राजस्थान में मंदिर स्थापत्य काल (राजस्थान के मंदिर)-
- (A) राजस्थान के प्राचीन मंदिर
- (B) राजस्थान के गुप्तकालीन मंदिर
- (C) राजस्थान की मंदिर निर्माण की शैली
(A) राजस्थान के प्राचीन मंदिर-
- 1. बैराठ (जयपुर, राजस्थान)
- 2. लालसोट (दौसा, राजस्थान)
- 3. नगरी (चित्तौड़गढ़, राजस्थान)
1. बैराठ (जयपुर, राजस्थान)-
- स्थित- जयपुर जिला, राजस्थान
- यहाँ से एक मौर्यकालीन बौद्ध चैत्य बना हुआ था जो की ईंट तथा लकड़ियों से निर्मित था।
- बौद्धों के मंदिर को चैत्य कहा जाता है।
2. लालसोट (दौसा, राजस्थान)-
- स्थित- दौसा जिला, राजस्थान
- जहाँ बौद्ध पूजा करते थे वह स्थान चैत्य कहलाता था।
- बौद्धों के मरने के बाद जिस स्थान पर बौद्धों के अवशेष रखे जाते थे उसे स्तूप कहते हैं। अर्थात् स्तूप में बौद्ध के अवशेष रखे जाते थे।
- लालसोट में स्थित बंजारे की छतरी में 6 स्तम्भ लगे हुए है जो किसी बौद्ध स्तूप से लिये गये है।
3. नगरी (चित्तौड़गढ़, राजस्थान)-
- स्थित- चित्तौड़गढ़ जिला, राजस्थान
- नगरी को पहले 'मध्यमिका' के नाम से जाना जाता था।
- नगरी से विष्णु मंदिर के अवशेष मिले है। अर्थात् नगरी में प्राचीन काल में विष्णु मंदिर था।
(B) राजस्थान के गुप्तकालीन मंदिर-
- 1. शीतलेश्वर मंदिर (झालावाड़, राजस्थान)
- 2. चारचौमा मंदिर (कोटा, राजस्थान)
- 3. कणसवा मंदिर या कंसुआ मंदिर (कोटा, राजस्थान)
- 4. दर्रा मंदिर (कोटा, राजस्थान)
- 5. माकनगंज मंदिर (कोटा, राजस्थान)
1. शीतलेश्वर मंदिर (झालरापाटन, झालावाड़, राजस्थान)-
- स्थित- झालरापाटन, झारावाड़ा जिला, राजस्थान
- निर्माण- 689 ई.
- यह राजस्थान का प्राचीनतम तिथि युक्त मंदिर है।
2. चारचौमा मंदिर (कोटा, राजस्थान)-
- स्थित- चरचुमा गाँव, लाडपुरा तहसील, कोटा जिला, राजस्थान
- यहाँ शिव मंदिर था।
3. कणसवा मंदिर या कंसुआ मंदिर (कोटा, राजस्थान)-
- स्थित- कणसवा गाँव, कोटा जिला, राजस्थान
- यहाँ शिव मंदिर था।
4. दर्रा मंदिर (कोटा, राजस्थान)-
- स्थित- कोटा जिला, राजस्थान
5. माकनगंज मंदिर (कोटा, राजस्थान)-
- स्थित- कोटा जिला, राजस्थान
(C) राजस्थान की मंदिर निर्माण की शैली-
- (अ) गुर्जर प्रतिहार शैली या महामारू शैली
- (ब) सोलंकी शैली या मारू गुर्जर शैली
- (स) भूमिज शैली
(अ) गुर्जर प्रतिहार शैली या महामारू शैली-
- समय- 8-12वीं शताब्दी तक
- यह राजस्थान की मंदिर निर्माण की शैली है।
- राजस्थान में गुर्जर प्रतिहार शैली में मंदिरों का निर्माण 8वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य हुआ था।
- गुर्जर प्रतिहार शैली को महामारू शैली भी कहते हैं।
