सिंधु घाटी सभ्यता
(Indus Valley Civilization- IVC)
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता को विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक मानी जाता है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता एक शहरी या नगरीय सभ्यता थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता अपनी सुदृढ़ जल निकासी व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध मानी जाती है।
➠1826 ई. में चार्ल्स मेसन ने पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता पर प्रकाश डाला था।
➠1853 ई. में अलेक्जेंडर कनिंघम ने हड़प्पा का सर्वे किया था।
➠1856 ई. में जाॅन बर्टन थाॅम्पसन तथा विलियम बर्टन पाकिस्तान के लाहौर से कराची के मध्य रेलवे लाइन बिछा रहे थे तथा जाॅन बर्टन थाॅम्पसन तथा विलियम बर्टन ने अनजाने में हड़प्पा की ईंटों का प्रयोग रेलवे लाइन बिछाने के लिए कर लिया था।
➠1856 ई. में अलेक्जेंडर कनिंघम ने दूसरी बार हड़प्पा का सर्वे एवं उत्खनन किया था।
➠1921 ई. में सर जाॅन मार्शल ने दयाराम साहनी को हड़प्पा में उत्खनन करने के लिए नियुक्त किया था।
➠1922 ई. में राखलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो का उत्खनन किया था।
➠1924 ई. में सर जाॅन मार्शल ने सिंधु घाटी सभ्यता की घोषणा की थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता को सिंधु सरस्वती सभ्यता भी कहा जाता है।
➠इसिहासकार स्टुअर्ट पिग्गट ने हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो को सिंधु घाटी सभ्यता की जुड़वां राजधानी कहा है।
भारतीय पुरातत्व विभाग (Archaeological Survey of India- ASI)-
➠1861 ई. में अलेक्जेंडर कनिंघम के द्वारा भारतीय पुरातत्व विभाग (Archaeological Survey of India- ASI) की स्थापना की गई थी।
➠अलेक्जेंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) का जनक कहा जाता है।
➠भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की स्थापना गवर्नर जनरल या वायसराय लार्ड कैनिंग के समय की गई थी।
विशेष- मेसोपोटामिया की सभ्यता-
➠मेसोपोटामिया की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है।
विशेष- हम्मूराबी विधि संहिता-
➠हम्मूराबी विधि संहिता विश्व में कानून का सबसे प्राचीन स्त्रोत माना जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार-
➠सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता तीन देशों में विस्तृत या तीन देशों में फैली हुई है। जैसे-
(I) भारत
(II) पाकिस्तान
(III) अफगानिस्तान
➠सिंधु घाटी सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार है अर्थात् सिंधु घाटी सभ्यता त्रिभुजाकार सभ्यता है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता कांस्य युगीन सभ्यता है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता सबसे उत्तर दिशा (सबसे उत्तरी बिंदु) में अफगानिस्तान के शोर्तुगई में आक्सस नदी तक फैली हुई है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता उत्तर दिशा में कश्मीर के मांडा में चिनाब नदी तक फैली हुई है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता दक्षिण दिशा में महाराष्ट्र के दैमाबाद में प्रवरा नदी तक फैली हुई है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता पूर्व दिशा में उत्तर प्रदेश के आलमगीरपुर (मेरठ) में हिंडन नदी तक फैली हुई है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता पश्चिम दिशा में बलूचिस्तान के सुत्कागेंडोर में दाशक नदी तक फैली हुई है।
सिंधु घाटी सभ्यता का काल-
➠पुरानी NCERT के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का काल या समय 2350 ई.पू. से 1750 ई.पू. तक माना जाता है।
➠नई NCERT के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का काल या समय 2600 ई.पू. से 1900 ई.पू. तक माना जाता है।
➠सारगोन अभिलेख के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का काल या समय 3250 ई.पू. से 2750 ई.पू. तक माना जाता है।
