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लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cell- RBC)

लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cell- RBC)

 या 

लाल रक्त कणिका (Red Blood Corpuscles- RBC)


लाल रक्त कोशिका का निर्माण (Formation of Red Blood Cell)/ RBC-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त (Blood) का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में होता है।

➠मनुष्य के शरीर में हड्डी या अस्थि (Bone) में पाये जाने वाली लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में ही लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cell- RBC) का निर्माण होता है।

➠लाल अस्थि मज्जा में लाल रक्त कोशिका (RBC) का निर्माण होने के बाद लाल रक्त कोशिका (RBC) थोड़ी देर के लिए पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में इकट्ठी हो जाती है।

➠लाल रक्त कोशिका (RBC) थोड़ी देर तक पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में इकट्ठी होने के बाद अस्थि या हड्डी (Bone) में पाये जाने वाले छोटे छोटे छिद्रों से गुजरने वाली रक्त नलिकाओं में आ जाती है।


अस्थि या हड्डी (Bone)-

➠मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी (Bone) में छोटे छोटे छिद्र होते है।

➠अस्थि में पाये जाने वाले छिद्रों से रक्त नलिका निकलती है।

➠रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में होने के बाद रक्त थोड़ी देर के लिए पीत अस्थि मज्जा में इकट्ठा होता है तथा पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में थोड़ी देर इकट्ठा होने के बाद रक्त अस्थि या हड्डी के छिद्रों से निकलने वाली रक्त नलिकाओं में प्रवेश करता है।


अस्थि मज्जा (Bone Marrow)-

➠मनुष्य के शरीर में की अस्थि या हड्डी (Bone) में पाये जाने वाले द्रव (Fluid) को अस्थि मज्जा (Bone Marrow) कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी (Bone) में दो प्रकार का अस्थि मज्जा (Bone Marrow) पाया जाता है। जैसे-

1. लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow)

2. पीत अस्थि मज्जा  (Yellow Bone Marrow)


1. लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow)-

➠लाल अस्थि मज्जा मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी के सिरो पर पाया जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में अस्थि या हड्डी के सिरो पर पाये जाने वाला अस्थि मज्जा लाल रंग को होने के कारण उसे लाल अस्थि मज्जा कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में उपस्थित लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow) में ही लाल रक्त कोशिका (RBC) का निर्माण होता है।

➠मनुष्य के शरीर में रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में होता है।


2. पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Marrow)-

➠पीत अस्थि मज्जा मनुष्य के शरीर में उपस्थित अस्थि या हड्डी में ऊपर से नीचे तक भरा होता है।

➠मनुष्य के शरीर में अस्थि या हड्डी में ऊपर से नीचे तक भरे अस्थि मज्जा का रंग पीला होता है। इसीलिए उसे पीत अस्थि मज्जा कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Marrow) में लाल रक्त कोशिका (RBC) का निर्माण होने के बाद थोड़ी देर के लिए लाल रक्त कोशिका (RBC) पीत अस्थि मज्जा में इकट्ठी हो जाती है।

➠मनुष्य के शरीर में रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (Red Bone Merrow) में होता है लेकिन लाल अस्थि मज्जा से रक्त निकलकर थोड़ी देर के लिए पीत अस्थि मज्जा (Yellow Bone Merrow) में इकट्ठा हो जाता है।


लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cell- RBC)-

➠मनुष्य के शरीर में पायी जाने वाली लाल रक्त कोशिका को लाल रक्त कणिका (Red Blood Corpuscles- RBC) भी कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में पायी जाने वाली लाल रक्त कोशिका (RBC) में केंद्रक (Nucleus) अनुपस्थित (Absent) होता है।

➠लाल रक्त कोशिका में हीमोग्लोबिन (Haemoglobin- Hb) भरा होता है।

➠हीमोग्लोबिन एक प्रकार को प्रोटीन होता है।

➠रक्त में हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए लौहा (Iron) आवश्यक होता है।

➠रक्त में लौहे (Iron) की कमी से एनीमिया हो जाता है।

➠आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के इलाज के लिए आयरन (आयरन की दवाई) दिया जाता है।

➠दूध में आयरन नहीं पाया जाता है।

➠महिला  के रक्त में सामान्यतः RBC की संख्या 45 लाख (4.5 मिलियन) से लेकर 55 लाख (5.5 मिलियन) तक होती है अर्थात् महिला में सामान्यतः 100ml रक्त में RBC की न्यूनतम संख्या 45 लाख (4.5 मिलियन) तथा RBC की अधिकतम संख्या 55 लाख (5.5 मिलियन) तक होती है।

➠यदि किसी महिला में RBC की संख्या 45 लाख से कम तथा 55 लाख से अधिक होती है तो वह स्थिति सामान्य नहीं मानी जाती है।

➠पुरुष के रक्त में सामान्यतः RBC की संख्या 55 लाख (5.5 मिलियन) से लेकर 65 लाख (6.5 मिलियन) तक होती है अर्थात् पुरुष में सामान्यतः 100ml रक्त में RBC की न्यूनतम संख्या 55 लाख (5.5 मिलियन) तथा RBC की अधिकतम संख्या 65 लाख (मिलियन) तक होती है।

