज-
-इनके पास महाराज की उपाधि थी।
4. सिंहराज-
-इनके पास महाराजा धिराज की उपाधि थी।
-यह चौहानो का प्रथम स्वतंत्र शासक था।
5. विग्रहराज द्वितिय-
-इन्होने भड़ोच (गुजरात) मे अपनी कुल देवी आशापुरा माता का मंदिर बनवाया था।
-चौहानो की आराध्य देवी जीण माता है।
-विग्रहराज द्वितिय के शासन कि जानकारी 973 ई. की हर्षनाथ प्रशस्ति मे मिलती है। जो कि विग्रहराज द्वितिय के ही समय कि है।
6. अजयराज (1105-1133 ई.)-
-अजयराज ने 1113 ई. मे अजमेर को बसाकर अपनी राजधानी बनाया।
-पूर्व मे इनकी राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी।
-अजयराज ने अजमेर बसाया इसका उल्लेख पृथ्वीराज विजय मे है। जो जयानक द्वारा लिखी गई थी।
-अजयराज ने हि गढ़ बिठली पहाड़ी पर अजयमेरू नाम से दुर्ग का निर्माण करवाया।
-वर्तमान मे इस दुर्ग को तारागढ़ कहा जाता है।
-अजयराज ने अपने शासन काल मे चाँदी और ताम्बे के सिक्के जारी करवाये थे।
-अजयराज के चाँदी के सिक्के अजयदेव नाम से प्रसिद्ध हुए थे।
-अजयराज की पत्नी सोमलेखा ने भी चाँदी के सिक्के अपने नाम से ही जारी किये थे।
-अजयराज का शासन काल चौहानो निर्माण काल कहलाता है।
-अजयराज ने शासन के अंतिम दिनो मे राज गद्दी का त्याग कर सन्यास धारण किया।
7. अर्णोराज (1133-1155 ई.)-
-अर्णोराज की प्रारम्भिक समस्याए-
-(1) भारत मे तुर्क अाक्रमणो को रोकना/तुर्क आक्रमण से राज्य को बचाना।
-(2) चालुक्य शासक कुमारपाल का प्रभाव समाप्त करना।
-(3) चौहान साम्राज्य का विस्तार करना।
-अर्णोराज प्रथम चौहान शासक था जिसने तुर्क आक्रमणकारियो को पराजित किया।
-अन्नासागर झील-
-अर्णोराज ने तुर्क विजय के उपलक्ष मे अन्नासागर झील का निर्माण करवाया।
-यह झील जन्द्रा नदी के पानी को रोक कर बनाई गयी थी।
-यह झील तारागढ़ और नाग पहाड़ के मध्य स्थित है।
-अर्णोराज व चालुक्य शासक कुमारपाल-
-अर्णोराज ने चालुक्य शासक कुमारपाल पर आक्रमण किया।
-यह युद्ध आबू के नजदीक हुआ जिसमे कुमारपाल विजयी हुआ।
-पराजित होने के बाद अर्णोराज ने अपनी पुत्री जल्हन देवी का विवाह कुमारपाल के साथ किया।
-इस विवाह का उल्लेख प्रबंध कोश/प्रबंध चिन्तामणी मे मिलता है।
-अर्णोराज ने जैन धर्म के खरतगच्छ जैन को भूमी दान मे दी थी।
विशेष-भारत मे सर्वप्रथम भूमी दान सातवाहन वंश (गोतमी पुत्र सातकरण) द्वारा किया गया था।
विशेष- भारत मे सर्वाधिक भूमी दान गुप्त काल मे दिया गया था।
-अर्णोराज ने पुष्कर मे वराह मंदिर का निर्माण करवाया।
-अर्णोराज के पास जयवराह नामक उपाधि थी। जिसको अपने ताम्बे के सिक्को पर अंकित करवाया।
-अर्णोराज के पुत्र जगदेव ने इनकी हत्या 1155 ई. मे कर दी।
-जगदेव चौहानो का पितृहन्ता कहलाता है।
8. विग्रहराज-चतुर्थ (1158-1163 ई.)-
-विग्रहराज-चतुर्थ बिसलदेव के नाम से जाना जाता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने दिल्ली पर अधिकार किया उस समय दिल्ली का शासक तवर तौमर था।
-दिल्ली पर अधिकार करते समय विग्रहराज-चतुर्थ द्वारा जयचन्द के पिता विजयचन्द की हत्या कर दि गयी।
-विग्रहराज-चतुर्थ के समय इस विजय का उल्लेख पृथ्वीराज विजय मे मिलता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने गजनी के शासक अमीर खुसरव शाह को पराजित किया और पंजाब, मुल्तान, हिसार पर अधिकार कर लिया।
-गजनी विजय का उल्लेख ललितराज विग्रह मे मिलता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ के दरबारी कवि सोमदेव के द्वारा ललितराज विग्रह नाट्क कि रचना कि गई जो की संस्कृत भाषा मे है।
