भारतीय संविधान की परिसंघीय विशेषताएं (Federal Features of The Indian Constitution)-
- भारत का संविधान लिखित संविधान है।
- भारत में संविधान की सर्वोच्चता है।
- संविधान शक्तियों का स्रोत है अर्थात् संविधान संघ एवं राज्य दोनों को शक्ति प्रदान करता है।
- केंद्र-राज्य संबंधों में संशोधन के मामले में भारतीय संविधान कठोर है।
- न्यायिक पुनरावलोकन का प्रावधान है जिस कारण संघ मनमाना संशोधन नहीं कर सकता और ना ही मनमाना विधेयक पारित कर सकता है।
- दोहरी विधायिका संसद, राज्य विधानमंडल।
- दोहरी कार्यपालिका- केंद्र व राज्यों की अलग-अलग सरकार
भारतीय संविधान की एकात्मक विशेषताएं (Unitary Feature of The Indian Constitution)-
- एकल संविधान अर्थात् राज्यों के पृथक संविधान नहीं है।
- भारत में एकल नागरिकता को अपना गया है।
- केंद्र के पास अधिक विधायी शक्तियाँ है। (संघ सूची में राज्य सूची से अधिक विषय)
- अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास है।
- समवर्ती सूची पर संघ को प्रधानता दी गई है।
- केंद्र राज्य सूची के विषय पर अतिक्रमण कर सकता है।- (अनुच्छेद 249, 250, 252, 253)
- राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र के द्वारा की जाती है।
- राज्यपाल राज्य विधानमण्डल के विधेयक को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रख सकता है।
- अनेक मामलों में केंद्र राज्यों को निर्देश दे सकता है। (अनुच्छेद 256, 257, 350(a), 339, 347)
- राज्यों में केंद्रीय बलो की नियुक्ति का प्रावधान
- मुख्यमंत्री के विरुद्ध जाँच आयोग।
- वित्तीय संसाधन केंद्र के पास अधिक है।
- निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति केंद्र द्वारा
- CAG की नियुक्ति केंद्र द्वारा की जाती है जो केंद्र व राज्य दोनों का लेखांकन व अंकेक्षण करता है।
- भारत में एकल न्यायपालिका को अपनाया गया है।
- राज्यसभा में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व (अमेरिका की भाँति) नहीं दिया गया है बल्कि राज्यों को राज्यसभा में जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया गया है।
- तीनों प्रकार के आपातकाल (अनुच्छेद 352, 356, 360) में भारतीय संविधान एकात्मक हो जाता है।
- अखिल भारतीय सेवाओं का प्रबंधन केंद्र द्वारा।
- अनुच्छेद 3 के तहत संघ नए राज्य का गठन तथा राज्यों के सीमा, क्षेत्र, नाम में बदलाव कर सकता है।
- लचीला संविधान- संविधान में अनेक संशोधन साधारण बहुमत से किए जा सकते हैं तथा अधिकांश संविधान संशोधनों में राज्यों की सहमति आवश्यक नहीं है।
- उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि भारतीय संविधान में 'फेडरल' (संघात्मक) व 'यूनियन' (एकात्मक) दोनों की विशेषताएँ है इसलिए 'अर्द्धपरिसंघीय' कहा जाता है।
- संविधान में कहीं भी 'फेडरल' शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है बल्कि सभी जगह 'यूनियन' शब्द का प्रयोग किया गया है।
- डॉ. भीमराव अम्बेडरक के अनुसार शांतिकाल में भारतीय संविधान संघीय (Federal) है तथा आपातकाल के दौरान यह एकात्मक (Union) हो जाता है।
- विभिन्न आयोगों सरकारिया आयोग, पुंछी आयोग व सर्वोच्च न्यायालय ने भी भारतीय संविधान की मूल प्रकृति को संघीय (Federal) माना है।
- फेडरल स्ट्रक्चर (संघीय संरचना) को संविधान का बुनियादी ढाँचा माना गया है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर व के.सी. व्हीयर ने भारतीय संविधान को संघात्मक एवं एकात्मक दोनों का मिश्रण कहा है अर्थात् अर्द्धपरिसंघीय कहा है।
- हेनरी मॉरिस जोन्स ने भारतीय संविधान को सौदेबाजी (Bargaining) बताया है।
- पॉल एच.एप्पलबी ने भारतीय संविधान को अत्यधिक संघीय बताया है।
- ग्रानविले ऑस्टिन ने भारतीय संविधान को सहकारी संघवाद बताया है।
- आइवर जेनिंग्स ने भारतीय संविधान में संघवाद बताया है लेकिन यह भी बताया है की केंद्र अधिक मजबूत है।