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महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)

राष्ट्रीय आंदोलन का तीसरा चरण (Third Phase of The National Movement) या गाँधी युग (Gandhian Era)-

  • समय- 1919-1947 ई.

  • राष्ट्रीय आंदोलन के तीसरे चरण को गाँधी युग भी कहा जाता है।


गांधीजी का आरम्भिक जीवन (Early Life of Gandhiji)-

  • जन्म- 2 अक्टूबर 1869
  • स्थान- पोरबंदर, गुजरात (Porbandar, Gujarat)
  • पिता- करमचंद गांधी
  • करमचंद गांधी तीन देशी रियासतों में दिवान रहे थे जैसे-
  • (I) पोरबंदन रियासत
  • (II) राजकोट रियासत
  • (III) वांकानेर रियासत
  • माता- पुतली बाई
  • पत्नी- कस्तूरबा गांधी
  • प्रिय भजन- "वैष्णव जन जो तेने कहिए" (यह भजन गुजरात के संत कवि नरसी मेहता द्वारा रचित है।)


गांधीजी का दक्षिण अफ्रीका प्रवास-

  • गांधीजी 1893 ई. में अब्दुल्ला भाई का मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका गये।
  • गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में रंग भेद नीति (Racial Policy) का विरोध किया।
  • गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में दो आश्रम स्थापित किये जैसे-
  • (I) टॉल्सटॉय आश्रम (Tolstoy Ashram)
  • (II) फीनिक्स आश्रम (Phoenix Ashram)
  • गांधीजी ने दक्षिण अफ्राकी में एक समाचार पत्र प्रकाशित किया। जैसे-
  • (I) 'इंडियन ऑपिनियन' (Indian Opinion)
  • गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका प्रवास पर एक पुस्तक लिखी। जैसे-
  • (I) हिन्द स्वराज-
  • (A) हिन्द स्वराज पुस्तक प्रश्न उत्तर शैली में लिखी गई थी।
  • (B) हिन्द स्वराज पुस्तक गुजराती भाषा में लिखी गई थी।
  • गांधीजी ने बोअर (डच किसान) तथा जुलु विद्रोह में अंग्रेजों का साथा दिया इसलिए अंग्रेजों ने गांधीजी को बोअर (Boer Medal) तथा जुलु पदक (Zulu Medal) दिये थे।
  • 9 जनवरी 1915 को गांधीजी भारत लौटे।
  • प्रतिवर्ष 9 जनवरी के दिन प्रवासी भारतीय दिवस (Pravasi Bharatiya Diwas) मनाया जाता है।


साबरमती आश्रम-

  • गांधीजी ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की।


केसर-ए-हिन्द (Kesar-e-Hind)-

  • गांधीजी ने प्रथम विश्व युद्ध (First World War) के दौरान भारतीय युवाओं के ब्रिटिश फौज में शामिल होने के कहा इसलिए गांधीजी को भर्ती करने वाला सार्जेण्ट (Recruiting Sergeant) कहा जाने लगा। इसके लिए अंग्रेजों ने गांधीजी को 'केसर-ए-हिन्द' (Kesar-e-Hind) की उपाधि दी थी।


बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University- BHU)

  • गांधीजी ने 1916 ई. में BHU उद्घाटन समारोह (Inauguration Ceremony of BHU) में भाग लिया। यह गांधीजी की भारत में पहली सार्वजनिक उपस्थिति (Public Appearance) थी।
  • BHU Full Form = Banaras Hindu University
  • BHU का पूरा नाम = बनारस हिंदू विश्वविद्यालय


राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में गाँधीजी के विचार (Gandhiji's Views on National Movement)-

  • गाँधीजी ने राष्ट्रीय आंदोलन में अहिंसा (Non Violence) को अत्यधिक महत्व दिया था। क्योंकि गाँधीजी के अनुसार हिंसा का सहारा लेने पर सरकार आंदोलन को कुचल (Crush) सकती है।
  • गाँधीजी राष्ट्रीय आंदोलन को सत्याग्रह (Satyagraha) के मार्ग पर चलाना चाहते थे।
  • सत्याग्रह = न्याय के लिए किया गया प्रयास या आग्रह
  • गाँधीजी संघर्ष-विराम-संघर्ष की नीति (Policy of Struggle-Rest-Struggle) में विश्वास करते थे।
  • गाँधीजी के अनुसार आम जनता लम्बे समय तक संघर्ष नहीं कर सकती है इसलिए आंदोलन को एक निश्चित बिन्दु पर ले जाकर रोक देना चाहिए। ताकि लोगों में निराशा का भाव नहीं आये। तथा अगले चरण के लिए ऊर्जा बचाई जा सके।
  • आंदोलन के विराम के दिनों में रचनात्मक कार्यक्रम (Constructive Program) चलाये जाने चाहिए। जैसे-
  • (I) हिन्दु-मुस्लिम एकता (Hindu-Muslim Unity)
  • (II) छुआछुत निवारण (Prevention of Untouchability)
  • (III) महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment)
  • (IV) शिक्षा का प्रचार-प्रसार (Promotion of Education)
  • (V) खादी का प्रचार-प्रसार (Promotion of Khadi)
  • गाँधीजी ने राष्ट्रीय आंदोलन में विभिन्न धाराओं में समन्वय का कार्य किया। जैसे-
  • (I) नरम दल- गरम दल (Moderate Party-Extremist Party)
  • (II) हिन्दु तथा मुस्लिम (Hindu and Muslim)
  • (III) किसान तथा जमींदार (Farmer and Landlord)
  • (IV) मजदूर तथा पूँजीपति (Worker and Capitalist)
  • गाँधीजी ने सादगीपूर्ण जीवन शैली (Simple Living) पर बल दिया था।
  • गाँधीजी स्वावलम्बन (Self-Reliance) पर अत्यधिक बल देते थे।


लखनऊ अधिवेशन (Lucknow Session)-

  • गाँधीजी ने 1916 ई. के लखनऊ अधिवेशन (Lucknow Session) में भाग लिया।
  • लखनऊ अधिवेशन में राजकुमार शुक्ल ने गाँधीजी से मुलाकात की एवं गाँधीजी को चम्पारन (Champaran) के नील किसानों (Indigo Farmers) की समस्या के बारे में बताया।

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