-विग्रहराज-चतुर्थ प्रथम चौहान शासक है। जिसने दिल्ली पर अधिकार किया था।
-नरपती नाल्ह द्वारा विग्रहराज-चतुर्थ पर बिसलदेव रासो लिखा गया।
-विग्रहराज-चतुर्थ के शासन कि जानकारी/राज्य विस्तार शिवालेख अभिलेख मे मिलता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ द्वारा टोंक मे बिसलपुर नगर/कस्बा बसाया गया जो कि वर्तमान मे टोडारायसिंह नगर कहलाता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने टोंक मे ही बिसलपुर बांध का निर्माण करवाया।
-विग्रहराज-चतुर्थ और चालुक्य शासक कुमारपाल-
-विग्रहराज-चतुर्थ चौहानो का प्रथम शासक था जिसने चालुक्य शासक कुमारपाल को पराजित करके नागौर, पाली, जालौर और सिरोही पर अधिकार कर लिया।
-विग्रहराज-चतुर्थ को पृथ्वीराज विजय के रचियता जयानक ने अपने ग्रंथ मे कवि बांध्व कि उपाधि प्रदान कि है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने हरिकेली नाट्क लिखा।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने सरस्वती कण्ठाभरण विधालय कि स्थापना अजमेर मे करवायी।
-इसी विधालय कि दिवार पर हरिकेली नाट्क कि कुछ पंक्तिया अंकित है।
-सरस्वती कण्ठाभरण विधालय को मोहमद गौरी के सैनापती कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा तोड़कर अढ़ाई दिन का झौपड़ा बनवाया गया।
-अढ़ाई दिन का झौपड़ा राजस्थान कि प्रथम मुस्लिम मस्जिद है।
विशेष- भारत कि प्रथम मुस्लिम मस्जिद कुव्वलत-उल-इस्लाम मस्जिद दिल्ली मे स्थित है। जो कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवायी गई थी।
9. पृथ्वीराज चौहान/पृथ्वीराज-तृतीय (1177-1192 ई.)
-पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 ई. मे गुजरात के अन्हिलपाटन मे हुआ।
-पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम सोमेश्वर और माता का नाम कर्पुरी देवी था।
-कर्पुरी देवी दिल्ली के शासक अनंगपाल तौमर कि पुत्री थी।
-पृथ्वीराज चौहान की उपाधिया-
-(1) राय पिथौरा (राय पिथौरा का अर्थ-दुर्गो का रक्षक/अंतिम हिंदु सम्राट)
-(2) दल पुंगल (दल पुंगल का अर्थ-विश्व विजेता)
-पृथ्वीराज चौहान कि संरक्षिका उनकी माता कर्पुरी देवी थी।
-पृथ्वीराज चौहान का प्रधानमंत्री कैमास/कदमदास था।
-पृथ्वीराज रासो चन्द्रवरदायी द्वारा लिखा गया था। जबकी पृथ्वीराज विजय जयानक द्वारा लिखि गई थी।
-शासक बनते ही पृथ्वीराज चौहान ने दिगविजय अभियान प्रारंभ किया।
-पृथ्वीराज चौहान की विजय-
-पृथ्वीराज चौहान ने अपने प्रधानमंत्री कैमास कि सहायता से नागार्जुन व भण्डानको का विद्रोह दबाया।
-महोबा के चन्देलो पर विजय 1182 ई.-
-पृथ्वीराज चौहान ने 1182 ई. मे महोबा के चन्देल शासक परमारदि देव पर आक्रमण किया और परमारदि देव के दो विश्वास पात्र सैनापती आल्हा और उदल मारे गये।
-यह युद्ध रात्री मे लड़ा गया था।
-नागौर युद्ध 1184 ई.-
-यह युद्ध चालुक्य शासक भीम द्वितिय तथा पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ जिसमे पृथ्वीराज चौहान कि जीत होती है।
-इस युद्ध मे भीम द्वितिय की तरफ से जगदेव प्रतिहार द्वारा युद्ध लड़ा गया।
-जगदेव प्रतिहार भीम द्वितिय का प्रधानमंत्री था।
-इस युद्ध के बाद दोनो राजाओ के मध्य संधि हुई।
-पृथ्वीराज चौहान व कन्नौज के राजा जयचन्द के मध्य संबंध-
-इनके मध्य विवाद के कारण
-(1) दिल्ली पर अधिकार करने हेतु दोनो के मध्य संबंध तनावपुर्ण थे।
