राजस्थान के ऐतिहासिक एवं भौगोलिक स्थल एवं उनकी वर्तमान स्थिति (Historical and geographical places of Rajasthan and their present location)-
- 1. वागड़ (Vagad/Vagar)
- 2. राठी (Rathi)
- 3. थली (Thali)
- 4. मरु (Maru)
- 5. माल प्रदेश (Maal Region)
- 6. बीहड़ (Beehad)
- 7. भोराट (Bhoraat)
- 8. मेवात (Mewat)
- 9. शेखावाटी (Shekhawati)
- 10. मत्स्य (Matsya)
- 11. बृजनगर (Brijnagar) या बृज क्षेत्र (Brij Region)
- 12. मारवाड़ (Marwar)
- 13. यौधेय प्रदेश (Yaudheya Region)
- 14. जांगल प्रदेश (Jangal Region)
- 15. अहिच्छत्रपुर (Ahichhatrapur)
- 16. सपादलक्ष (Sapadalaksha)
- 17. ढूंढाड़ प्रदेश (Dhundhar Region)
- 18. कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) या कुरु प्रदेश (Kuru Pradesh)
- 19. शूरसेन प्रदेश (Shursen Region) या शूरसेन जनपद (Sursen Janpad)
- 20. हयाहय (Hyahai)
- 21. चन्द्रावती (Chandrawati)
- 22. जाबालीपुर (Jabalipur)
- 23. मालानी (Malani)
- 24. मांड (Mand)
- राजस्थान के दक्षिणी भाग को वागड़ कहा जाता है।
- वागड़ क्षेत्र का विस्तार-
- (I) बांसवाड़ा (Banswara)
- (II) डूंगरपुर (Dungarpur)
- (III) प्रतापगढ़ (Pratapgarh)
- माहि नदी को वागड़ की गंगा कहा जाता है।
- पुरानी जलोढ़ मिट्टी का क्षेत्र जो अरावली के पश्चिम में स्थित है उसे बांगड़ या बांगर कहा जाता है।
- बांगड़ क्षेत्र का विस्तार-
- (I) पाली (Pali)
- (II) नागौर (Nagaur)
- (III) सीकर (Sikar)
- (IV) झुंझुनूं (Jhunjhunu)
- 25 सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले क्षेत्र को राठी कहा जाता है।
- राठी में शामिल क्षेत्र-
- (I) बीकानेर (Bikaner)
- (II) जैसलमेर (Jaisalmer)
- (III) बाड़मेर (Barmer)
- राठी क्षेत्र में पायी जाने वाली गाय की नस्ल को भी राठी कहा जाता है। अर्थात् इस क्षेत्र में राठी नस्ल की गाय भी पायी जाती है।
- राजस्थान की कामधेनु "राठी गाय" को कहा जाता है।
- नदियों में राजस्थान की कामधेनु "चम्बल नदी" को कहा जाता है।
- यादव वंश या यादव वंशजों द्वारा शासित प्रदेश को राठ प्रदेश या अहीरवाट कहा जाता है।
- राठ या अहीरवाट क्षेत्र का विस्तार-
- (I) अलवर (Alwar)- राजस्थान में राठ क्षेत्र का विस्तार अलवर जिले में है।
- (II) कोटपुतली, जयपुर (Kotputli, Jaipur)
3. थली (Thali)-
- मरुस्थल का ऊँचा उठा हुआ भाग (Upland part of Desert) थली कहलाता है।
- थली क्षेत्र का विस्तार-
- (I) बीकानेर (Bikaner)
- (II) चूरू (Churu)
- राजस्थान के इस क्षेत्र (बीकानेर व चूरू) में कोई नदी नहीं पायी जाती है।
तल्ली (Talli) या प्लाया (Playa)-
- मरुस्थल में बालुका स्तूपों (Sand Dunes) के मध्य निम्न भूमि (Bottom Region/Land) को तल्ली या प्लाया कहा जाता है।
- तल्ली या प्लाया सर्वाधिक जैसलमेर जिले में पायी जाती है।