कार्बन 14 पद्धती या C-14 पद्धती-
➠समय का निर्धारण कार्बन-14 पद्धती (C-14) से किया जाता है या कार्बन-14 पद्धती से ज्ञात किया जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल-
1. हड़प्पा (Harappa)
2. मोहन जोदड़ो (Mohenjo-Daro)
3. लोथल (Lothal)
4. धोलावीरा (Dholavira)
5. चन्हुदड़ो (Chanhudaro)
6. सुरकोटदा या सुरकोटडा (Surkotada)
7. कुनाल या कुणाल (Kunal)
8. दैमाबाद (Daimabad)
9. रोजदी (Rojdi)
10. रोपड़ (Ropar)
11. आमरी (Amri)
1. हड़प्पा (Harappa)-
➠हड़प्पा सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠हड़प्पा का उत्खनन दयाराम साहनी के द्वारा किया गया था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता का हड़प्पा स्थल पाकिस्तान के पंजाब में मोंटगोमरी में स्थित है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता का हड़प्पा स्थल वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब में साहिवाल जिले में स्थित है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता का हड़प्पा स्थल रावी नदी के तट पर है।
हड़प्पा से निम्नलिखित अवशेष प्राप्त हुए है।-
➠हड़प्पा से R-37 कब्रिस्तान मिला है।
➠R-37 कब्रिस्तान से विदेशी की कब्र मिली है। इस विदेशी को एक ताबूत में दफनाया गया था।
➠हड़प्पा से इक्का गाड़ी मिली है।
➠हड़प्पा से शृंगार पेटिका मिली है।
➠हड़प्पा से स्वस्तिक का निशान मिला है।
➠रावी नदी के तट पर हड़प्पा से 12 अन्नागार मिले है।
➠हड़प्पा से मिले 12 अन्नागार दो लाइनों में है।
➠रावी नदी के तट पर 12 अन्नागारों के पास चबूतरे मिले है।
➠रावी नदी के तट पर 12 अन्नागारों के पास श्रमिक आवास भी मिले है।
2. मोहन जोदड़ों (Mohenjo-Daro)-
➠मोहन जोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠मोहन जोदड़ो का उत्खनन राखलदास बनर्जी के द्वारा किया था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता का मोहन जोदड़ो स्थल लरकाना जिले (सिंध, पाकिस्तान) में स्थित है।
➠मोहन जोदड़ो का शाब्दिक अर्थ मृतकों का टीला होता है।
➠मोहन जोदड़ो का वास्तविक नाम मुईन जो धड़ो या मुअन जो दड़ो है।
मोहन जोदड़ो से निम्नलिखित अवशेषम मिले है।-
(I) विशाल स्नानागार (Great Bath)
(II) नर्तकी की मूर्ति (Dancing Girl)
(III) पुरोहित राजा की मूर्ति (Priest King)
(IV) पशुपतिनाथ की मुहर (Pashupatinath Seal)
(V) विशाल अन्नागार (Great Granary)
(VI) महाविद्यालय के साक्ष्य (Evidence of Mahavidyalaya)
(VII) सूती कपड़े के साक्ष्य (Evidence of Cotton)
(VIII) हाथी का कपाल खंड (Evidence of Skull of Elephant)
(IX) मेसोपोटामिया की मुहर (Seal of Mesopotamia)
(X) घोड़े का दांत (Teeth of Horse)
(XI) शंख का पैमाना (Scale of Shankh)
(I) विशाल स्नानागार (Great Bath)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से विशाल स्नानागार मिला है।
➠मोहन जोदड़ो से मिले विशाल स्नानागार का आकार 39×23×8 फीट है।
➠मोहन जोदड़ो से मिले स्नानागार के उत्तर दिशा तथा दक्षिण दिशा में नीचे उतरने के लिए चौड़ी सिढ़िया बनी हुई है।
➠स्नानागार में बिटुमिनस का लेप किया गया है।
➠स्नानागार के उत्तर दिशा में 6 वस्त्र बदलने के कक्ष बने हुए है।
➠स्नानागार के तीन तरफ बरामदा बना हुआ है।
➠स्नानागार के तीन तरफ बने बरामदे के पीछे कई कक्ष भी बने हुए है।
➠जलापूर्ति के लिए स्नानागार के पास कुआँ बना हुआ है।
➠स्न्नानागार के प्रथम तल पर चढ़ने के लिए सिढ़ियों के साक्ष्य भी मिले है।
➠स्नानागार के प्रथम तल के कमरों का प्रयोग सम्भवतया पुरोहित करते रहे होंगे।
➠इस विशाल स्नानागार का प्रयोग सम्भवतया धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता रहा होगा।
➠सर जॉन मार्शल ने मोहन जोदड़ो से मिले विशाल स्नानागार को तात्कालिक समय (उस समय) की आश्चर्यजनक इमारत कहा है।
(II) नर्तकी की मूर्ति (Dancing Girl)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से नर्तकी की मूर्ति मिली है।
