राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश-
➧राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी पठार (हाड़ौती का पठार) मध्य प्रदेश के मालवा के पठार का हिस्सा माना जाता है।
पठार की परिभाषा-
➧पर्वतों से नीचे वाला भाग तथा जमीन से उपर वाला भाग जिसकी आकृति मैदान की तरह सपाट होती है उसे पठार कहते है।
मालवा का पठार-
➧मालवा के पठार की उत्पत्ती ज्वालामुखी के लावा से हुआ है इसीलिए मालवा के पठार को लावा का पठार भी कहते है।
राजस्थान के पठारों के उपनाम या अन्य नाम-
1. लावा का पठार
2. हाड़ौती का पठार
1. लावा का पठार-
➧राजस्थान के पठारों को लावा का पठार भी कहते है।
2. हाड़ौती का पठार-
➧राजस्थान के पठारों को हाड़ौती का पठार भी कहते है क्योकी राजस्थान के पठार का मुख्य भाग हाड़ौती क्षेत्र के कोटा, बारा, बूंदी तथा झालावाड़ जिलों में पड़ता है।
हाड़ौती के पठार का उपनाम या अन्य नाम-
1. सक्रांति प्रदेश
1. सक्रांति प्रदेश-
➧राजस्थान का हाड़ौती का पठार अरावली तथा विंध्याचल पर्वतमाला (मध्य प्रदेश) को जोड़ने का कार्य करता है इसीलिए हाडौती के पठार को संक्राति प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है।
काली मिट्टी-
➧हाड़ौती के पठार की तथा मालवा के पठार की मिट्टी काली मिट्टी है।
➧काली मिट्टी कपास, सोयाबीन, अफीम तथा संतरा जैसी फसलों के लिए अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है।
संतरों की नगरी-
➧राजस्थान में संतरों की नगरी झालावाड़ को कहते है।
वर्षा-
➧राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा पठारी प्रदेश में होती है।
➧राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला झालावाड़ है।
नदियां-
➧राजस्थान में सर्वाधिक नदियां पठारी प्रदेश में पायी जाती है।
हाड़ौती के पठार का क्षेत्रफल-
➧हाड़ौती का पठार राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 6.89 प्रतिशत क्षेत्रफल पर फैला हुआ है।
जनसंख्या-
➧राजस्थान की लगभग 11 प्रतिशत जनसंख्या हाड़ौती के पठार में निवास करती है।
हाड़ौती के पठार के भाग-
➧हाड़ौती के पठार को कुल दो भागों में बाटा गया है। जैसे-
1. विंध्यन कगार भूमि
2. दक्कन का पठार
1. विंध्यन कगार भूमि-
➧राजस्थान के पूर्वी जिलों जैसे धौलपुर, करौली, सवाई माधौपुर तथा बूंदी जिलों में विस्तरित बड़े-बड़े बालुका स्तूप (बलुआ पत्थरों) से निर्मित क्षेत्र को विंध्यन कगार भूमि कहते है।
प्रसिद्ध बालूका स्तूप या बलुआ पत्थर-
(1) लाल बलुआ पत्थर
(2) गुलाबी बलुआ पत्थर
(3) सलेटी बलुआ पत्थर
(1) लाल बलुआ पत्थर-
➧लाल बलुआ पत्थर राजस्थान राज्य के धौलपुर जिले से निकलता है।
(2) गुलाबी बलुआ पत्थर-
➧गुलाबी बलुआ पत्थर राजस्थान राज्य के करौली जिले से निकलता है।
(3) सलेटी बलुआ पत्थर-
➧सलेटी बलुआ पत्थर राजस्थान राज्य के बूंदी जिले से निकलता है।
2. दक्कन का पठार-
➧राजस्थान के कोटा, बारा, बूंदी तथा झालावाड़ जिलों में विस्तरित क्षेत्र को दक्कन का पठार कहते है।
उच्च गंगाधर डाब क्षेत्र-
➧उच्च गंगाधर डाब क्षेत्र राजस्थान राज्य के झालावाड़ जिले में फैला हुआ है।
राजस्थान के प्रसिद्ध पठार
