भारत में 1857 की क्रांति (Revolution of 1857 in India)-
- बैरकपुर छावनी (Barrackpore Cantonment)
- मेरठ छावनी (Meerut Cantonment)
बैरकपुर छावनी (Barrackpore Cantonment)-
- बैरकपुर में 34वीं इनफेन्ट्री (34 Native Infantry) के सैनिक मंगल पाण्डे (Mangal Pandey) ने 29 मार्च 1857 ई. को चर्बी वाले कारतूसों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
- मंगल पाण्डे ने ब्रिटिश अधिकारी बाघ पर गोली चला दी थी।
- एक अन्य अधिकारी हयुजन (Hewson) भी इसमें घायल हो गया था।
- ईश्वरी प्रसाद नामक सैनिक ने अंग्रेजों के आदेश मानने से मान कर दिया था।
- शेख पलट्टु नामक सैनिक ने अंग्रजों का साथ दिया था।
- इस घटना के समय बैरकपुर छावनी का अधिकारी (Commanding Officer) हियरसे या हेरसे (Hearsay) था।
- 8 अप्रैल 1857 ई. को अंग्रेजों ने मंगल पाण्डे को फांसी दे दी।
- अंग्रेजों ने कुछ दिनो बाद ईश्वरी प्रसाद को भी फांसी दे दी थी।
- शेख पलट्टु को अंग्रेजों ने पदोन्नति दे दी थी।
- शेख पलट्टु के साथियों ने शेख पलट्टु की हत्या कर दी थी।
- अंग्रेजों ने 34वीं इनफेन्ट्री (34NI/ 34 Native Infantry) को बरखास्त कर दिया। अर्थात् 34वीं इनफेन्ट्री के सभी सैनिकों को निकाल दिया था।
मेरठ छावनी (Meerut Cantonment)-
- 24 अप्रैल 1857 ई. को मेरठ छावनी के 20वीं इनफेन्ट्री (20 Native Infantry) के 90 सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
- 10 मई 1857 ई. को मेरठ छावनी में क्रांति की शुरुआत होती है।
- 20वीं इनफेन्ट्री (20 Native Infantry) तथा 3 लाइट कैवेलरी (Light Cavalry- L.C.) ने विद्रोह किया था।
- विद्रोही सैनिक दिल्ली चले गये।
- विद्रोही सैनिकों ने 11 मई को दिल्ली में बहादुर शाह जफर (Bahadur Sha Zafar) को अपना नेता बनाया।
- अगस्त घोषणा या आजमगढ़ घोषणा (Azamgarh Declaration)-
- 25 अगस्त को बहादुरशाह जफर के नाम से सभी को क्रांति में हिस्सा लेने के लिए आजमगढ़ घोषणा की गई
- आजमगढ़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।
1857 की क्रांति के प्रमुख केंद्र (Major Centers of Revolution of 1857)-
- 1. दिल्ली (Delhi)
- 2. लखनऊ (Lucknow)
- 3. कानपुर (Kanpur)
- 4. झाँसी (Jhansi)
- 5. जगदीशपुर, बिहार (Jagdishpur, Bihar)
- 6. फैजाबाद (Faizabad)
- 7. बरेली (Bareilly)
- 8. इलाहाबाद (Allahabad)
- 9. फतेहाबाद (Fatehabad)
- 10. बड़ौत परगना (Baraut Pargana)
- 11. छोटा नागपुर (Chhota Nagpur)
- 12. इंदौर (Indore)
1. दिल्ली (Delhi)-
- केंद्र (Center)- दिल्ली (Delhi)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar)
- (II) बख्त खान (Bakht Khan)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) निकलसन (Nicholson)
- (II) हड़सन (Hudson)
- बहादुर शाह जफर ने अपने पुत्र मिर्जा मुगल को क्रांतिकारियों को सेनापति नियुक्त किया।
- मिर्जा मुगल अनुभवहीन था इसलिए क्रांतिकारियों का वास्तविक सेनापति बख्त खान था।
- निकलसन लड़ता हुआ मारा गया था हालाकी निकलसन ने मरने से पूर्व दिल्ली पर अधिकार कर लिया था।
- बहादुर शाह जफर को हुमायूँ के मकबरे (Humayun's Tomb) से गिरफ्तार किया गया था।
हजरबल मस्जिद (Hazratbal Shrine)-
- स्थित- श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर
- हजरबल मस्जिद में इस्लाम के नबी पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का एक दाढ़ी का बाल रखा हुआ है जिस से लाखों लोगों की आस्थाएं जुड़ी हुई है।