➠नर्तकी की मूर्ति का निर्माण लॉस्ट वैक्स तकनीक या मोम लुप्त लकनीक (Lost Wax Casting) से हुआ है।
➠नर्तकी की मूर्ति कांस्य (Bronze) धातु की बनी हुई है।
➠नर्तकी की मूर्ति नग्न अवस्था में है।
➠नर्तकी की मूर्ति नृत्य अवस्था में है।
➠नर्तकी की मूर्ति मे नर्तकी ने एक हाथ में चूड़िया पहन रखी है।
(III) पुरोहित राजा की मूर्ति (Priest King)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से पुरोहित राजा की मूर्ति मिली है।
➠पुरोहित राजा की मूर्ति सेलखड़ी पत्थर से निर्मित है।
➠पुरोहित राजा की मूर्ति में पुरोहित राजा ध्यान की अवस्था में है।
➠पुरोहित राजा ने शॉल ओढ़ रखी है।
➠पुरोहित राजा के द्वारा ओढ़ा गया शॅाल पर कशीदाकारी (Embroidery) का कार्य किया गया है।
➠पुरोहित राजा की मूर्ति की ऊंचाई 17.5 सेंटीमीटर है।
➠पुरोहित राजा की मूर्ति की चौड़ाई 11 सेंटीमीटर है।
(IV) पशुपतिनाथ की मुहर (Pashupatinath Seal)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से पशुपतिनाथ की मुहर मिली है।
➠पशुपतिनाथ की मुहर में बाईं ओर गेंडा तथा भैंसा बना हुआ है।
➠पशुपतिनाथ की मुहर में दाईं ओर हाथी तथा चीता बना हुआ है।
➠पशुपतिनाथ की मुहर में सामने की तरफ हिरण बना हुआ है।
➠सर जाॅन मार्शल ने पशुपतिनाथ की मुहर को पशुपतिनाथ एवं आघ शिवा (Proto Shiva) कहा है।
➠पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है।
(V) विशाल अन्नागार (Great Granary)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से विशाल अन्नागार मिले है।
(VI) महाविद्यालय के साक्ष्य (Evidence of Mahavidyalaya)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से महाविद्यालय के साक्ष्य मिले है।
(VII) सूती कपड़े के साक्ष्य (Evidence of Cotton)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से सूती कपड़े के साक्ष्य मिले है।
(VIII) हाथी का कपाल खंड (Evidence of Skull of Elephant)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से हाथी का कपाल खंड मिला है।
(IX) मेसोपोटामिया की मुहर (Seal of Mesopotamia)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से मेसोपोटामिया की मुहर मिली है।
➠मेसोपोटामिया सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है।
(X) घोड़े का दांत (Teeth of Horse)
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से घोड़े का दांत मिला है।
(XI) शंख का पैमाना (Scale of Shankh)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से शंख का पैमाना मिला है।
कब्रिस्तान-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहन जोदड़ो से किसी कब्रिस्तान का अवशेष प्राप्त नहीं होता है। इसका अर्थ यह माना जाता है की मोहन जोदड़ो के लोगों का यहाँ पर दाह संस्कार किया जाता था।
3. लोथल (Lothal)-
➠लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠लोथल का उत्खनन रंगनाथ राव (S.R. Rao) के द्वारा किया गया था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता का स्थल लोथल गुजरात राज्य में भोगवा नदी के किनारे स्थित है।
➠लोथल एक व्यापारिक नगर माना जाता है।
लोथल से निम्नलिखित अवशेष मिले है।-
(I) गोदीवाड़ा या डाॅकयार्ड
(II) मनके बनाने का कारखाना
(III) बाजरा तथा चावल के साक्ष्य
(IV) फारस की मुहर
(V) घोड़े की मृण्मूर्तियां
(VI) चक्की के दो पाट
(VII) नावों के माॅडल
(I) गोदीवाड़ा या डाॅकयार्ड-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से गोदीवाड़ा या डाॅकयार्ड मिला है।
➠गोदीवाड़ा या डाॅकयार्ड सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी कृति मानी जाती है।
(II) मनके बनाने का कारखाना-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से मनके बनाने का कारखाना मिला है।
➠मनके का अर्थ मोती होता है।
(III) बाजरा तथा चावल के साक्ष्य-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से बाजरा तथा चावल के साक्ष्य मिले है।
