जालौर का इतिहास-
- जालौर में चौहान वंश की सोनगरा शाखा का शासन था।
- ऋषि जाबाली के कारण जालौर को जाबालीपुर कहा जाता था।
- जाल वृक्षों की अधिकता के कारण जालौर का नाम जालौर पड़ा था।
- जालौर का किला सोनगिरि पहाड़ी पर स्थित है अतः जालौर के चौहान सोनगरा चौहान कहलाये।
जालौर के चौहान वंश के प्रमुख राजा-
- 1. कीर्तिपाल
- 2. समर सिंह
- 3. उदय सिंह
- 4. चचिगदेव
- 5. सामन्त सिंह
- 6. कान्हड़देव सोनगरा
1. कीर्तिपाल-
- कीर्तिपाल ने कायन्द्रा के युद्ध में भाग लिया था।
- कीर्तिपाल ने मेवाड़ के राजा सामन्त सिंह को हराया था।
- 1181 ई. में कीर्तिपाल ने कुन्तपाल परमार को हराया था तथा जालौर में चौहान राज्य की स्थापना की थी।
- सुन्धा अभिलेख के अनुसार कीर्तिपाल को राजेश्वर कहा गया है।
- नैणसी री ख्यात (पुस्तक) के अनुसार कीर्तिपाल एक महान राजा था।
2. समर सिंह-
- समर सिंह ने जालौर में परकोटा, शस्त्रागार तथा कोषागार का निर्माण करवाया था।
- समर सिंह ने अपनी पुत्री लीला देवी का विवाह गुजरात के राजा भीम द्वितीय चालुक्य से किया था।
3. उदय सिंह-
- उदय सिंह ने दिल्ली के शासक इल्तुतमिश से मंडौर (जोधपुर) तथा नाडोल (पाली) छीन लिए थे।
- उदय सिंह ने गुजरात के राजा लवण प्रसाद को हराया था।
4. चचिगदेव-
- चचिगदेव ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी।
- दिल्ली के दो शासक नासिरुद्दीन महमूद तथा बलबन चचिगदेव के शासन काल में जालौर पर आक्रमण करने की हिम्मत (साहस) नहीं कर पाये थे।
5. सामन्त सिंह-
- 1291 ई. में दिल्ली के शासक जलालुद्दीन खिलजी ने जालौर पर आक्रमण किया तथा जालौर के सांचौर क्षेत्र तक पहुंच गया था लेकिन सामन्त सिंह अपने सेनापति सारंगदेव बाघेला की सहायता से जलालुद्दीन खिलजी को आगे बढ़ने से रोकने में सफल रहा था।
6. कान्हड़देव सोनगरा-
- दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने 1308 ई. में सिवाणा पर आक्रमण किया था।
- सिवाणा पहले जालौर का हिस्सा हुआ करता था वर्तमान में सिवाणा बाड़मेर का हिस्सा है।
- दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने 1311 ई. में जालौर पर आक्रमण किया था।
अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा जालौर पर आक्रमण के कारण-
- 1. अलाउद्दीन खिलजी अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।
- 2. जालौर दिल्ली से गुजरात तथा दक्षिण भारत के व्यापारिक मार्ग पर स्थित था।
- 3. 1299 ई. के गुजरात आक्रमण के दौरान अलाउद्दीन खिलजी को जालौर से निकलने नहीं दिया गया था।
- 4. गुजरात आक्रमण से लौटते समय अलाउद्दीन खिलजी की सेना पर कान्हड़देव सोनगरा के सेनापति जैता देवड़ा ने आक्रमण कर दिया तथा अलाउद्दीन खिलजी की सेना के द्वारा सोमनाथ मंदिर (भगवान शिव का मंदिर) से ला रहे शिवलिंग के टुकड़े छीन लिए थे।
- 5. इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार 1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति आईन-उल-मुल्क मुल्तानी ने जालौर पर आक्रमण किया तथा कान्हड़देव सोनगरा को समझाकर अपने साथ दिल्ली ले गया लेकिन दिल्ली में कान्हड़देव सोनगरा ने अलाउद्दीन खिलजी की युद्ध की चुनौती को स्वीकार कर लिया था।
- 6. इतिहासकार मुहणोत नैणसी के अनुसार आक्रमण का कारण फिरोजा का वीरमदेव के प्रति आकर्षण था।
फिरोजा-
- फिरोजा अलाउद्दीन की पुत्री थी।
- फिरोजा कान्हड़देव के बेटे वीरमदेव को पसन्द करती थी।
- फिरोजा की धाय माँ गुल विहिश्त थी।
अलाउद्दीन खिलजी का सिवाणा पर आक्रमण (1308 ई.)-
- 1308 ई. में सिवाणा का किला सातलदेव सोनगरा व सोमदेव सोनगरा के पास था।
- सातलदेव सोनगरा व सोमदेव सोनगरा कान्हड़देव के भतीजे थे।
- कान्हड़देव सोनगरा की सेना के भायल नामक सैनिक ने सातलदेव सोनगरा तथा सोमदेव सोनगरा के साथ विश्वासघात किया था।
- 1308 ई. में सातलदेव सोनगरा तथा सोमदेव सोनगरा के नेतृत्व में सिवाणा (जालौर) का पहला शाका हुआ था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा पर अधिकार कर लिया तथा अपने सेनापति कमालुद्दीन गुर्ग को सिवाणा सौंप दिया था।
- अलाउद्दीन खिलजी के सिवाणा आक्रमण के दौरान नाहर खाँ नामक तुर्क सेनापति लड़ता हुआ मारा गया था।
- तुर्कों ने सांचौर (जालौर) का महावीर मंदिर तोड़ दिया तथा विद्या के केन्द्र भीनमाल को नष्ट कर दिया था।
सिवाणा-
- सिवाणा को जालौर की कुंजी या जालौर की चाबी कहा जाता है।
- अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा का नाम बदलकर खैराबाद कर दिया था।
मालकाना (नागौर) का युद्ध-
- मालकाना के युद्ध में कान्हड़देव सोनगरा ने तुर्क सेना को हराया तथा तुर्क सेनापति शम्स खाँ को गिरफ्तार कर लिया था।
अलाउद्दीन खिलजी का जालौर पर आक्रमण (1311 ई.)-
- अलाउद्दीन खिलजी के जालौर आक्रमण के दौरान बीका दहिया ने कान्हड़देव सोनगरा के साथ विश्वासघात किया था।
- कान्हड़देव सोनगरा के साथ विश्वासघात करने के कारण बीका दहिया को उसकी पत्नी हीरादे ने मार दिया था।
- 1311 ई. में कान्हड़देव सोनगरा तथा वीरमदेव के नेतृत्व में जालौर में साका किया गया था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर पर अधिकार कर लिया तथा जालौर का नाम बदलकर जलालाबाद कर दिया था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर में अलाई मस्जिद का निर्माण करवाया था।
- अलाई मस्जिद के पास तोपखाना होने के कारण अलाई मस्जिद को तोपखाना मस्जिद भी कहा जाता है।
पद्मनाभ-
- पद्मनाभ की पुस्तके-
- 1. कान्हड़देव प्रबंध
- 2. वीरमदेव सोनगरा री वात
- यह दोनों पुस्तके पद्मनाभ के द्वारा लिखी गई है।