➠यदि किसी पुरुष में RBC की संख्या 55 लाख से कम तथा 65 लाख से अधिक होती है तो वह स्थिति सामान्य नहीं मानी जाती है।


मनुष्य के रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण-

➠मनुष्य के रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण हिम (Haem) तथा ग्लोबिन (Globin) से मिलकर होता है।

➠मनुष्य के शरीर में हिम (Haem) का निर्माण मनुष्य का शरीर नहीं करता है।

➠मनुष्य के शरीर में हिम का निर्माण आयरन खाने से होता है अर्थात् मनुष्य के शरीर में हिम का निर्माण मनुष्य के द्वारा खाये जाने वाले खाने में उपस्थित आयरन की मात्रा से होता है।

➠मनुष्य के शरीर में ग्लोबिन (Globin) का निर्माण मनुष्य का शरीर ही करता है। अर्थात् शरीर स्वयमं ग्लोबिन का निर्माण करता है।


एनीमिया रोग  (Anemia Disease)-

➠मनुष्य के रक्त में आयरन (Fe) की कीम हो जाने के कारण मनुष्य के शरीर में हिम का निर्माण नहीं हो पाता है।

➠मनुष्य के शरीर में हिम का निर्माण नहीं होने के कारण हीमोग्लोबिन (Hb) का निर्माण नहीं हो पाता है

➠मनुष्य के रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी से रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है।

➠रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने के कारण मनुष्य के शरीर में रक्त की कमी हो जाती है।

➠मनुष्य के शरीर में रक्त की कमी हो जाने के कारण एनीमिया (Anemia) रोग हो जाता है।

➠एनीमिया के इलाज के लिए आयरण की गोलिया टेबलेट दी जाती है या फिर आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है। जैसे- काजू (Cashew), गुड़ (Jaggery) आदि।

➠आयरन का सबसे बड़ा स्त्रोत (Richest Source) काजू है।


मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (Megaloblastic Anemia)-

➠मनुष्य के शरीर में लाल रक्त कोशिया (RBC) का परिपक्वन (Maturation) विटामिन B9 व B12 के कारण होता है।

➠मनुष्य के शरीर में RBC के परिपक्वन के दौरान न्यूक्लियस (Nucleus), माइटोकाॅन्ड्रिया (Mitochondria) बाहर निकल जाता है। तथा साथ ही साइटोप्लाज्मा भी अधिक मात्रा में बाहर निकल जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में विटामिन B9 व B12 की कमी से मेगालोब्लास्टिक एनीमिया हो जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में विटामिन B9 व B12 की कमी होने पर रक्त में उपस्थित अपरिपक्व RBC का परिपक्वन नहीं हो पाता है। जिसके कारण अपरिपक्व RBC जल्दी जल्दी मरने लगती है। तथा अपरिपक्व RBC के जल्दी जल्दी मरने से रक्त में RBC की कमी हो जाती है। रक्त में RBC की कमी होने पर मनुष्य के शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। और शरीर में रक्त की कमी होने से मेगालोब्लास्टिक एनीमिया हो जाता है।


अपरिपक्व RBC (Immature RBC)-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त में पायी जाने वाली अपरिपक्वव लाल रक्त कोशिका (RBC) को ही मेगाब्लास्ट (Megablast) कहते है।

➠मनुष्य के रक्त में मेगाब्लास्ट का जीवन काल 10 दिन का होता है अर्थात् अपरिपक्व RBC (Immature RBC) का जीवन काल 10 दिन का होता है।

➠रक्त में पायी जाने वाली अपरिपक्व RBC विटामिन B9 व B12 के कारण परिपक्व RBC में परिवर्तित हो जाती है।

➠रक्त में पायी जाने वाली अपरिपक्व RBC का विटामिन B9 व B12 के कारण परिपक्व RBC में परिवर्तित होना ही RBC का परिपक्वन कहलाता है।

➠रक्त में अपरिपक्व RBC परिपक्व RBC से आकार में बड़ी होती है। अर्थात् अपरिपक्व RBC आकार में बड़ी होती है।


परिपक्व RBC (Mature RBC)-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त में पायी जाने वाली परिपक्व RBC को ही एरिथ्रोसाइट (Erythrocyte) कहते है।

➠मनुष्य के रक्त में एरिथ्रोसाइट का जीवन काल 120 दिन का होता है अर्थात् परिपक्व RBC (Mature RBC) का जीवन काल 120 दिन का होता है।

➠रक्त में परिपक्व RBC अपरिपक्व RBC से आकार में छोटी होती है। अर्थात् परिपक्व RBC आकार में छोटी होती है।


RBC का कब्रिस्तान-

➠मनुष्य के शरीर में रक्त में RBC  का जीवन काल लगभग 120 दिन होता है।

➠RBC के 120 दिन के जीवन काल के पूरा होने पर प्लीहा में RBC को नष्ट कर दिया जाता है। इसीलिए प्लीहा को RBC का कब्रिस्तान कहा जाता है।


