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हरित क्रांति (Green Revolution)

हरित क्रांति (Green Revolution/ High Yielding Varity)-

  • कृषि के परंपरागत तरीकों के स्थान पर नई तकनीक जिसमें रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers), कीटनाशकों (Pesticides), उन्नत बीजों (Improved Seeds), आधानिक कृषि उपकरण (Modern Agricultural Equipment), विस्तृत सिंचाई परियोजना (Large Irrigation Projects), सस्ता ऋण (Cheap Credit) आदि के प्रयोग को बढ़ावा देकर सन् 1966 में खरीफ की फसल के साथ ही एक नए युग की शुरुआत हई जिसे हरित क्रांति नाम दिया गया था।
  • विश्व में हरित क्रांति का जनक प्रोफेसर ई. नॉर्मन बोरलॉग (Professor E. Norman Borlaug) को कहा जाता है।
  • भारत में हरित क्रांति का जनक प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन (Professor M.S. Swaminathan) को कहा जाता है।


गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय (G.B. Pant Agriculture University- GBPUAT)-

  • GBPUAT Full Form = Govind Ballabh Pant University of Agriculture and Technology
  • GBPUAT का पूरा नाम = गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय
  • हरित क्रांति शब्द का प्रयोग विश्व में पहली बार 1968 ई. में अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. विलियम गैड (Dr. William Gad) ने किया था।
  • गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय (G.B. Pant University) भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है जहाँ हरित क्रांति की शुरुआत हुई थी।
  • गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय (G.B. Pant Agriculture University) की स्थापना 17 नवम्बर 1960 में उत्तर प्रदेश राज्य में की गई थी।
  • गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा किया गया था।
  • उत्तर प्रदेश राज्य के विभाजन के बाद वर्तमान में गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय उत्तराखंड राज्य में स्थित है।


हरित क्रांति के प्रमुख तत्व (Key Elements of Green Revolution)-

  • 1. अधिक उपज देने वाली फसलों का कार्यक्रम (Program of High Yielding Crops)
  • 2. बहु फसल कार्यक्रम (Multiple Crop Program)
  • 3. लघु सिंचाई पर बल (Emphasis on Minor Irrigation)
  • 4. रासायनिक खाद का प्रयोग (Use of Chemical Fertilizers)
  • 5. उन्नत बीजों का प्रयोग (Use of Advanced Seeds) जैसे- शंकर बीज (Hybrid Seed), GMO 
  • 6. कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा (Promotion of Agricultural Mechanization)
  • 7. कृषि शिक्षा तथा शोध को बढ़ावा (Promotion of Agricultural Education and Research)
  • 8. भू-संरक्षण कार्यक्रम (Land Conservation Program)
  • 9. कृषि विकास हेतु विभिन्न संस्थाओं की स्थापना जैसे- राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation), उर्वरक निगम (Fertilizer), नाबार्ड (NABARD), ICAR
  • 10. कृषि मूल्य आयोग की स्थापना (Establishment of Agricultural Price Commission)- 1965 में स्थापना
  • 11. फसलों के बीमा का प्रावधान (Provision for Insurance of Crops)


1. अधिक उपज देने वाली फसलों का कार्यक्रम (Program of High Yielding Crops)-

  • अधिक उपज देने वाली फसलों के कार्यक्रम की शुरुआत सन् 1970-71 में की गई थी।
  • इस कायक्रम में 6 फसलों को चूना गया था जैसे- गेहूँ (Wheat), धान (Paddy), मक्का (Maize), ज्वार (Jowar), बाजरा (Bajra), रागी (Ragi)
  • यह कार्यक्रम पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), बिहार (Bihar), केरल (Kerala), तमिलनाडु (Tamil Nadu) तथा पश्चिम बंगाल (West Bengal) में काफी सफल रहा।


2. बहु फसल कार्यक्रम (Multiple Crop Program)-

  • बहु फसल कार्यक्रम में थोड़े समय में पक कर तैयार होने वाली किस्मों को प्राथमिकता दी गई ताकि 1 वर्ष में एक ही भूमि पर एक से अधिक बार एक साथ कई फसलें बोई जा सके और उत्पादन बढ़ाया जा सके।


3. लघु सिंचाई पर बल (Emphasis on Minor Irrigation)-

  • इस कार्यक्रम में नलकूप (Tube Well), छोटी नहरे (Small Canal), तालाब (Pond), कुएं (Well) तथा वाटर हार्वेस्टिंग (Water Harvesting) द्वारा सिंचाई पर बल दिया गया।