- मरुस्थल में बालुका स्तूपों के मध्य निम्न भूमि में बारीश के दौरान पानी इकट्ठा होने से बनने वाली झीलों को प्लाया झील कहते हैं।
4. मरू (Maru)-
- राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र (Desert Region of Rajasthen) को मरू कहा जाता है।
- मरू क्षेत्र का निर्माण टेथिस सागर पर हुआ है।
- मरू क्षेत्र का विस्तार-
- (I) जैसलमेर (Jaisalmer)- मरू क्षेत्र का राजस्थान में मुख्यतः विस्तार जैसलमेर में है।
- (II) बीकानेर (Bikaner)
- (III) बाड़मेर (Barmer)
- (IV) जौधपुर (Jodhpur)
मेरू (Meru)-
- अरावली पर्वतीय क्षेत्र (Aravalli Mountain Region) को मेरू कहा जाता है।
- अरावली पर्वतीय क्षेत्र का निर्माण गौंडवानालैंड से हुआ है।
- अरावली राजस्थान का प्राचीनतम भौतिक प्रदेश है।
5. माल प्रदेश (Maal Region)-
- राजस्थान में हाड़ौती क्षेत्र (Hadoti Region) या हाड़ौती पठार (Hadoti Plateau) को माल प्रदेश कहते हैं।
- हाड़ौती पठार (माल प्रदेश) का निर्माण बेसाल्ट लावा (Basalt Lava) से हुआ है।
- माल प्रदेश का विस्तार-
- (I) कोटा (Kota)- राजस्थान में माल प्रदेश का मुख्यतः विस्तार कोटा जिले में है।
- (II) बारां (Baran)
- (III) बूंदी (Bundi)
- (IV) झालावाड़ (Jhalawar)
मालव प्रदेश (Malav Region)-
- राजस्थान में प्रतापगढ़ एवं झालावाड़ को मालव प्रदेश कहा जाता है।
- राजस्थान का मालव प्रदेश क्षेत्र मध्य प्रदेश के मालवा पठार (Malva Plateau) का भाग है।
6. बीहड़ (Beehad)-
- चम्बल नदी के अवनालिका अपरदन (Gully Erosion) से निर्मित उत्खात स्थलाकृतियों (Badland Topography) को बीहड़ कहा जाता है।
- बीहड़ को गड्ढों वाला क्षेत्र या उबड़ खाबड़ भूमि वाला क्षेत्र (Ravines Region) कहा जाता है।
- बीहड़ का विस्तार-
- (I) कोटा (Kota)- राजस्थान में बीहड़ का सर्वाधिक विस्तार कोटा जिले में है।
- (II) बूंदी (Bundi)
- (III) सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur)
- (IV) करौली (Karauli)
- (V) धौलपुर (Dholpur)
बीड़ (Bead)-
- शेखावाटी की चारागाह भूमियों (Pasture Land) को बीड़ कहा जाता है।
- बीड़ का मुख्य विस्तार-
- (I) चूरू (Churu)
- (II) सीकर (Sikar)
- (III) झुंझुनूं (Jhunjhunu)
7. भोराट (Bhoraat)-
- भोराट एक पठारी क्षेत्र (Plateau Region) है।
- राजस्थान में भोराट क्षेत्र कुंभलगढ़ हिल्स (राजसमंद) तथा गोगुंदा हिल्स (उदयपुर) के मध्य स्थित है।
- मेवाड़ अरावली की सर्वोच्च चोटी "जरगा हिल्स" (Jarga Hills) है।
- जरगा हिल्स भोराट पठार पर स्थित है।
भोमट (Bhomat)-
- भोमट एक पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र है।
- भोमट क्षेत्र का विस्तार-
- (I) डूंगरपुर (Dungarpur)- राजस्थान में भोमट क्षेत्र का विस्तार मुख्यतः डूंगरपुर जिले में है।
- (II) उदयपुर (Udaipur)
- भोमट क्षेत्र में भील जनजाति अधिक पायी जाती है।
8. मेवात (Mewat)-
- मेव जाति के क्षेत्र को मेवात कहा जाता है।
- मेवात क्षेत्र में शामिल क्षेत्र-