- मुहम्मद साहब का यह बाल बहादुर शाह जफर के पास था।
2. लखनऊ (Lucknow)-
- केंद्र (Center)- लखनऊ (Lucknow)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) बेगम हजरत हमल या महक परी (Begum Hazrat Mahal or Mahak Pari)
- (II) बिरजिस कादिर (Birjis Kadir) या बिरजिस कद्र (Birjis Qadr)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) कैम्पबेल (Campbell)
- बेगम हजरत महल को ही महक परी के नाम से भी जाना जाता था।
- बिरजिस कादिर या बिरजिस कद्र बेगम हजरत महल का बेटा था।
- बेगम हजरत महल अवध के शासक वाजिद अली शाह की पत्नी थी।
- अवध में 1857 ई. की क्रांति ने जनविद्रोह का रूप धारण कर लिया था।
- बंगाल आर्मी में सर्वाधिक सैनिक अवध के होते थे इसलिए अवध को 'बंगाल आर्मी की नर्सरी' (Nursery of Bengal Army) कहा जाता था।
- हेनरी लॉरेन्स (Henry Lawrence) लखनऊ में लड़ता हुआ मारा गया था।
- हेनरी लॉरेन्स को जिंदा जला दिया गया था।
- बेगम हजरत महल नेपाल चली गई थी।
- हड़सन भी लखनऊ में लड़ता हुआ मारा गया था।
3. कानपुर (Kanpur)-
- केंद्र (Center)- कानपुर (Kanpur)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) नाना साहब (Nana Saheb)
- (II) तात्या टोपे (Tatya Tope)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) कैम्पबेल (Campbell)
- नाना साहब का वास्तविक नाम धुन्धुंपंत या धोन्धोपंत (Dhundhupant) था।
- तात्या टोपे का वास्तविक नाम रामचन्द्र पाण्डुरंग (Ramachandra Pandurang) था।
- नाना साहब नेपाल चले गये थे।
- नाना साहब बाजीराव द्वितीय का दत्तक पुत्र (गोद लिया हुआ) था।
4. झाँसी (Jhansi)-
- केंद्र (Center)- झाँसी (Jhansi)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) लक्ष्मीबाई (Laxmibai)
- (II) तात्या टोपे (Tatya Tope)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) ह्यूरोज (Hugh Rose)
- रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया था।
- सिन्धिया ने अंग्रेजों का साथ दिया था।
- रानी लक्ष्मीबाई ग्वालियार में लड़ते हुये मारी गई थी।
- ह्यूरोज ने रानी लक्ष्मीबाई के बारे में कहा कि "भारतीय क्रांतिकारियों में एकमात्र मर्द है" (Only man among Indian rebels) एवं कहा कि "भारतीय क्रांतिकारियों में सबसे खतरनाक है" (Most dangerous...... among all Indian rebels)
- लक्ष्मीबाई का जन्म बनारस में हुआ था।
- लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम 'मणिकर्णिका' या मनु (Manikarnika) था।
- लक्ष्मीबाई के पति का नाम गंगाधर राव (Gangadhar Rao) था।
- लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र (गोद लिया हुआ) का नाम दामोदर राव (Damodar Rao) था।
- तात्या टोपे को मानसिंह ने नरवर के जंगलों में गिरफ्तार करवा दिया था।
- शिवपुरी में तात्या टोपे को फांसी दे दी गई थी।
- कैनिंग (Caninng) ने कहा था कि "सिंधिया अगर 1857 ई. की क्रांति में शामिल हो जाता तो हमें भारत से जाना पड़ता"
5. जगदीशपुर, बिहार (Jagdishpur, Bihar)-
- केंद्र (Center)- जगदीशपुर, बिहार (Jagdishpur, Bihar)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) बाबू कुँवर सिंह (Babu Kunwar Singh)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) विलियम टेलर (William Taylor)
- कुँवर सिंह ने रीवा (Rewa), आरा (Arrah), पटना (Patna) में क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया था एवं कई स्थानों पर अंग्रेजों को पराजीत किया था।
