श्रेणी-
जालौर का किला या जालौर दुर्ग दुर्गों की गिरि श्रेणी में शामिल है।
स्थित-
जालौर दुर्ग राजस्थान राज्य के जालौर जिले की सुवर्ण गिरि पहाड़ी पर स्थित है।
निर्माता-
जालौर का किला या जालौर दुर्ग का निर्माण प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम ने करवाया था।
उपनाम या अन्य नाम-
जालौर दुर्ग को निम्नलिखित उपनामों से जाना जाता है जैसे
उपनाम या अन्य नाम-
जालौर दुर्ग को निम्नलिखित उपनामों से जाना जाता है जैसे
- सुवर्ण गिरि दुर्ग
- कनकाचल
- सोनलगढ़ (सोनगिरि)
सुवर्ण गिरि दुर्ग-
राजस्थान स्थित जालौर दुर्ग को सुवर्ण गिरि दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है।
कनकाचल-
राजस्थान स्थित जालौर दुर्ग को कनकाचल के नाम से भी जाना जाता है।
सोनलगढ़ (सोनगिरि)-
राजस्थान स्थित जालौर दुर्ग को सोनलगढ़ या सोनगिरि के नाम से भी जाना जाता है।
दर्शनिय स्थल-
- मलिक शाह की दरगाह
- तोप मस्जिद या अलाउद्दीन मस्जिद
मलिक शाह की दरगाह-
मलिक शाह की दरगाह राजस्थान स्थित जालौर दुर्ग में स्थित है।
तोप मस्जिद या अलाउद्दीन मस्जिद-
तोप मस्जिद राजस्थान में स्थित जालौर दुर्ग में स्थित है। तथा तोप मस्जिद को ही अलाउद्दीन मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
युद्ध-
1311 में अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर दुर्ग पर आक्रमण किया तथा इस आक्रमण में जालौर के शासक कान्हड़देव सोनगरा और कान्हड़देव सोनगरा का पुत्र वीरमदेव को प्राप्त हुए। जालौर आक्रमण के दौरान कान्हड़देव सोनगरा के साथ विश्वासघात करने वाला सेनापति बीका दाहिया था अर्थात् बीका दाहिया ने जालौर दुर्ग के गुप्त रास्ते अलाउद्दीन खिलजी को बता दिये थे। जालौर आक्रमण के दौरान अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर दुर्ग पर अपना अधिकार कर लिया तथा अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर दुर्ग का नाम परिवर्तित कर जलालाबाद रख दिया था। इस युद्ध का वर्णन कान्हदेव प्रबंध तथा वीरमदेव सोनगरा री वात में किया गया है। कान्हड़देव प्रबंध तथा वीरमदेव सोनगरा री वात कवि पद्मनाभ द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रंथ है।