- (I) अलवर (Alwar)
- (II) भरतपुर (Bharatpur)
- मेवात क्षेत्र में पायी जाने वाली गाय की नस्ल को मेवाती कहा जाता है।
- मेवाती ऊँट की भी एक नस्ल है।
मेवल (Mewal)-
- मेवल एक पहाड़ी क्षेत्र है।
- मेवल क्षेत्र राजस्थान के बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर जिले के बीच स्थित है।
9. शेखावाटी (Shekhawati)-
- शेखावत वंशजों के द्वारा शासित प्रदेश को शेखावाटी कहा जाता है।
- शेखावाटी में शामिल क्षेत्र-
- (I) चूरू (Churu)
- (II) सीकर (Sikar)
- (III) झुंझुनूं (Jhunjhunu)
तोरावाटी (Torawati)-
- राजस्थान में कांतली नदी (Kantli River) के अपवाह क्षेत्र को तोरावाटी कहा जाता है।
- कांतली नदी को काटली नदी भी कहा जाता है।
- तोरावाटी में शामिल क्षेत्र-
- (I) नीम का नाथ जिला (Neem Ka Thana District)
- (II) सीकर जिला (Sikar District)
- (III) झुंझुनूं जिला (Jhunjhunu District)
- तोरावाटी क्षेत्र तंवर वंशजों के लिए प्रसिद्ध है।
10. मत्स्य (Matsya)-
- ऐतिहासिक काल में अलवर के दक्षिण-पश्चिमी भाग को मत्स्य कहा जाता था।
- मत्स्य क्षेत्र की राजधानी बैराठ थी।
- वर्तमान में बैराठ को विराट नगर (Virat Nagar) के नाम से जाना जाता है।
- विराट नगर वर्तमान में जयपुर जिले में स्थित है।
मत्स्य संघ (Matsya Union)-
- राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण को मत्स्य संघ कहा जाता है।
- राजस्थान के एकीकरण का प्रथम चरण 18 मार्च 1948 को हुआ है।
- मत्स्य संघ में शामिल-
- (I) अलवर (Alwar)
- (II) भरतपुर (Bharatpur)
- (III) करौली (Karauli)
- (IV) धौलपुर (Dholpur)
- (V) नीमराना (Neemrana)
- मत्स्य संघ शब्द के.एम. मुंशी (K.M. Munshi) के द्वारा दिया गया था।
11. बृजनगर (Brijnagar) या बृज क्षेत्र (Brij Region)-
- भरतपुर जिले के उत्तर प्रदेश राज्य से संलग्न क्षेत्र को बृजनगर या बृज क्षेत्र कहा जाता है।
ब्रजनगर (Brajnagar)-
- झालरापाटन का प्राचीन नाम ब्रजनगर है।
- झालरापाटन राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित है।
12. मारवाड़ (Marwar)-
- राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र को मारवाड़ कहा जाता है।
- मारवाड़ क्षेत्र में मुख्यतः जौधपुर संभाग शामिल है। अर्थात् मारवाड़ क्षेत्र का विस्तार राजस्थान में जौधपुर संभाग में है।
मेरवाड़ा (Merwara)-
- राजस्थान में मुख्यतः अजमेर तथा राजसमंद जिले के आंशिक भाग को मेरवाड़ा कहा जाता है।
मेवाड़ (Mewar/Mewad)-
- राजस्थान में बप्पा रावल के वंशजों द्वारा शासित क्षेत्र को मेवाड़ कहा जाता है अर्थात् सिसोदिया राणा या सिसोदिया शाखाओं के द्वारा शासित प्रदेश को मेवाड़ कहा जाता है।
- मेवाड़ में शामिल मुख्य क्षेत्र-
- (I) उदयपुर (Udaipur)
- (II) राजसमंद (Rajsamand)
- (III) चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh)
- (IV) भिलवाड़ा (Bhilwara)
13. यौधेय प्रदेश (Yaudheya Region)-
