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क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol)

क्योटो प्रोटोकॉल 1997 (Kyoto Protocol 1997) या UNFCCC की COP-3 (1997)

  • UNFCCC की COP 3 का आयोजन क्योटो (जापान) में किया गया था इसलिए इसे क्योटो प्रोटोकॉल कहा गया है।
  • UNFCCC Full Form = United Nation Framework Convention on Climate Change
  • UNFCCC का पूरा नाम = जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का फ्रेमवर्क अभिसमय
  • COP Full Form = Conference of Parties
  • COP का पूरा नाम = पार्टियों का सम्मेलन
  • इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए जो दस्तावेज जारी किया गया था उसे क्योटो प्रोटोकॉल के नाम से जाना जाता है।
  • क्योटो प्रोटोकॉल औद्योगिक रूप से विकसित देशों को ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने हेतु प्रतिबद्ध करना है।
  • क्योटो प्रोटोकॉल फरवरी 2005 से प्रभावी हुआ था।
  • क्योटो प्रोटोकॉल की द्वितीय प्रतिबद्धता अवधि 2013-2020 के बीच होगी।
  • जापान, न्यूजीलैंड, रूस आदि देश द्वितीय प्रतिबद्धता अवधि से पीछे हट गये थे।
  • कनाडा वर्ष 2012 में पूरी तरह क्योटो प्रोटोकॉल से बाहर हो गया था।
  • अमेरिका ने क्योटो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर तो किए लेकिन क्योटो प्रोटोकॉल का अनुमोदन नहीं किया था।


    क्योटो प्रोटोकॉल के महत्वपूर्ण प्रावधान (Important Provision of Kyoto Protocol)-

    • 1. अनुचूची- A
    • 2. अनुसूची- B
    • 3. अनुसूची-I (Annex-I)
    • 4. अनुसूची-II (Annex-II)
    • 5. गैर अनुसूची-I (Non Annex-I)
    • 6. क्योटो प्रोटोकॉल 37 औद्योगिक रूप से विकसित देशों तथा यूरोपियन यूनियन क्षेत्र को उनके ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को 1990 के स्तर से औसत 5% कम करने का लक्ष्य निर्धारित करता है। तथा इसके लिए प्रथम प्रतिबद्धता अवधि 2008 से 2012 के बीच होगी।
    • 7. क्योटो प्रोटोकॉल में यह प्रावधान किया गया था की जब विश्व के कुल उत्सर्जन का 55% उत्सर्जन करने वाले देश इस पर हस्ताक्षर एवं अनुमोदन करेंगे तब से यह प्रभावी होगा। (फरवरी 2005 को प्रभावी हुआ)
    • 8. विकासशील देशों पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए अनुकूलन फण्ड की स्थापना का प्रावधान किया गया था। (अनुकूलन फण्ड की स्थापना 2001 में की गई है। जिसमें CDM के तहत फण्ड आता है।)


    1. अनुसूची- A

    • अनुसूची-A में उन 6 गैसों को रखा गया है जिनके उत्सर्जन को कम करने का प्रयास करना है।
    • यह 6 गैसे निम्नलिखित है।
    • (I) कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)
    • (II) मिथेन (CH4)
    • (III) नाईट्रस ऑक्साइड (N2O)
    • (IV) पर-फ्लोरो-कार्बन (Per Floro Carbon- PFC)
    • (V) हाइड्रो-फ्लोरो-कार्बन (Hydro Floro Carbon- HFC)
    • (VI) सल्फर हेक्साफ्लोराइड (Sulfur Hexafluoride- SF6)


    2. अनुसूची- B

    • अनुसूची-B, अनुसूची-I (Annex-I) में शामिल देशों के लिए निर्धारित किया गया उत्सर्जन कोटा शामिल किया गया है।


