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चम्पारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha)

चम्पारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha)-

  • समय- 1917 ई.
  • कारण- चम्पारण सत्याग्रह तनकठिया प्रथा (Tinkathiya System) के कारण हुआ था।
  • अंग्रेज उत्पादक कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने के लिए किसानों से जुर्माना वसुल कर रहे थे।
  • गाँधीजी ने किसानों की स्थिति की जाँच की।
  • अंग्रेजों ने जाँच के लिए एक समिति का गठन किया इस समिति में गाँधीजी को सदस्य बनाया गया।
  • गाँधीजी ने किसानों को 25% जुर्माना वापस दिलवाया।
  • आंदोलन में गाँधीजी के सहयोगी (Gandhiji's allies in the movement)-
  • (I) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad)
  • (II) जे.बी. कृपलानी (J.B. Kriplani)
  • (III) मजरूल-उल-हक (Majrul-ul-Haq)
  • (IV) नरहरि-पारिख (Narhari-Parikh)
  • जूडिथ ब्राउन (Judith Brown) ने अपनी पुस्तक "Gandhi's Rise to Power" में इन सहयोगियों (राजेन्द्र प्रसाद, जे.बी.कृपलानी, मजरूल-उल-हक, नरहरि पारिख) को उपठेकेदार (Subcontractors) कहा था।
  • चम्पारण सत्याग्रह की सफलता पर रवीन्द्र नाथ टैगोर ने गाँधीजी को "महात्मा" (Mahatma) की उपाधि दी थी।
  • चम्पारण सत्याग्रह गाँधीजी का पहला आंदोलन था

  • चम्पारण सत्याग्रह गाँधीजी का पहला सफल आंदोलन भी था।


तिनकठिया प्रथा (Tinkathiya System)-

  • तिनकठिया प्रथा के अनुसार भूमि के 3/20 भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य था।

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