राज्य के नीति निर्देशक तत्व या राज्य की नीति के निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy- DPSC)-
- राज्य की नीति के निदेशक तत्व भारतीय संविधान के भाग- IV में शामिल है। अर्थात् भारतीय संविधान के भाग- IV में राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है।
- राज्य की नीति के निर्देशक तत्व भारतीय संविधान के भाग-IV तथा अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक दिए गये है। अर्थात् भारतीय संविधान के भाग-4 तथा अनुच्छेद 36 से 51 तक में राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है।
- यहाँ पर निर्देशक तथा निदेशक शब्द का अर्थ एक ही है, भारतीय संविधान में निदेशक शब्द को ही काम में लिया गया है।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व भारतीय संविधान की आत्मा एवं दर्शन है।
- भारत के संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्व आयरलैंड के संविधान से लिए गये है।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व देश के शासन में आधारभूत निर्देश है।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व विधायी, कार्यकारी एवं प्रशासनिक मामलों में राज्य हेतु संवैधानिक निदेश (निर्देश) या सिफारिशें है।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का उद्देश्य लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
- राज्य के नीति निदेशक तत्व गैर न्यायोचित प्रकृति के है अर्थात् राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लंघन होने पर राज्य के नीति निदेशक तत्वों को न्यायालय के द्वारा लागू नहीं करवाया जा सकता है।
राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित अनुच्छेद (Articles Related to Directive Principles of State Policy)-
- 1. अनुच्छेद 36 (Article 36)
- 2. अनुच्छेद 37 (Article 37)
- 3. अनुच्छेद 38 (Article 38)
- 4. अनुच्छेद 39 (Article 39)
- 5. अनुच्छेद 39 (a) (Article 39-a)
- 6. अनुच्छेद 39 (b) (Article 39-b)
- 7. अनुच्छेद 39 (c) (Article 39-c)
- 8. अनुच्छेद 39 (d) (Article 39-d)
- 9. अनुच्छेद 39 (e) (Article 39-e)
- 10. अनुच्छेद 39 (f) (Article 39-f)
- 11. अनुच्छेद 39 (A) (Article 39-A)
- 12. अनुच्छेद 40 (Article 40)
- 13. अनुच्छेद 41 (Article 41)
- 14. अनुच्छेद 42 (Article 42)
- 15. अनुच्छेद 43 (Article 43)
- 16. अनुच्छेद 43 (A) (Article 43-A)
- 17. अनुच्छेद 43 (B) (Article 43-B)
- 18. अनुच्छेद 44 (Article 44)
- 19. अनुच्छेद 45 (Article 45)
- 20. अनुच्छेद 46 (Article 46)
- 21. अनुच्छेद 47 (Article 47)
- 22. अनुच्छेद 48 (Article 48)
- 23. अनुच्छेद 48 (A) (Article 48-A)
- 24. अनुच्छेद 49 (Article 49)
- 25. अनुच्छेद 50 (Article 50)
- 26. अनुच्छेद 51 (Article 51)
1. अनुच्छेद 36 (Article 36)-
- अनुच्छेद 36 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 36 में राज्य की परिभाषा (Definition of State) का उल्लेख किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 36 के अनुसार राज्य में निम्नलिखित शामिल है।-
- संघ की विधायिका एवं संघ की कार्यपालिका।
- राज्यों की विधायिका एवं राज्यों की कार्यपालिका।
- अन्य प्राधिकारी जैसे- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, राज्य विधि से पोषित संस्थान।
2. अनुच्छेद 37 (Article 37)-
- अनुच्छेद 37 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 37 के अनुसार राज्य के नीति निदेशक तत्व न्यायालय के द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है।
3. अनुच्छेद 38 (Article 38)-
- अनुच्छेद 38 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 38 के अनुसार राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करेगा जिसमें सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय हो और आय, प्रतिष्ठा, सुविधाओं तथा अवसरों में किसी भी प्रकार की असमानता नहीं होगी।
4. अनुच्छेद 39 (Article 39)-
- अनुच्छेद 39 का उल्लेख भारतीय संविाधान के भाग-4 में किया गया है।
5. अनुच्छेद 39 (a) (Article 39-a)-
- अनुच्छेद 39 (a) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (a) के अनुसार पुरुषों व महिलाओं को रोजगार में समान अवसर दिया जायेगा।
6. अनुच्छेद 39 (b) (Article 39-b)-
- अनुच्छेद 39 (b) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (b) के अनुसार राज्य भौतिक संसाधनों का स्वामित्व व नियंत्रण इस प्रकार करेगा की सभी के हितों की पूर्ति हो सके।
7. अनुच्छेद 39 (c) (Article 39-c)-
