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इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP)

राजस्थान नहर (Rajasthan Canal Project) या इंदिरा गांधी नहर परियोजना (Indira Gandhi Nahar Pariyojana- IGNP)-

  • नींव- गोविंद वल्लभ पंत द्वारा 31 मार्च 1958 को इस नहर की नींव रखी गई।
  • गोविंद वल्लभ पंथ ने राजस्थान नहर को "मरु गंगा" कहा था। (राजस्थान की मरु गंगा)
  • वित्तीय सहयोग- विश्व बैंक
  • निर्माता (कल्पनाकार)- इंजीनियर कंवर सेन (1948)
  • नदी- सतलज व व्यास (हरिके बैराज से निकाली गई है।)
  • मुख्य उद्देश्य- सिंचाई एवं पेयजल के लिए जलापूर्ति करना। (मुख्य- सिंचाई)

  • पेयजल- IGNP में पेयजल के लिए 10 जिले शामिल है।
  • सिंचाई- IGNP में सिंचाई के लिए 8 जिले शामिल है।
  • शामिल नहीं- IGNP में पश्चमी राजस्थान के 2 जिले पाली व जालौर शामिल नहीं है।
  • उद्घाटन- इस परियोजना का उद्घाटन सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा 1961 में हनुमानगढ़ के नौरंगदेसर में किया गया था।

  • राजस्थान के लिए इंदिरा गांधी नहर को सर्वप्रथम 1961 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा खोला गया था।
  • निर्माण के समय इस नहर का नाम राजस्थान नहर था।
  • वर्तमान में इस नहर को इंदिरा गांधी नहर के नाम से जाना जाता है।
  • 2 नवम्बर 1984 को राजस्थान नहर का नाम बदलकर इंदिरा गांधी नहर कर दिया था।
  • कुल लम्बाई- 
  • (I) IGNP की कुल लम्बाई 649 km (204 km फिडर नहर + 445 km मुख्य नहर)
  • (II) राजस्थान में IGNP की कुल लम्बाई 480 km (35 km फिडर नहर + 445 km मुख्य नहर)
  • कुल 649 km लम्बी इंदिरा गांधी नहर (IGNP) का निर्माण दो चरणों में हुआ है। जैसे-
  • (A) पहला चरण- 393 किलोमीटर
  • (B) दूसरा चरण- 256 किलोमीटर


(A) पहला चरण-

  • 393 km लम्बे पहले चरण को 2 प्रकार से पूरा किया गया। जैसे-
  • (I) फीडर नहर (Feeder Canal)- 204 km (बंद नहर)
  • (II) मुख्य नहर (Main Canal)- 189 km (खुली नहर)
  • पहले चरण में 204 km फीडल नहर का निर्माण हरिके बैराज (पंजाब) से मसीतावाली (हनुमानगढ़) तक किया गया है जिसका 35 km हिस्सा राजस्थान में है।
  • पहले चरण में 189 km मुख्य नहर का निर्माण मसीतावाली (हनुमानगढ़) से पूगल (बीकानेर) तक किया गया है।
  • हरिके बैराज पंजाब के फिरोजपुर में सतलज व व्यास नदियों के संगम पर बना हुआ है।
  • पहले चरण में IGNP  का निर्माण हरिके बैराज (पंजाब) से पूगल (बीकानेर) तक किया गया।


(B) दूसरा चरण-

  • दूसरे चरण में 256 km मुख्य नहर (खुली नहर) का निर्माण पूगल (बीकानेर) से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक किया गया है।
  • दूसरे चरण में IGNP का निर्माण पूगल (बीकानेर) से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक किया गया।


विशेष-

  • मोहनगढ़ (जैसलमेर) में IGNP से बाबा रामदेव नाम से 165 km लम्बी उपशाखा निकाली गई है जो मोहनगढ़ (जैसलमेर) से गडरा रोड़ (बाड़मेर) तक विस्तृत है।


IGNP की लिफ्ट (Lift of IGNP)-

  • IGNP से सिंचाई में लिफ्ट का योगदान 30% होता है।
  • IGNP नहर पर सिंचाई के लिए 7 लिफ्ट नहर बनाई गई है। जैसे- क्रमशः-
  • 1. चौधरी कुंभाराम लिफ्ट- हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूं, बीकानेर (IGNP की सर्वाधिक जिलों में विस्तृत लिफ्ट)
  • 2. कंवरसेन लिफ्ट- श्री गंगानगर, बीकानेर (IGNP की सबसे पहली व सबसे लम्बी लिफ्ट)
  • 3. पन्नालाल बारुपाल लिफ्ट- नागौर, बीकानेर (इस लिफ्ट पर नागौर में जायल डी-फ्लोराईडीकरण पेजयल परियोजना स्थित)
  • 4. तेजाजी लिफ्ट- बीकानेर (IGNP की सबसे छोटी लिफ्ट)
  • 5. डॉ. करणी सिंह लिफ्ट- बीकानेर, जोधपुर
  • 6. गुरु जम्मेश्वर लिफ्ट- बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर
  • 7. जयनारायण व्यास लिफ्ट- जैसलमेर, जोधपुर
  • IGNP की सभी लिफ्ट नहरें बायीं ओर स्थित है क्योंकि बांयी ओर धरातल ऊंचा है।


