खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Satyagraha)-
- समय- 1918 ई. (11 मार्च, 1918 ई.- 5 जून, 1918 ई.)
- स्थान- खेड़ा जिला, गुजरात
- गुजरात के खेड़ा जिले में खराब मौसम के कारण फसलें नष्ट हो गई थी लेकिन सरकार द्वारा लगातार भू-राजस्व वसूल किया जा रहा था।
- खेड़ा के किसानों ने गाँधीजी के सम्पर्क किया क्योंकि गाँधीजी इस समय गुजरात किसान सभा (Gujarat Kisan Sabha) के अध्यक्ष थे।
- गाँधीजी ने किसानों को कर (Tax) अदा न करने का सुझाव दिया।
- जब आंदोलन तेज हुआ तो सरकार ने एक गुप्त आदेश पारित कर दिया अतः यह आंदोलन भी सफल रहा।
- गुप्त आदेश में कर अधिकारियों को कहा गया था की उसी से कर वसूल किया जाए जो देने की स्थिति में है जो कर देने की स्थिति में नहीं है उससे जबरन कर वसूल नहीं किया जाए।
- खेड़ा सत्याग्रह में गाँधीजी के सहयोगी (Gandhiji's allies in Kheda Satyagraha)-
- (I) सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel)
- (II) शंकर लाल बैंकर (Shankar Lal Banker)
- (III) इंदुलाल याग्निक (Indulal Yagnik)
- (IV) महादेव देसाई (Mahadev Desai)
- जूडिथ ब्राउन (Judith Brown) ने अपनी पुस्तक "Gandhi's Rise to Power" में इन सहयोगियों (वल्लभ भाई पटेल, शंकर लाल बैंकर, इन्द्रलाल याग्निक, महादेव देसाई) को उपठेकेदार (Subcontractors) कहा था।
- खेड़ा सत्याग्रह गाँधीजी का तीसरा सफल आंदोलन था।
- गाँधीजी का पहला सफल आंदोलन चम्पारण सत्याग्रह (1917 ई.) था।
- गाँधीजी का दूसरा सफल आंदोलन अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन (15 मार्च, 1918 ई.) था।