रणथम्भौर का इतिहास-
- राजस्थान के रणथम्भौर में चौहान वंश का शासन था।
रणथम्भौर के चौहान वंश के प्रमुख राजा-
- 1. गोविंदराज
- 2. वाल्हण
- 3. प्रह्लादन
- 4. वीरनारायण
- 5. वागभट्ट
- 6. जैत्रसिंह
- 7. हम्मीर देव चौहान
1. गोविंदराज-
- 1194 ई. में गोविंदराज ने रणथम्भौर में चौहान राज्य की स्थापना की थी।
- गोविंदराज पृथ्वीराज तृतीय (पृथ्वीराज चौहान) का बेटा था।
2. वाल्हण-
- वाल्हण रणथम्भौर का राजा था।
3. प्रह्लादन-
- प्रह्लादन रणथम्भौर का राजा था।
4. वीरनारायण-
- वीरनारायण दिल्ली के राजा इल्तुतमिश के खिलाफ लड़ता हुआ मारा गया था।
5. वागभट्ट-
- दिल्ली के राजा नासिरुद्दीन महमूद ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया लेकिन नासिरुद्दीन महमूद को सफलता नहीं मिली थी।
6. जैत्रसिंह-
- जैत्रसिंह ने 32 वर्षो तक रणथम्भौर में शासन किया था तथा अपने जीवन काल में अपने बेटे हम्मीर देव चौहान को राजा बना दिया था।
7. हम्मीर देव चौहान (1282-1301)-
- हम्मीर देव चौहान ने 17 में से 16 युद्ध जीते थे।
- हम्मीर देव चौहान ने कई राजाओं को हराया था जैसे-
- 1. समर सिंह (मेवाड़ का राजा)
- 2. प्रताप सिंह (आबू, सिरोही का राजा)
- 3. भोज परमार द्वितीय (धार नगरी, मालवा, मध्य प्रदेश का राजा)
- मध्य प्रदेश के मालवा की राजधानी धार नगरी थी।
- दिल्ली के राजा जलालुद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर दो बार (1290 तथा 1292) आक्रमण किया था। लेकिन जलालुद्दीन खिलजी को सफलता नहीं मिली थी।
- अपनी विफलता के बाद जलालुद्दीन खिलजी ने कहा था की "में ऐसे 10 किलों को मुस्लमान के बाल के बराबर नहीं समझता"
- अमीर खुसरों ने अपनी पुस्तक "मिफता-उल-फुतुह" में जलालुद्दीन खिलजी के आक्रमणों की जानकारी दी है।
अलाउद्दीन खिलजी का 1301 ई. का रणथम्भौर आक्रमण-
- 1301 ई. में दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया था।
- अलाउद्दीन खिलजी के रणथम्भौर पर आक्रमण के समय अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति नुसरत खान तथा हम्मीर देव चौहान का सेनापति भीमसिंह युद्ध में लड़ते हुए मारे गये थे।
- इस युद्ध में रणमल तथा रतिपाल ने हम्मीर देव चौहान के साथ विश्वासघात किया था।
- 1301 ई. में रणथम्भौर में साका किया गया था।
- 1301 ई. का रणथम्भौर का साका राजस्थान का पहला शाका था।
- हम्मीर देव चौहान की रानी रंगदेवी के नेतृत्व में जौहर किया तथा हम्मीर देव चौहान के नेतृत्व में केसरिया किया गया था।
- अमीर खुसरों ने इस जौहर की जानकारी अपनी पुस्तक खजाइन-उल-फुतुह (तारीख-ए-अलाई) में दी है।
- खजाइन-उल-फुतुह में जौहर की दी गई जानकारी फारसी भाषा में जौहर की पहली जानकारी मानी जाती है।
- अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर अधिकार कर लिया तथा रणथम्भौर अपने सेनापति उलुग खान को सौंप दिया था।
- अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा रणथम्भौर जीतने के बाद अमीर खुसरों ने कहा था की "आज कुफ्र का घर इस्लाम का घर हो गया है।"