➠लोथल से मिले बाजरे के साक्ष्य एकमात्र बाजरे के साक्ष्य है।
(IV) फारस की मुहर-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से फारस की मुहर मिली है।
➠लोथल से प्राप्त फारस की मुहर गोलाकार बटन नुमा है।
(V) घोड़े की मृण्मूर्तियां-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से घोड़े की मृण्मूर्तियां मिली है।
➠मिट्टी की बनी मूर्तियों को मृण्मूर्तियां कहा जाता है।
(VI) चक्की के दो पाट-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से चक्की के दो पाट मिले है।
(VII) नावों के माॅडल-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से नावों के माॅडल मिले है।
विशेष- सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल में घरों के दरवाजे मुख्य मार्ग पर खुलते है। लोथल से एकमात्र ऐसे घर मिला है जिसके दरवाजे मुख्य मार्ग पर खुलते है।
4. धोलावीरा (Dholavira)-
➠धोलावीरा सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠धोलावीरा की खोज 1967 ई. में जगरति जोशी के द्वारा की गई थी।
➠धोलावीरा का उत्खनन रविंद्र सिंह बिष्ट के द्वारा किया गया था।
➠धोलावीरा का उत्खनन 1990 ई. से 2005 ई. के बीच किया गया था।
➠धोलावीरा गुजरात के कच्छ जिले के वन्य अभयारण्य के कच्छ मरुभूमि के खदिर बेट द्वीप पर स्थित है।
➠धोलावीरा का क्षेत्रफल लगभग 120 एकड़ है। अर्थात् धोलावीरा क्षेत्र लगभग 120 एकड़ में फैला हुआ है।
➠धोलावीरा क्षेत्र मनसर जलधारा एवं मनहर जलधारा के बीच में स्थित है।
➠धोलावीरा शहर किसी नदी के किनारे स्थित नहीं है।
➠धोलावीरा शहर तीन भागों विभाजित है जैसे-
(I) दुर्ग या किला (Fort/ Citadel)
(II) मध्य भाग (Middle Town)
(III) निम्न भाग (Lower Town)
➠हाल ही में यूनेस्को ने गुजरात के धोलावीरा स्थल को भारत के 40वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया है। अर्थात् धोलावीरा स्थल को यूनेस्को की विश्व विरास्त सूची में शामित किया गया है।
➠धोलावीरा यूनेस्को की विश्व विरास्त सूची में शामिल होने वाला भारत का 40वाँ विश्व धरोहर स्थल है।
➠धोलावीरा सिंध घाटी सभ्यता का पहला स्थाल है जो यूनेस्को की विश्व विरास्त सूची में शामिल हुआ है।
➠विश्व धरोहर स्थल में शामिल होने वाला भारत का 39वां विश्व धरोहर स्थल तेलंगाना का रामप्पा मंदिर था।
धोलावीरा से निम्नलिखित अवशेष मिले है।-
(I) 16 कृत्रिम जलाशय (Artificial Reservoir)
(II) सूचना पट्ट (Sign Board)
(III) स्टेडियम के साक्ष्य (Evidence of Stadium)
(IV) मनका (Beads)
(V) रिंग (Rings)
(VI) मिट्टी के बर्तन (Earthenware Pottery)
(VII) टेराकोटा सील (Terracotta Seals)
(VIII) सोने के आभूषण (Gold Jewellery)
(IX) चाँदी के आभूषण (Silver Jewellery)
(I) 16 कृत्रिम जलाशय (Artificial Reservoir)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से 16 कृत्रिम जलाशय मिले है।
➠धोलावीरा से मिले कृत्रिम जलाशयों का आकार 23 फीट गहरा तथा 256 फीट लम्बा है।
➠वर्ष 2014 में धोलावीरा से एक जलाशय मिला है जो 10 फीट गहरा, 241 फीट लम्बा एवं 96 फीट चौड़ा था।
(II) सूचना पट्ट (Sign Board)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से सूचना पट्ट मिला है।
➠धोलावीरा से मिला सूचना पट्ट जिप्सम से बना दस अक्षरों या प्रतीक चिह्न वाला लकड़ी का बोर्ड है।
➠धोलावीरा से मिले लकड़ी से बोर्ड पर लिखे प्रत्येक अक्षर या प्रतीक चिह्न का ऊंचाई 37 से सेंटीमीटिर तथा चौड़ाई 27 सेंटीमीटर है।
➠धोलावीरा से मिला लकड़ी का बोर्ड 3 मीटर लम्बा है।
➠धोलावीरा से मिला सूचना पट्ट विश्व का सबसे पुराना सूचना पट्ट माना जाता है।
(III) स्टेडियम के साक्ष्य (Evidence of Stadium)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से स्टेडियम के साक्ष्य मिले है।
(IV) मनका (Beads)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से मनके बनाने के साक्ष्य मिले है।
(V) रिंग (Rings)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से रिंग के साक्ष्य मिले है।
