👉 जैसलमेर का भाटी वंश-
✍ संस्थापक- सरदार सिंह भाटी
✍ स्थापना वर्ष- 1285 ई.
✍ स्थान- भटनेर (वर्तमान हनुमानगढ़)
✍ सरदार भाटी के पुत्र मंगलराय को गजनी के शासक द्वारा पराजित होना पड़ा उसके बाद उसने अपनी राजधानी भटनेर को छोड़कर तनौट को अपनी राजधानी बनाया।
✍ लौद्रवा जैसलमेर के निकट है जौ जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
✍ 1155 ई. में भाटी राजा जैसल देव भाटी द्वारा जैसलमेर की नीव रखी गई।
✍ जैसलमेर के भाटी वंश कि राजधानियों का क्रम-
1. भटनेर
2. तनौट
3. लौदवा
4. जैसलमेर
✍ 1570 ई. में नागौर दरबार में जैसलमेर के हरराय भाटी ने भाग लिया था। तथा मुगलों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किये और मुगलों की अधिनता स्वीकार की।
✍ जैसलमेर के शासक मूलराज द्वारा 1818 ई. में अंग्रेजो के साथ सहायक संधि कि गई।
✍ आजादी के समय जैसलमेर का शासक जवाहर सिंह था।
✍ जवाहर सिंह के समय 3 अप्रेल 1946 को सागरमल को जिंदा जलाया गया था।
✍ संस्थापक- सरदार सिंह भाटी
✍ स्थापना वर्ष- 1285 ई.
✍ स्थान- भटनेर (वर्तमान हनुमानगढ़)
✍ सरदार भाटी के पुत्र मंगलराय को गजनी के शासक द्वारा पराजित होना पड़ा उसके बाद उसने अपनी राजधानी भटनेर को छोड़कर तनौट को अपनी राजधानी बनाया।
✍ लौद्रवा जैसलमेर के निकट है जौ जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
✍ 1155 ई. में भाटी राजा जैसल देव भाटी द्वारा जैसलमेर की नीव रखी गई।
✍ जैसलमेर के भाटी वंश कि राजधानियों का क्रम-
1. भटनेर
2. तनौट
3. लौदवा
4. जैसलमेर
✍ 1570 ई. में नागौर दरबार में जैसलमेर के हरराय भाटी ने भाग लिया था। तथा मुगलों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किये और मुगलों की अधिनता स्वीकार की।
✍ जैसलमेर के शासक मूलराज द्वारा 1818 ई. में अंग्रेजो के साथ सहायक संधि कि गई।
✍ आजादी के समय जैसलमेर का शासक जवाहर सिंह था।
✍ जवाहर सिंह के समय 3 अप्रेल 1946 को सागरमल को जिंदा जलाया गया था।
important history
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DeleteVery nice sir ji
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