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संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner)

संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner)-

  • भारत में संभागीय आयुक्त प्रणाली लॉर्ड विलियम बेंटिक (Lord William Bentinck) की देन है। अर्थात भारत संभागीय आयुक्त प्रणाली को लाने का श्रेय लॉर्ड विलियम बेंटिक को दिया जाता है।
  • उद्देश्य (Object)- संभागीय आयुक्त को नियुक्त करने का उद्देश्य सत्ता का प्रत्यायोजन (Delegation of Power) है। अर्थात् राज्य सरकार अपना कार्यभार (Workload) कम करने के लिए संभागीय आयुक्त को नियुक्त करती है।


संभागीय आयुक्त व्यवस्था का विकास (Development of Divisional Commissioner System)-

  • भारत में ब्रिटिश शासन के समय सन् 1829 में लॉर्ड विलिमय बेंटिक (Lord William Bentinck) ने पहली बार संभागीय आयुक्त के पद को स्थापित किया था।
  • स्वतंत्रता के पश्चात राजस्थान में 1949 में 5 जिला मुख्यालयों को संभागीय मुख्यालय बनाया गया था। जैसे-
    • (I) जयपुर संभाग (Jaipur Division)
    • (II) जोधपुर संभाग (Jodhpur Division)
    • (III) कोटा संभाग (Kota Division)
    • (IV) बीकानेर संभाग (Bikaner Division)
    • (V) उदयपुर संभाग (Udaipur Division)
  • राजस्थान में 1949 में उपर्युक्त 5 संभागीय मुख्यालयों पर संभागीय आयुक्त को नियुक्ति किया गया था।
  • राजस्थान में सन् 1962 में विधायकों (MLA) की सिफारिश पर राजस्थान के तात्कालिक मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया (Mohan Lal Sukhadia) ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया था।
  • राजस्थान में सन् 1987 में राजस्थान के तात्कालिक मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी (Hari Dev Joshi) ने संभागीय व्यवस्था को पुनः शुरू किया था।
  • सन् 1987 में ही राजस्थान में अजमेर जिला मुख्यालय को राजस्थान का छठा संभाग बनाया गया था।
  • 4 जुन 2005 में राजस्थान में भरतपुर जिला मुख्यालय को राजस्थान का सातवां संभाग बनाया गया था।
  • भरतपुर संभाग राजस्थान का नवीनतम संभाग है।
  • राजस्थान में भरतपुर संभाग राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje Scindia) के कार्यकाल में बनाया गया था।


राजस्थान के संभाग (Divisions of Rajasthan)-

  • राजस्थान में अब तक कुल 7 संभाग है। जैसे-
  • 1. जयपुर संभाग (Jaipur Division)
  • 2. जोधपुर संभाग (Jodhpur Division)
  • 3. कोटा संभाग (Kota Division)
  • 4. बीकानेर संभाग (Bikaner Division)
  • 5. उदयपुर संभाग (Udaipur Division)
  • 6. अजमेर संभाग (Ajmer Division)
  • 7. भरतपुर संभाग (Bharatpur Division)- नवीनतम संभाग



          पदस्थापन (Posting)-

          • राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग (Department of Personnel- DOP) के द्वारा संभागीय आयुक्त को पदस्थापन किया जाता है। 

          • सामान्यतः वरिष्ठ IAS अधिकारी को संभागीय आयुक्त पद पर नियुक्त (Posting) किया जाता है।


          कार्यकाल (Tenure)-

          • राजस्थान में संभागीय आयुक्त का कार्यकाल अनिश्चित या निश्चित नहीं है।


          संभागीय आयुक्त के कार्य एवं भूमिका (Function and Role of Divisional Commissioner)-

