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विद्युत चुंबकत्व (Electromagnetism)

विद्युत चुम्बकत्व (Electro Magnetism)-

  • सर्वप्रथम विद्युत चुम्बकत्व की व्याख्या आर्स्टेड (Orsted) द्वारा की गई थी।

  • परिभाषा- वह प्रक्रिया जिसके द्वारा किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित कर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जाता है उसे विद्युत या वैद्युत चुम्बकत्व कहते हैं।


विद्युत चुम्बक (Electro Magnet)-

  • विद्युत चुम्बक एक परिनालिका कुण्डली (Solenoid Coil) होती है जिसमें विद्युत धारा के कारण चुम्बकत्व उत्पन्न होता है।
  • विद्युत चुम्बक, विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धांत पर कार्य करती है।
  • विद्युत चुम्बक एक अस्थायी चुम्बक है।


चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field)-

  • विद्युत चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता निम्न कारकों पर निर्भर करती है।-
  • (I) परिनालिका में घेरों की संख्या (Number of turns in the solenoid coil)
  • (II) क्रोड पदार्थ की प्रकृति (Nature of core material)
  • (III) धारा का परिमाण (Magnitude of the current)


(I) परिनालिका में घेरों की संख्या (Number of turns in the solenoid coil)-

  • परिनालिका में घेरों की संख्या बढ़ाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता भी बढ़ती है। अर्थात् परिनालिका में घेरों की संख्या अधिक है तो चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता भी अधिक होगी।


(II) क्रोड पदार्थ की प्रकृति (Nature of core material)-

  • क्रोड पदार्थ के रूप में नर्म लोहे का प्रयोग करने पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ती है।


(III) धारा का परिमाण (Magnitude of the current)-

  • विद्युत धारा का मान बढ़ाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ती है।


चुम्बकीय फ्लक्स (Magnetic Flux)-

  • चुम्बकीय क्षेत्र में रखी किसी सतह के लम्बवत गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या को उस सतह का चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं।
  • Φ = BA Cosθ
  • (Φ = फाई/ चुम्बकीय फ्लक्स)
  • B = चुम्बकीय क्षेत्र
  • A= सतह का क्षेत्रफल
  • θ = A व B के मध्य का कोण
  • चुम्बकीय फ्लक्स एक अदिश राशि है।
  • SI पद्धति में चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक वेबर (Wb) है।
  • चुम्बकीय क्षेत्र (B) को चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व (Magnetic Flux Density) भी कहते हैं।
  • यदि कोई तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है तो उसमें से कोई फ्लक्स रेखा नहीं गुजरेगी तथा उस तल से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स शून्य होगा।


विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)-

  • सर्वप्रथम 1831 ई. में फैराडे द्वारा विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की खोज की गई।
  • जब किसी बंद परिपथ या बंद कुंडली में से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो कुण्डली में एक विद्युत वाहक बल (Electro Motive Force) उत्पन्न हो जाता है।
  • इस विद्युत वाहक बल के कारण कुण्डली में विद्युत धारा (Current) प्रवाहित होती है।
  • यह विद्युत धारा तब तक प्रवाहित होती है जब तक चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।
  • कुण्डली में उत्पन्न विद्युत वाहक बल को प्रेरित विद्युत वाहक बल (Induced e.m.f) तथा उत्पन्न विद्युत धारा को प्रेरित विद्युत धारा (Induced Current) कहते हैं तथा इस घटना को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electro Magnetic Induction) कहते हैं।


फैराडे के प्रयोग के परिणाम (Result of Faraday's Experiment)-

  • कुण्डली में प्रेरित धारा केवल तब तक बहती है जब तक चुम्बक व कुण्डली के मध्य सापेक्ष गति होती है।
  • चुम्बक को रोकते ही विद्युत धारा का बहना बंद हो जाता है।
  • चुम्बक को जितनी तेजी से चलाया जाता है, प्रेरित धारा उतनी ही अधिक होती है।
  • कुण्डली में घेरों की संख्या बढ़ाने पर प्रेरित विद्युत वाहक बल की प्रबलता बढ़ जाती है।


फैराडे के नियम (Faraday's law)-

  • फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के दो नियम है। जैसे-
  • (I) फैराडे का प्रथम नियम (Faraday's First Law)
  • (II) फैराडे का द्वितीय नियम (Faraday's Second Law)


(I) फैराडे का प्रथम नियम (Faraday's First Law)-

  • जब किसी बंद कुण्डली में से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस कुण्डली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है जिसके कारण कुण्डली में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है।
  • यह विद्युत धारा तब तक प्रवाहित होती है जब तक चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।


(II) फैराडे का द्वितीय नियम (Faraday's Second Law)-

  • किसी बंद कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन के दर के समानुपाती होता है।
  • E ∝ dΦ/dt


लेन्ज का नियम (Lenz's Law)-

  • इस नियम के अनुसार किसी कुंडली में प्रेरित धारा या प्रेरित विद्युत वाहक बल ऐसी दिशा में उत्पन्न होते हैं जिससे वे स्वयं को उत्पन्न करने वाले कारणों का विरोध कर सकें।
  • E = -dΦ/dt
  • -ve चिह्न का मतलब उत्पन्न करने वाले कारणों का विरोध करना।