4. रासायनिक खाद का प्रयोग (Use of Chemical Fertilizers)-

  • रासायनिक खाद का प्रयोग जैसे- यूरिया (Urea), पोटाश (Potash), डी.ए.पी. (DAP- Diammonium Phosphate)


हरित क्रांति का महत्व (Importance of Green Revolution)-

  • हरित क्रांति के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है।-
  • 1. फसलों के कुल उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि से देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बना।
  • 2. खेतिहर मजदूरों के लिए रोजगार।
  • 3. किसानों की आय बढ़ी जिससे ग्रामीण निर्धनता में कमी।
  • 4. कृषि के यंत्रीकरण को बढ़ावा मिला।
  • 5. उन्नत किस्मों का उत्पादन बड़ा।
  • 6. व्यवसायिक खेती की प्रवृति को बढ़ावा मिला।
  • 7. कृषि के आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिला जिससे किसानों की दशा में सुधार हुआ।
  • 8. कृषकों को उचित मूल्य (Fair Price), भंडारण (Storage), साख सुविधाओं (Credit Facilities) का लाभ मिलने से उनकी दशा में सुधार हुआ।
  • 9. मानसून पर निर्भरता कम हुई।
  • 10. कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ा।
  • 11. कृषि का वैज्ञानिकीकरण हुआ।


हरित क्रांति की सीमाएं (Limitation of Green Revolution)-

  • हरित क्रांति कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्रांति मानी जाती है लेकिन हरित क्रांति की कुछ कमियां भी सामने आई है जो निम्नलिखित है।
  • 1. चुनिंदा फसलों तक सीमित (Limited to Selected Crops)
  • 2. सीमित क्षेत्रों पर ही प्रभाव (Impact on Limited Areas)

  • 3. बड़े किसानों को लाभ (Benefit to Big Farmers)
  • 4. उर्वरकों के प्रयोग का दुष्परिणाम (Side Effects of Use of Fertilizers)
  • 5. भूजल स्तर में कमी (Reduction in Ground Water Level)
  • 6. यंत्रीकरण के परिणाम स्वरुप बेरोजगारी बढ़ी है। (Unemployment is large as a result of mechanization)


1. चुनिंदा फसलों तक सीमित (Limited to Selected Crops)-

  • हरित क्रांति केवल गेहूं (Wheat), चावल (Rice), ज्वार (Jowar), बाजरा (Bajra), तथा मक्का (Maize) तक ही सीमित रही अन्य फसलों को पर्याप्त लाभ नहीं मिला जिसके कारण दलहन (Pulses) और तिलहन (Oilseed) क्षेत्र में निवेश घटने से उत्पादन कम हुआ।


2. सीमित क्षेत्रों पर ही प्रभाव (Impact on Limited Areas)-

  • हरित क्रांति का प्रभाव सीमित क्षेत्रों पर ही रहा जिसके कारण क्षेत्रीय असमानता बढ़ी है।


3. बड़े किसानों को लाभ (Benefit to Big Farmers)-

  • हरित क्रांति से बड़े किसानों को लाभ हुआ है जिसके कारण किसानों की आय में असमानता बढ़ी है।


4. उर्वरकों के प्रयोग का दुष्परिणाम (Side Effects of Use of Fertilizers)-

  • रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग ने भूमि को अनुपजाऊ बना दिया।
  • रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से भूजल (Groundwater), पर्यावरण (Environment) तथा जीवों को भी हानि पहुंची है तथा स्वास्थ्य पर भी नाकारात्मक असर पड़ा है।


5. भूजल स्तर में कमी (Reduction in Ground Water Level)-

  • हरित क्रांति से भुजल स्तर में कमी आई है।


6. यंत्रीकरण के परिणाम स्वरुप बेरोजगारी बढ़ी है। (Unemployment is large as a result of mechanization)-

  • यंत्रीकरण के परिणा स्वरुप हरित क्रांति से बेरोजगारी भी बढ़ी है।


हरित क्रांति का परिणाम (Result of Green Revolution)-

  • उपर्युक्त आलोचनाओं के बावजूद भी हरित क्रांति ने कृषि क्षेत्र के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है तथा तात्कालिक खाद्यान्न संकट को दूर कर भारत को ना केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया बल्कि भारत में कृषिगत वस्तुओं का निर्यात भी किया जाने लगा है।

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