(VI) मिट्टी के बर्तन (Earthenware Pottery)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता से स्थल धोलावीरा से मिट्टी के बर्तन मिले है।
(VII) टेराकोटा सील (Terracotta Seals)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से टेराकोटा सील मिली है।
➠टेराकोटा सील मिट्टी से बनी सील होती है।
(VIII) सोने के आभूषण (Gold Jewellery)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से सोने के आभूषण मिले है।
(IX) चाँदी के आभूषण (Silver Jewellery)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीरा से चाँदी के आभूषण मिले है।
5. चन्हुदड़ो (Chanhudaro)-
➠चन्हुदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠चन्हुदड़ो का उत्खन्न एन.जी. मजूमदार या नानी गोपाल मजूमदार (N.G. Majumdar) के द्वारा किया गया था।
➠नानी गोपाल मजूमदार की हत्या डाकुओं के द्वारा कर दी गई थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता का स्थल चन्हुदड़ो सिंध (पाकिस्तान) में स्थित है।
➠चन्हुदड़ो एक औद्योगिक नगरी थी।
चन्हुदड़ो से निम्नलिखित अवशेष मिले है।-
1. मनके बनाने के कारखाने (Evidence of Beads Factory)-
2. कुत्ते के द्वारा बिल्ली का पीछा करने के साक्ष्य
3. लिपस्टिक के अवशेष (Evidence of Lipstick)
4. कार्नेलियन मनके के अवशेष (Evidence of Carnelian Beads)
1. मनके बनाने के कारखाने (Evidence of Beads Factory)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल चन्हुदड़ो से मनके बनाने के कारखाने मिले है।
2. कुत्ते के द्वारा बिल्ली का पीछा करने के साक्ष्य-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल चन्हुदड़ो से कुत्ते के द्वारा बिल्ली का पीछा करने के साक्ष्य मिले है।
3. लिपस्टिक के अवशेष (Evidence of Lipstick)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल चन्हुदड़ो से लिपस्टिक के अवशेष मिले है।
4. कार्नेलियन मनके के अवशेष (Evidence of Carnelian Beads)-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल चन्हुदड़ो से कार्नेलियन मनके के अवशेष मिले है।
6. सुरकोटदा या सुरकोटडा (Surkotada)-
➠सुरकोटदा सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠सुरकोटदा भारत के गुजरात राज्य कच्छ जिले में स्थित है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल सुरकोटदा से घोड़े की हड्डियां मिली है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो को घोड़े का ज्ञान नहीं था अर्थात् सिंधु घाटी सभ्यता के लोग घोड़े से अपरिचित थे।
7. कुनाल या कुणाल (Kunal)-
➠कुनाल सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠कुनाल भारत के हरियाणा राज्य में स्थित है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल कुनाल से चाँदी के दो मुकुट मिले है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल कुनाल से लापीस लाजुली के अवशेष मिले है।
➠लापीस लाजुली एक कीमती पत्थर है।
8. दैमाबाद (Daimabad)-
➠दैमाबाद सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠दैमाबाद भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले में स्थित है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल दैमाबाद से कांस्य के चार रथ मिले है।
9. रोजदी (Rojdi)-
➠रोजदी सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠रोजदी भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र जिले में स्थित है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल रोजदी से हाथी के साक्ष्य मिले है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल रोजदी से ग्राफिटी के साक्ष्य मिले है।
10. रोपड़ (Ropar)-
➠रोपड़ सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠रोपड़ भारत के पंजाब राज्य के रोपड़ जिले रूपनगर में स्थित है।
➠रोपड़ से मनुष्य के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य मिले है।
11. आमरी (Amri)-
