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पेरिस समझौता (Paris Agreement)

UNFCCC की COP-21/MOP- 11 (2015) या पेरिस समझौता (Peris Agreement)

  • स्थान- पेरिस, फ्रांस (Paris, France)
  • वर्ष- 2015
  • UNFCCC की COP-21/MOP-11 को पेरिस समझौता भी कहा जाता है।
  • UNFCCC के इस सम्मेलन में जो समझौता हुआ उसे पेरिस समझौता (Paris Agreement) या Paris Accord या पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता (Paris Climate Change Accord) कहा जाता है।
  • इस सम्मेलन में 196 देशों के प्रतिनिधियों तथा यूरोपियन यूनियन ने भाग लिया था।
  • सम्मेलन के मुख्य उद्देश्य (Objectives of this conference)-
  • (I) वैश्विक तापमान में वृद्धि को 2℃ तक रोकना।
  • (II) जलवायु परिवर्तन के खतरे एवं दुष्प्रभाव को कम करना।
  • (III) जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से निपटने के लिए क्षमता विकसित करना।
  • (IV) कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • 22 अप्रैल 2016 से 21 अप्रैल 2017 तक 55 देशों द्वारा जो की विश्व के कुल उत्सर्जन का 55%  कार्बन उत्सर्जन करते है के हस्ताक्षर तथा अनुमोदन के पश्चात पेरिस समझौता प्रभावी होगा।
  • प्रतिवर्ष 22 अप्रैल के दिन पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
  • नवम्बर 2017 में यह कार्य पूर्ण हुआ तथा तब से पेरिस समझौते को प्रभावी माना जाता है।


UNFCCC की COP-21/MOP-11 में निम्न प्रावधान थे (COP-21/MOP-11 of UNFCCC had the following provisions)-

  • (I) अभीष्ट राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC)
  • (II) वैश्विक स्टॉकटेक (Global Stocktake)
  • (III) दूरगामी लक्ष्य (Long Term Goal)
  • (IV) तकनीकी और वित्तीय सहायता (Technology and Financial Support)


(I) अभीष्ट राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC)-

  • INDC Full Form = Intended Nationally Determined Contribution
  • INDC का पूरा नाम = अभीष्ट राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान
  • सभी सदस्य देश अपने ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों का निर्धारण वैश्विक लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए करेंगे।
  • यह INDC के लक्ष्य सभी सदस्य देशों के लिए कानूनन बाध्यकारी होंगे।


(II) वैश्विक स्टॉक्टेक (Global Stocktake)-

  • यह INDC के लक्ष्यों की समीक्षा का प्रावधान है तथा यह प्रक्रिया 2023 से प्रारम्भ हुई है।
  • इस प्रक्रिया के तहत INDC में तय किये गये लक्ष्यों को UNFCCC सचिवालय में रिपोर्ट करना होगा।
  • सभी देशों द्वारा तय किये गये लक्ष्यों तथा उनकी प्राप्ती हेतु किये गये प्रयासों की समीक्षा की जाएगी।
  • प्रत्येक 5 वर्ष में यह समीक्षा पुनः होगी तथा इस दौरान आगामी लक्ष्य पूर्ववर्ती लक्ष्यों की तुलना में अधिक रखे जाएंगे।


(III) दूरगामी लक्ष्य (Long Term Goal)-

  • 21वीं शताब्दी के अन्त तक पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तर से 2℃ तक सीमित किया जाएगा।
  • ऐसे देश जिनका समुद्रों से भू-स्तर ज्यादा उच्चा नहीं है उन्होंने इस तापमान वृद्धि को 1.5℃ तक सीमित करने की मांग की परन्तु सऊदी अरब जैसे देशों ने इसे मुश्किल बताया।
  • क्योंकि औसत तापमान वृद्धि को 1.5℃ तक सीमित करने के लिए नेट शून्य उत्सर्जन (Net Zero Emission) की स्थिति लानी होगी।
  • अतः लक्ष्य 2℃ तक सीमित करना होगा परन्तु प्रयास 1.5℃ तक के लिए किये जाएंगे।


(IV) तकनीकी और वित्तीय सहायता (Technology and Financial Support)-

  • 2010 में बनाये गये ग्रीन क्लाइमेट फण्ड (Green Climate Fund- GCF) के तहत विकसित देश विकासशील देशों को प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।
  • 2025 तक यह सहायता जारी रहेगी इसके पश्चात नये लक्ष्य स्थापित किये जायेंगे।
  • विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को पूर्व चेतावनी प्रणाली, आपातकालीन मदद तथा जोखिम के बीमा जैसे प्रावधान उपलब्ध करवाये जायेंगे।


भारत का अभीष्ट राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC of India)-

  • भारत नें अप्रैल 2016 में पेरिस समझौते पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किये थे।

  • भारत ने INDC के तहत 2005 के स्तर से 2030 तक GDP उत्सर्जन तीव्रता में 33% से 35% तक कटौती की घोषणा की है।
  • भारत अपनी ऊर्जा निर्भरता के लिए कोयले के उपयोग को घटाकर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों पर जोर दे रहा है। इसी के तहत 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 40% भाग नवीकरणीय संसाधनों से प्राप्त करेगा इसीलिए भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय सौर समूह (International Solar Alliance) बनाने की घोषण की थी।
  • 2030 तक भारत अपने वनावरण क्षेत्र में वृद्धि करके 2.5 से 3 अरब टन कार्बनडाईऑक्साइड (CO2) के संग्रहण का लक्ष्य प्राप्त करेगा।

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