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उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone)

उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone)-

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय महासागर में बनने वाले निम्न दाब केंद्र होते हैं जिनके चारों ओर वायु चक्रवात गति करते हुए ऊपर उठती है जिससे बादल निर्माण एवं वर्षा की स्थिति बनती है।

  • चक्रवात एक आपदा होती है।

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों के प्रभाव में चक्रवात पश्चिमी तट से टकराता है।


चक्रवात के निर्माण की प्रक्रिया (Process of Cyclone Formation)-

  • द्वीप जल की तुलना में अधिक गर्म हो जाते हैं अतः द्वीप पर निम्न दाब केंद्र का निर्माण होता है। इसकी तुलना में महासागर में उच्च दाब पाया जाता है।
  • पवनें उच्च दाब से निम्न दाब की ओर गति करती है।
  • पवनों पर कोरिओलिस बल प्रभावी हो जाता है जिसके कारण वायु निम्न दाब के चारों ओर चक्रवात गति करने लगती है। उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवात की दिशा घड़ी की विपरित दिशा में होती है तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात की दिशा घड़ी की दिशा में होती है।
  • निम्न दाब के चारों ओर चक्रवात गति करने वाली वायु गर्म होकर ऊपर उठती है।
  • उच्च वायुमंडल में संघनन की क्रिया होती है जिससे बादल निर्माण एवं वर्षा की स्थिति बनती है। संघनन के दौरान गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) मुक्त होती है। यह गुप्त ऊष्मा चक्रवात को ऊर्जा प्रदान करती है। अतः उष्णकटिबंधीय चक्रवात को ऊष्मी इंजन या ऊष्मा इंजन (Heat Engine) कहते हैं।
  • इस प्रकार द्वीप पर एक निम्न तीव्रता के चक्रवात का निर्माण होता है जिससे अवदाब (Depression/Vortex) कहते हैं।
  • पूर्वा पवनों के प्रभाव में चक्रवात द्वीप से महासागर पर विस्थापित होता है।
  • महासागरीय क्षेत्र में अधिक गुप्त ऊष्मा प्राप्त होती है अतः चक्रवात की गति बढ़कर 180 से 250 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती है।
  • पूर्वा पवनों के प्रभाव में चक्रवात सामान्यतः महाद्वीपों के पूर्वी तट से टकराते हैं इसे चक्रवात को लैंडफॉल कहते हैं।
  • तटवर्ती क्षेत्र में वर्षा करने के बाद चक्रवात महाद्वीप के आंतरिक भाग में जाता है तथा गुप्त ऊष्मा के अभाव में चक्रवात धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।


चक्रवात की संचरना (Structure of Cyclone)-

    • 1. चक्रवात की दिवार (Wall of Cyclone)
    • 2. चक्रवात की आँख (Eye of Cyclone)


      1. चक्रवात की दिवार (Wall of Cyclone)-

      • निम्न दाब केंद्र का परिधी क्षेत्र जहाँ वायु चक्रवात गति करते हुए ऊपर उठती है उसे चक्रवात की दिवार कहते हैं।
      • चक्रवात के कारण होने वाला सारा विनाश दिवार वाले क्षेत्र में होता है।
      • चक्रवात के दौरान दिवार क्षेत्र में भारी वर्षा होती है।


      2. चक्रवात की आँख (Eye of Cyclone)-

      • निम्न दाब केंद्र का आंतरिक भाग चक्रवात की आँख कहलाता है।
      • चक्रवात की आँख का व्यास 50 से 80 किलोमीटर होती है।
      • चक्रवात की आँख वाले क्षेत्र में शांत परिस्थितियां पायी जाती है।


      चक्रवात के विभिन्न नाम (Different Names of Cyclone)-

      • हिंद महासागर में चक्रवात को चक्रवात ही कहा जाता है।
      • अटलांटिक महासागर में चक्रवात को हरिकेन कहा जाता है।
      • प्रशांत महासागर में चक्रवात को टाइफून कहा जाता है।
      • ऑस्ट्रेलिया के पास चक्रवात को विल्ली-विल्लीज कहा जाता है।


      चक्रवात के प्रभाव (Impacts of Cyclone)-

      • चक्रवात के दौरान जान माल की हानी होती है।
      • चक्रवात के दौरान तेज हवाएं चलती है जिससे अवसंरचनाओं को नुकसान पहुँचता है।
      • चक्रवात के दौरान भारी वर्षा होती है जिसके कारण बाढ़ की समस्या उत्पन्न होती है।
      • चक्रवात जब महासागर के ऊपर से गुजरता है तो उच्च तीव्रता की महासागरीय लहरें ऊठती है जिसके कारण तटवर्ती क्षेत्र जलमग्न हो जाता है इसे स्टॉर्म सर्ज कहा जाता है।

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