➠आमरी सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠आमरी पाकिस्तान के दादू जिले के सिंध प्रांत में स्थित है।
➠आमरी से गैंडे के साक्ष्य मिले है।
प्राक हड़प्पा स्थल-
➠प्राक हड़प्पा स्थल का अर्थ है हड़प्पा से भी पहले के स्थल।
➠प्राक हड़प्पा स्थल निम्नलिखित है।-
1. कालीबंगा
2. बनवाली
3. राखीगढ़ी
1. कालीबंगा-
➠कालीबंगा स्थल भारत के राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है।
➠कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
2. बनवाली-
➠बनवाली सिंधु घाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠बनवाली स्थल भारत के हरियाणा राज्य में स्थित है।
➠बनवाली से एक वाश बेसिन (धावन पात्र) मिला है।
3. राखीगढ़ी-
➠राखीगढ़ी सिंधु गाटी सभ्यता का एक स्थल है।
➠राखीगढ़ी भारत के हरियाणा राज्य के हिसार जिले में स्थित है।
हड़प्पोत्तर स्थल (पूर्व हड़प्पा कालीन)-
➠हड़प्पोत्तर स्थल का अर्थ है हड़प्पा के बाद के स्थल है।
➠निम्नलिखित हड़प्पोत्तर स्थल है।
1. रोजदी
2. रंगपुर
1. रोजदी-
➠रोजदी भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र जिले मे स्थित है।
2. रंगपुर-
➠रंगपुर भारत के गुजरात राज्य के काठियावाड़ प्रायद्वीप पर स्थित है।
कोटला निहंग खा (रोपड़) तथा रंगपुर-
➠भारत विभाजन के बाद कोटला निहंग खा (रोपड़) तथा रंगपुर भारत में रहने वाले स्थिल थे।
➠कोटला निहंग खा (रोपड़) तथा रंगपुर सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल है।
शोर्तुगई तथा मुंडीगाक-
➠शोर्तुगई तथा मुंडीगाक स्थल सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल है।
➠शोर्तुगई तथा मुंडीगाक अफगानिस्तान में स्थित है।
सिधु घाटी सभ्यता में नगर नियोजन-
➠सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्रथम नगरीय सभ्यता थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता अपनी विशिष्ट नगर नियोजन के लिए प्रसिद्ध है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के नगर दो भागों में बटे होते थे। जैसे-
1. पूर्वी भाग- सिंधु घाटी सभ्यता का पूर्वी भाग आवासीय भाग होता था।
2. पश्चिमी भाग- सिंधु घाटी सभ्यता का पश्चिमी भाग दुर्गीकृत होता था तथा ऊंटे टीले पर स्थित होता था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के नगर के दोनों ही भाग या हिस्से चारदीवारी में स्थित होते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता की सड़के एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के शहर ग्रिड पैटर्न से बसे हुये थे।
➠ग्रिड पैटर्न का अर्थ है शतरंज बोर्ड के सम्मान या शतरंज बोर्ज की तरह।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में घरों के दरवाजे मुख्य मार्ग पर नहीं खुलते थे।
➠अपवाद- सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल में एकमात्र घर मिला जिसके दरवाजे मुख्य मार्ग पर खुलता है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में एक घर में सामान्यतः 3 या 4 कक्ष, रसोई घर तथा आंगन होता था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को सीढ़ियों का भी ज्ञान था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ घरों से कुओं के साक्ष्य भी मिलते है।
➠मोहनजोदड़ो से लगभग 700 कुएं प्राप्त होते है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों में उत्कृष्ट जल निकासी व्यवस्था होती थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में मुख्य मार्ग पर नालियों को साफ करने के लिए मेन हॅाल होता था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में नालियों को ईंटों से ढ़का जाता था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग सामान्यतः पक्की ईंटों का प्रयोग करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में ईंटों का आकार 1ः2ः3 होता था।
सिंधु घाटी सभ्यता के राजनैतिक स्थित-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के राजनैतिक स्थित के बारे में जानकारी का अभाव है।
