👉अवनद्ध वाद्य यंत्र या ताल वाद्य यंत्र- ➯जो वाद्य यंत्र पशुओं की खाल से बने होते है अवनद्ध वाद्य यंत्र या ताल वाद्य यंत्र कहलाते है। 👉राजस्थान के प्रमुख अवनद्ध वाद्य यंत्र या ताल वाद्य यंत्र- 1. मृदंग (पखावज) 2. ढोल या ढोलक 3. नोबत 4. मांदल 5. चंग 6. डेरू 7. डमरू 8. खंजरी 9. तासा 10. ढफ 11. डफली 12. कुंडी 13. माठ या माटे 14. कमर 15. दमामा 1. मृदंग (पखावज)- ➯मृदंग को अवनद्ध वाद्य यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ वाद्य यंत्र माना जाता है। ➯सुपारी और वट की लकड़ी को खोखला करके उस पर बकरे की खाल मंढकर बनाया जाता है। ➯मृदंग वाद्य यंत्र का उपयोग धार्मिक स्थानों पर किया जाता है। ➯रावल, भवाई तथा रबिया जाति के लोगों द्वारा नृत्य करते समय बजाता जाता है। ➯मृदंग के प्रमुख वादक पद्मश्री प्राप्त पुरूषोत्तम दास है। 2. ढोल या ढोलक- ➯ढोलक अवनद्ध वाद्य यंत्रों में सबसे प्राचीन वाद्य यंत्र है। ➯ढोलक मांगलिक वाद्य यंत्र है। ➯ढोलक को थाली व बांकिया के साथ बजाया जाता है। ➯ढोलक का एक भाग नर तथा दूसरा भाग मादा कहलाता है। ➯ढोलक वाद्य यंत्र को भेरुजी व माताजी के मंदिरों में विशेष रूप से बजाया जाता है। ➯ढोलक वाद्य यंत्र को रामलीला, नाटक, नौटंकी, ख्याल आदि में बजाया जाता है। ➯ढोलक का प्रमुख वादक रामकिशन सौलंकी को माना जाता है। ➯राणा जाति, भाट जाति, ढाढी जाति व मिरासी जाति के लोग ढोलक वाद्य यंत्र को बजाने में दक्ष माने जाते है। 3. नोबत- ➯नोबत वाद्य यंत्र को धातु की अर्द्धगोलाकार कुण्डी पर भैंसे की खाल चढ़ाकर बनाया जाता है। ➯नोबत वाद्य यंत्र को राजा महाराजाओं के महलों के मुख्य द्वार पर बजाया जाता था। 4. मांदल- ➯मांदल वाद्य यंत्र मिट्टी से बना होता है। ➯मांदल की आकृति मृदंग की जैसी होती है। ➯राजस्थान के राजसमंद जिले के मोलेला गांव में मांदल वाद्य यंत्र बनाये जाते है। ➯मांदल वाद्य यंत्र को शिव पार्वती का वाद्य यंत्र मानते है। ➯मांदल वाद्य यंत्र को भील जाति के लोग गवरी नृत्य करते समय बजाते है। 5. चंग- ➯आम की लकड़ी से बना गोल घेरा जिसे खाल से मंढकर तैयार किया जाता है। ➯चंग को शेखावाटी का लोकप्रिय वाद्य यंत्र माना जाता है। ➯चंग वाद्य यंत्र को शेखावटी क्षेत्र में होली के अवसर पर चंग नृत्य में बजाते है। 6. डेरू- ➯डेरू वाद्य यंत्र डमरू का बड़ा रूप है। ➯डेरू वाद्य यंत्र को भील जाति तथा गोगाजी के भोपे भक्तों के द्वारा बजाया जाता है। ➯डेरू वाद्य यंत्र को थाली या कांसे के छोटे कटोरे के साथ बजाते है। 7. डमरू- ➯डमरू वाद्य यंत्र भगवान शिव का प्रिय वाद्य यंत्र है। ➯डमरू का उपयोग अधिकांशतः मदारियों के द्वारा किया जाता है। 8. खंजरी- ➯खंजरी वाद्य यंत्र ढप का छोटा रूप है। ➯खंजरी वाद्य यंत्र को भजन करते समय बजाते है। 9. तासा- ➯तासा वाद्य यंत्र मिट्टी या लोहे के चपटे कटोरों पर बकरे की खाल मंढकर बनाया जाता है। ➯तासा वाद्य यंत्र मुस्लिम समुदाय में अधिक प्रचलित है। ➯मुस्लिम समुदाय के लोग मोहर्रम के अवसर पर ताजिये निकालते समय तासा वाद्य यंत्र को बजाते है। 10. ढफ- ➯ढफ वाद्य यंत्र को लोहे के गोल घेरे पर बकरे की खाल चढ़ाकर बनाया जाता है। ➯ढफ वाद्य यंत्र होली के अवसर पर बजाया जाता है। 11. डफली- ➯डफली वाद्य यंत्र ढफ का छोटा रूप है। 12. कुंडी- ➯कुंडी वाद्य यंत्र को मिट्टी के छोटे बर्तन के ऊपर खाल मंढकर बनाया जाता है। ➯कुंडी वाद्य यंत्र को राजस्थान के सिरोही जिले के गरासिया जाति तथा मेवाड़ के जोगिया जाति के द्वारा बजाया जाता है। 13. माठ या माटे- ➯माठ वाद्य यंत्र को पाबूजी के पावड़ों के गायन के समय बजाया जाता है। 14. कमर- ➯कमर वाद्य यंत्र को लोहे की चद्दर को गोल कर चमड़े से मढ़कर बनाया जाता है। ➯कमर वाद्य यंत्र को राजस्थान के अलवर, भरतपुर जिलों में तीन या चार व्यक्तियों के द्वारा उसके चारों ओर खड़े होकर दोनों हाथों में डण्डे की सहायता से बजाया जाता है। 15. दमामा या टामक- ➯दमामा अवनद्ध वाद्य यंत्रों में सबसे बड़ा वाद्य यंत्र है। |
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