स्वप्रेरण (Self Induction)-

  • विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की वह घटना जिसमें किसी कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा को परिवर्तित करने से स्वयं उसी कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है उसे स्वप्रेरण करते हैं।
  • कुण्डली में से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा के समानुपाती होता है।
  • Φ ∝ I
  • Φ = LI
  • जहाँ-
  • L = स्वप्रेरण नियतांक
  • स्वप्रेरण नियतांक (L) का मात्रक हेनरी (Henry) होती है।


अन्योन्य प्रेरण (Mutual Induction)-

  • विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की वह घटना जिसमें प्राथमिक कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा को परिवर्तित करने से द्वितीयक कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है उसे अन्योन्य प्रेरण कहते हैं।
  • द्वितीयक कुंडली में से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स प्राथमिक कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा से समानुपाती होती है।
  • Φ ∝ I
  • Φ = MI
  • जहाँ-
  • M = अन्योन्य स्थिरांक या अन्योन्य नियतांक
  • अन्योन्य नियतांक या स्थिरांक (M) का मात्रक हेनरी (Henry) होती है।


भंवर धाराएं (Eddy Currents)-

  • सर्वप्रथम फोकॉल्ट (Foucault) द्वारा भंवर धाराओं की जानकारी दी गई थी।
  • जब किसी धात्विक चालक से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो चालक में बंद लूप के रूप में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है ये बंद लूप प्रेरित धारा भंवर के समान दिखाए देती है इसलिए इसे भंवर धारा (Eddy Current) या फोकॉ धारा (Foco Current) कहते हैं।
  • भंवर धाराओं का मान चालक के प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
  • प्रतिरोध बढ़ेगा तो धारा का मान कम हो जाएगा तथा प्रतिरोध कम होगा तो धारा का मान बढ़ेगा।


भंवर धारा से हानियां (Disadvantages of Eddy Current)-

  • समस्या- डायनेमो (DC Generator) तथा विद्युत मोटर की क्रोड (Core) को नर्म लोहे की बनाने से उसमें भंवर धाराएं उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण विद्युत ऊर्जा (Electric Energy) का उष्मीय ऊर्जा (Thermal Energy) के रूप में नुकसान हो जाता है।

  • समाधान- इस समस्या के समाधान हेतु इन यंत्रों की क्रोड को एक नर्म लोहे के रूप में न लेकर लोहे की पतली-पतली पत्तियों को जोड़कर बनाया जाता है। ऐसा करने से क्रोड का प्रतिरोध बढ़ जाता है तथा भंवर धारा कमजोर हो जाती है। जिसके कारण विद्युत ऊर्जा का क्षय कम होता है।


भंवर धाराओं के उपयोग (Application of Eddy Current)-

  • (I) विद्युत चुम्बकीय अवमन्दन (Electro Magnetic Damping)
  • (II) प्रेरण मोटर (Induction Motor)
  • (III) गति मापक (Speedometer)
  • (IV) ऊर्जा मापी (Energy Meter)
  • (V) विद्युत ब्रेक (Electric Break)- जब ट्रेन को रोकना होता है तो पहियों के साथ लगे ड्रम में एक प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाता है जिससे ड्रम में भंवर धारा उत्पन्न हो जाती है जो ड्रम की गति का विरोध करती है इस प्रकार ड्रम के साथ-साथ पहिये भी रुक जाते हैं।


चुम्बकीय परिपथ व विद्युत परिपथ में अंतर (Comparison Between Magnetic Circuit and Electric Circuit)-

  • (I) चुम्बकीय परिपथ (Magnetic Circuit)
  • (II) विद्युतीय परिपथ (Electric Circuit)


(I) चुम्बकीय परिपथ (Magnetic Circuit)-

  • MMF के कारण चुम्बकीय फ्लक्स का प्रवाह होता है।
  • चुम्बकीय वाहक बल (MMF) = चुम्बकीय फ्लक्स (Φ) × प्रतिष्टम्भ (S)
  • प्रतिष्टम्भ (Reluctance) = MMF/Φ
  • चुम्बकीय व्याप्यता (Permeance- P) = 1/S = चुम्बकीय फ्लक्स/MMF
  • निश्चित तापमान पर चुम्बकशीलता चुम्बकीय फ्लक्स पर निर्भर करती है।
  • कुछ चुम्बकीय पदार्थों में चुम्बकीय वाहक बल (MMF) हटाने पर भी चुम्बकीय क्षेत्र उपस्थित रहता है।


(II) विद्युतीय परिपथ (Electric Circuit)-

  • EMF के कारण विद्युत धारा का प्रवाह होता है।
  • विद्युत वाहक बल (EMF) = विद्युत धारा (I) × प्रतिरोध (R)
  • प्रतिरोध (Resistance) = EMF/I
  • चालकता (Conductance- G) = 1/R = विद्युत धारा/EMF
  • विद्युत परिपथ में चालकता धारा की प्रबलता पर निर्भर नहीं करती है।
  • विद्युत परिपथ में विद्युत वाहक बल (EMF) हटाने पर विद्युत धारा का मान शून्य हो जाता है।


