नरसिम्हन समिति- I
(Narasimhan Committee- I)
नरसिम्हन समिति- I (Narasimhan Committee- I) की स्थापना-
➠नरसिम्हन समिति- I की स्थापना सन् 1991 में की गई थी।
➠नरसिम्हन समिति- I के द्वारा की गई मुख्य सिफारिशें-
(I) भविष्य में बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं किया जाना चाहिए।
(II) निजी क्षेत्र के बैंकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(III) विदेशी बैंकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(IV) सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी को कम करके 51% कर दिया जाना चाहिए।
(V) नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio- CRR) तथा सांविधिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio- SLR) को कम किया जाना चाहिए।
(VI) भारत में त्रिस्तरीय बैंकिंग व्यवस्था होनी चाहिए जैसे-
(अ) अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैंक (International Standard Bank)- भारत में 3 से 4 अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैंक होने चाहिए।
(ब) राष्ट्रीय स्तर के बैंक (National Standard Bank)- भारत में 8 से 10 राष्ट्रीय स्तर के बैंक होने चाहिए।
(स) स्थानी बैंक (Local Bank)- भारत में स्थानी बैंकों अधिक या बहुत अधिक होने चाहिए।
(VII) ऋण वसूली अधिकरण (Debt Recovery Tribunal- DRT) की स्थापना की जानी चाहिए।
➠भारत में 1993 में 29 ऋण वसूली अधिकरण (Debt Recovery Tribunal- DRT) खोले गये थे।
(VIII) ऋण सूचनाओं को साझा करने के लिए एक केंद्रीय ऐजेंसी की स्थापना की जानी चाहिए।
(IX) वर्ष 2000 में क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (Credit Information Bureau India Limited- CIBIL) की स्थापना की गई थी।
➠क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (Credit Information Bureau India Limited- CIBIL) के द्वारा सिबिल स्कोर (CIBIL Score) जारी किया जाता है।