- गुर्जर प्रतिहार शैली के मंदिरों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। जैसे-
- (I) गुर्जर प्रतिहार शैली के प्रारम्भिक मंदिर
- (II) गुर्जर प्रतिहार शैली के विकसित मंदिर
(I) गुर्जर प्रतिहार शैली के प्रारम्भिक मंदिर-
- राजस्थान में गुर्जर प्रतिहार शैली के प्रारम्भिक मंदिर निम्न है-
- 1. सूर्य मंदिर (ओसियां, जोधपुर)
- 2. हरिहर मंदिर (ओसियां, जोधपुर)
- 3. महावीर मंदिर (ओसियां, जोधपुर)
- 4. कालिका मंदिर (चित्तौड़गढ़)
- 5. हर्षद माता मंदिर (आभानेरी गाँव, दौसा)
1. सूर्य मंदिर (ओसियां, जोधपुर)-
- स्थित- ओसियां, जोधपुर जिला, राजस्थान
- निर्माण शैली- गुर्जर प्रतिहार शैली
2. हरिहर मंदिर (ओसियां, जोधपुर)-
- स्थित- ओसियां, जोधपुर जिला, राजस्थान
- निर्माण शैली- गुर्जर प्रतिहार शैली
3. महावीर मंदिर (ओसियां, जोधपुर)-
- स्थित- ओसियां, जोधपुर, राजस्थान
- निर्माण शैली- गुर्जर प्रतिहार शैली
4. कालिका मंदिर (चित्तौड़गढ़)-
- स्थित- चित्तौड़गढ़ जिला, राजस्थान
- निर्माण शैली- गुर्जर प्रतिहार शैली
- यह वास्तविक रूप से सूर्य मंदिर था जिसका निर्माण बाप्पा रावल ने करवाया था।
- सूर्य मंदिर को तोड़कर कालिका मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
5. हर्षद माता मंदिर (आभानेरी गाँव, दौसा)-
- स्थित- आभानेरी गाँव, दौसा जिला, राजस्थान
- निर्माण शैली- गुर्जर प्रतिहार शैली
- यह पहले विष्णु मंदिर था।
- इस मंदिर का निर्माण गुर्जर प्रतिहारों के शासन काल में चौहाने ने करवाया था।
- इस मंदिर को महमूद गजनवी ने तोड़ा था।
(II) गुर्जर प्रतिहार शैली के विकसित मंदिर-
- राजस्थान में गुर्जर प्रतिहार शैली के विकसित मंदिर निम्न है-
- 1. कामेश्वर मंदिर (आउवा, पाली)
- 2. रणछोड़ मंदिर (खेड़, बालोतरा, बाड़मेर)
- 3. नकटी माता मंदिर (जयभवानीपुरा, जयपुर)
- 4. मरकंडी माता मंदिर (निमाज, पाली)
- 5. दधीमती माता मंदिर (गोठ मांगलोद, नागौर जिला)
- 6. आदिवराह मंदिर (आहड़, उदयपुर)
- 7. हर्षनाथ मंदिर (रैवासा, सीकर)
- 8. घाटेश्वर मंदिर (बाडोली, चित्तौड़गढ़)
- 9. नीलकंठेश्वर मंदिर (कैकीन्द या जसनगर, नागौर)
- 10. नीलकंठेश्वर मंदिर (पारानगर या राजोरगढ़, अलवर)
- 11. सोमेश्वर मंदिर (किराडू, बाड़मेर)
1. कामेश्वर मंदिर (आउवा, पाली)-
- स्थित- आउवा, पाली जिला, राजस्थान
2. रणछोड़ मंदिर (खेड़, बालोतरा, बाड़मेर)-
- स्थित- खेड़, बालोतरा, बाड़मेर जिला, राजस्थान
3. नकटी माता मंदिर (जयभवानीपुरा, जयपुर)-
- स्थित- जयभवानीपुरा, जयपुर जिला, राजस्थान
4. मरकंडी माता मंदिर (निमाज, पाली)-
- स्थित- निमाज, पाली जिला, राजस्थान
