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राजस्थान के क्षेत्रीय लोक नृत्य (Regional Folk Dances of Rajasthan)

राजस्थान के क्षेत्रीय लोक नृत्य (Regional Folk Dance of Rajasthan)-

    • 1. घूमर नृत्य (Ghoomar Dance)
    • 2. तेरहताली नृत्य (Terahtali Dance)
    • 3. अग्नि नृत्य (Fire Dance)
    • 4. कच्छी घोड़ी नृत्य (Kachchhi Ghodi Dance)
    • 5. ढोल नृत्य (Dhol Dance)
    • 6. घुड़ला नृत्य (Ghudla Dance)
    • 7. गींदड नृत्य (Gindar Dance)
    • 8. बम नृत्य (Bomb Dance)
    • 9. भवाई नृत्य (Bhawai Dance)
    • 10. चरी नृत्य (Chari Dance)
    • 11. चंग नृत्य (Chang Dance)
    • 12. डांग नृत्य (Dang Dance)
    • 13. बिन्दौरी नृत्य (Bindauri Dance)


                          1. घूमर नृत्य (Ghoomar Dance)-

                          • 'घूमर' राजस्थान का राज्य नृत्य है।
                          • घूमर को राजस्थान में "नृत्यों का सिरमौर" कहा जाता है।
                          • धूमर को "राजस्थान की आत्मा" कहा जाता है।
                          • महिलाओं के द्वारा तीज, गणगौर इत्यादि त्योहारों तथा शुभ अवसरों पर घूमर नृत्य किया जाता है।
                          • गोल घेरे में महिलाएं अपनी ही धुरी पर घुमती हुई नृत्य (घूमर नृत्य) करती है।
                          • घूमर नृत्य में हाथों का लचकदार संचालन होता है।
                          • घूमर नृत्य में 8 चरण होते हैं जिन्हें सवाई कहा जाता है।
                          • घूमर नृत्य एक रजवाडी लोक नृत्य है।
                          • वाद्य यंत्र- घूमर नृत्य करते समय निम्नलिखित वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
                          • (I) ढ़ोल
                          • (II) नगाड़ा
                          • (III) शहनाई


                          2. तेरहताली नृत्य (Terahtali Dance)-

                          • राजस्थान में रामदेव जी के मेले के दौरान कामड़िया पंथ की महिलाओं के द्वारा तेरहताली नृत्य किया जाता है।
                          • तेरहताली नृत्य में महिलाएं 13 मंजीरे बांध कर नृत्य करती है। जैसे-
                          • (I) 9 मंजीरे दायें पैर में बांधे जाते हैं।
                          • (II) 2 मंजीरे कोहनी पर बांधे जाते हैं।
                          • (III) 2 मंजीरे हाथों पर बांधे जाते हैं।
                          • तेरहताली नृत्य में महिलाएं बैठ कर नृत्य करती है।
                          • महिलाएं तेरहताली नृत्य के दौरान करतब दिखाती है।
                          • मुख्य केंद्र- पादरला गाँव (पाली जिला, राजस्थान)
                          • मुख्य कलाकार- मांगीबाई (माँड गाय शैली की मुख्य कलाकार मांगी बाई अलग है। अर्थात् दोनों मांगीबाई अलग-अलग है।)
                          • तेरहताली नृत्य में पुरुषों के द्वारा वाद्य यंत्र बजाये जाते हैं।
                          • वाद्य यंत्र- तानपुरा, चौतारा
                          • तेरहताली नृत्य एक व्यावसायिक लोक नृत्य है।


                          3. अग्नि नृत्य (Fire Dance)-

                          • जसनाथी सम्प्रदाय के पुरुषों के द्वारा अग्नि नृत्य किया जाता है।
                          • अग्नि नृत्य पर अंगारों पर नृत्य किया जाता है।
                          • अंगारों को मतीरा कहा जाता है।
                          • अग्नि नृत्य के दौरान कृषि क्रियाएं की जाती है।
                          • अग्नि नृत्य के दौरान फतै-फतै बोलते रहते हैं।
                          • बीकानेर महाराजा गंगा सिंह ने अग्नि नृत्य के कलाकारों को प्रोत्साहन दिया था।
                          • मुख्य केंद्र- कतरियासर, बीकानेर जिला, राजस्थान
                          • अब अग्नि नृत्य एक व्यावसायिक लोक नृत्य है।


