बूंदी का चौहान वंश
बूंदी-
➠राजस्थान के बूंदी में चौहान वंश की हाड़ा शाखा का शासन था।
➠बूंदी में पहले मीणा वंश का शासन था।
➠बूंदा मीणा के नाम पर ही बूंदी का नाम बूंदी पड़ा था।
➠रणकपुर अभिलेख में बूंदी का अन्य नाम वृंदावती लिखा गया है।
बूंदी के चौहान वंश के प्रमुख राजा-
1. देवा
2. जैत्रसिंह
3. बरसिंह
4. सुरजन
5. बुद्ध सिंह
6. विष्णु सिंह
1. देवा-
➠1241 ई. में देवा ने जैता मीणा को हराया था तथा बूंदी में चौहान वंश की हाड़ा शाखा का शासन स्थापित किया था।
2. जैत्रसिंह-
➠1274 ई. में जैत्रसिंह ने कोटा को जीतकर कोटा को बूंदी राज्य में मिला लिया था।
3. बरसिंह-
➠1354 ई. में बरसिंह ने बूंदी में तारागढ़ किले का निर्माण करवाया था।
➠तारागढ़ किला राजस्थान में भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
4. सुरजन-
➠1569 ई. में दिल्ली के शासक अकबर ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया।
➠आमेर का भगवन्तदास दिल्ली के शासक अकबर तथा बूंदी के चौहान राजा सुरजन के मध्य संधि करवा देता है।
➠सुरजन ने द्वारका (गुजरात) में रणछोड़ मंदिर का निर्माण करवाया था।
➠गुजरात के द्वारका का रणछोड़ा मंदिर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है।
सुरजन का दरबारी विद्वान-
➠सुरजन का दरबारी विद्वान चन्द्रशेखर था।
चन्द्रशेखर के द्वारा लिखी गई पुस्तके-
1. सुर्जन चरित
2. हम्मीर हठ
5. बुद्ध सिंह-
➠बूंदी के चौहान राजा बुद्ध सिंह के द्वारा नेहतरंग नामक पुस्तक लिखी गई थी।
बूंदी का उतराधिकार संघर्ष-
➠बुद्ध सिंह के दो पुत्रों दलेल सिंह व उम्मेद सिंह के बीच उतराधिकार संघर्ष था।
➠दलेल सिंह बुद्ध सिंह का दत्तक पुत्र था अर्थात् दलेल सिंह बुद्ध सिंह के द्वारा गोद लिया हुआ पुत्र था।
➠बुद्ध सिंह का वास्तविक पुत्र उम्मेद सिंह था।
➠दलेल सिंह सालिम सिंह का पुत्र था।
➠जयपुर के राजा सवाई जयसिंह ने दलेल सिंह का साथ दिया जबकि मराठो ने उम्मेद सिंह का साथ दिया था।
➠बूंदी राजस्थान की पहली ऐसी रियासत थी जिसकी आन्तरिक राजनीति को मराठों के द्वारा प्रभावित किया गया था।
अमर कंवर-
➠अमर कंवर जयपुर के राजा जयसिंह की बहिन थी तथा बुद्ध सिंह की रानी थी।
➠उम्मेद सिंह का साथ देने के लिए अमर कंवर ने मराठा सेनापति मल्हार राव होल्कर को बुलाया था।
कृष्णा कंवर-
➠कृष्णा कंवर जयपुर के राजा जयंसिह की बेटी तथा बुद्ध सिंह के बेटे दलेल सिंह की रानी थी।
6. विष्णु सिंह-
➠विष्णु सिंह 1818 में अंग्रेजों के साथ संधि कर लेता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
➠दिल्ली शासक मुगल बादशाह जहाँगीर ने बूंदी के राजा रतनसिंह को रामराज तथा सर बुलन्दराय नामक दो उपाधियां दी थी।