5. दधीमती माता मंदिर (गोठ मांगलोद, नागौर)-
- स्थित- गोठ मांगलोद गाँव, जायल तहसील, नागौर जिला, राजस्थान
6. आदिवराह मंदिर (आहड़, उदयपुर)-
- स्थित- आहड़, उदयपुर जिला, राजस्थान
- निर्माण- इस मंदिर का निर्माण अल्लट ने करवाया था।
7. हर्षनाथ मंदिर (रैवासा, सीकर)-
- स्थित- रैवासा, सीकर जिला, राजस्थान
8. घाटेश्वर मंदिर (बाडोली, चित्तौड़गढ़)-
- स्थित- बाडोली, चित्तौड़गढ़ जिला, राजस्थान
9. नीलकंठेश्वर मंदिर (कैकीन्द या जसनगर, नागौर)-
- स्थित- कैकीन्द (जसनगर), नागौर जिला, राजस्थान
- कैकीन्द को वर्तमान में जसनगर के नाम से जाना जाता है।
10. नीलकंठेश्वर मंदिर (पारानगर या राजोरगढ़, अलवर)-
- स्थित- पारानगर (राजोरगढ़), अलवर जिला, राजस्थान
- पारानगर को वर्तमान में राजोरगढ़ के नाम से जाना जाता है।
11. सोमेश्वर मंदिर (किराडू, बाड़मेर)-
- स्थित- किराडू, बाड़मेर जिला, राजस्थान
- किराडू का प्राचीन नाम किरातकूप है।
- यह गुर्जर प्रतिहार शैली का राजस्थान में अंतिम मंदिर है।
- इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहा जाता है।
- खजुराहो- मध्य प्रदेश में चंदेल वंश के राजाओं द्वारा बनवाये गये मंदिर खजुराहो कहलाते हैं जो अपनी मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है।
इस काल (8वीं से 12वीं शताब्दी) में गुर्जर प्रतिहार शैली से भिन्न मंदिर-
- राजस्थान में 8वीं से 12वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार शैली के अलाव निर्मित मंदिर निम्न है-
- 1. शिव मंदिर (बाडोली, चित्तौड़गढ़)
- 2. अम्बिका माता मंदिर (जगत, उदयपुर)
- 3. सास-बहू का मंदिर (नागदा, उदयपुर)
1. शिव मंदिर (बाडोली, चित्तौड़गढ़)-
- स्थित- बाडोली, चित्तौड़गढ़ जिला, राजस्थान
- निर्माण- इस मंदिर का निर्माण मिहिर कुल द्वारा करवाया गया था।
2. अम्बिका माता मंदिर (जगत, उदयपुर)-
- स्थित- जगत, उदयपुर जिला, राजस्थान
- इस मंदिर को मेवाड़ का खजुराहो कहा जाता है।
3. सास-बहू का मंदिर (नागदा, उदयपुर)-
- स्थित- नागदा, उदयपुर जिला, राजस्थान
- यहाँ दो विष्णु मंदिर बने हुये है जो की सहस्त्रबाहु को समर्पित है।
- इन दोनों विष्णु मंदिरों का निर्माण गुहिल राजा श्रीधर ने करवाया था।
- इस मंदिर का वास्तविक नाम सहस्त्रबाहु मंदिर है।
(ब) सोलंकी शैली या मारू गुर्जर शैली-
- समय- 11-13वीं शताब्दी
- राजस्थान में सोलंकी शैली में मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13 वीं शताब्दी के मध्य हुआ था।
- सोलंकी शैली को मारू गुर्जर शैली भी कहते हैं।
- राजस्थान में सोलंकी शैली में निर्मित मंदिर निम्न है-
