वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion)-
- वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सभी को गुणवत्तापूर्ण वित्तीय उत्पाद वहनीय दरों पर उबलब्ध करवाये जाते है।
- वित्तीय उत्पाद जैसे-
- 1. बैंक खाता खोलना
- 2. ऋण सुविधा उपलब्ध करवाना
- 3. बीमा सुविधा उपलब्ध करवाना
- 4. पेंशन सुविधा उपलब्ध करवाना
- 5. निवेश के अवसर उपलब्ध करवाना
- 6. वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना
वित्तीय समावेशन सूचकांक-
- वित्तीय समावेशन को मापने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा वित्तीय समावेशन सूचकांक जारी किया जाता है।
- वित्तीय समावेशन को मापने के लिए जारी किये जाने वाले सूचकांक का मूल्य 0 से 100 के बीच होता है।
- वित्तीय समावेशन सूचकांक में 0 का मतलब कोई वित्तीय समावेशन न होना है।
- वित्तीय समावेशन सूचकांक में 100 का मतलब पूर्ण वित्तीय समावेश होना है।
- वित्तीय समावेश की गणना तीन कारकों (Factors) के आधार पर की जाती है जैसे-
- 1. पहुँच (Access)-
- 2. उपयोगिता (Usage)
- 3. गुणवत्ता (Quality)
1. पहुँच (Access)-
- वित्तीय समावेशन के तीन कारकों (Factors) में पहुँच का भारांश (Weightage) 35% होता है।
2. उपयोगिता (Usage)-
- वित्तीय समावेशन के तीन कारकों (Factors) में उपयोगिता का भारांश (Weightage) 45% होता है।
3. गुणवत्ता (Quality)-
- वित्तीय समावेशन के तीन कारकों (Factors) में गुणवत्ता का भारांश (Weightage) 20% होता है।
वित्तीय समावेशन सूचकांक-
- वित्तीय समावेशन सूचकांक प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में जारी किया जाता है।