➠सिधु घाटी सभ्यता में सभ्यवतया पुरोहित वर्ग के पास शासन रहा होगा।
सिंधु घाटी सभ्यता की सामाजिक स्थित-
➠सिंधु घाटी सभ्यता में सम्भवतया मातृसत्तात्मक संयुक्त परिवार होते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में समाज सम्भवतया चार भागों में विभाजित था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता से बड़ी मात्रा में मातृदेवियों की मूर्तियां मिलती है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में शांतिप्रिय समाज था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में पुरुष एवं महिलाएं श्रृंगार करते थे एवं जवाहरात पहनते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग शाकाहारी व मांसाहारी थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का प्रिय खेल मुर्गों की लड़ाईयां तथा शतरंज का खेल था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में अंतिम संस्कार की तीनों विधियों का प्रचलन था जैसे-
1. पूर्व शवाधान- व्यक्ति के साथ-साथ उसके साथ उसकी वस्तुओं को भी साथ दफनाना।
2. आंशिक शवाधान- शरीर के कुछ भागों को नष्ट होने के बाद दफनाना।
3. दाह संस्कार
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से तीन व कालीबंगा से एक युग्मित शवाधान मलता है।
➠युग्मित शवाधान का अर्थ है की पति पत्नी को एक साथ दफनाना।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की आर्थिक स्थिति-
➠सिंधु घाटी सभ्यता में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था थी।
➠अधिरोष उत्पादन होता था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में गेहूं, सरसों, चना, मटर, खजूर, तरबूज, जौ, तिल आदि प्रमुख फसले थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को चावल तथा बाजरे का ज्ञान नहीं थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल लोथल से चावल एवं बाजरे के साक्ष्य मिले है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल रंगपुर (गुजरात) से चावल की भूसी मिली है।
➠सिंघु घाटी सभ्यता के स्थल शोर्तुगई (अफगानिस्तान) से नहरों के साक्ष्य मिले है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल धोलावीर से जलाशय के साक्ष्य मिले है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पशुपालन भी करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के प्रिय पशु बैल, भैंस, भेड़, बकरी, खरगोश, सूअर आदि थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग ऊँट, घोड़े तथा हाथी से अपरिचित थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग विदेशी व्यापार भी कहते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में दिलमुन (बहरीन) व माकन (ओमान) मध्यस्थ का कार्य करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में मुद्रा व्यवस्था का प्रचलन नहीं था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में वस्तु विनिमय होता था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग सोने चाँदी का प्रयोग करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग लोहे से अपरिचित थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल बालाकोट से शंख उद्योग के अवशेष मिले है।
सारगोन अभिलेख-
➠सारगोन अभिलेख में सिंधु घाटी सभ्यता को मेलूहा कहा गया है।
➠सारगोन अभिलेख के अनुसार मेलूहा नाविकों का देश है।
➠सारगोन अभिलेख के अनुसार मेलूहा हाजा (मोर) पक्षी के लिए प्रसिद्ध है।
➠सारगोन अभिलेख में कपास को सिंडन कहा गया है।
➠कपास की खेती विश्व में सबसे पहले भारत में प्रारम्भ हुई थी।
सिंधु घाटी सभ्यता की धार्मिक स्थित-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग बहुदेववाद को मानते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में पुरुष और महिलाएं देवताओं की पूजा करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पशु तथा पक्षियों की भी पूजा करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग लिंग पूजा व योन पूजा में विश्वास करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग जल एवं प्रकृति की पूजा करते थे।