                          4. कच्छी घोड़ी नृत्य (Kachchhi Ghodi Dance)-

                          • राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में पुरुषों के द्वारा कच्छीघोड़ी नृत्य किया जाता है।
                          • कच्छी घोड़ी नृत्य में पुरुष लकड़ी की बनी घोड़ी बांधकर नाचते हैं।
                          • कच्छी घोड़ी नृत्य में 8 पुरुष 2 पंक्तियां बनाकर नृत्य करते हैं।
                          • कच्छी घोड़ी नृत्य के दौरान फूल के खिलने तथा मुरझाने का आभास होता है।
                          • अब कच्छी घोड़ी नृत्य एक व्यावसायिक लोक नृत्य है।


                          5. ढोल नृत्य (Dhol Dance)-

                          • जालौर क्षेत्र में ढोली, माली, सरगड़ा तथा भील समुदाय के पुरुषों द्वारा ढोल नृत्य किया जाता है।
                          • ढोल नृत्य थाकना शैली में प्रस्तुत किया जाता है।
                          • राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास ने ढोल नृत्य के कलाकारों को प्रोत्साहन दिया था।


                          6. घुड़ला नृत्य (Ghudla Dance)-

                          • शीतला अष्टमी से लेकर गणगौर तक महिलाओं द्वारा जोधपुर में घुड़ला नृत्य किया जाता है।
                          • घुड़ला नृत्य जोधपुर के राजा सातल की याद में किया जाता है।
                          • घुड़ला नृत्य में महिलाएं सर पर छिद्रित मटका रखकर नाचती है।
                          • छिद्रित मटके में एक दीपक रखा जाता है
                          • छिद्रित मटका घुड़ले खाँ का प्रतीक होता है।
                          • कोमल कोठारी, देवीलाल सामर व मणिशंकर गांगुली ने घुड़ला नृत्य के कलाकारों को प्रोत्साहन दिया था।


                          7. गींदड नृत्य (Gindar Dance)-

                          • राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में होली के समय पुरुषों द्वारा गींदड नृत्य किया जाता है।
                          • गींदड नृत्य में गोल घेरे में पुरुष हाथों में लकड़ी के डंडे लेकर नृत्य करते हैं।
                          • गींदड नृत्य में जो पुरुष महिलाओं के कपड़े पहन कर नाचता है उसे गणगौर या मेहरी कहा जाता है।
                          • वाद्य यंत्र- गींदड नृत्य में निम्नलिखित वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
                          • (I) नगाडा
                          • (II) चंग


                          8. बम नृत्य (Bomb Dance)-

                          • राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र में पुरुषों द्वारा होली के समय बम नृत्य किया जाता है।
                          • वाद्य यंत्र- नगाड़ा (बम नृत्य में नगाड़ा वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है।)
                          • नगाड़े को बम कहा जाता है।
                          • बम नृत्य के दौरान रसिया नाम गीत गाये जाते हैं।
                          • बम नृत्य को बम रसिया नृत्य भी कहा जाता है।


                          9. भवाई नृत्य (Bhawai Dance)-

                          • गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में उदयपुर संभाग में भवाई समुदाय द्वारा भवाई नृत्य किया जाता है।
                          • भवाई नृत्य के दौरान करतब दिखाये जाते हैं। जैसे- तलवारों पर नाचना, सिर पर 7,8 मटके रखकर नाचना
                          • प्रवर्तक- बाघजी (भवाई नृत्य की शुरुआत बाघजी के द्वारा की गई थी।)
                          • मुख्य कलाकार- निम्नलिखित कलाकार भवाई नृत्य के मुख्य कलाकार है।
                          • (I) रुप सिंह
                          • (II) तारा शर्मा
                          • (III) अस्मिता काला


                          10. चरी नृत्य (Chari Dance)-

                          • राजस्थान के किशनगढ़ क्षेत्र में गुर्जर महिलाओं के द्वारा चरी नृत्य किया जाता है।
                          • चरी नृत्य में महिलाएं सर पर चरी रखकर नाचती है।
                          • चरी में कपास के जलते हुए बीज रखे जाते हैं।
                          • मुख्य कलाकार- फलकूबाई (चरी नृत्य की मुख्य कलाकार फलकूबाई है।)


                          11. चंग नृत्य (Chang Dance)-

                          • राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में होली के अवसर पर चंग नृत्य किया जाता है।


                          12. डांग नृत्य (Dang Dance)-

                          • राजस्थान के नाथद्वारा में होली के अवसर पर डांग नृत्य किया जाता है।


                          13. बिन्दौरी नृत्य (Bindauri Dance)-

                          • राजस्थान के झालावाड़ में होली के अवसर पर बिन्दौरी नृत्य किया जाता है।


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