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राजस्थान के प्रमुख वाद्य यंत्र

राजस्थान के प्रमुख लोक वाद्य यंत्र
👉जोधपुर-
➯राजस्थान के जोधपुर जिले में सन् 1976-77 में लोक वाद्य संग्रहालय की स्थापना की गई थी।

👉वाद्य यंत्र-
➯राजस्थान में विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र पाये जाते है। लेकिन राजस्थान में वाद्य यंत्रों को मुख्यतः कुल 4 भागों में बाटा गया है।

👉वाद्य यंत्रों के भाग- कुल 4
1. तत् वाद्य यंत्र
2. सुषिर वाद्य यंत्र
3. अवनद्ध वाद्य यंत्र या ताल वाद्य यंत्र
4. घन वाद्य यंत्र

1. तत् वाद्य यंत्र-
➯जिन वाद्य यंत्रों में तार लगा होता है तथा तारों के माध्यम से विभिन्न आवाजें निकाली जाती है वे वाद्य यंत्र तत् वाद्य यंत्र कहलाते है। जैसे- जंतर/ जन्तर, सारंगी, इकतारा, रावण हत्था, कमायचा या कामायचा, भपंग, तंदूरा या तम्बूरा, रबाब या रवाब, रबाज या रवाज, गुजरी, सुरमण्डल, दुकाको, सुरिन्दा, गौरजा, अपंग इत्यादि।

2. सुषिर वाद्य यंत्र-
➯जिन वाद्य यंत्रों को फुक मारकर या हवा के द्वारा बजाया जाता है वे वाद्य यंत्र सुषिर वाद्य यंत्र कहलाते है। जैसे- शहनाई, अलगोजा, बांसुरी, पूंगी (बीन/ बीण), मशक, बांकिया, भूंगल या रणभेरी, मोरचंग, सतारा, नड़, तुरही, नागफणी, मुरली, सिंगा, सिंगी, सुरनाई या सुरणई या सुरणाई या नफीरी, पावरी व तारपी, शंख, हरनाई इत्यादि।

3. अवनद्ध वाद्य यंत्र या ताल वाद्य यंत्र-
➯जिन वाद्य यंत्रों को पशुओं की खाल से बनाया जाता है वे वाद्य यंत्र अवनद्ध वाद्य यंत्र कहलाते है तथा अवनद्ध वाद्य यंत्रों को ताल वाद्य यंत्र भी कहते है। जैसे- मृदंग (पखावज), ढोल या ढोलक, नोबत, मांदल, चंग, डेरू, डमरू, खंजरी, तासा, ढफ, डफली, कुंडी, माठ या माटे, कमर, दमामा इत्यादि।



4. घन वाद्य यंत्र-
➯जिन वाद्य यंत्रों को धातु से बनाया जाता है तथा जिनमें चोट या आघात करने से स्वर उत्पन्न होता है वे वाद्य यंत्र घन वाद्य यंत्र कहलाते है। जैसे- मंजीरा, झांझ, थाली, करताल (खड़ताल), झालर, रमझौल, घण्टा (घड़ियाल), चिमटा, भरनी, घुंघरू, घुरालियों या धुरालियों, श्री मण्डल, गरासियों की लेजिम इत्यादि।

राजस्थान के वाद्य यंत्र
वाद्य यंत्रों के प्रकार
अधिक जानकारी
तत् वाद्य यंत्र
सुषिर वाद्य यंत्र
अवनद्ध या ताल वाद्य यंत्र
घन वाद्य यंत्र

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