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चौहान वंश (जालोर के चौहान)

* जालोर के चौहान-
-जालोर के चौहानो का संस्थापक कीर्तिपाल था जिसने जालोर मे चौहान वंश की निव 1181 ई. मे रखी थी।
-जालोर का प्राचीन नाम जबालीपुर था।
-जालोर के दुर्ग को सुवर्ण गिरी दुर्ग भी कहा जाता था व अपभ्रशों मे सोनारगढ़ भी कहा जाता था।

* कान्हड़ देव चौहान-
-कान्हड़ देव चौहान के शासन की जानकारी पद्मनाभ द्वारा रचित कान्हड़दे प्रबंध मे मिलती है।
-कान्हड़ देव चौहान के समकालीन दिल्ली का सुलतान अलाऊद्दीन खिलजी था।

-कान्हड़ देव चौहान व अलाऊद्दीन खिलजी के मध्य विवाद के कारण-
-(1) साम्राज्यवादी महत्त्वकांक्षा
-(2) जालोर का दिल्ली से मालवा जाने वाले मार्ग पर स्थित होना।
-(3) 1299 ई. मे अलाऊद्दीन खिलजी की सैना को मालवा अभियान के दौरान जालोर से नही गुजरने देना।
-(4) मुहणौत नैणसी व पद्मनाभ के अनुसार विरम देव का फिरोजा से विवाह करने से इनकार करना।

-अलाऊद्दीन खिलजी की सिवाणा विजय (1308 ई.)-
-सिवाणा वर्तमान मे बाड़मेर मे स्थित है।
-अलाऊद्दीन खिलजी व शीतलदेव चौहान के मध्य युद्ध हुआ जिसमे अलाऊद्दीन खिलजी की जीत होती है।
-यह युद्ध जीतने के बाद सिवाणा दुर्ग का नाम बदलकर खैराबाद रख दिया गया।
-इस दुर्ग का दुर्ग रक्षक कमालुद्दीन गुर्ग को बनाया गया।

-अलाऊद्दीन खिलजी की जालोर विजय (1311 ई.)-
-1311 ई. मे कान्हड़देव व अलाऊद्दीन खिलजी के मध्य युद्ध हुआ जिसमे अलाऊद्दीन खिलजी की जीत होती है।
-इस युद्ध मे कान्हड़देव व उसका पुत्र विरमदेव मारा गया।
-अलाऊद्दीन  खिलजी ने  जालोर का नाम बदलकर जलालाबाद रख दिया था।
-इस युद्ध मे कान्हड़देव के साथ दहिया सरदार बीका द्वारा विश्वासघात किया गया।
-बीका द्वारा विश्वासघात करने पर बीका की पत्नी ने बीका की हत्या कर दी।
-जालोर विजय अलाऊद्दीन खिलजी की उत्तर भारत की अंतिम विजय थी।

-अलाऊद्दीन खिलजी की राजपुताना विजय का क्रम-
-(1) रणथम्भौर विजय 1301 ई.
-(2) चितौड़ विजय1303 ई.
-(3) सिवाणा विजय 1308 ई.
-(4) जालोर विजय 1311 ई.

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