➠सिंंधु घाटी सभ्यता के लोग शास्वत आत्मा में विश्वास करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कर्म फल सिद्धान्त एवं पुनर्जन्म (आत्म) में विश्वास करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोग अंधविश्वास को मानते थे एवं पशु बली दिया करते थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल कालीबंगा से हवनकुंड मिले है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को ध्यान एवं योग का ज्ञान था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहनजोदड़ो से एक मुहर मिली है जिस पर आद्य शिवा का चित्र मिला है।
➠सर जाॅन मार्शल ने मोनजोदड़ो से मिली मुहर पर चित्रित आद्य शिवा को पशुपतिनाथ कहा है।
सिधु घाटी सभ्यता में लिपि-
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को लिपि का ज्ञान था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की लिपि भाव चित्रात्मक लिपि थी।
➠भाव चित्रात्मक लिपि को दायें से बायें एवं बायें से दायें लिखा जाता था।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की लिपि को गोमूत्राक्षर लिपि या हलासर लिपि कहा गया है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता की भाव चित्रात्मक लिपि में 375 से 400 भाव, चित्रा तथा शब्द थे।
➠सिंधु घाटी सभ्यता की भाव चित्रात्मक लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं गया है।
सिंधु घाटी सभ्यता से मिली मूर्तियां एवं मुहरें-
➠सिंधु घाटी सभ्यता से तीन तरह की मूर्तियां मिली है जैसे-
1. धातु की मूर्तियां
2. पत्थर की मूर्तियां या सेलखड़ी की मूर्तियां
3. मिट्टी की मूर्तियां या टेराकोटा मूर्तियां
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल मोहनजोदड़ो से धातु की नर्तकी की मूर्ति मिली है।
➠मोहनजोदड़ो से धातु की वृषभ की मूर्ति मिली है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल दैमाबाद से धातु के चार रथ मिले है।
➠मोहनजोदड़ो से पत्थर की पुरोहित राजा की मूर्ति मिली है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता से टेराकोटा की मातृदेवियों की मूर्तियां मिती है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता से मिली ज्यादातर मुहरें सेलखड़ी की बनी हुई है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता की ज्यादातर मुहरें चौकोर हुआ करती थी।
➠मुहरें वस्तुओं की गुणवत्ता एवं स्वामित्व की द्योतक पहचान होती थी।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में सर्वाधित मुहरें मोहनजोदड़ो से मिली है।
➠सिंधु घाटी सभ्यता में सर्वाधिक लेखयुक्त मुहरें हड़प्पा से मिली है। जैसे-
1. मुहर पर एकसिंगा के चित्र
2. मुहर पर कूबड़ वाले सांड के चित्र
सिंधु घाटी सभ्यता के पत्तन के कारण-
➠गार्डन चाइल्ड, मार्टिमर व्हीलर तथा पिग्गट के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के पत्तन का कारण आर्यों का आक्रमण था।
➠एस.आर.राव, सर जाॅन मार्शल तथा मैके के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के पत्तन का कारण बाढ़ था।
➠सर जाॅन मार्शल के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के पत्तन का कारण प्रशासनिक शिथिलता था।
➠यु. आर. कैनेडी के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के पत्तन का कारण प्राकृतिक आपदा थी।
➠अमलानंद घोष के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के पत्तन का कारण जलवायु परिवर्तन था।
➠माधोस्वरूप वत्स के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का पत्तन नदियों के रुख बदले से हुआ था।
निष्कर्ष-
➠सिंधु घाटी सभ्यता इतनी विशाल सभ्यता थी की इसके पत्तन के लिए बहुत सारे कारण जिमेदार या उत्तरदायी रहे होंगे।
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