- कुँवर सिंह ने मृत्यु से पहले जगदीशपुर पर अधिकार कर लिया था।
- 1857 ई. की क्रांति के समय कुँवर सिंह की आयु 80 वर्ष थी।
- अंग्रेजों ने कहा था कि "यदि कुँवर सिंह युवा होता तो हमें भारत छोड़ना पड़ता"
6. फैजाबाद (Faizabad)-
- केंद्र (Center)- फैजाबाद (Faizabad)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) मौलवी अहमद उल्ला शाह (Maulvi Ahmad Ullah Shah)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) रेनर्ड (Renard)
- मौलवी अहमद उल्ला शाह को डंका शाह (Danka Shah) के नाम से भी जाना जाता था।
- 22 NI (22 Native Infantry) ने मौलवी अहमद उल्ला शाह को अपना नेता बनाया था।
- मौलवी अहमद उल्ला शाह ने "चिनहाट की लड़ाई" (Battle of Chinhat) में 'हेनरी लॉरेन्स' को हराया था।
- अंग्रेजों ने मौलवी अहमद उल्ला शाह पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।
7. बरेली (Bareilly)-
- केंद्र (Center)- बरेली (Bareilly)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) खान बहादुर खान (Khan Bahadur Khan)
- (II) बख्त खान (Bakht Khan)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) विंसेट आयर (Vincent Ayer)
- बख्त खान बरेली से दिल्ली गया था।
8. इलाहाबाद (Allahabad)-
- केंद्र (Center)- इलाहाबाद (Allahabad)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) लियाकत अली (Liaquat Ali)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) नील (Neil)
9. फतेहाबाद (Fatehabad)-
- केंद्र (Center)- फतेहाबाद (Fatehabad)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) अजीमुल्ला (Azimullah)
10. बड़ौत परगना (Baraut Pargana)-
- केंद्र (Center)- बड़ौत परगना, उत्तर प्रदेश (Baraut Pargana, Uttar Pradesh)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) शाहूमल जाट (Shahumal Jat)
11. छोटा नागपुर (Chhota Nagpur)-
- केंद्र (Center)- छोटा नागपुर (Chhota Nagpur)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) गोनू (Gonu)
- गोनू ने छोटा नागपुर क्षेत्र में कोल जनजाति के साथ मिलकर विद्रोह किया था। अर्थात् कोल जनजाति ने गोनू के नेतृत्व में विद्रोह किया था।
12. इंदौर (Indore)-
- केंद्र (Center)- इंदौर, मध्य प्रदेश (Indore, Madhya Pradesh)
- नेतृत्वकारी (Leaders)-
- (I) सआदत-खाँ (Sadat Khan)
- अंग्रेज अधिकारी (British Officer)-
- (I) नील (Neil)
1857 की क्रांति के योजनाकार (Planners of Revolution of 1857)-
- 1. अजीमुल्ला (Azimullah)
- 2. रंगोजी बापू (Rangoji Bapu)
- अजीमुल्ला, नाना साहब के सलाहकार थे।
- अजीमुल्ला, नाना साहब की पेंशन आरम्भ करवाने के लिए लंदन गये थे वहीं अजीमुल्ला की मुलाकात रंगोजी बापू के साथ हुई थी।
- रंगोजी बापू, छत्रपती या सतारा के राजा के अधिकारों की रक्षा के लिए लंदन गये थे।
- अजीमुल्ला व रंगोजी बापू ने 1857 की क्रांति की योजना बनाई एवं क्रांति का दिन 31 मई तय किया गया था लेकिन मेरठ में क्रांति 10 मई को शुरू हो गई थी।
1857 की क्रांति के प्रतीक (Symbols of Revolution of 1857)-
- 1. कमल का फूल (Lotus Flower)
- 2. रोटी (Bread/Roti)
1857 की क्रांति का स्वरुप या प्रकृति (Nature or Revolution of 1857)-
- 1857 की क्रांति के स्वरुप को लेकर इतिहासकारों में मतभेत है। जैसे-
- (I) लॉरेन्स एवं सीले (Lawrence and Seeley)
- (II) टी.आर. होम्स (T.R. Homes)
- (III) एल.ई.आर. रीज (L.E.R Reeze)