साका-
- जिस आक्रमण या युद्ध में जौहर तथा केसरिया दोनों साथ होते है उसे साका कहा जाता है।
अलाउद्दीन खिलजी के रणथम्भौर पर आक्रमण करने के कारण-
- 1. दिल्ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।
- 2. रणथम्भौर का किला दिल्ली से गुजरात तथा मालवा (मध्य प्रदेश) के व्यापारिक मार्ग पर स्थित था।
- 3. रणथम्भौर का किला अपने सामरिक महत्व के लिए प्रसिद्ध था।
- 4. अलाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी की विफलता का बदला लेना चाहता था।
अलाउद्दीन खिलजी के रणथम्भौर पर आक्रमण करने का तात्कालिक कारण-
- 1. हम्मीर देव चौहान ने अलाउद्दीन खिलजी के विद्रोहियों मुहम्मद शाह तथा केहब्रू को शरण दी थी।
अलाउद्दीन खिलजी के रणथम्भौर पर आक्रमण के समय हम्मीर देव चौहान के सेनापति-
- 1. भीमसिंह
- 2. धर्मसिंह
अलाउद्दीन खिलजी के रणथम्भौर पर आक्रमण के समय अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति-
- 1. नुसरत खान
- 2. उलुग खान
- 3. अलप खान
अमीर खुसरों की पुस्तक-
- अमीर खुसरों की पुस्तक का नाम खजाइन-उल-फुतुह है।
- खजाइन-उल-फुतुह को तारीख-ए-अलाई भी कहा जाता है।
- खजाइन-उल-फुतुह फारसी भाषा में लिखी गई पुस्तक है।
देवलदे-
- देवलदे हम्मीर देव चौहान की पुत्री थी
- राजकुमारी देवलदे ने पद्म तालाब में कुदकर आत्महत्या कर ली थी।
हम्मीर देव चौहान की सांस्कृतिक उपलब्धियां-
- हम्मीर देव चौहान ने शृंगार हार नाम पुस्तक लिखी थी।
- हम्मीर देव चौहान ने अपने पिता जैत्रसिंह के 32 वर्षिय शासन काल की याद में रणथम्भौर में 32 खम्भों की छतरी का निर्माण करवाया था।
- हम्मीर देव चौहान ने कोटि यज्ञ का आयोजन करवाया था।
- हम्मीर देव चौहान के कोटि यज्ञ के पुरोहित का नाम विश्वरूप था।
हम्मीर देव चौहान के दरबारी विद्वान-
- 1. राघवदेव
- 2. बीजादित्य
- राघवदेव हम्मीर देव चौहान का गुरु था।
हम्मीर देव चौहान का मुल्यांकन-
- हम्मीर देव चौहान पर कर (Tax) बढ़ाने तथा हठ के लिए युद्ध करने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन हम्मीर देव चौहान को इन आरोपों से मुक्त किया जा सकता है।
- कर (Tax) युद्ध के समय बढ़ाये गये थे क्योंकि युद्ध के समय अधिक धन की आवश्यकता थी तथा ऐसा सभी राजाओं के द्वारा किया जाता था तथा हम्मीर देव चौहान ने इससे पहले कभी भी कर (Tax) नहीं बढ़ाया था।
- शरणागत की रक्षा करना उस समय की भारतीय संस्कृति का आदर्श था तथा हम्मीर देव चौहान भी अपने इसी आदर्श का पालन कर रहा था।
- हम्मीर देव चौहान की बहादुरी तथा शरणागत की रक्षा के लिए सबकुछ न्योछावर करने की भावना न केवल अविस्मरणीय है बल्कि हम्मीर देव चौहान को प्रथम पक्ति में खड़ा कर देती है।
- हम्मीर देव चौहान के बारे में ठीक ही कहा जाता है की-
"सिंह गमन, सत्पुरुष वचन, कदली फलै एक बार।
तिरिया तेल, हम्मीर हठ, चढ़े न दूजी बार।"
झाईन-
- झाईन को रणथम्भौर की कुंजी या रणथम्भौर की चाबी कहा जाता है।
- अलाउद्दीन खिलजी ने झाईन का नाम बदलकर नौ शहर कर दिया था।