- अनुच्छेद 39 (c) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (c) के अनुसार राज्य अर्थव्यवस्था का प्रबंधन इस प्रकार करेगा की धन व उत्पाद के साधनों का अहितकारी संकेन्द्रण न हो।
8. अनुच्छेद 39 (d) (Article 39-d)-
- अनुच्छेद 39 (d) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (d) के अनुसार पुरुषों व महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन मिलेगा।
9. अनुच्छेद 39 (e) (Article 39-e)-
- अनुच्छेद 39 (e) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (e) के अनुसार कर्मकारों, महिलाओं एवं बच्चों को बाध्य होकर वह कार्य ना करना पड़े जो उनकी उम्र व सामर्थ्य के अनुरूप ना हो।
10. अनुच्छेद 39 (f) (Article 39-f)-
- अनुच्छेद 39 (f) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (f) में बच्चों के स्वस्थ वातावरण उपलब्ध करवने का उल्लेख किया गया है।
11. अनुच्छेद 39 (A) (Article 39-A)-
- अनुच्छेद 39 (A) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद (A) में समान न्याय व निशुल्क विधिक सहायता का उल्लेख किया गया है।
- अनुच्छेद 39 (A) भारतीय संविधान में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा जोड़ा गया है।
12. अनुच्छेद 40 (Article 40)-
- अनुच्छेद 40 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 के अनुसार राज्य पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना करेगा और पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाएगा।
13. अनुच्छेद 41 (Article 41)-
- अनुच्छेद 41 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 41 के अनुसार राज्य के द्वारा कुछ दशाओं में काम, शिक्षा एवं लोक सहायता उपलब्ध करवाना।
14. अनुच्छेद 42 (Article 42)-
- अनुच्छेद 42 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 42 के अनुसार राज्य के द्वारा कार्यस्थल पर न्यायसंगत व मानवोचित दशाएँ जैसे- गर्भवती महिलाओं को अवकास या प्रसूति सहायता देना।
15. अनुच्छेद 43 (Article 43)-
- अनुच्छेद 43 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 43 के अनुसार निर्वाह योग्य मजदूरी और कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
16. अनुच्छेद 43 (A) (Article 43-A)-
- अनुच्छेद 43 (A) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 43 (A) के अनुसार कर्मकारों को प्रबंधन में हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।
17. अनुच्छेद 43 (B) (Article 43-B)-
- अनुच्छेद 43 (B) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 43 (B) के अनुसार सहकारिता को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- अनुच्छेद 43 (B) के अनुसार मजदूरों को सहकारी समितियों की स्थापना की अनुमति दी जानी चाहिए।
- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 43 (B) 97वें संविधान संशोधन के द्वारा जोड़ा गया था।
97वां संविधान संशोधन 2011 (97th Constitutional Amendment 2011)-
- भारतीय संविधान में 97वां संविधान संशोधन सन् 2011 में किया गया था।
- 97वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (C) में सहकारिता शब्द जोड़ा गया था।
- 97वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में भाग-9 (B) जोड़ा गया था।
- 97वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 43 (B) जोड़ा गया था।
18. अनुच्छेद 44 (Article 44)-
- अनुच्छेद 44 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) लागू की जाए।
- सिविल मामले जैसे- विवाह, तलाक, वसीयत, सम्पत्ति विवाद (सभी के लिए समान कानून नहीं)
- सिविल मामलों में व्यक्ति बनाम व्यक्ति होता है।
- विवाह, तलाक, वसीयत, सम्पत्ति विवाद आदि मामले समवर्ती सूची में शामिल है इन मामलों पर राज्य तथा केन्द्र दोनों सरकार कानून बना सकते हैं।
- आपराधिक मामले जैसे- हत्या, डकैती, चोरी, झगड़ा (सभी के समान कानून)
- आपराधिक मामलों में व्यक्ति बनाम राज्य होता है।
19. अनुच्छेद 45 (Article 45)-
- अनुच्छेद 45 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 में 0-6 वर्ष तक के बच्चों के लिए पोषण तथा आरम्भिक शिक्षा की व्यवस्था का उल्लेख किया गया है।
- 86वें संविधान संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 45 में संशोधन किया गया था।
86वां संविधान संशोधन 2002 (86th Constitutional Amendment)-
- भारतीय संविधान में 86वां संविधान संशोधन सन् 2002 में किया गया था।
- 86वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21 (A) जोड़ा गया था।
