विद्युत उपकरण (Electrical Equipment)-
- 1. विद्युत फ्यूज (Electric Fuse)
- 2. विद्युत बल्ब (Electric Blub)
- 3. ट्यूबलाईट (Tube Light)
- 4. सीएफएल (CFL)
- 5. एलईडी (LED)
- 6. ट्रांसफार्मर (Transformer)
- 7. जनित्र (Generator)
1. विद्युत फ्यूज (Electric Fuse)-
- सार्ट सर्किट के कारण विद्युत परिपथ में होने वाले नुकसान को रोकने के विद्युत परिपथ में फ्यूज का प्रयोग किया जाता है।
- विद्युत परिपथ में विद्युत फ्यूज को श्रेणीक्रम (Series) में जोड़ा जाता है।
- आदर्श विद्युत फ्यूज का गलनांक न्यूनतम (Minimum Melting Point) होता है।
- आदर्श विद्युत फ्यूज का प्रतिरोध उच्चतम (Maximum Resistance) होता है।
- विद्युत फ्यूज तार सीसा (Pb) व टिन (Sn) की मिश्रधातु का बना होता है।
- फ्यूज तार (Fuse Wire) = सीसा (Lead) + टिन (Tin)
2. विद्युत बल्ब (Electric Blub)-
- विद्युत बल्ब की खोज "थॉमस आल्वा एडिसन" (Thomas Alva Edison) ने की थी।
- विद्युत बल्ब में टंगस्ट तन्तु (Tungsten Wire) का प्रयोग किया जाता है।
- टंगस्ट तन्तु का गलनांक (Melting Point) 3500℃ तक होता है।
- विद्युत बल्ब के अन्दर का तापमान 1500℃-2500℃ तक होता है।
- शुरुआत में विद्युत बल्ल में कोई गैस नहीं भरी गई थी अर्थात् निर्वात (Vacuum) था।
- विद्युत बल्ब में आर्गन गैस (Argon Gas) भरी होती है क्योंकि आर्गन गैस अक्रिय गैस (Inactive Gas) होती है।
- विद्युत बल्ब में केवल 10% विद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा (Light Energy) में परिवर्तित होती है तथा शेष 90% विद्युत ऊर्जा ऊर्जा ऊष्मा (Heat) के रूप में खर्च होती है।
- विद्युत बल्ब के अंदर ऊष्मा का स्थानांतरण संवहन या संवहनीय धाराओं (Convectional Currents) के द्वारा होता है।
- विदयुत बल्ल के बाहर ऊष्मा का स्थानांतरण विकिरण (Radiation) के द्वारा होता है।
3. ट्यूबलाईट (Tube Light)-
- ट्यूबलाईट में काँच की ट्यूब के भीतरी सतह पर प्रतिदीप्ति पदार्थ (Fluorescent Material) का लेप किया हुआ होता है।
- ट्यूब के दोनों सिरों पर टंगस्टन के तन्तु (Tungsten Wire) उपस्थित होते हैं जिस पर बेरियम ऑक्साइड (Barium Oxide) का लेप किया हुआ होता है।
- जब इस टंगस्टन के तन्तुओं में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो ट्यूब के अंदर इलेक्टॉन उत्सर्जित होते हैं और ये ट्यूब में विद्युत धारा प्रवाहित या उत्पन्न करते हैं।
- इस विद्युत धारा के कारण ट्यूब में भरी पारे की पाष्प पराबैंगनी किरणों (U.V. Rays) का उत्सर्जन करती है।
- यह पराबैंगनी किरणें प्रतिदीप्ति पदार्थ द्वारा अवशोषित (Absorbed) होती है तथा प्रकाश किरणों या प्रकाश ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
- ट्यूबलाईट में स्टार्टर का प्रयोग विद्युत धारा को बढ़ाने के लिए तथा चोक का प्रयोग वोल्टता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- स्टार्टर (Starter)- विद्युत धारा के मान को बढ़ाने के लिए स्टार्टर का प्रयोग किया जाता है।
- चोक (Choke)- वोल्टता को बढ़ाने के लिए चोक का प्रयोग किया जाता है।
प्रतिदीप्ति पदार्थ (Fluorescent Material)-
- वे पदार्थ जो अधिक आवृति की पैराबैंगनी विकिरणों (High Frequency U.V. Radiations) को अवशोषित (Absorbs) करते हैं तथा कम आवृति की दृश्य विकिरणों या प्रकाश विकिरणों (Low Frequency Light Radiations) का उत्सर्जन (Emits) करते हैं उन्हें प्रतिदीप्ति पदार्थ कहते हैं।
4. सीएफएल (CFL)-
- CFL Full Form = Compact Fluorescent Lamp
- CFL का पूरा नाम = कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप
