Ads Area

राजस्थान के प्रतीक

1. राजस्थान का राज्य पक्षी- गोडावन
-गोडावन को 21 मई 1981 को राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया था
-गोडावन का वैज्ञानिक नाम क्रायोटिस नाइग्री सेप्स है
-गोडावन के उपनाम- 1. हुकमा, 2. गुधनमेर, 3. सोहन चिड़िया, 4. मालमोरड़ी, 5. ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड
-गोडावन के कृत्रिम प्रजनन हेतु जोधपुर जन्तुआलय प्रसिद्ध है
-गोडावन का घर/सरण स्थलि सेवण घास को कहते है
-गोडावन का प्रिय भोजन तारामीरा फसल है यह एक तिलहन फसल है जो कि सर्वाधिक मात्रा मे श्री गंगानगर मे पायी जाती है
-गोडावन सर्वाधिक मात्रा मे राष्ट्रीय मरू उधान मे पाया जाता है जिसका विस्तार जैसलमेर व बाड़मेर मे है तथा यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा अभ्यारण है जिसका कुल क्षेत्रफल 3162 वर्ग किलोमीटर है

2. राजस्थान का राज्य पशु- चिंकारा
-चिंकारा को 21 मई 1982 को राज्य पशु का दर्जा दिया गया था
-चिंकारा का वैज्ञानिक नाम गजेला-गजेला है
-चिंकारा के उपनाम- 1. छोटा हिरण, 2. एण्टीलोप, 3. भारतीय कुरंग

-चिंकारा- राजस्थान का राज्य पशु
-चिकारा- एक तत् वाध्य यंत्र है जो कि अलवर व भरतपुर जिलो मे ग्रासिया जाति के द्वारा बजाया जाता है
-चिकोरा- पश्चिमी राजस्थान मे हिड़ की लकड़ी से बनाये जाने वाले दीपको को कहते है
-चितौरा- राजस्थान मे चित्रकारो को कहते है

3. राजस्थान का वन्य जीव पशु- ऊँट
-ऊँट को 30 जून 2014 को वन्य जीव पशु का दर्जा दिया गया था
-ऊँट का वैज्ञानिक नाम कैमेलस है
-राजस्थान मे सर्वाधिक ऊँट बीकानेर मे पाये जाते है
-भारत मे प्रथम ऊँटनी दुध डेयरी बीकानेर मे खोली गयी थी
-भारत मे सर्वप्रथम ऊँट लाने का श्रेय मोहमद बिन कासिम को दिया जाता है
-राजस्थान मे सर्वप्रथम ऊँट लाने का श्रेय पाबूजी को दिया जाता है व राजस्थान मे ऊँट के बिमार होने पर पाबूजी कि पूजा कि जाती है
-ऊँटो का देवता पाबूजी को कहते है
-राजस्थान मे ऊँट पालने के लिए रेबारी/राईका जाति प्रसिद्ध है
-ऊँट कि खाल पर चित्र बनाने (मिनाकारी) कि कला को ऊस्ता कला कहते है व यह कला बीकानेर की प्रसिद्ध है तथा इस कला के लिए बीकानेर का हिसामुद्दीन ऊस्ता का परिवार प्रसिद्ध है
-राजस्थान मे ऊँट की खाल से बने जल पात्र को कोपी कहते है
-ऊँट का श्रृंगार गीत गोरबंद है
-ऊँट के नाक मे डाली जाने वाली सजावटी वस्तु को गिरबाण कहते है
-भारत मे सर्वप्रथम ऊँट सैना बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने बनाई थी जिसे गंगा रिसाला के नाम से जाना गया था

4. राजस्थान का राज्य पुष्प- रोहिड़ा के फुल
-रोहिड़ा के फुल को 31 अक्टूबर 1983 को राज्य पुष्प का दर्जा दिया गया था
-रोहिड़ा का वैज्ञानिक नाम टिकोमेला ऐंडूलेटा है
-रोहिड़ा के उपनाम- 1. मरू शोभा, 2. रेगिस्तान के सागवान
-जोधपुर जिले मे रोहिड़ा के फुल को मारवाड़ टीक के नाम से जाना जाता है

