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मौर्योत्तर काल (Post Mauryan Period)

मौर्योत्तर काल (Post Mauryan Period)-

  • मौर्योत्तर काल का अर्थ मौर्यों के बाद का काल या या मौर्यों के बाद का समय

  • इंडो-ग्रीक राजा मिनांडर (Minandrr) ने माध्यमिका पर आक्रमण किया था।
  • माध्यमिका शिवि जनपद की राजधानी थी।
  • बैराठ से 28 इंडो-ग्रीक सिक्के प्राप्त होते हैं।

  • बैराठ से प्राप्त 28 इंडो-ग्रीक सिक्कों में 16 सिक्के मिनांडर के है।

  • बैराठ राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है।


मौर्योत्तर कालीन प्रमुख केंद्र (Major Sites of Post Mauryan Period)-

  • 1. नोह, भरतपुर (Noh, Bharatpur)

  • 2. रंगमहल, हनुमानगढ़ (Ranmahal, Hanumangarh)


1. नोह, भरतपुर (Noh, Bharatpur)-

  • स्थित (Located)- नोह राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है।
  • उत्खननकर्ता (Excavator)- रत्न चन्द्र अग्रवाल (R.C. Agarwal)
  • उत्खनन में मिले साक्ष्य (Evidence found in excavation)-
  • (I) लोहे की भट्टियां (Iron Furnaces)
  • (II) यक्ष की मूर्ति (Yaksha Statue)
  • (III) वासुदेव (Vasudev) तथा हुविष्क (Huviska) नामक कुषाण राजओं के सिक्के मिले है।
  • विशेषताएं-
  • नोह से मिली यक्ष की मूर्ति को जाख बाबा की मूर्ति भी कहा जाता है।
  • नोह से मिली यक्ष की मूर्ति शुंग काल से संबंधित है।


2. रंगमहल, हनुमानगढ़ (Ranmahal, Hanumangarh)

  • स्थित (Located)- रंगमहल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है।
  • उत्खननकर्ता (Excavator)- डॉ. हन्नारिज (Dr. Hannarrid)
  • उत्खनन में मिले साक्ष्य (Evidence found in excavation)-
  • (I) लाल रंग के मृदभांड जिन पर काले रंग की धारियां है।
  • (II) गुरु शिष्य की मूर्ति
  • विशेषताएं-
  • डॉ. हन्नारिज (Dr. Hannarrid) स्वीडन (Sweden) से है।

  • रंगमहल से मिली गुरु शिष्य की मूर्ति मौर्योत्तर काल में कुषाण काल से संबंधित है।


अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)-

  • दक्षिण भारत का संगम काल मौर्योतर काल है। अर्थात् दक्षिण भारत का मौर्योतर काल ही संगम काल है।
  • मौर्योत्तर काल को ही उत्तर भारत में मौर्योत्तर काल कहा जाता है
  • मौर्योत्तर काल को ही दक्षिण भारत में संगम काल कहा जाता है।

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