प्रतिरोध (Resistance)-
- किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह में उत्पन्न होने वाले विरोध को प्रतिरोध करते हैं।
- विद्युत परिपथ विद्युत प्रवाह के दौरान मुक्त इलेक्ट्रॉन (Free Electron) विभिन्न परमाणुओं (Atoms) तथा अन्य इलेक्ट्रॉनों से टकराते हैं जिसके कारण उनके प्रवाह में प्रतिरोध उत्पन्न होता है।
- प्रतिरोध का मात्रक ओम (Ohm/ Ω) होता है।
- प्रतिरोध (R) = ρl/A
- ρ = Rho
प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Resistance)-
- 1. प्रतिरोधकता (Resistivity)- ρ (rho)
- 2. लम्बाई (Length)
- 3. क्षेत्रफल (Area)
- 4. तापमान (Temperature)
1. प्रतिरोधकता (Resistivity)- ρ (rho)-
- प्रतिरोधकता का मान अधिक होने पर चालक का प्रतिरोध भी अधिक होता है।
2. लम्बाई (Length)-
- लम्बाई बढ़ाने पर चालक तार का प्रतिरोध भी बढ़ता है।
- R ∝ l
3. क्षेत्रफल (Area)-
- चालक तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल को बढ़ाने पर प्रतिरोध का मान कम होता है।
- R ∝ 1/A
4. तापमान (Temperature)-
- तापमान बढ़ाने पर चालक तार का प्रतिरोध बढ़ता है।
ओम का नियम (Ohm's Law)-
- निश्चित तापमान पर किसी प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर उसमें प्रवाहित विद्युत धारा के समानुपाती होता है।
- V ∝ I
- V = IR
- यहाँ-
- V = विभवान्तर
- I = धारा
- R = प्रतिरोध
- प्रतिरोध 'R' का मान पदार्थ की प्रकृति (Nature), तापमान (Temperature), लम्बाई (Length) तथा अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (Cross Section Area) पर निर्भर करता है।
- चाँदी का विशिष्ट प्रतिरोध कम होने के कारण चाँदी को विद्युत का सर्वोतम चालक माना जाता है।
प्रतिरोधों का संयोजन (Combination of Resistance)-
- प्रतिरोधों का संयोजन दो प्रकार से किया जाता है। जैसे-
- 1. श्रेणी क्रम संयोजन (Series Combination)
- 2. समांतर क्रम संयोजन (Parallel Combination)
1. श्रेणी क्रम संयोजन (Series Combination)-
- विद्युत परिपथ में प्रतिरोधों का ऐसा संयोजन जिसमें सभी प्रतिरोध एक के बाद एक व्यवस्थित क्रम में जुड़े हुए होते हैं श्रेणी क्रम संयोजन कहलाता है।
- श्रेणीक्रम संयोजन में सभी प्रतिरोधों में समान विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
- अमीटर (Ammeter) तथा विद्युत फ्यूज (Fuse) को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
- श्रेणीक्रम संयोजन में परिणामी प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है। जैसे-
- R = R1+R2+R3
- श्रेणीक्रम संयोजन में परिणामी प्रतिरोध (Resultant Resistance) का मान सबसे बड़े प्रतिरोध से भी अधिक होता है।
2. समांतर क्रम संयोजन (Parallel Combination)-
- विद्युत परिपथ में प्रतिरोधों का ऐसा संयोजन जिसमें सभी प्रतिरोध एक बिन्दु से जुड़े होते हैं समांतर क्रम संयोजन कहलाता है।
- समान्तर क्रम संयोजन में सभी प्रतिरोधों के सिरो पर समान विभवान्तर उत्पन्न होता है।
- हमारे घरों में सभी उपकरण (All Equipment) तथा वोल्टमीटर (Voltmeter) समान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं।
- 1/R (परिणामी प्रतिरोध) = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3
- समान्तर क्रम संयोजन में परिणामी प्रतिरोध (Resultant Resistance) का मान सबसे छोटे प्रतिरोध से भी कम होता है।