-(2) साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षा
-(3) पृथ्वीराज रासो/चन्द्रवरदायी के अनुसार दोनो शासको के मध्य विवाद का कारण कन्नौज के राजा जयचन्द की पुत्री संयोगीता थी।
-पृथ्वीराज चौहान व मौहमद गौरी के मध्य विवाद के कारण-
-(1) साम्राज्यवादी निति/साम्राज्य विस्तारवादी निति
-(2) विग्रहराज-चतुर्थ द्वारा पंजाब, मुल्लतान, हिसार पर अधिकार किया जो पूर्व मे गजनवी के अधिन थे
-(3) 1186 ई. मे मौहमद गौरी ने पंजाब पर अधिकार कर लिया जो विवाद का कारण बना।
-तराईन का प्रथम युद्ध 1191 ई.-
-तराईन हरियाणा के करनाल जिले मे स्थित है।
-यह युद्ध पृथ्वीराज चौहान तथा मौहमद गौरी के मध्य हुआ जिसमे पृथ्वीराज चौहान की जीत होती है।
-इस युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान की सैना का नेतृत्व दिल्ली का गवर्नर गोविन्दराज कर रहा था।
-1191 ई. के तराईन के युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान द्वारा भागती हुई मौहमद गौरी की सैना पर आक्रमण न करना पृथ्वीराज चौहान की बड़ी राजनैतिक भुल थी।
-तराईन का द्वितीय युद्ध 1192 ई.-
-यह युद्ध पृथ्वीराज चौहान तथा मौहमद गौरी के मध्य होता है। जिसमे मौहमद गौरी कि जीत होती है।
-इस युद्ध मे भी पृथ्वीराज चौहान का सैनापती दिल्ली का गवर्नर गोविन्दराज था।
-मौहमद गोरी का सैनापती कुतुबुद्दीन ऐबक था।
-इस युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान को कैद कर लिया गया।
-पृथ्वीराज रासो/चन्द्रवरदायी के अनुसार पृथ्वीराज चौहान को गजनी ले जाया गया। जहा शब्दभेदि बाण चलाकर पृथ्वीराज चौहान व मोहमद गौरी की हत्या हो गयी।
-पृथ्वीराज चौहान की हत्या हरियाणा के सिरसा मे कि गई।
-पृथ्वीराज चौहान के बाद अजमेर पर उनके बेटे गोविन्दराज का अधिकार हो गया। और इनके चाचा हरिराज ने गोविन्दराज को अजमेर से निकाल दिया।
-गोविन्दराज ने 1194 ई. मे रणथम्भोर मे चौहान वंश की निव डाली
-पृथ्वीराज चौहान का मकबरा अफगानिस्तान मे है। तथा पृथ्वीराज चौहान का स्मार्क तारागढ़ दुर्ग मे है।
-1192 मे मौहमद गौरी के साथ सुफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भारत आये।
-पृथ्वीराज चौहान के समय मे ही अजमेर मे ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने अपनी खानकाह (पूजा स्थल/आराध्य स्थल) स्थापित की।
-पृथ्वीराज चौहान के समय संस्कृत कण्ठाभरण विधालय मे 85 विषयो मे अध्यापन का कार्य किया जाता था।
-तराईन के द्वितीय युद्ध का महत्त्व-
-भारत मे मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना हो गई।
-पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि-
-(1) चन्द्रवरदायी
-(2) जयानक
-(3) विश्वरूप
-(4) भाव भट्ट/पृथ्वी भट्ट
-(5) जनारदन
-(6) वागिश्वर
8. विग्रहराज-चतुर्थ (1158-1163 ई.)-
-विग्रहराज-चतुर्थ बिसलदेव के नाम से जाना जाता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने दिल्ली पर अधिकार किया उस समय दिल्ली का शासक तवर तौमर था।
-दिल्ली पर अधिकार करते समय विग्रहराज-चतुर्थ द्वारा जयचन्द के पिता विजयचन्द की हत्या कर दि गयी।
-विग्रहराज-चतुर्थ के समय इस विजय का उल्लेख पृथ्वीराज विजय मे मिलता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने गजनी के शासक अमीर खुसरव शाह को पराजित किया और पंजाब, मुल्तान, हिसार पर अधिकार कर लिया।
-गजनी विजय का उल्लेख ललितराज विग्रह मे मिलता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ के दरबारी कवि सोमदेव के द्वारा ललितराज विग्रह नाट्क कि रचना कि गई जो की संस्कृत भाषा मे है।
