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मीणा जनजाति

मीणा शब्द की उत्पत्ती मीन शब्द से हुई है।
मीन शब्द का शाब्दिक अर्थ मछली है।
मीणा जनजाति राजस्थान की सबसे बड़ी जनजाति मानी जाती है।
जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान में मीणा जनजाति की जनसंख्या 43.46 लाख है।
मीणा जनजाति राजस्थान की कुल जनजाति आबादी का लगभग 47 प्रतिशत है।
मीणा जनजाति राजस्थान राज्य की सर्वाधिक शिक्षित एवं सर्वाधिक सम्पन्न जनजाति मानी जाती है।
मीणा जनजाति का मुखिया पटेल कहलाता है।
मीणा जनजाति में देवी-देवताओं को बुझ कहा जाता है।
मीणा जनजाति कुल 24 भागों में विभाजित है।
मीणा जनजाति के प्रमुख आराध्य देव गोमतेश्वर (गौतम ऋषि) है।
मीणा जनजाति के प्रमुख आराध्य देव गोमतेश्वर को भूरिया बाबा भी कहा जाता है।
भूरिया बाबा (गौतम ऋषि) का मेला प्रतिबर्ष सिरोही जिले में भरता है।
मीणा जनजाति मुख्यतः शक्ति की उपासक है तथा बाणमाता की पूजा करते है।
बाणमाता का मंदिर राजस्थान राज्य के सीकर जिले की रैवासा नामक जगह पर स्थित है।
मीणा जनजाति में झगड़ा प्रथा का प्रचलन है।
मीणा जनजाति में झगड़ा प्रथा एक विवाह प्रथा है।
मीणा जनजाति में पुत्र के जन्म पर थाली बजायी जाती है तथा पुत्री के जन्म पर सूप बजाया जाता है।
मीणा जनजाति का प्रमुख बाद्य यंत्र चंग है।
राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले की मीणा जनजाति दुर्गा पूजक है।
मीणा जनजाति के लोग मुख्यतः राजस्थान के उदयपुर, जयपुर, प्रतापगढ़ दौसा, सवाईमाधोपुर, करौली, अलवर, बूंदी, टोंक तथा डूंगरपुर आदि जिलों में निवास करते है।
राजस्थान में मीणा जनजाति की सर्वाधिक आबादी क्रमशः
1. उदयपुर
2. जयपुर
3. प्रतापगढ़

1. उदयपुर-
जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान में सर्वाधिक मीणा जनजाति उदयपुर जिले में है।
राजस्थान के उदयपुर जिले में मीणा जनजाति की कुल जनसंख्या (जनगणना 2011 के अनुसार) 7.18 लाख है।

2. जयपुर-
जनगणना 2011 के अनुसार मीणा जनजाति की जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा जिला जयपुर है।
राजस्थान के जयपुर जिले में मीणा जनजाति की कुल जनसंख्या (जनगणना 2011 के अनुसार) 4.67 लाख है।

3. प्रतापगढ़-
जनगणना 2011 के अनुसार मीणा जनजाति की जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा जिला प्रतापगढ़ है।
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में मीणा जनजाति की कुल जनसंख्या (जनगणना 2011 के अनुसार) 4.47 लाख है।

मीणा जनजाति में मुख्यतः दो वर्ग है जैसे-
1. जमींदार मीणा
2. चौकीदार मीणा

1. जमींदार मीणा-
मीणा जनजाति में जमींदार वर्ग के मीणा पशुपालन करते है।
मीणा जनजाति में जमींदार वर्ग के मीणा की आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी होती है।

2. चौकीदार मीणा-
मीणा जनजाति में चौकीदार वर्ग में मीणा राजाओं एवं जागीरदारों के महलों तथा कोषागारों की रखवाली करते थे।
चौकीदार मीणा नयावासी भी कहलाते है।

राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में मीणा जनजाति में आज भी बाल विवाह प्रथा बहुत प्रचलित है।
राजस्थान में मीणा जनजाति के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर 12वें दिन सामूहिक भोज किया जाता है इस सामूहिक भोज को मोसर कहा जाता है।
राजस्थान में मीणा जनजाति में विधवा विवाह को सामाजिक मान्यता प्राप्त है।
आदिवासी मीणाओं के द्वारा जंगलों में बनाये जाने वाले घर मेवासे कहलाते है।
मीणा जनजाति में अनाज संग्रह करने के लिए मिट्टी की बनायी गई बड़ी बड़ी कोठियां ओबरी कहलाती है।
मीणा जनजाति का धर्म गुरु मुनि मगन सागर को माना जाता है।
मुनि मगन सागर का जन्म राजस्थान के टोंक जिले में हुआ था।
मुनि मगन सागर की अध्यक्षता में अप्रैल 1944 में राजस्थान के नीम का थाना (सीकर) में मीणा जनजाति का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित हुआ था।
मुनि मगर सागर के द्वारा मीणा पुराण ग्रंथ की रचना की गई है।
प्रसिद्ध लेखक हरबर्ट रिसले के अनुसार मीणा जनजाति का संबंध द्रविड़ जाति से माना जाता है।

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