- 1. सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां, जोधपुर)
- 2. समिद्धेश्वर मंदिर (चित्तौड़गढ़)
1. सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां, जोधपुर)-
- स्थित- ओसियां, जोधपुर जिला, राजस्थान
- सच्चियाय माता ओसवालों की कुल देवी है।
2. समिद्धेश्वर मंदिर (चित्तौड़गढ़)-
- स्थित- चित्तौड़गढ़ दुर्ग, चित्तौड़गढ़ जिला, राजस्थान
- इस मंदिर का वास्तविक नाम त्रिभुवन नारायण मंदिर है जिसका निर्माण भोज परमार ने करवाया था।
- मोकल ने इसका पुनर्निर्माण करवाया तथा इसका नाम बदलकर समिद्धेश्वर कर दिया था।
(स) भूमिज शैली-
- राजस्थान में भूमिज शैली में निर्मित मंदिर निम्न है-
- 1.जैन मंदिर (सेवाड़ी, पाली)
- 2. महानालेश्वर मंदिर (मैनाल, भीलवाड़ा)
- 3. उंडेश्वर मंदिर (बिजौलिया, भीलवाड़ा)
- 4. अद्भुतनाथ (ऋषभदेव) मंदिर (चित्तौड़गढ़)
- 5. सूर्य मंदिर (रणकपुर, पाली)
- 6. सूर्य मंदिर (झालरापाटन, झालावाड़)
- 7. भंडदेवरा मंदिर (रामगढ़, बारां)
1.जैन मंदिर (सेवाड़ी, पाली)-
- स्थित- सेवाड़ी, पाली जिला, राजस्थान
- यह भूमिज शैली का राजस्थान में प्रथम मंदिर है।
2. महानालेश्वर मंदिर (मैनाल, भीलवाड़ा)-
- स्थित- मैनाल, भीलवाड़ा जिला, राजस्थान
3. उंडेश्वर मंदिर (बिजौलिया, भीलवाड़ा)-
- स्थित- बिजौलिया, भीलवाड़ा जिला, राजस्थान
4. अद्भुतनाथ (ऋषभदेव) मंदिर (चित्तौड़गढ़)-
- स्थित- चित्तौड़गढ़ जिला, राजस्थान
- ऋषभदेव जी को अद्भुतनाथ भी कहते हैं।
5. सूर्य मंदिर (रणकपुर, पाली जिला)-
- स्थित- रणकपुर, पाली जिला, राजस्थान
6. सूर्य मंदिर (झालरापाटन, झालावाड़ा)-
- स्थित- झालरापाटन, झालावाड़ जिला, राजस्थान
- इस मंदिर में सूर्य तथा विष्णु (सूर्य+विष्णु) के सम्मिलित भाव की मूर्ति है।
- इस मंदिर में नृत्य करते हुए भगवान शिव की मूर्ति भी स्थित है।
- इसे सात सहेलियों का मंदिर भी कहा जाता है।
- कर्नल जेम्स टॉड ने इसे चारभुजा मंदिर कहा था।
7. भंडदेवरा मंदिर (रामगढ़, बारां)-
- स्थित- रामगढ़, बारां जिला, राजस्थान
- यह एक शिव मंदिर है।
- इस मंदिर को हाड़ौती का खजुराहो कहते हैं।
- इस मंदिर का निर्माण मेद वंश के राजा मलयवर्मा ने करवाया था।
खजुराहो-
- मध्य प्रदेश में चंदेल वंश के राजाओं द्वारा बनवाये गये मंदिर खजुराहो कहलाते हैं जो अपनी मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है।
- हाड़ौती का खजुराहो भंडदेवरा मंदिर (रामगढ़, बारां) को कहते हैं।
- मेवाड़ का खजुराहो अम्बिका माता मंदिर (जगत, उदयपुर) को कहते हैं।
- राजस्थान का खजुराहो सोमेश्वर मंदिर (किराडू, बाड़मेर) को कहते हैं।