IGNP लिफ्ट के पूराने नाम (Old Names of IGNP Lift)-

  • नया नाम- पूराना नाम
  • 1. चौधरी कुंभाराम लिफ्ट- गंधेली साहवा लिफ्ट
  • 2. कंवरसेन लिफ्ट- लूणकरण सर लिफ्ट
  • 3. पन्नालाल बारुपाल लिफ्ट- गजनेर लिफ्ट
  • 4. तेजाजी लिफ्ट- बांगड़सर लिफ्ट
  • 5. डॉ. करणी सिंह लिफ्ट- कोलायत लिफ्ट
  • 6. गुरु जम्मेश्वर लिफ्ट- फलौदी लिफ्ट
  • 7. जयनारायण व्यास लिफ्ट- पोकरण लिफ्ट


IGNP की शाखाएं (Branches of IGNP)-

  • IGNP से सिंचाई में शाखाओं का योगदान 70% होता है।

  • IGNP पर सिंचाई के लिए 9 शाखाएं बनाई गई है। जैसे-
  • 1. रावतसर शाखा- हनुमानगढ़
  • 2. सूरतगढ़ शाखा- श्री गंगानगर
  • 3. अनूपगढ़ शाखा- श्री गंगानगर
  • 4. पूगल शाखा- बीकानेर
  • 5. दंतोर शाखा- बीकानेर
  • 6. बिसलपुर शाखा- बीकानेर
  • 7. चारणवाला शाखा- बीकानेर, जैसलमेर
  • 8. शहीद बीरबल शाखा- जैसलमेर
  • 9. शहीद सागरमल गोपा शाखा- जैसलमेर
  • रावतसर एकमात्र शाखा है जो IGNP पर बांयी ओर स्थित है।
  • शेष सभी शाखाएं दांयी ओर है।
  • चारणवाला IGNP की एकमात्र शाखा है जो दो जिलों में वितरित है।
  • IGNP का सर्वाधिक लाभ बीकानेर जिले को होता है।
  • IGNP द्वारा कुल सिंचिंत क्षेत्र 16.17 लाख हैक्टेयर है।


IGNP की पेयजल लिफ्ट (Drinking Water Lift of IGNP)-

  • 1. कंवरसेन पेयजल लिफ्ट- बीकानेर, गंगानगर
  • 2. आपणी पेयजल लिफ्ट या गंधेली साहवा लिफ्ट- हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूं, सीकर
  • 3. राजीव गांधी पेयजल लिफ्ट- जोधपुर

  • आपणी पेयजल लिफ्ट परियोजना को जर्मनी के सहयोग से चलाया गया है।


स्काड़ा तकनीक-

  • यह एक इलेक्ट्रॉनिक तकनीक है जिसके माध्यम से पानी को वितरित व नियंत्रित किया जाता है।


IGNP का लाभ (Advantage of IGNP)-

  • IGNP से उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान में हरित क्रांति की शुरुआत हुई जिससे कृषि या खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी हुई।
  • चारागाह भूमियो का विस्तार हुआ जिससे पशु सम्पदा बढ़ी है।
  • किसानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ।
  • मत्स्य पालन की शुरुआत हुई।
  • ईको ट्यूरिज्म में बढ़ोतरी हुई।
  • पेयजल आपूर्ति कंवरसेन, आपणी, राजीव गांधी लिफ्ट की जाती है। (3 जलापूर्ति लिफ्ट)
  • जल विद्युत उत्पादन जैसे- सूरतगढ़, अनूपगढ़, पूंगल, बिसलपुर (लगभग 24 MW)
  • पश्चिमी राजस्थान में जैव विविधता में बढ़ोतरी हुई।
  • पेट्रोलियम रिफाइनरी (बाड़मेर) को जलापूर्ति (औद्योगिक युग की शुरुआत)
  • मरुस्थलीकरण पर नियंत्रण हुआ।


IGNP की हानियां (Disadvantages of IGNP)-

  • सेम की समस्या में बढ़ोतरी (सर्वाधिक- हनुमानगढ़, श्री गंगानगर)
  • लवणीयता की समस्या में बढ़ोतरी।
  • भूमि विवादों में बढ़ोतरी हुई।
  • भूमि की उर्वरकता में कमी हुई जिसका मुख्य कारण रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का अधिक उपयोग।
  • मरुस्थलीय जैव विविधता में कमी हुई।
  • विशेष- सेम की समस्या से राजस्थान में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र हनुमानगढ़ का बढ़ोपल गाँव है।

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