-विग्रहराज-चतुर्थ प्रथम चौहान शासक है। जिसने दिल्ली पर अधिकार किया था।
-नरपती नाल्ह द्वारा विग्रहराज-चतुर्थ पर बिसलदेव रासो लिखा गया।
-विग्रहराज-चतुर्थ के शासन कि जानकारी/राज्य विस्तार शिवालेख अभिलेख मे मिलता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ द्वारा टोंक मे बिसलपुर नगर/कस्बा बसाया गया जो कि वर्तमान मे टोडारायसिंह नगर कहलाता है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने टोंक मे ही बिसलपुर बांध का निर्माण करवाया।
-विग्रहराज-चतुर्थ और चालुक्य शासक कुमारपाल-
-विग्रहराज-चतुर्थ चौहानो का प्रथम शासक था जिसने चालुक्य शासक कुमारपाल को पराजित करके नागौर, पाली, जालौर और सिरोही पर अधिकार कर लिया।
-विग्रहराज-चतुर्थ को पृथ्वीराज विजय के रचियता जयानक ने अपने ग्रंथ मे कवि बांध्व कि उपाधि प्रदान कि है।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने हरिकेली नाट्क लिखा।
-विग्रहराज-चतुर्थ ने सरस्वती कण्ठाभरण विधालय कि स्थापना अजमेर मे करवायी।
-इसी विधालय कि दिवार पर हरिकेली नाट्क कि कुछ पंक्तिया अंकित है।
-सरस्वती कण्ठाभरण विधालय को मोहमद गौरी के सैनापती कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा तोड़कर अढ़ाई दिन का झौपड़ा बनवाया गया।
-अढ़ाई दिन का झौपड़ा राजस्थान कि प्रथम मुस्लिम मस्जिद है।
विशेष- भारत कि प्रथम मुस्लिम मस्जिद कुव्वलत-उल-इस्लाम मस्जिद दिल्ली मे स्थित है। जो कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवायी गई थी।
9. पृथ्वीराज चौहान/पृथ्वीराज-तृतीय (1177-1192 ई.)
-पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम सोमेश्वर और माता का नाम कर्पुरी देवी था।
-कर्पुरी देवी दिल्ली के शासक अनंगपाल तौमर कि पुत्री थी।
-पृथ्वीराज चौहान की उपाधिया-
-(1) राय पिथौरा (राय पिथौरा का अर्थ-दुर्गो का रक्षक/अंतिम हिंदु सम्राट)
-(2) दल पुंगल (दल पुंगल का अर्थ-विश्व विजेता)
-पृथ्वीराज चौहान कि संरक्षिका उनकी माता कर्पुरी देवी थी।
-पृथ्वीराज चौहान का प्रधानमंत्री कैमास/कदमदास था।
-पृथ्वीराज रासो चन्द्रवरदायी द्वारा लिखा गया था। जबकी पृथ्वीराज विजय जयानक द्वारा लिखि गई थी।
-शासक बनते ही पृथ्वीराज चौहान ने दिगविजय अभियान प्रारंभ किया।
-पृथ्वीराज चौहान की विजय-
-पृथ्वीराज चौहान ने अपने प्रधानमंत्री कैमास कि सहायता से नागार्जुन व भण्डानको का विद्रोह दबाया।
-महोबा के चन्देलो पर विजय 1182 ई.-
-पृथ्वीराज चौहान ने 1182 ई. मे महोबा के चन्देल शासक परमारदि देव पर आक्रमण किया और परमारदि देव के दो विश्वास पात्र सैनापती आल्हा और उदल मारे गये।
-यह युद्ध रात्री मे लड़ा गया था।
-नागौर युद्ध 1184 ई.-
-यह युद्ध चालुक्य शासक भीम द्वितिय तथा पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ जिसमे पृथ्वीराज चौहान कि जीत होती है।
-इस युद्ध मे भीम द्वितिय की तरफ से जगदेव प्रतिहार द्वारा युद्ध लड़ा गया।
-जगदेव प्रतिहार भीम द्वितिय का प्रधानमंत्री था।
-इस युद्ध के बाद दोनो राजाओ के मध्य संधि हुई।
-पृथ्वीराज चौहान व कन्नौज के राजा जयचन्द के मध्य संबंध-
-इनके मध्य विवाद के कारण
-(1) दिल्ली पर अधिकार करने हेतु दोनो के मध्य संबंध तनावपुर्ण थे।
-(2) साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षा