- 86वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 तथा अनुच्छेद 51 (A) में संशोधन किया गया था।
20. अनुच्छेद 46 (Article 46)-
- अनुच्छेद 46 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के लिए आर्थिक सहायता व शिक्षा का उल्लेख किया गया है।
21. अनुच्छेद 47 (Article 47)-
- अनुच्छेद 47 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार राज्य पोषाहार, जीवर स्तर, लोक स्वास्थ्य में सुधार करेगा। अर्थात् राज्य खतरनाक औषधियों व मादक पेय पर प्रतिबन्ध लगाएगा।
22. अनुच्छेद 48 (Article 48)-
- अनुच्छेद 48 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 के अनुसार कृषि व पशुपालन में आधुनिक व वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। अर्थात् पशुओं की नस्ल सुधार व संरक्षण के प्रयास हो तथा बूचड़खानों को बंद किया जाए (गोवध निषेध)
23. अनुच्छेद 48 (A) (Article 48-A)-
- अनुच्छेद 48 (A) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 (A) में पर्यावरण संरक्षण तथा संवर्धन, वन तथा वन्य जीवों की रक्षा का उल्लेख किया गया है।
- अनुच्छेद 48 (A) भारतीय संविधान में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा जोड़ा गया था।
- भारतीय संविधान में 42वां संविधान संशोधन सन् 1976 में किया गया था।
24. अनुच्छेद 49 (Article 49)-
- अनुच्छेद 49 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 49 के अनुसार राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, स्थानों तथा वस्तुओं का संरक्षण किया जाना चाहिए।
25. अनुच्छेद 50 (Article 50)-
- अनुच्छेद 50 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 50 में कार्यपालिका से न्यायपालिका के पृथक्करण का उल्लेख किया गया है।
26. अनुच्छेद 51 (Article 51)-
- अनुच्छेद 51 का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 में विश्व शांति व सुरक्षा की स्थापना करने का उल्लेख किया गया है।
- विभिन्न देशों के मध्य सौहार्दपूर्ण व न्यायपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना।
- अन्तर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों व कानूनों का सम्मान करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थता से सुलझाना।
राज्य की नीति निदेशक तत्व में संविधान संशोधन-
- राज्य की नीति के निदेशक तत्व में अब तक कुल 4 संविधान संशोधन हो चुके है। जैसे-
- 1. 42वां संविधान संशोधन 1976
- 2. 44वां संविधान संशोधन 1978
- 3. 86वां संविधान संशोधन 2002
- 4. 97वां संविधान संशोधन 2011
1. 42वां संविधान संशोधन 1976-
- भारतीय संविधान में 42वां संविधान संशोधन सन् 1976 में किया गया था।
- 42वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में निम्नलिखित अनुच्छेद राज्य की नीति के निदेशक तत्व में जोड़े गये थे।
- अनुच्छेद 39 (A)
- अनुच्छेद 39 (F)
- अनुच्छेद 43 (A)
- अनुच्छेद 48 (A)
2. 44वां संविधान संशोधन 1978-
- भारतीय संविधान में 44वां संविधान संशोधन सन् 1978 में किया गया था।
- 44वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा भारतीय संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्व में अनुच्छेद 38 (2) जोड़ा गया था।
3. 86वां संविधान संशोधन 2002-
- भारतीय संविधान में 86वां संविधान संशोधन सन् 2002 में किया गया था।
- 86वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्व में अनुच्छेद 45 में संशोधन किया गया था।
4. 97वां संविधान संशोधन 2011-
- भारतीय संविधान में 97वां संविधान संशोधन सन् 2011 में किया गया था।
- 97वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्व में अनुच्छेद 43 (B) जोड़ा गया था।
राज्य की नीति के निदेशक तत्वों का वर्गीकरण (Classification of Directive Principles of State Policy)-
- भारत के संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्वों का पृथक से कोई वर्गीकरण नहीं किया गया है।
- निम्नलिखित 3 आधारों पर राज्य की नीति के निदेशक तत्वों को वर्गीकरण किया जा सकता है।-
- 1. समाजवादी सिद्धांत (Socialist Principles)
- 2. गाँधीवादी सिद्धांत (Gandhian Principles)
- 3. उदारवादी बौद्धिक सिद्धांत (Liberal Intellectual Principles)
1. समाजवादी सिद्धांत (Socialist Principles)-
- राज्य की नीति के निदेशक तत्वों के वर्गीकरण के समाजवादी सिद्धांत में निम्नलिखित अनुच्छेद शामिल है।-
- अनुच्छेद 38
- अनुच्छेद 39
- अनुच्छेद 39 (A)
- अनुच्छेद 41
- अनुच्छेद 42
- अनुच्छेद 43
- अनुच्छेद 43 (A)
- अनुच्छेद 47
2. गाँधीवादी सिद्धांत (Gandhian Principles)-