- सीएफएल एक प्रकार की ट्यूबलाईट है जिसे बल्ब का आकार दिया गया है।
- सीएफएल में भी प्रतिदीप्ति पदार्थ (Fluorescent Material) तथा पारे की वाष्प (Mercury Vapour) का प्रयोग किया जाता है।
- सीएफएल में प्रतिदीप्ति पदार्थ तथा पारे की वाष्प की सघनता ट्यूबलाईट की तुलना में अधिक होती है।
- सीएफएल की ऊर्जा दक्षता ट्यूबलाईट की तुलना में अधिक होती है।
5. एलईडी (LED)-
- LED Full Form = Light Emitting Diode
- LED का पूरा नाम = लाइट एमिटिंग डायोड
- एलईडी अर्द्ध-चालक (Semi-Conductor) आधारित प्रकाश स्त्रोत है।
- एलईडी में P-n Junction Diode का प्रयोग किया जाता है जिसे अग्र बायस (Forward bias) में जोड़ा जाता है। (अग्रबायस में P-n Junction Diode के P सिरो बैटरी के धनात्मक सिरे से तथा n सिरो बैटरी के ऋणात्मक सिरे से जोड़ा जाता है।)
- एलईडी ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) सीएफएल (CFL) की तुलना में अधिक होती है।
6. ट्रांसफार्मर (Transformer)-
- ट्रांसफार्मर वह उपकरण है जो विद्युत की वोल्टता को बढ़ाने या घटाने के लिए प्रयोग में लिया जाता है।
- ट्रांसफार्मर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electro Magnetic Induction- EMI) के सिद्धांत पर कार्य करता है।
- V1/V2 = N1/N2 = I1/I2
- V1 = Input Voltage
- V2 = Output Voltage
- N1 = प्राथमिक कुण्डली में घेरों की संख्या
- N2 = द्वितीयक कुण्डली में घेरों की संख्या
- I1 = Input Current
- I2 = Output Current
- विद्युत ऊर्जा संयत्रों में कम वोल्टता की विद्युत उत्पन्न होती है जिसे उच्चायी ट्रांसफार्मर की सहायता से वोल्टता को बढ़ाकर स्थानांतरित किया जाता है।
- घरों में आपूर्ति से पहले अपचायी ट्रांसफार्मर की सहायता से उच्च वोल्टता को निम्न वोल्टता में परिवर्तित किया जाता है।
- उच्च वोल्टा के कारण विद्युत ऊर्जा का क्षय कम होता है। (V↑ → I↓ → I^2×Rt ↓)
- ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
- (I) उच्चायी ट्रांसफार्मर (Step-up Transformer)
- (II) अपचायी ट्रांसफार्मर (Step-down Transformer)
(I) उच्चायी ट्रांसफार्मर (Step-up Transformer)-
- उच्चायी ट्रांसफार्मर विद्युत की वोल्टता को बढ़ाते हैं। अर्थात् निम्न वोल्टेज को उच्च वोल्टेज में परिवर्तित करता है।
- उच्चायी ट्रांसफार्मर में प्राथमीक कुण्डली में वोल्टेज कम होते हैं तथा द्वितीयक कुण्डली में वोल्टेज अधिक होते हैं अर्थात् V2>V1
- उच्चायी ट्रांसफार्मर में प्राथमीक कुण्डली में घेरों की संख्या कम होती है तथा द्वितीयक कुण्डली में घेरों की संख्या अधिक होती है अर्थात् N2>N1
(II) अपचायी ट्रांसफार्मर (Step-down Transformer)-
- अपचायी ट्रांसफार्मर विद्युत की वोल्टता को घटाता है। अर्थात् उच्च वोल्टेज को निम्न वोल्टेज में परिवर्तित करता है।
- अपचायी ट्रांसफार्मर में प्राथमीक कुण्डली में वोल्टेज अधिक होते हैं तथा द्वितीयक कुण्डली में वोल्टेज कम होते हैं अर्थात् V1>V2
- अपचायी ट्रांसफार्मर में प्राथमीक कुण्डली में घेरों की संख्या अधिक होती है तथा द्वितीयक कुण्डली में घेरों की संख्या कम होती है अर्थात् N1>N2
7. जनित्र (Generator)-
- वह उपकरण जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है जनित्र कहलाता है।
- जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electro Magnetic Induction- EMI) के सिद्धांत पर कार्य करता है।
- जनित्र दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
- (I) एसी जनित्र (AC Generator)
- (II) डीसी जनित्र (DC Generator)