- ऐतिहासिक काल में राजस्थान के उत्तरी भाग को यौधेय प्रदेश कहा जाता था।
- वर्तमान में यौधेय प्रदेश का विस्तार-
- (I) श्री गंगानगर (Sri Ganganagar)
- (II) हनुमानगढ़ (Haunmangarh)
14. जांगल प्रदेश (Jangal Region)-
- राजस्थान में मुख्यतः बीकानेर तथा जौधपुर के उत्तरी भाग को जांगल प्रदेश कहते थे।
- जांगल प्रदेश की राजधानी अहिच्छत्रपुर (Ahichhatrapur) थी।
- जांगल प्रदेश में मुख्यतः कंटीली वनस्पति (Thorny Vegetation) पायी जाती है।
15. अहिच्छत्रपुर (Ahichhatrapur)-
- राजस्थान के नागौर जिले का प्राचीन नाम अहिच्छत्रपुर था।
- अहिच्छत्रपुर सपादलक्ष (Sapadalaksha) एवं जांगल प्रदेश (Jangal Region) की राजधानी थी।
16. सपादलक्ष (Sapadalaksha)-
- चौहान वंशजों के द्वारा शासित प्रदेश या क्षेत्र को सपादलक्ष कहा जाता है।
- सपादलक्ष का मुख्य विस्तार अजमेर एवं आंशिक विस्तार नागौर व जयपुर में था।
17. ढूंढाड़ प्रदेश (Dhundhar Region)-
- ढूंढ़ नदी या ढूंढ नदी (Dhund River) के क्षेत्र को ढूंढाड़ कहा जाता है।
- ढूंढाड़ प्रदेश का विस्तार मुख्यतः-
- (I) जयपुर (Jaipur)
- (II) टोंक (Tonk)
- (III) दौसा (Dausa)
18. कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) या कुरु प्रदेश (Kuru Pradesh)-
- कुरुक्षेत्र को कुरु प्रदेश भी कहते हैं।
- राजस्थान में अलवर के उत्तरी भाग को कुरुक्षेत्र कहा जाता है।
- कुरुक्षेत्र का मुख्य विस्तार हरियाणा में है।
- कुरुक्षेत्र की राजधानी इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) थी।
19. शूरसेन प्रदेश (Shursen Region) या शूरसेन जनपद (Sursen Janpad)-
- ऐतिहासिक काल में राजस्थान के पूर्वी भाग या पूर्वी राजस्थान को शूरसेन कहा जाता था।
- शूरसेन प्रदेश की राजधानी मथुरा थी।
- राजस्थान में शूरसेन प्रदेश का विस्तार-
- (I) भरतपुर (Bharatpur)
- (II) करौली (Karauli)
- (III) धौलपुर (Dholpur)
20. हयाहय (Hyahai)-
- 18वीं व 19वीं शताब्दी में हाड़ा वंशजों के क्षेत्र को हयाहय कहा जाता था।
- हयाहय में शामिल मुख्य क्षेत्र-
- (I) कोटा (Kota)
- (II) बूंदी (Bundi)
21. चन्द्रावती (Chandrawati)-
- राजस्थान के सिरोही जिले का प्राचीन नाम चन्द्रावती है।
- चन्द्रावती से भूकंपरोधी ईमारतें मिली है।
22. जाबालीपुर (Jabalipur)-
- राजस्थान के जालौर जिले का प्राचीन नाम जाबालीपुर या जाबालिपुर है।
- जाबालीपुर जाबाली ऋषी (Jabali Saint) के लिए प्रसिद्ध है।
- जाबालीपुर क्षेत्र में जाल वृक्ष (Jaal Tree) अधिक पाये जाते हैं।
23. मालानी (Malani)-
- राजस्थान के बाड़मेर जिले का प्राचीन नाम मालानी था।
- मालानी क्षेत्र मल्लीनाथ संत के लिए प्रसिद्ध है।
24. मांड (Mand)-
- मांड गायिकी के क्षेत्र को मांड प्रदेश या मांड कहा जाता है।
- राजस्थान में मांड क्षेत्र का विस्तार मुख्यतः जैसलमेर में है।
वल्ल (Vall)-
- मांड के चारों ओर के क्षेत्र को वल्ल (जैसलमेर) कहा जाता है।