Ads Area

समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area)

समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas- MPAs)-

  • समुद्री सीमा के जल भराव क्षेत्र के साथ जुड़े हुए वनस्पतियों एवं जीव जन्तुओं के पाये जाने वाले ऐसे क्षेत्र जिनका ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी होता है उनके पर्यावरण को स्वस्थ बनाये रखने के लिए इन्हें संरक्षित किया जाता है तथा यह समुद्री संरक्षित क्षेत्र कहलाते हैं।
  • अन्तर ज्वारीय या उपज्वारीय क्षेत्र का कोई भी ऐसा भाग जहाँ वनस्पति, जन्तु आदि उपस्थित हो तथा इनकी ऐतिहासिक एवं सांस्कृति विशेषताएं हो इनको संरक्षित करने के लिए समुद्री संरक्षित क्षेत्र घोषित किये जाते हैं।
  • भारत के समुद्री संरक्षित क्षेत्रों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। जैसे-
  • 1. वर्ग-I
  • 2. वर्ग-II
  • 3. वर्ग-III (A)
  • 4. वर्ग-III (B)


    1. वर्ग-I

    • इसमें राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्य जीव अभयारण्य, मैंग्रोव वन क्षेत्र, कोरल रीफ, क्रीक्स, समुद्रीय घास बेड, एल्गी बेड, ज्वरनदमुख (एश्चुअरीज), लैगून तथा अंतर्ज्वारीय एवं उप-ज्वारीय क्षेत्र को संरक्षित किया जाता है।


    2. वर्ग-II-

    • इसके तहत समुद्र में स्थित द्वीपों के किनारे वाले क्षेत्र जहाँ जल तथा स्थल सम्पर्क में आते है उन क्षेत्रों को संरक्षित किया जाता है।


    3. वर्ग-III (A)-

    • इसके अंतर्गत समुद्र के जलीय क्षेत्र से जुड़े हुए रेतीले तट (Sandy Beaches) को शामिल किया जाता है।


    4. वर्ग-III (B)-

    • इसके अंतर्गत द्वीपों पर स्थित सदाबहार तथा अर्द्धसदाबहार वन शामिल है।

    Post a Comment

    0 Comments

    Top Post Ad

    Below Post Ad