5. राजस्थान का राज्य गीत- केसरिया बालम पधारो नी म्हारे देश
-मांगी बाई उदयपुर कि प्रसिद्ध मांड गायीका थी जिन्होने राजस्थान मे सर्वप्रथम केसरिया बालम गीत गाया था
-मांड राग कि उत्पती जैसलमेर से हुई है
-अल्ला जिल्ला बाई राजस्थान कि सुप्रसिद्ध मांड गायीका है जिसे राजस्थान कि मरू कोकिला के नाम से जाना जाता है 
-अल्ला जिल्ला बाई मुल रूप से बीकानेर कि है

6. राजस्थान का राज्य खेल- बास्केट बाँल
-बास्केट बाॅल को सन् 1948 मे राज्य खेल का दर्जा दिया गया था
-बास्केट बाॅल मे कुल 7 खिलाड़ी होते है (जिनमे से 5 खिलाड़ी हि खेलते है)
-राजस्थान बास्केट बाॅल संघ का का मुख्यालय अजमेर मे है
-अर्जुन पुरुस्कार खेल जगत का सबसे बड़ा पुरुस्कार है
-अर्जुन पुरुस्कार पाने वाला प्रथम राजस्थानी खिलाड़ी खुशीराम है जिसे सन् 1967 मे बास्केट बाॅल के लिए यह पुरुस्कार मिला था

7. राजस्थान का राज्य/लोक नृत्य- घूमर
-राजस्थान मे घूमर नृत्य सर्वाधिक गणगौर के अवसर पर किया जाता है
-घूमर नृत्य जयपुर व मारवाड़ (जोधपुर) क्षेत्र का प्रसिद्ध है
-घूमर के उपनाम- 
-1. लोक नृत्यो कि आत्मा
-2. राज्य कि आत्मा
-3. राजस्थान का सिरमौर
-राजस्थान मे अविवाहित महिलाओ के द्वारा किया जाने वाला घूमर नृत्य झूमर कहलाता है तथा जब झूमर को विवाहित महिलाएँ करती है तब इसे घूमर कहते है
-घूमर नृत्य मे माँ सरस्वती कि पूजा/अराधना कि जाती है

8. राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य- कत्थक नृत्य
-राजस्थान मे कत्थक नृत्य का सबसे प्राचीन घराना जयपुर घराना है
-भानूजी को कत्थक नृत्य का जनक माना जाता है तथा ये जयपुर घराने के प्रसिद्ध कलाकार थे

-कत्थक कली नृत्य- केरल मे किया जाता है
-भरत नाट्यम् नृत्य- तमिलनाडु मे किया जाता है

9. राजस्थान कि राजधानी- जयपुर
-जयपुर कि स्थापना 18 नवम्बर 1727 को सवाई जयसिंह द्वितिय ने करवाई थी
-जयपुर के राजाओ को शाहजहा ने मिर्जा कि उपाधी दि थी जो कि सर्वप्रथम सन् 1638 मे जयसिंह प्रथम को दि गई थी
-जयपुर के राजाओ को औरंगजेब ने सवाई कि उपाधी दि थी जो कि सर्वप्रथम सन् 1696 मे जयसिंह द्वितिय को दि गई थी
-सन् 1876 मे अग्रेज अधिकारी प्रिंस अल्बर्ट के जयपुर आने पर रामसिंह द्वितिय के द्वारा जयपुर को पहली बार गुलाबी रंग से रंगवाया गया था इसिलिए जयपुर का नाम गुलाबी नगरी/पिंक सिटी पड़ा था
-अल्बर्ट होल जयपुर मे स्थित है
-जयपुर का वास्तुकार पण्डित विधाधर भट्टाचार्य को माना जाता है जिन्होने जयपुर को 9 वर्गो के सिद्धान्त पर बसाया था

-जंतर-मंतर- यह एक सौर वैधशाला है जिसका निर्माण सन् 1734 मे सवाई जयसिंह द्वितिय ने करवाया था
-सवाई जयसिंह द्वितिय ने भारत मे कुल 5 शहरो मे जंतर-मंतर बनवाये थे जैसे- जयपुर, मथुरा, वाराणसी, उज्जैन, दिल्ली

Post a Comment

0 Comments

Top Post Ad

Below Post Ad