राजस्थान के भौतिक विभाग-
➧राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी पठार (हाड़ौती का पठार) मध्य प्रदेश के मालवा के पठार का हिस्सा माना जाता है।
पठार की परिभाषा-
➧पर्वतों से नीचे वाला भाग तथा जमीन से उपर वाला भाग जिसकी आकृति मैदान की तरह सपाट होती है उसे पठार कहते है।
मालवा का पठार-
➧मालवा के पठार की उत्पत्ती ज्वालामुखी के लावा से हुआ है इसीलिए मालवा के पठार को लावा का पठार भी कहते है।
राजस्थान के पठारों के उपनाम या अन्य नाम-
1. लावा का पठार
2. हाड़ौती का पठार
1. लावा का पठार-
➧राजस्थान के पठारों को लावा का पठार भी कहते है।
2. हाड़ौती का पठार-
➧राजस्थान के पठारों को हाड़ौती का पठार भी कहते है क्योकी राजस्थान के पठार का मुख्य भाग हाड़ौती क्षेत्र के कोटा, बारा, बूंदी तथा झालावाड़ जिलों में पड़ता है।
हाड़ौती के पठार का उपनाम या अन्य नाम-
1. सक्रांति प्रदेश
1. सक्रांति प्रदेश-
➧राजस्थान का हाड़ौती का पठार अरावली तथा विंध्याचल पर्वतमाला (मध्य प्रदेश) को जोड़ने का कार्य करता है इसीलिए हाडौती के पठार को संक्राति प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है।
काली मिट्टी-
➧हाड़ौती के पठार की तथा मालवा के पठार की मिट्टी काली मिट्टी है।
➧काली मिट्टी कपास, सोयाबीन, अफीम तथा संतरा जैसी फसलों के लिए अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है।
संतरों की नगरी-
➧राजस्थान में संतरों की नगरी झालावाड़ को कहते है।
वर्षा-
➧राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा पठारी प्रदेश में होती है।
➧राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला झालावाड़ है।
नदियां-
➧राजस्थान में सर्वाधिक नदियां पठारी प्रदेश में पायी जाती है।
हाड़ौती के पठार का क्षेत्रफल-
➧हाड़ौती का पठार राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 6.89 प्रतिशत क्षेत्रफल पर फैला हुआ है।
जनसंख्या-
➧राजस्थान की लगभग 11 प्रतिशत जनसंख्या हाड़ौती के पठार में निवास करती है।
हाड़ौती के पठार के भाग-
➧हाड़ौती के पठार को कुल दो भागों में बाटा गया है। जैसे-
1. विंध्यन कगार भूमि
2. दक्कन का पठार
1. विंध्यन कगार भूमि-
➧राजस्थान के पूर्वी जिलों जैसे धौलपुर, करौली, सवाई माधौपुर तथा बूंदी जिलों में विस्तरित बड़े-बड़े बालुका स्तूप (बलुआ पत्थरों) से निर्मित क्षेत्र को विंध्यन कगार भूमि कहते है।
प्रसिद्ध बालूका स्तूप या बलुआ पत्थर-
(1) लाल बलुआ पत्थर
(2) गुलाबी बलुआ पत्थर
(3) सलेटी बलुआ पत्थर
(1) लाल बलुआ पत्थर-
➧लाल बलुआ पत्थर राजस्थान राज्य के धौलपुर जिले से निकलता है।
(2) गुलाबी बलुआ पत्थर-
➧गुलाबी बलुआ पत्थर राजस्थान राज्य के करौली जिले से निकलता है।
(3) सलेटी बलुआ पत्थर-
➧सलेटी बलुआ पत्थर राजस्थान राज्य के बूंदी जिले से निकलता है।
2. दक्कन का पठार-
➧राजस्थान के कोटा, बारा, बूंदी तथा झालावाड़ जिलों में विस्तरित क्षेत्र को दक्कन का पठार कहते है।
उच्च गंगाधर डाब क्षेत्र-
➧उच्च गंगाधर डाब क्षेत्र राजस्थान राज्य के झालावाड़ जिले में फैला हुआ है।
राजस्थान के प्रसिद्ध पठार
राजस्थान के भौतिक विभाग-