- राज्य की नीति के निदेशक तत्वों के वर्गीकरण के गाँधीवादी सिद्धांत में निम्नलिखित अनुच्छेद शामिल है।-
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 43
- अनुच्छेद 43 (B)
- अनुच्छेद 46
- अनुच्छेद 47
- अनुच्छेद 48
3. उदारवादी बौद्धिक सिद्धांत (Liberal Intellectual Principles)-
- राज्य की नीति के निदेशक तत्वों के वर्गीकरण के उदारवादी बौद्धिक सिद्धांत में निम्नलिखित अनुच्छेद शामिल है।-
- अनुच्छेद 44
- अनुच्छेद 45
- अनुच्छेद 48
- अनुच्छेद 48 (A)
- अनुच्छेद 49
- अनुच्छेद 50
- अनुच्छेद 51
मूल अधिकार बनाम राज्य की नीति के निदेशक तत्व (Fundamental Rights Vs Directive Principles of State Policy)-
- चंपकम दोरायराजन बनाम मद्रास राज्य वाद 1951
चम्पकम दोराय राजन बनाम मद्रास राज्य वाद 1951-
- चंपकम दोराय राजन बनाम मद्रास राज्य केस में सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना की यदि मूल अधिकारों व राज्य की नीति के निदेशक तत्वों के बीच किसी प्रकार का विरोधाभास होता है तो ऐसी स्थिति में मूल अधिकारों को सर्वोपरि माना जाना चाहिए।
- राज्य की नीति के निदेशक तत्वों की पूर्ति के लिए मूल अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है।
गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य वाद 1967-
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य केस में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि संसद किसी भी मूल अधिकार में संशोधन या मूल अधिकार को समाप्त नहीं कर सकती है। अर्थात् राज्य की नीति के निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए मूल अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता है।
24वां संविधान संशोधन 1971-
- 24वें संविधान संशोधन में संसद को संविधान अधिनियम के तहत मूल अधिकारों में संशोधन करने या मूल अधिकारों को समाप्त करने की शक्ति दी गई।
मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ 1980-
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ केस में अनुच्छेद 31 (C) के विस्तार को चुनौती दी गई।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 31 (C) के विस्तार को अवैधानिक करार देकर अनुच्छेद 31 (C) को पूर्ववर्ती रूप में स्वीकार किया।
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ केस के दौरान न्यायायलय ने माना की मूल अधिकार व राज्य की नीति के निदेशक तत्व एक दूसरे के विरोधाभासी नहीं है मूल अधिकार व राज्य की नीति के निदेशक तत्व दोनों का उद्देश्य समान है। अर्थात् दोनों का उद्देश्य जनकल्याण है।
- मूल अधिकार व राज्य की नीति के निदेशक तत्व एक दूसरे के पूरक है।
- मूल अधिकार व राज्य की नीति के निदेशक तत्व दोनों एक ही गाड़ी के दो पहियों के समान है जिससे हमारा समाज आगे बढ़ेगा।
- मूल अधिकार व राज्य की नीति के निदेशक तत्व दोनों के मध्य संतुलन संविधान का बुनियादी ढाँचा है।
- इसके बावजूद यदि मूल अधिकार व राज्य की नीति के निदेशक तत्वों के मध्य कोई विरोधाभास होता है तो राज्य की नीति के निदेशक तत्वों की तुलना में मूल अधिकारों को सर्वोपरि माना जाना चाहिए।
राज्य की नीति के निदेशक तत्वों की वर्तमान स्थिति-
- वर्तमान में राज्य की नीति के निदेशक तत्वों की तुलना में मूल अधिकार श्रेष्ठ है। लेकिन अनुच्छेद 39 (B) व अनुच्छेद 39 (C) के नीति निदेशक तत्व अनुच्छेद 14 व अनुच्छेद 19 के मूल अधिकारों की तुलना में श्रेष्ठ है।
मूल अधिकार तथा राज्य की नीति के निदेशक तत्वों में अन्तर-
- 1. मूल अधिकार
- 2. राज्य की नीति के निदेशक तत्व
1. मूल अधिकार-
- मूल अधिकार संविधान लागू होने के साथ ही लागू हो गए थे।
- मूल अधिकारों को लागू करने के लिए विधि निर्माण की आवश्यकता नहीं होती है।
- मूल अधिकार न्यायालय के द्वारा प्रवर्तनीय है।
- मूल अधिकार राजनैतिक लोकतंत्र की स्थापना करते हैं।
- मूल अधिकार व्यक्तिगत प्रकृति के है।
- मूल अधिकार की प्रकृति नकारात्मक होती है।
2. राज्य की नीति के निदेशक तत्व-
- राज्य की नीति के निदेशक तत्व संविधान लागू होने के साथ लागू नहीं हुए थे।
- राज्य की नीति के निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए विधि निर्माण की आवश्यकता होती है।
- राज्य की नीति के निदेशक तत्व न्यायालय के द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है।
- राज्य की नीति के निदेशक तत्व सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करते हैं।
- राज्य की नीति के निदेशक तत्व सामाजिक या सामुदायिक प्रकृति के है।
- राज्य की नीति के निदेशक तत्वों की प्रकृति सकारात्मक है।