- (IV) आउट्रम व टेलर (Outram and Taylor)
- (V) बेंजामिन डिजरैली (Benjamin Disraeli)
- (VI) रमेश चन्द्र मजूमदार (R.C. Mazumdar/Ramesh Chandra Mazumdar)
- (VII) सुरेन्द्र नाथ सेन (Surendra Nath Sen)
- (VIII) वीर सावरकर (Veer Savarkar)
(I) लॉरेन्स एवं सीले (Lawrence and Seeley)-
- मत- सैनिक विद्रोह (Sepoy Mutiny)
- लॉरेन्स एवं सीले के अनुसार सैनिकों ने सेवा संबंधी शर्ते व चर्बी वाले कारतूसों के खिलाफ विद्रोह किया था अतः 1857 की क्रांति एक सैनिक विद्रोह (Sepoy Mutiny) था लेकिन यह मत सही नहीं है क्योंकि क्रांति में गैर सैनिक तत्व भी शामिल हुए थे।
- क्रांति के बाद साधारण जनता को फांसी दी गई थी तथा अधिकांश भारतीय सैनिक अंग्रेजों की तरफ से लड़ रहे थे।
- 1857 की क्रांति को सैनिक विद्रोह बताना अंग्रेजों की एक चाल थी क्योंकि यदि 1857 की क्रांति को अंग्रेज सैनिक विद्रोह के अलावा बताते तो अंग्रेजों के तथाकथित अच्छे शासन (So-called good governance) पर प्रश्नचिह्न लग जाता।
(II) टी.आर. होम्स (T.R. Homes)-
- मत- सभ्यता व बर्बरता के बीच संर्घष (Conflict between civilization and barbarism)
- टी.आर. होम्स ने 1857 की क्रांति सभ्यता व बर्बरता के बीच संर्घष कहा है लेकिन यह मत भी गलत है क्योंकि क्रांति के दौरान जितनी बर्बरता भारतीयों ने दिखाई थी उससे कहीं अधिक बर्बरता अंग्रेजों द्वारा की गई थी।
(III) एल.ई.आर. रीज (L.E.R Reeze)-
- मत- धर्मान्धों एवं ईसाईयों के बीच संर्घष (Conflict between religious fanatics and Christians)
- एल.ई.आर. रीज ने 1857 की क्रांति को धर्मान्धों एवं ईसाईयों के बीच संर्घष कहा है।
(IV) आउट्रम व टेलर (Outram and Taylor)-
- मत- हिन्दु-मुस्लिम षड़यंत्र (Hindu-Muslim Conspiracy)
- आउट्रम व टेलर ने 1857 की क्रांति को हिन्दु-मुस्लिम षड़यंत्र बताया है।
(V) बेंजामिन डिजरैली (Benjamin Disraeli)-
- मत- राष्ट्रीय विद्रोह (National Revolt)
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बेंजामिन डिजरैली ने 1857 की क्रांति को राष्ट्रीय विद्रोह स्वीकार किया था तथा उन्होंने कहा था "साम्राज्य का उत्थान व पतन चर्बी वाले कारतूसों से नहीं होता।"
(VI) रमेश चन्द्र मजूमदार (R.C. Mazumdar/Ramesh Chandra Mazumdar)-
- मत- ना पहला, ना राष्ट्रीय, ना स्वतंत्रता संग्राम (Neither the first, nor the national, nor the freedom struggle)
- रमेश चन्द्र मजूमदार ने 1857 की क्रांति को ना पहला, ना राष्ट्रीय, ना स्वतंत्रता संग्राम कहा है।
- रमेश चन्द्र मजूमदार के अनुसार भारत में पहले भी कई सैनिक एवं गैर सैनिक विद्रोह हो चुके थे इसमें शामिल लोग भी अपने अलग-अलग स्वार्थों के लिए लड़ रहे थे तथा उस समय तक भारत में राष्ट्रीय भावनाओं का विकास नहीं हुआ था तथा पंजाब, सिक्किम व मद्रास (दक्षिण भारत) विद्रोह से अलग रहे थे।
- रमेश चन्द्र मजूमदार की पुस्तक "The Sepoy Mutiny and Revolt of 1857"
(VII) सुरेन्द्र नाथ सेन (Surendra Nath Sen)-
- सुरेन्द्र नाथ सेन (Surendra Nath Sen) रमेश चन्द्र मजूमदार के तर्कों का जबाव देते हुए कहते हैं कि विश्व की किसी भी क्रांति में वहाँ का पूरा देश शामिल नहीं होता है बल्कि देश व समाज का बड़ा तबका क्रांति करता है चूँकि 1857 की क्रांति में भी ऐसा ही हुआ था इसलिए 1857 की क्रांति को सफल विद्रोह माना जाना चाहिए।
