सिलीसेढ़ झील (अलवर, राजस्थान)-
➧सिलीसेढ़ झील राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित है।
➧सिलीसेढ़ झील का निर्माण सन् 1845 में किया गया था।
➧सिलीसेढ़ झील का निर्माण अलवर के शासक विनय सिंह ने करवाया था।
➧सिलीसेढ़ झील मीठे पानी की झील है।
रोहू मछली तथा कतला मछली-
➧सिलीसेढ़ झील में रोहू मछली तथा कतला मछली जैसी मछलियां सर्वाधिक पाई जाती है।
➧भारत में रोहू मछली, कतला मछली तथा गम्बूसिया मछली जैसी मछलियों का प्रयोग डेंगू तथा मलेरिया जैसे रोगों को रोकने के लिए तालाबों में छोड़ा जाता है।
सिलीसेढ़ झील का उपनाम या अन्य नाम-
1. राजस्थान का नंदनकानन
1. राजस्थान का नंदनकानन-
➧सिलीसेढ़ झील को राजस्थान का नंदनकानन भी कहते है।
पोंटून व्यवस्था (पोंट्रुन व्यवस्था)-
➧राजस्थान पर्यटन विभाग ने दिसम्बर 2015 से सिलीसेढ़ झील से पोंटून व्यवस्था लागू की है जिसमें नावों के उपर लकड़ी के घर या महल बनाये जायेगें अर्थात् तैरते हुए महल बनाये जायेगें।
➧सिलीसेढ़ झील राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित है।
➧सिलीसेढ़ झील का निर्माण सन् 1845 में किया गया था।
➧सिलीसेढ़ झील का निर्माण अलवर के शासक विनय सिंह ने करवाया था।
➧सिलीसेढ़ झील मीठे पानी की झील है।
रोहू मछली तथा कतला मछली-
➧सिलीसेढ़ झील में रोहू मछली तथा कतला मछली जैसी मछलियां सर्वाधिक पाई जाती है।
➧भारत में रोहू मछली, कतला मछली तथा गम्बूसिया मछली जैसी मछलियों का प्रयोग डेंगू तथा मलेरिया जैसे रोगों को रोकने के लिए तालाबों में छोड़ा जाता है।
सिलीसेढ़ झील का उपनाम या अन्य नाम-
1. राजस्थान का नंदनकानन
1. राजस्थान का नंदनकानन-
➧सिलीसेढ़ झील को राजस्थान का नंदनकानन भी कहते है।
पोंटून व्यवस्था (पोंट्रुन व्यवस्था)-
➧राजस्थान पर्यटन विभाग ने दिसम्बर 2015 से सिलीसेढ़ झील से पोंटून व्यवस्था लागू की है जिसमें नावों के उपर लकड़ी के घर या महल बनाये जायेगें अर्थात् तैरते हुए महल बनाये जायेगें।