-(3) पृथ्वीराज रासो/चन्द्रवरदायी के अनुसार दोनो शासको के मध्य विवाद का कारण कन्नौज के राजा जयचन्द की पुत्री संयोगीता थी।
-पृथ्वीराज चौहान व मौहमद गौरी के मध्य विवाद के कारण-
-(1) साम्राज्यवादी निति/साम्राज्य विस्तारवादी निति
-(2) विग्रहराज-चतुर्थ द्वारा पंजाब, मुल्लतान, हिसार पर अधिकार किया जो पूर्व मे गजनवी के अधिन थे
-(3) 1186 ई. मे मौहमद गौरी ने पंजाब पर अधिकार कर लिया जो विवाद का कारण बना।
-तराईन का प्रथम युद्ध 1191 ई.-
-तराईन हरियाणा के करनाल जिले मे स्थित है।
-यह युद्ध पृथ्वीराज चौहान तथा मौहमद गौरी के मध्य हुआ जिसमे पृथ्वीराज चौहान की जीत होती है।
-इस युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान की सैना का नेतृत्व दिल्ली का गवर्नर गोविन्दराज कर रहा था।
-1191 ई. के तराईन के युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान द्वारा भागती हुई मौहमद गौरी की सैना पर आक्रमण न करना पृथ्वीराज चौहान की बड़ी राजनैतिक भुल थी।
-तराईन का द्वितीय युद्ध 1192 ई.-
-यह युद्ध पृथ्वीराज चौहान तथा मौहमद गौरी के मध्य होता है। जिसमे मौहमद गौरी कि जीत होती है।
-इस युद्ध मे भी पृथ्वीराज चौहान का सैनापती दिल्ली का गवर्नर गोविन्दराज था।
-मौहमद गोरी का सैनापती कुतुबुद्दीन ऐबक था।
-इस युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान को कैद कर लिया गया।
-पृथ्वीराज रासो/चन्द्रवरदायी के अनुसार पृथ्वीराज चौहान को गजनी ले जाया गया। जहा शब्दभेदि बाण चलाकर पृथ्वीराज चौहान व मोहमद गौरी की हत्या हो गयी।
-पृथ्वीराज चौहान की हत्या हरियाणा के सिरसा मे कि गई।
-पृथ्वीराज चौहान के बाद अजमेर पर उनके बेटे गोविन्दराज का अधिकार हो गया। और इनके चाचा हरिराज ने गोविन्दराज को अजमेर से निकाल दिया।
-गोविन्दराज ने 1194 ई. मे रणथम्भोर मे चौहान वंश की निव डाली
-पृथ्वीराज चौहान का मकबरा अफगानिस्तान मे है। तथा पृथ्वीराज चौहान का स्मार्क तारागढ़ दुर्ग मे है।
-1192 मे मौहमद गौरी के साथ सुफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भारत आये।
-पृथ्वीराज चौहान के समय मे ही अजमेर मे ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने अपनी खानकाह (पूजा स्थल/आराध्य स्थल) स्थापित की।
-पृथ्वीराज चौहान के समय संस्कृत कण्ठाभरण विधालय मे 85 विषयो मे अध्यापन का कार्य किया जाता था।
-तराईन के द्वितीय युद्ध का महत्त्व-
-भारत मे मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना हो गई।
-पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि-
-(1) चन्द्रवरदायी
-(2) जयानक
-(3) विश्वरूप
-(4) भाव भट्ट/पृथ्वी भट्ट
-(5) जनारदन
-(6) वागिश्वर
nice
ReplyDeleteawesome
ReplyDeleteThanks
DeleteThanks Sandeep Kumar
ReplyDeleteGood
ReplyDeletethanks
DeleteSir bhut hi achieved jankari h thank you very much ase hi general knowledge late rhe gk class ki sbhi jankari hmare liye bhut important h
ReplyDeleteThanks & Welcome To GK Class
DeleteVery good knowledge
ReplyDeleteThanks & Welcome To GK Class
DeleteBest knowledge for Ajmer Chouhan rajvansh
ReplyDeleteThanks Anonymous
Deleteपोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, यदि आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और अपना कीमती सुझाव देने के लिए यहां कमेंट करें, पोस्ट से संबंधित आपका किसी भी प्रकार का सवाल जवाब हो तो कमेंट में पूछ सकते है।