- हालाँकि उस समय तक भारत में राष्ट्रीय भावनाओं का विकास नहीं हुआ था लेकिन फिर भी सभी क्रांतिकारियों का एक साथ दिल्ली पहुँचना, बहादुर शाह जफर को अपना नेता मानना उसके नाम से विभिन्न घोषणा करना एवं साधारण जनता का क्रांति में शामिल हो जाना आदि से पता चलता है कि उस समय भारतीयों का एकमात्र लक्ष्य अंग्रेजों को बाहर निकालना था।
- सुरेन्द्र नाथ सेन ने ठीक ही कहा है कि 1857 की क्रांति सैनिक विद्रोह से कुछ अधिक तथा राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से थोड़ा कम था।
- सुरेन्द्र नाथ सेन की पुस्तक "1857"
- सुरेन्द्र नाथ सेन 1857 की क्रांति के आधिकारिक इतिहासकार है।
(VIII) वीर सावरकर (Veer Savarkar)-
- वीर सावरकर के अनुसार 1857 की क्रांति निश्चित रूप से भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (India's first freedom struggle) था।
- वीर सावरकर की पुस्तक- "Indian War of Independence of 1857"
निष्कर्ष (Conclusion)-
- निष्कर्ष में हम कह सकते हैं कि 1857 की क्रांति सैनिक विद्रोह से प्रारम्भ हुआ था लेकिन बाद में राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में बदल गया था।
अशोक मेहता (Ashok Mehta)-
- अशोक मेहता की पुस्तक "The Great Rebellion"
1857 की क्रांति के कारण (Reasons for Revolution of 1857)-
- 1. 1857 की क्रांति के राजनीतिक कारण (Political Reasons of Revolution of 1857)
- 2. 1857 की क्रांति के प्रशासनिक कारण (Administrative Reasons of Revolution of 1857)
- 3. 1857 की क्रांति के आर्थिक कारण (Economic Reasons of Revolution of 1857)
- 4. 1857 की क्रांति के सामाजिक व धार्मिक कारण (Social and Religious Reasons of Revolution of 1857)
- 5. 1857 की क्रांति के सैनिक कारण (Military Reasons of Revolution of 1857)
- 6. 1857 की क्रांति के तात्कालिक कारण (Immediate Reason of Revolution of 1857)
1. 1857 की क्रांति के राजनीतिक कारण (Political Reasons of Revolution of 1857)-
- वेलेजली की सहायक संधि (Subsidiary Alliance) द्वारा भारतीय रियासतों को आश्रित बनाने की परम्परा शुरू की गई जिसका चरम विकास 'डलहौजी की हड़प नीति' (Dalhousie's Doctrine of Lapse) में था।
- व्यपगत (हड़पना) का सिद्धांत वास्तव में नैतिक का व्यपगत था क्योंकि अंग्रेजों के द्वारा किसी भी रियासत को किसी भी समय समाप्त किया जा सकता था।
- इससे भारतीय शासक भयभीत थे यह कारण है कि भारतीय शासकों ने 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया।
- अनुपस्थित प्रभुसत्ता (Absent Sovereign) ने भारतीयों के आक्रोश को और बढ़ा दिया था।
- अंग्रेजों द्वारा मुगल बादशाह की उपाधि (Title) छीनने का प्रयास किया गया जिससे मुस्लिम समाज में असंतोष था।
2. 1857 की क्रांति के प्रशासनिक कारण (Administrative Reasons of Revolution of 1857)-
- अंग्रेजों ने सामंत तथा अभिजात वर्ग के विशेषाधिकार समाप्त कर दिये गये थे।
- 1856 ई. में अंग्रेजों के द्वारा अवध में एकमुश्त बंदोबस्त (One Time Settlement) लागू किया गया तथा जमींदारों की जमीने छीन ली गई इसलिए सामंतों (Feudal Lord) एवं जमींदारों (Zamidar) ने 1857 की क्रांति में सक्रिय भाग लिया था।
3. 1857 की क्रांति के आर्थिक कारण (Economic Reasons of Revolution of 1857)-
- नई भू-राजस्व नीतियों (Land Revenue Policies) व भू-राजस्व अधिक होने से किसानों का शोषण हुआ तथा नगदी भू-राजस्व के कारण किसान साहूकारों के चंगुल में फँस गये थे।
- कृषि का वाणिज्यीकरण किया गया जिससे खाद्यान की कमी हो गई तथा लगातार अकाल से किसानों की स्थिति दयनीय (Miserable) हो गई थी।
- ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा कच्चे माल पर अधिकार कर लिया गया जिससे भारतीय हस्त शिल्प कुटीर उद्योग (Indian Handicraft Cottage Industries) बर्बाद हो गये थे।
- सूती वस्त्र की मातृभूमि भारत को अंग्रेजों ने विदेशी कपड़ों से भर दिया था।
- ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा व्यापारिक नीतियां अंग्रेजों के अपने पक्ष में बनाई जाती थी जिससे भारतीय व्यापार वाणिज्य समाप्त हो गया।
- यही कारण है कि किसान (Farmer), मजदूर (Laborer) व व्यापारी (Trader) सभी ने 1857 की क्रांति में भाग लिया था।
4. 1857 की क्रांति के सामाजिक व धार्मिक कारण (Social and Religious Reasons of Revolution of 1857)-
- अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ नस्लीय भेदभाव (Racial Discrimination) किया जाता था।
- भारतीयों को प्रशासन में ऊँचे पद नहीं दिये जा सकते थे।
- अंग्रेजों द्वारा भारत के सामाजिक रीति रिवाजों में हस्तक्षेप किया गया।
- ईसाई मिशनरियों (Christian Missionaries) द्वारा हिन्दु व इस्लाम धर्म का मजाक उड़ाया जाता था।
- 1850 ई. के धार्मिक अयोग्यता अधिनियम (Religious Disqualification Act, 1850) के अनुसार धर्म परिवर्तन के बाद व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से वंचित नहीं किया जायेगा।
5. 1857 की क्रांति के सैनिक कारण (Military Reasons of Revolution of 1857)-
- भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों के समान वेतन व सुविधाऐं प्रदान नहीं की जाती थी।
- 1854 ई. के डाकघर अधिनियम (Post Office Act, 1854) से अंग्रेजों ने सैनिकों की निःशुल्क डाक सेवा बंद कर दी गई थी।
- 1856 ई. के सामान्य सेवा भर्ती अधिनियम (General Service Recruitment Act, 1856) के अनुसार सैनिकों की किसी भी स्थान पर नियुक्ति की जा सकती थी जबकि भारतीय समुद्री यात्रा को धर्म भ्रष्ट मानते थे।
6. 1857 की क्रांति के तात्कालिक कारण (Immediate Reason of Revolution of 1857)-
- ब्राउनबैस बंदुकों (Brown Base Rifles) के स्थान पर नई एनफील्ड राइफलों (Enfield Rifles) का प्रयोग किया जाने लगा जिनमें चर्बी वाले कारतुसों (Greased Cartridges) का प्रयोग किया जाता था।
1857 की क्रांति के परिणाम या महत्व (Results or Significance of Revolution of 1857)-
- ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया तथा ब्रिटिश क्राउन ने शासन अपने हाथों में ले लिया था।
- Court of Directors (COD) तथा Board of Control (BOC) समाप्त कर दिये गये तथा भारत सचिव (India Secretary) की नियुक्ति की गई।
- भारत सचिव की सहायता के लिए 15 सदस्यों की भारत परिषद् (Indian Council) होती थी।
- भारत परिषद् का कार्यकाल 'इंडिया हाउस' (India House) कहलाता था।
- इंडिया हाउस के सभी खर्चे भारत से भेजे जाते थे।
- गवर्नर जनरल (G.G.) का नाम बदलकर वायसराय (Viceroy) कर दिया गया था।
- हालांकि शासन में परिवर्तन किया गया लेकिन उसके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं आया।
- साम्राज्यवादी नीतियों (Imperialist Policies) से भारतीयों का शोषण (Exploitation) अनवरत (Continued) जारी रहा।
- ये सभी परिवर्तन 1858 ई. के भारत शासन अधिनियम (Government of Indian Act, 1858) के अनुसार किये गए थे।
- चार्ल्स वुड भारत के प्रथम सचिव थे। (Charles Wood was the first Secretary of India)