          • 1. नियंत्रणकर्ता एवं पर्यवेक्षण कर्ता के रूप में (नियंत्रण व पर्यवेक्षण के रूप में)-
            • (I) जिला प्रशासन की बैठक बुलाना एवं जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को विभिन्न निर्देश प्रदान करना।
            • (II) जिले के सरकारी कार्यालयों का निरीक्षण करना।
          • 2. समन्वय के रूप में (as coordinate)-
            • समन्वय के रूप में संभागीय आयुक्त निम्नलिखित के मध्य समन्वय सुनिश्चित करता है।-
            • (I) जिला प्रशासन (District Administration)
            • (II) जिला प्रशासन के विभाग (Department of District Administration)
            • (III) जिला प्रशासन के कर्मचारी (Employees of District Administration)
          • 3. प्रशासनिक अधिकारी के रूप में (As administrative Officer)
            • (I) जिला कलेक्टर का वार्षिक गोपनिय प्रतिवेदन भरना (Filling Annual Confidential Report of the District Collector)- ACR
            • (II) राजस्व कर्मचारियों का स्थानांतरण (Transfer or revenue staff) जैसे- गिरदावर (Revenue Inspector) एवं पटवारी (Patwari)- स्थानांतरण उसी संभाग में ही किया जाता है।
            • (III) जन शिकायतों की सुनवाई करना (Hearing Public Grievances)
            • (IV) संभाग में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को सुनिश्चित करना (Ensuring food and civil supplies in the division)
          • 4. न्यायिक अधिकारी के रूप में (As Judicial Officer)-
            • निम्नलिखित कानूनों के अंतर्गत सुनवाई का कार्य करता है। जैसे-
            • (I) राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956)
            • (II) राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 (Rajasthan Tenancy Act, 1955)
            • (III) राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 (Rajasthan Panchayati Raj Act, 1994)- PRI 
            • (IV) राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 (Rajasthan Municipal Act, 2009)
            • (V) राजस्थान वन अधिनिमय, 1953 (Rajasthan Forest Act, 1953)
            • (VI) राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950)
            • संभागीय आयुक्त को उपर्युक्त सभी अधिनियम में सुनवाई का अधिकार दिया गया है।


          संभागीय आयुक्त के अन्य कार्य (Other functions of Divisional Commissioner)-

          • संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) = कार्य (Function)
          • अजमेर (Ajmer)- बीसलपुर परियोजना (Bisalpur Project)
          • उदयपुर (Udaipur)- जनजाति क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (Tribal Area Development Programme)
          • जोधपुर (Jodhpur)- मरू विकास कार्यक्रम (Desert Development Programme- DDP)
          • बीकानेर (Bikaner)- इंदिरा गाँधी नहर परियोजना (Indra Gandhi Canal Project- IGNP)
          • कोटा व भरतपुर (Kota and Bharatpur)- चंबल कमांड क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Chambal Command Area Development Progamme- CCADP)

          संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner)कार्य (Function)
          अजमेर (Ajmer)बीसलपुर परियोजना (Bisalpur Project)
          उदयपुर (Udaipur)जनजाति क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (Tribal Area Development Programme)
          जोधपुर (Jodhpur)मरू विकास कार्यक्रम (Desert Development Programme)
          (DDP)
          बीकानेर (Bikaner)इंदिरा गाँधी नहर परियोजना (Indra Gandhi Canal Project)
          (IGNP)
          कोट (Kota)चंबल कमांड क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Chambal Command Area Development Progamme)
          (CCADP)
          भरतपुर (Bharatpur)चंबल कमांड क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Chambal Command Area Development Progamme)
          (CCADP)


          संभागीय आयुक्त व्यवस्था के पक्ष में तर्क (Arguments in favor of divisional commissioner system)-

          • सत्ता के विकेंद्रीकरण व प्रत्यायोजन हेतु
          • राज सरकरा के कार्यभार को कम करने हेतु
          • सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के प्रभावि क्रियान्वयन हेतु
          • प्रभावी समन्वय हेतु- विभागों, कर्मचारियों व जिलों के मध्य
          • युवा व नये कलेक्टर के मित्र व मार्गदर्शक के रूप में
          • पंचायती राज संस्थाओं के सलाहकार के रूप में अर्थात् पंचायती राज संस्थाओं को समय समय पर सलाह प्रदान करता है।


          संभागीय आयुक्त व्यवस्था के विपक्ष में तर्क (Arguments against the divisional commissioner system)-

          • राज्य सरकार पर वित्तीय भार
          • संभागीय आयुक्त का पद कलेक्टर पर कलेक्टर है। अर्थात् संभागीय आयुक्त को कलेक्टर पर कलेक्टर भी कहा जाता है।

          • चूंकी संभागीय आयुक्त व्यापक प्रशासनिक अनुभव रखता है अतः उसे सचिवालय में नियुक्ति किया जाना चाहिए।


          अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)-

          • राजस्थान में पशु गणना का कार्य राजस्व मण्डल के द्वारा किया जाता है।

          • राजस्थान राजस्व मंडल (Board of Revenue Department) का मुख्यालय अजमेर में स्थित है।

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