सिरोही का इतिहास-
- सिरोही में चौहान वंश की देवड़ा शाखा का शासन था।
सिरोही के चौहान वंश के प्रमुख राजा-
- 1. लुम्बा देवड़ा
- 2. शिवभान
- 3. सहसमल देवड़ा
- 4. सुरताण
- 5. बैरीसाल
- 6. शिवसिंह
1. लुम्बा देवड़ा-
- 1311 ई. में लुम्बा देवड़ा ने परमारों को हराया तथा परमारों के आबू तथा चन्द्रावती पर अधिकार कर लिया था। (इस समय परमारों की राजधानी चन्द्रावती थी पहले परमारों की राजधानी आबू थी।)
- लुम्बा देवड़ा ने चन्द्रावती को अपनी राजधानी बनाया था।
2. शिवभान-
- 1405 ई. में शिवभान ने चन्द्रावती से अपनी राजधानी हटाकर शिवपुरी को अपनी राजधानी बनाया था।
3. सहसमल देवड़ा-
- 1425 ई. में सहसमल देवड़ा ने सिरोही की स्थापना की तथा सिहोरी को अपनी राजधानी बनाया था।
4. सुरताण-
दत्ताणी का युद्ध (1583 ई.)-
- दत्ताणी का युद्ध 1583 ई. में सिरोही के राजा सुरताण तथा दिल्ली के राजा अकबर के मध्य हुआ था।
- दत्ताणी के युद्ध में सुरताण जीत गया था।
- जगमाल तथा रायसिंह दत्ताणी के युद्ध में लड़ते हुए मारे गये थे।
दत्ताणी के युद्ध में अकबर से सेनापति-
- 1. जगमाल- मेवाड़ (जगमाल महाराणा प्रताप का भाई था।)
- 2. रायसिंह- मारवाड़ (रायसिंह चन्द्रसेन का बेटा था।)
सुरताण का दरबारी विद्वान-
- 1. दुरसा आढ़ा-
- दुरसा आढ़ा के द्वारा "राव सुरताण रा कवित्त" नामक पुस्तक लिखी गई थी।
5. बैरीसाल-
- दिल्ली के शासक औरंगजेब के खिलाफ मारवाड़ के अजीत सिंह को सिरोही के कालिन्द्री नामक गाँव में शरण दी थी।
6. शिवसिंह-
- 1823 ई. में शिवसिंह अंग्रेजों के साथ संधि कर लेता है।
- अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली राजस्थान की सबसे अंतिम रियासत सिरोही थी।