    3. अनुसूची-I (Annex-I)-

    • अनुसूची-I (Annex-I) में औद्योगिक रूप से विकसित देश जो OECD (EIT + विकसित देश) के सदस्य है तथा ऐसे देश जिनकी अर्थव्यवस्था संक्रमण से गुजर रही थी। जैसें- बाल्टिक देश (Baltic States), सोवियत संघ से अलग हुए देश तथा कुछ मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देश सम्मिलित है।
    • इन देशों को अपनी ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करना बाध्यकारी होगा।
    • OECD Full Form = Organization for Economic Cooperation and Development
    • OECD का पूरा नाम = आर्थिक सहयोग और विकास संगठन


    4. अनुसूची-II (Annex-II)-

    • अनुसूची-II (Annex-II) में OECD के उन सदस्य देशों को शामिल किया गया है जिनकी अर्थव्यवस्था विकसित हो चुकी है।
    • इन देशों को अपने ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन के साथ-साथ विकासशील देशों एवं EIT देशों को भी शमन तथा अनुकूलन हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करनी है।
    • EIT Full Form = Economies in Transition
    • EIT का पूरा नाम = संक्रमण में अर्थव्यवस्थाएं


    5. गैस अनुसूची-I (Non Annex-I)-

    • गैर अनुसूची-I (Non Annex-I) में विकासशील देशों को शामिल किया गया है। जैसे- भारत, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका आदि।


    क्योटो प्रोटोकॉल को लचीला बनाने के लिए किए गये प्रावधान (Provision made to make Kyoto Protocol Flexible)-

    • 1. अन्तर्राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार (IET)
    • 2. संयुक्त कार्यान्वयन तंत्र (JIM)
    • 3. स्वच्छ विकास तंत्र (CDM)


    1 अन्तर्राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार (IET)-

    • IET Full Form = International Emission Trading
    • IET का पूरा नाम = अन्तर्राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार
    • क्योटो प्रोटोकॉल के तहत सभी औद्योगिक रूप से विकसित देशों के लिए उत्सर्जन सीमा का निर्धारण किया गया था।
    • देशों की इस उत्सर्जन सीमा को AAU के रूप में व्यक्त किया गया था।
    • AAU Full Form = Assigned Amount Unit
    • 1 AAU = 1 टन CO2
    • AAU के प्रकार से देशों की कार्बन क्रेडिट (Carbon Credit) है जिसका व्यापार किया जा सकता है।
    • वह देश जिसका कार्बन उत्सर्जन उसकी तय सीमा से अधिक है तो वह उन देशों से कार्बन क्रेडिट खरीद सकता है जिनका उत्सर्जन उनकी सीमा से कम है।


    2. संयुक्त कार्यान्वयन तंत्र (JIM)-

    • JIM Full Form = Joint Implementation Mechanism
    • JIM का पूरा नाम = संयुक्त कार्यान्वयन तंत्र
    • JIM एक परियोजना आधारित व्यवस्था है।
    • JIM के अंतर्गत कोई Annex-I देश किसी दूसरे Annex-I देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने वाली परियोजना या कार्बन अवशोषण बढ़ाने वाली परियोजना में निवेश कर सकता है।
    • इन परियोजनाओं के माध्यम से बचत किये गये कार्बन क्रेडिट को इन देशों के मध्य उनके योगदान के अनुसार वितरित कर दिया जाता है।


    3. स्वच्छ विकास तंत्र (CDM)-

    • CDM Full Form = Clean Development Mechanism
    • CDM = स्वच्छ विकास तंत्र
    • CDM भी एक परियोजना आधारित व्यवस्था है।
    • CDM के अंतर्गत कोई Annex-I देश किसी Non Annex-I देश में कार्बन उत्सर्जन कम करने वाली या कार्बन अवशोषण बढ़ाने वाली परियोजना में निवेश कर सकता है।
    • इन परियोजनाओं के माध्यम से बचक किये गये कार्बन क्रेडिट को इन देशों के मध्य उनके योगदान के अनुसार वितरित कर दिया जाता है।
    • CDM प्राप्तकर्ता देश-
    • (I) चीन (China)- 60%
    • (II) भारत (India)- 14%
    • (III) ब्राजील (Brazil)- 7%

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