प्लीहा (Spleen) या तिल्ली-

➠प्लीहा में RBC के नष्ट होने के बाद प्लीहा (Spleen) में बिलीरुबिन वर्णक का निर्माण होता है।

➠प्लीहा में निर्मित बिलीरुबिन वर्णक (Bilirubin Pigment) पीले रंग का होता है।

➠प्लीहा को तिल्ली भी कहा जाता है।

➠मनुष्य के शरीर में प्लीहा पेट में स्थित रहता है।

➠मनुष्य के शरीर में प्लीहा का कार्य पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) को नष्ट करन है।

➠प्लीहा में निर्मित बिलीरुबिन वर्णक रक्त नलिका के माध्यम से किडनी में जाकर मूत्र में उपस्थित यूरिया से जुड़ा जाता है। और यूरोक्रोम वर्णक बना लेता है। इसी यूरोक्रोम वर्णक के कारण मनुष्य में मूत्र का रंग हल्का पीला होता है।

➠यूरोक्रोम वर्णक (Urochrome Pigment) पीले रंग (Yellow Colour) का होता है।


RBC का कार्य या हीमोग्लोबिन का कार्य-

➠RBC मनुष्य के शरीर में ऑक्सीजन (Oxygen- O2) का परिवहन (Transport) करती है अर्थात् RBC में उपस्थित हीमोग्लोबिन ही मनुष्य के शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करता है।

➠RBC मनुष्य के शरीर में कार्बन डाईआक्साइड (Carbon Dioxide- CO2) का परिवहन करती है अर्थात् RBC में उपस्थित हीमोग्लोबिन ही मनुष्य के शरीर में कार्बन डाईआक्साइड का परिवहन करता है।

➠जब ऑक्सीजन (O2) हीमोग्लोबिन से जुड़ती है तो ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनती है। ऑक्सी हीमोग्लोबिन लाल रंग का होता है। तथा ऑक्सी हीमोग्लोबिन के लाल रंग के कारण ही मनुष्य में रक्त का रंग लाल होता है।


ब्लू बेबी सिंड्रोम (Blue Baby Syndrome)-

➠मनुष्य के शरीर में नाइट्रेट (Nitrate) की अधिकता के कारण रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन मेटहीमोग्लोबिन में परिवर्तित हो जाता है हीमोग्लोबिन का मेटहीमोग्लोबिन में परिवर्तन होने के कारण शरीर में ऑक्सीजन (O2) का परिवहन रुक जाता है शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन रुक जाने के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है इस अवस्था को ब्लू बेबी सिंड्रोम कहते है।

➠मनुष्य के शरीर में हीमोग्लोबिन में आयरन (Iron), फेरस अवस्था में पाया जाता है

➠मनुष्य के शरीर में मेटहीमोग्लोबिन (Methaemoglobin) में आयरन (Iron), फेरिक अवस्था में पाया जाता है।


कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन (Carboxyhemoglobin)-

➠जब मनुष्य के शरीर में रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन कार्बन मोनो ऑक्साइड (Carbon Monoxide- Co) से जुड़ता है तो कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनता है।

➠कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन एक स्थायी यौगिक (Permanent Compound) होता है।

➠जब मनुष्य के शरीर में रक्त में स्थायी यौगिक कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन के बनने के कारण शरीर में ऑक्सीजन (O2) का परिवहन रुक जाता है ऑक्सीजन का परिवहन रुक जाने के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

➠सर्दियों के दिनों में व्यक्ति को बंद कमरे में लकड़ी को जलाकर नहीं सोना चाहिए क्योंकि लकड़ी को जलाने पर कार्बन मोनो ऑक्साइड (Co) गैस निकलती है कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस शरीर में जाने पर रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन से जुड़कर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन का निर्माण करती है। शरीर में कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन के निर्माण के कारण शरीर में ऑक्सीजन (O2) का परिवहन रुक जाता है और शरीर में ऑक्सीजन का परिहन रुक जाने के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

➠कार्बन मोनो ऑक्साइड (Co) की हीमोग्लोबिन से जुड़ने (Bind) होने की क्षमता ऑक्सीजन (O2) की तुलना में 200 से 300 गुणा अधिक है। अर्थात् कार्बन मोनो ऑक्साइड और ऑक्सीजन में हीमोग्लोबिन से जुड़ने की क्षमता कार्बन मोनो ऑक्साइड की अत्यधिक है तथा ऑक्सीजन की बहुत कम है।

➠कार्बन मोनो ऑक्साइड एक जहरीली गैस है।


अन्य तथ्य-

➠मनुष्य में श्वसन क्रिया के दौरान शरीर में ऑक्सीजन अंदर खींची जाती है तथा कार्बन डाईआक्साइड बाहर छोड़ी जाती है।

➠मनुष्य के शरीर में ऑक्सीजन एवं ग्लूकोज (Glucose) मिलकर ऊर्जा (Energy) तथा कार्बन डाईआक्साइड का निर्माण करते है। कार्बन डाईआक्साइड मनुष्य के शरीर से बाहर निकल जाती है और ऊर्जा मनुष्य के शरीर के द्वारा कार्य करने पर काम में आती है।

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