गेल्वेनोमीटर (Galvano Meter)-

  • विद्युत परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थित का पता लगाने या विद्युत धारा की दिशा पता करने के लिए गेल्वेनोमीटर का प्रयोग किया जाता है।
  • गेल्वेनोमीटर को विद्युत परिपथ में श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

  • आदर्श गेल्वेनोमीटर का प्रतिरोध शून्य होता है।


चुम्बकीय परिपथ से संबंधित परिभाषायें (Some Definitions Related To the Magnetic Circuit)-

    • (I) चुम्बकत्व वाहक बल या चुम्बकीय वाहक बल (Magneto Motive Force- MMF)
    • (II) प्रतिष्टम्भ (Reluctance)
    • (III) चुम्बकीय व्याप्यता (Permeance)


      (I) चुम्बकत्व वाहक बल या चुम्बकीय वाहक बल (Magneto Motive Force- MMF)-

      • किसी एकांक चुम्बकीय ध्रुव को चुम्बकीय परिपथ में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किया गया कार्य चुम्बकीय वाहक बल कहलाता है।
      • अथवा
      • चुम्बकीय वाहक बल, चुम्बकीय परिपथ में चुम्बकीय फ्लक्स स्थापित करने का स्त्रोत है।
      • चुम्बकीय वाहक बल (MMF) = N × I
      • जहाँ-
      • N = घेरों की संख्या
      • I = परिपथ में प्रवाहित धारा का मान
      • चुम्बकीय वाहक बल का मात्रक = एम्पीयर (A) × टर्न (T) = AT


      (II) प्रतिष्टम्भ (Reluctance)-

      • प्रतिष्टम्भ चुम्बकीय माध्यम का वह गुण है जो चुम्बकीय माध्यम में चुम्बकीय फ्लक्स को स्थापित करने का विरोध करता है।
      • प्रतिष्टम्भ को 'S' से निरूपित करते हैं।
      • प्रतिष्टम्भ = चुम्बकीय वाहक बल/चुम्बकीय फ्लक्स
      • S = MMF/Φ


      (III) चुम्बकीय व्याप्यता (Permeance)-

      • चुम्बकीय परिपथ में प्रतिष्टम्भ (Reluctance) के व्युत्क्रम को चुम्बकीय व्याप्यता कहते हैं।
      • चुम्बकीय व्याप्यता को 'P' से प्रदर्शित करते हैं।
      • चुम्बकीय व्याप्यता (P) = 1/Reluctance
      • P = 1/S
      • जहाँ-
      • P = चुम्बकीय व्याप्यता
      • S = प्रतिष्टम्भ
      • चुम्बकीय व्याप्यता का मात्रक हेनरी या वेबर/एम्पीयर टर्न होता है। (Unit = Henry or Weber/Ampere-turn)


      डोमेन सिद्धांत (Domains Theory)-

      • डोमेन सिद्धांत द्वारा किसी पदार्थ में चुम्बकीय गुणों की व्याख्या की जाती है।
      • डोमेन (Domain)-
      • (I) किसी पदार्थ में डोमेन एक छोटा स्थानीय क्षेत्र होता है जिसमें 10^18 से 10^21 परमाणु पाये जाते हैं।
      • (II) डोमेन में चुम्बकीय द्विध्रुव एक दूसरे के समानांतर संरेखित होते हैं।
      • (III) प्रत्येक डोमेन में चुम्बकत्व का गुण पाया जाता है।


      चुम्बकशीलता (Magnetic Permeability)-

      • पदार्थ का वह गुण जिसके कारण उसके अंदर चुम्बकीय बल रेखाओं की सघनता बढ़ या घट जाती है उसे चुम्बकशीलता कहते हैं।
      • चुम्बकशीलता को म्यू (μ) से प्रदर्शित किया जाता है।
      • μ = B/H
      • जहाँ-
      • μ = चुम्बकशीलता
      • B = चुम्बकीय पदार्थ में प्रति वर्ग मीटर में गुजरने वाली बल रेखाएं
      • H = हवा में प्रति वर्ग मीटर में गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या
      • चुम्बकशीलता का मात्रक हेनरी या मीटर (Henry/Meter) होता है।
      • μ>1, लौह पदार्थ के लिए (Fe, Co)
      • μ<1, अलौह पदार्थ के लिए (Al, Pt)


      चुम्बकीय प्रवृत्ति (Magnetic Susceptibility)-

      • किसी पदार्थ का वह गुण जिस से पता चलता है की पदार्थ कितनी सुगमता (Easily) से कितना अधिक चुम्बकीय गुण ग्रहण करता है।
      • χ = I/H
      • जहाँ-
      • χ = काई (Chi)
      • I = पदार्थ की चुम्बकन तीव्रता
      • H = पदार्थ को चुम्बकित करने वाले बल का मान
      • χ को पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं।

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