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संरक्षण एवं समुदाय आरक्षित क्षेत्र (Conservation and Community Reserve)

संरक्षण एवं समुदाय आरक्षित क्षेत्र (Conservation and Community Reserve)-

  • वर्ष 2002 में वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 [Wildlife (Protection) Act. 1972] में संशोधन करके दो नये आरक्षित क्षेत्रों को जोड़ा गया था। जैसे-
  • 1. संरक्षण आरक्षित क्षेत्र (Conservation Reserve)
  • 2. समुदाय आरक्षित क्षेत्र (Community Reserve)
  • इन आरक्षित क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के अधिकारों में कमी किये बिना वन्य जीवों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाता है।
  • संरक्षण तथा समुदाय आरक्षित क्षेत्र भारत में स्थापित राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य जीव अभयारण्यों तथा अन्य संरक्षित क्षेत्रों के मध्य बफर जोन या प्रवासी कोरिडोर के रूप में कार्य करते हैं।


1. संरक्षण आरक्षित क्षेत्र (Conservation Reserve)-

  • राज्य सरकार की अधिकारिता वाला कोई ऐसा क्षेत्र जो किसी राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य से लगा हुआ हो या उन्हें एक दूसरे से जोड़ता हो उन क्षेत्रों को संरक्षण आरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाता है।
  • इन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय समुदाय के लोगों से विचार विमर्श के बाद वहां की वनस्पति तथा जीव जन्तुओं के संरक्षण के लिए उसे संरक्षण आरक्षित क्षेत्र घोषित कर सकते हैं।
  • इस क्षेत्र का प्रबंधन "संरक्षण आरक्षित क्षेत्र प्रबंधन समिति" द्वारा किया जाता है।


2. समुदाय आरक्षित क्षेत्र (Community Reserve)-

  • किसी व्यक्ति अथवा संस्था की अधिकारिता वाला ऐसा क्षेत्र जो राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य तथा अन्य संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत नहीं आता है उस क्षेत्र को राज्य सरकार वहाँ के जीव जन्तुओं तथा स्थानीय समुदायों को संरक्षण देने के लिए समुदाय आरक्षित क्षेत्र घोषित कर सकती है।
  • समुदाय आरक्षित घोषित करने का उद्देश्य उस क्षेत्र की वनस्पतियों तथा जन्तुओं के साथ-साथ वहाँ के लोगों के पारम्परिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण करना है।
  • समुदाय आरक्षित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के अधिकार प्रभावित नहीं होते हैं।

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